Tuesday, January 20, 2015

लुभावनी कुर्सी

आजकल कुछ उत्साही मनसपुत्रों द्वारा एक किरण-केजरी तुलनात्मक-तालिका का प्रचार किया जा रहा है फेसबुक पर, जिसमें एक को महिमामंडित करने और दुसरे को छोटा दिखाने की बचकानी कोशिश साफ़ झलक रही है ! जबकि सच तो है की दोनों ही पढ़े-लिखे हैं और दोनों ही "विदेशी पुरस्कार" (मैग्सेसे) से सम्मानित होकर अपनी एनजीओ चलाकर पैसे से लाल हो रहे हैं ! दोनों ही जनता में लोकप्रिय हैं ! दोनों ही महत्वाकांक्षी हैं ! दोनों ही भूल-भुल्लैय्या की सीढ़ियां चढ़ते हुए राजनीति की लुभावनी कुर्सी के लिए ललचा गए ! दोनों ही जनता को जाने क्या-क्या दे डालेंगे चुनाव जीतते ही ! बस अंतर तो केवल इतना ही है की एक को चालीस के बाद राजनीति की सनक चढ़ी तो दूसरी को पैंसठ के बाद ! मज़ेदार टक्कर है ! चुनावों के दौरान स्पेन की बुल-फाइट , कॉक-फाइट और मदारी-शो बहुत रुचिकर लगता है ! परिणाम आने के बाद तो "ढाक के तीन पात" होने ही हैं!

Zeal

गुलामी की पराकाष्ठा

छब्बीस जनवरी को गणतंत्र दिवस है या "ओबामा दिवस" ! पग-पग अमेरिका, भारत को डूज़ और डोंट्स बता रहा है ! हमारे गणतंत्र दिवस पर हमें ही बताया जा रहा है की कहाँ पर फ्लाई-ज़ोन हो और कहाँ ना हो ! हम स्वतंत्र हैं या परतंत्र ? गणतंत्र दिवस हमारा है या फिर अमेरिका का ! मोदी जी इतना डेस्परेट (आकुल-व्याकुल) क्यों हैं ओबामा को बुलाने के लिए ?

यही वो गुलाम भारत है , जहां "विदेशी कंपनी मेक-डोनाल्ड" में एक भारतीय बच्चे को बेइज़्ज़त करके बाहर निकाल दिया गया ! अरे अगर भारतीयों से प्रेम होता तो उस मासूम से बच्चे को सीने से लगाकर उस मेक-डोनाल्ड आउटलेट को बंद करवा देते !

लेकिन इन्हें तो "विदेशी" ही ज्यादा अज़ीज़ हैं !

ZEAL

क्या सोचा था हमने और क्या हो रहा है !

क्या सोचा था हमने और क्या हो रहा है ! बहुत उम्मीदों के साथ जिताया था इन लोगों को !


Friday, January 16, 2015

धर्म

हम धर्म से मिले पूछा "कौन हो तुम"
वो बोला -"सनातन हूँ मैं "
मजहब से मिली, पूछा-"कौन हो तुम "
वो बोला- "इस्लाम हूँ मैं"
टाइम-पासियों से पूछा तो बोले
"मानवता" है धर्म मेरा
ठिठुरते मंगरू से पूछा तो बोला-
"बस एक कम्बल"
अशरफ से पूछा तो बोला -
"जिहाद और जन्नत"
देश के चमकते सितारों से पूछा तो बोले -
"पैसा और सिर्फ पैसा"
पैसा ही धर्म है शायद !
उंचाईयों पर पहुँचने के बाद,
ऐशो-आराम के मध्य
रुपयों से खेलने वालों को
हमने कभी धर्मांध नहीं देखा
मौकापरस्तों हमने कभी
धर्मांध नहीं देखा
शोहरत की बुलंदियों को छूने वालों को
हमने कभी धर्मांध नहीं देखा
क्योंकि पैसा ही उनका धर्म और ईमान है
किसी मजहब से बैर करके वो
अपना पैसा खोना नहीं चाहते
अपने धर्म को इज़्ज़त देकर वो
अपना वोट भी नहीं खोना चाहते
पैसों की खातिर हमने उनको अपना ज़मीर ओ ईमान बेचते देखा है !
हमने पैसे वालों को केवल पैसे की खातिर ही सज़दा करते देखा है
हमने किसी बड़े आदमी को धर्मांध नहीं देखा
पैसा ही है जो शोहरत और कुर्सी को धरम बनाता है !
राजू हिरानी से सीखो जो ...
पैसों की खातिर हमको 'धरम' पढ़ाता है !

