राष्ट्रगान 'जन गण मन' की मौलिक धुन सुभाष चन्द्र बोस जी द्वारा लिखित कविता से ली गयी हैं जो उन्होंने 'आजाद हिन्द फ़ौज की स्थापना के बाद लिखी थीं और उनकी धुन बनायी थी कैप्टन राम सिंह' ने अतः इसका श्रेय उसके सही हकदारों को ही मिलना चाहिए ! राष्ट्रगान इस धुन पर १९५० के बाद से गाया जा रहा है ! इसके पहले इसे मात्र एक कविता पाठ के रूप में गाया जाता रहा है !इस धुन का श्रेय कैप्टन राम सिंह को जाता है ,जिनका कहीं उल्लेख नहीं मिलता !
सुभाष चन्द्र बोस द्वारा लिखित मौलिक गान नीचे लिखा है !
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सब सुख चैन की बरखा बरसे, भारत भाग है जागा
पंजाब सिंध गुजरात मराठा द्रविड़ उत्कल बंग
चंचल सागर विंध्य हिमालय नीला जमुना गंगा
तेरे नित गुण गाएं, तुझसे जीवन पाएं
पाएं सब तन आशा
सूरज बन कर जग पर चमके, भारत नाम सुभागा
जय हो जय हो जय हो
जय जय जय जय हो
भारत नाम सुभागा
सब के दिल मे प्रीत बसाए, तेरी मीठी बानी
हर सूबे के रहने वाले, सब मजहब के प्राणी
सब भेद और फर्क मिटा के, सब गोद मे तेरी आ के
गूंधे प्रेम की माला
सूरज बन कर जग पर बरसे, भारत नाम सुभागा
जय हो जय हो जय हो
जय जय जय जय हो
भारत नाम सुभागा
सुबह सवेरे पंख पखेरू, तेरे ही गुण गाएं
बास भरी भरपूर हवाएं, जीवन मे रुत लाएं
सब मिलकर हिन्द पुकारे, जय आज़ाद हिन्द के नारे
प्यारा देश हमारा
सूरज बन कर जग पर चमके, भारत नाम सुभागा
जय हो जय हो जय हो
जय जय जय जय हो
भारत नाम सुभागा