आयुर्वेद को अपनी प्रतिष्ठा कब वापस मिलेगी ? योग तो आयुर्वेद का छोटा सा अंग है जिसे विदेशों ने भी अपना लिया है ! चालाक और बुद्धिमान विदेशी हमारे देश की सम्पदा चुरा ले जाते हैं क्योंकि वे उसका मूल्य समझते हैं लेकिन भारत देश के बुद्धिजीवी घर की खेती घास बराबर समझते हैं ! हानिकारक अंग्रेजी दवाईयां लैमनचूस समझकर खाते हैं और प्राकृतिक औषधीय चिकत्सा से परहेज़ रखते हैं ! अज्ञानता की पराकाष्ठा ही व्यक्ति को विवेकहीन कर देती है ! महंगे और हानिकारक इलाज को करते हैं , ये भी नहीं जानते की एक मर्ज के इलाज के बदले दो और मर्ज से ग्रसित हो जाते हैं ! कैंसर से ज्यादा घातक तो कैंसर की अंग्रेजी दवाईयां हैं !
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आयुर्वेद एक समग्र चिकित्सा विज्ञान है, जो रोगों की जड़ से चिकित्सा करता है ! बिना किसी साइड इफेक्ट्स के ! सरकार इस और ध्यान दे तो इस विलुप्त होती विधा को संरक्षित किया जा सकता है ! छह AIIMS की घोषणा के साथ छह आयुर्वेदिक चिकित्सालयों की भी घोषणा कर सकता है ! यदि चिकित्सा पद्धतियों के साथ निष्पक्ष रहा जाए, सौतेला व्यवहार न किया जाए तो अनमोल पद्धति को पुनर्प्रतिष्ठित किया जा सकता है !
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आयुर्वेद एक समग्र चिकित्सा विज्ञान है, जो रोगों की जड़ से चिकित्सा करता है ! बिना किसी साइड इफेक्ट्स के ! सरकार इस और ध्यान दे तो इस विलुप्त होती विधा को संरक्षित किया जा सकता है ! छह AIIMS की घोषणा के साथ छह आयुर्वेदिक चिकित्सालयों की भी घोषणा कर सकता है ! यदि चिकित्सा पद्धतियों के साथ निष्पक्ष रहा जाए, सौतेला व्यवहार न किया जाए तो अनमोल पद्धति को पुनर्प्रतिष्ठित किया जा सकता है !
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अंग्रेज़ आये , आयुर्वेद की प्रत्यारोपण तकनीक को उठा ले गए और खुद प्लास्टिक सर्जरी के जनक बन बैठे ! जानों अपना इतिहास और अपनी बौद्धिक सम्पदा को ! आयुर्वेद की रचना सृष्टि की उत्पत्ति के समय हुयी है ! आयुर्वेद , अथर्ववेद का उपवेद है , सहस्त्रों वर्ष पुराना है ! सर्जरी के जनक आचार्य सुश्रुत एवं काय चिकित्सा (मेडिसिन) के जनक धन्वन्तरि हैं ! सुश्रुत के समय में सर्जरी बेहद उन्नत अवस्था में थी ! समय के साथ आयुर्वेद को दबाते चले गए , अंग्रेजी चिकित्सा जो आयुर्वेद का शोध मात्र है , उसे अपनाने में गौरवान्वित समझने लगे ! आज अच्छे अच्छे एडुकेटड लोग भी आयुर्वेद के बारे में कुछ नहीं जानते ! लोग अनेकानेक भ्रांतियों में जी रहे हैं ! वही हाल है जैसे घर का स्वच्छ, सुरुचिपूर्ण और पौष्टिक भोजन त्यागकर लोग ठेले की चाट खाते हैं ! पैसे भी फूंकते हैं और अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ भी करते हैं !
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आयुर्वेद को पहचानो! हीरों की खान है ! सरकार को अपना दायित्व समझना चाहिए इस बहुमूल्य धरोहर के प्रति ! प्रत्येक शहर में मल्टी-फैसिलिटी आयुर्वेदिक अस्पताल खुलने चाहिए ! आयुर्वेदिक चिकित्सकों को रोजगार मिलना चाहिए और आम जनता में इसके प्रति जागरूकता बढ़ानी चाहिए ! सरकार के साथ साथ लेखकों का भी दायित्व है की वे इस क्षेत्र में जागरूकता लाएं !
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आयुर्वेद को पहचानो! हीरों की खान है ! सरकार को अपना दायित्व समझना चाहिए इस बहुमूल्य धरोहर के प्रति ! प्रत्येक शहर में मल्टी-फैसिलिटी आयुर्वेदिक अस्पताल खुलने चाहिए ! आयुर्वेदिक चिकित्सकों को रोजगार मिलना चाहिए और आम जनता में इसके प्रति जागरूकता बढ़ानी चाहिए ! सरकार के साथ साथ लेखकों का भी दायित्व है की वे इस क्षेत्र में जागरूकता लाएं !