Zeal

कोई भी ऐरा-गैरा आ सकता है

जैसे ही कोई अच्छा व्यक्ति किसी राजनीतिक दल को ज्वाइन करता है उसका स्वयं का अस्तित्व खत्म हो जाता है ! अतः किरण बेदी का भाजपा ज्वाइन कर लेना कोई हर्ष का विषय नहीं है ! अब वे मात्र एक कठपुतली बनकर रह जाएंगी ! भाजपा तो स्वयं मुसलामानों के हाथों में नाच रही है ! आज सरकार ने घोषणा कर दी है कि अल्पसंख्यकों के बच्चों को 'आधार' के माध्यम से स्कॉलरशिप दी जाएंगी ! हिन्दुओं कि तो कोई गणना ही नहीं है इस सरकार में ! वे केवल बच्चा पैदा करें और सुविधाएं मिलें मुस्लिमों को ? नज़मा हेप्तुल्लाह ने बड़ी फुर्ती से पत्र सभी राज्यों को जारी कर दिया है ! अब "शाज़िया इल्मी" के आने के तो जो गुल खिलेंगे वो आप सबको पता ही है ! भाजपा में कोई सेंसर नहीं ! कोई भी ऐरा-गैरा आ सकता है ! भाजपा जब शाज़िया जैसों को अपना सकती है तो समझिए इसका घोर पतन हो चुका है !भाजपा का अपनी कोई पहचान नहीं , कोई आइडियोलॉजी नहीं ! सिर्फ थाली का बैगन मात्र है !

Thursday, January 15, 2015

अब मौसम सारा बदल गया

देश का सबसे बड़ा बदलाव,
जो साठ साल से था जमा हुआ 
वो पिघल-पिघल कर निकल गया !
जो दस साल से मौन-मूक था बैठा, 
वो आँख झुकाकर चला गया !
जो दहाड़ रहा था जंगल-जंगल,
वो बिल्ली जैसा निकल गया !
और हम भी लिखते थे संजीदा
अब मौसम सारा बदल गया !!

Sunday, January 11, 2015

कोई ट्रांज़िस्टर से धरम छुपाता हुआ ....

खुदा झूठ न बुलवाये .....
एक कार्टून पर इतना बवाल 
और सैकड़ों कार्टून यहाँ भरे पड़े हैं उनका क्या 
कोई नोटों की माला पहने हुए 
तो कोई भैंस ढुँढवाता हुआ ,
कोई ७५ गज़ का केक काटता हुआ
तो कोई ५६ इंच का सीना फुलाता हुआ
कोई अध्यादेश का रॉकेट उड़ाता हुआ
कोई लड़कों की नादानी गिनाता हुआ
तो कोई इक्यावन करोड़ लुटाता हुआ
कोई थप्पड़ खाता हुआ तो
कोई ट्रांज़िस्टर से धरम छुपाता हुआ ....

सत्यमेव जयते...??


जिस देश में आतंकवादियों को प्रशय दिया जाता हो, राजनीतिक पार्टियों में टिकट दिया जाता हो . वोटों की लालच में उनका तुष्टिकरण किया जाता हो , उस देश में पत्रकार सत्य बोलकर या लिखकर क्या करेगा? जान से हाथ ही तो धोएगा ना ? क्यों करे वो ऐसा ? उसके बीबी बच्चे नहीं हैं क्या ? नेताओं को मिले जेड-सिक्युरिटी और पत्रकारों को मिले "बिकाऊ" का तमगा ! बिकाऊ तो मलाई खाने वाले नेता हैं ! देश का पैसा भी खाते हैं और हमारे वोट भी ! वो अपनी TRP बढ़ाते हैं तो तुम लोग कौन सा सत्य लिखते हो? बस "लहर वाले लाइक्स" जिस पर मिले , वही भुनाते चलते हो ! दम है तो देश का राशन खा रहे गूंगे नेताओं के खिलाफ लिखो ! वही हैं असली अपराधी !पेरिस में मीडिया का हश्र देखने के बाद पत्रकारों के साथ सहानुभूति है ! बेचारे रोटी कपडे और मकान की फ़िक्र करें की सत्य के हवन में आहुति दें !

Tuesday, January 6, 2015

निराश मन का मंथन


आज सुबह-सुबह सांबा में हमारे एक बीएसएफ जवान के मारे जाने की खबर पर मन उद्विग्न हो उठा ! सोचने लगी की ये पाकिस्तानी रेंजर्स इतने बददिमाग और हैवान क्यों हैं ? क्यों ये बिनावजह सीज़ फायर का उल्लंघन कर प्रतिदिन मासूमों को मार रहे हैं !
फिर याद आयी राजू हीरानी और आमिर जैसे समाज के खोखले ठेकेदारों की जो हिन्दू धर्म का तो मज़ाक बनाता है लेकिन पाकिस्तान के वहशीपन और वहां के धर्म में निहित जाहिलता के खिलाफ अंधा क्यों हो जाता है ? यदि उनको अकल बांटते ये लोग तो शायद ये दरिंदगी कुछ कम होती !
फिर अचानक याद आयी तीनों भाईयों (जिन्नाह, नेहरू और गांधी) की , जिनके सौजन्य से हमें इन दरिंदों से अलग रहने का मौक़ा मिला ! धन्यवाद इन भाईयों को ! अच्छा ही हुआ जो हिन्दुस्तान का बंटवारा हुआ ! कम से कम शांतिप्रिय लोगों को सुकून से रहने के लिए एक 'भारत' तो मिला और जेहादियों को उनका पाकिस्तान ! दरिंदों के साथ रहने के लिए अभिशप्त तो नहीं हुए हम!

Thursday, January 1, 2015

नव वर्ष की शुभ एवं मंगल कामनाएं

मेरे सभी 'अपनों' और मेरे 'विरोधियों'  को नव वर्ष की शुभ एवं मंगल कामनाएं ! ये वर्ष आप सभी के जीवन में ढेरों खुशियां लाये !