Thursday, August 30, 2012

लम्पट-ब्लॉगर

प्रिंट मीडिया के एक समाचार पत्र में हिंदी ब्लॉगर्स को 'लम्पट' कहा गया !

कारण -- ईर्ष्या !

हिंदी ब्लॉगर्स दुनिया की सबसे शान्तिपूर्ण प्रजाति के हैं ! वे बेख़ौफ़ हर विषय पर अपनी लेखनी चलाते हैं , बिना किसी शोहरत और पैसों के मोह के ! क्या समझेगी इस बात को बिकी हुयी मीडिया ! खुद तो ब्लॉगर्स के बेहतरीन आलेख चोरी करके छापते हैं और उससे मुनाफा कमाते हैं ! चोरी और लूट मचाकर डाका डालते हैं हमारे ब्लॉग्स पर और ऊपर से तुर्रा ये की ब्लॉगर्स लम्पट हैं !

मीडिया वाले आजकल कामचोरी करते हैं काम करते नहीं केवल तनख्वाह लेते हैं ! ब्लॉग्स और फेसबुक से लेखकों के विचार चुराते हैं और उस पर हल्दी , अजवाईन का तड़का लगाकर अपने नाम से छाप देते हैं !

मेहनत हमारी , मुनाफा इनका !

नहीं चलेगा ये अन्याय ! हम सभी स्त्री एवं पुरुष ब्लॉगर्स की तरफ इस घटिया बयान का पुरजोर विरोध करते हैं ! डरपोक हैं ये , डरते हैं ये ब्लॉगर्स से ! ब्लौगिंग की लोकप्रियता ने असुरक्षा पैदा कर दी है इनके दिलों में ! ऐसा बयान व्यक्ति की द्वेषपूर्ण सोच और तंगदिली की तरफ इशारा करता है ! सुधर जाईये !

वन्दे मातरम् !

Zeal

Wednesday, August 29, 2012

१६६ क़त्ल करने वाले पाकिस्तानी आतंकवादी कसाब को फांसी

देर आया लेकिन दुरुस्त आया ! आखिर कसाब को फांसी की सजा सुना ही दी गयी ! सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर मुहर लगा दी ! अभी हमारे देश में न्याय ज़िंदा है ! अभी भी उच्च पदस्थ लोगों के पास नैतिकता , ईमानदारी और संवेदनशीलता है ! बस भय तो एक ही बात का , की कहीं कांग्रेस अपने इस शाही दामाद को बचाने के लिए कोई घटिया चाल न चल दे ! क्योंकि कांग्रेस की फितरत है हर ईमानदार को मरवा देना , या उसी के खिलाफ मुकदमा कर देना, या फिर उन्हें सेवा निवृत कर देना ! इससे पहले की कांग्रेस कोई शातिर चाल चले कसाब को सरे आम फांसी की सजा दे देनी चाहिए ! हमें ढेरों अफज़ल गुरु नहीं चाहिए ! आतंकवादियों को प्रश्रय देने का अड्डा नहीं बनने देंगे हिन्दुस्तान को !

Zeal

Sunday, August 26, 2012

इस फुलवारी की ५०० वीं पोस्ट और चालीसवां पड़ाव !


11 th July 2012

My Friends-- 23rd Feb2012

ब्लॉगिंग के दो साल दो माह के लेखन अनुभव में बहुत कुछ सीखा ! अंतरजाल पर बुद्धिजीवियों , विचारकों और क्रांतिकारियों ने जीवन में एक नयी ऊर्जा का संचार किया ! विविध विषयों पर ज्ञानवर्धन हुआ ! लेखक मित्रों की कलम से निकले शब्द मन-मस्तिष्क पर अमिट छाप छोड़ गए ! ब्लॉगिंग की ये दुनिया एक फुलवारी की तरह लगी ! रंग-बिरंगे पौधों पर सुवासित पुष्प मंजरियाँ ह्रदय को हौले से छूती रहीं !

गत ११ जुलाई २०१२ को उम्र के चालीस बेहतरीन वर्ष पूरे कर लिए ! मुझे लगता है, ये उम्र, जीवन का सबसे सुन्दर पड़ाव है ! इस उम्र तक आते-आते ज़िन्दगी के तकरीबन सभी खट्टे-मीठे अनुभव हो जाते हैं ! जैसे बचपन में सहेलियों के साथ झगडे किये थे, वैसे ही ब्लॉगर बंधुओं और भगिनियों के साथ नोक-झोंक में एक अलग ही आनंद और मज़ा आया ! बहुत कुछ सीखा इस तकरार के माध्यम से भी !

हम सभी एक-दुसरे से ही सीखते हैं , इसलिए बीच-बीच में आभार व्यक्त करते रहना चाहिए ताकि 'मित्र-ऋण' अदा होता रहे ! आप सभी का ह्रदय से आभार !

अब तक मिली तकरीबन २५,००० टिप्पणियों के लिए पाठक वर्ग का विशेष आभार !

ब्लॉग पर एक विशेष अनुभव रहा ! कुछ लोगों ने मुझ पर छद्म होने का आरोप लगाया ! अनवर जी ने मुझे और डॉ रूपेश श्रीवास्तव को एक ही बताया, लेकिन अफ़सोस की डॉ रूपेश , जिन्होंने मुझे हमेशा भाई का प्यार दिया वे अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन दिव्या अभी भी जीवित है ! शायद अनवर जी के मन का वहम अब दूर हो गया होगा. !

अनवर जी की पोस्ट पर शिखा कौशिक जी का कमेन्ट था की--" दिव्या स्त्री नहीं पुरुष है "-- शिखा जी से मेरा कहना है की एक लेखक न ही स्त्री होता है न ही पुरुष , हमें स्त्री-पुरुष नहीं बल्कि व्यक्ति का पौरुष देखना चाहिए !

समाज में लिंग-भेद बहुत है! यही Gender discrimination मुझे ब्लॉग-जगत में भी देखने को मिलता है ! मेरी ये हार्दिक इच्छा है की इस लिंग-भेद को समाप्त किया जाए ! एक दुसरे को पढ़ते समय सिर्फ उसके विचारों पर ध्यान दिया जाए, अन्य बातों पर नहीं !

चूँकि उम्र के चालीसवें पड़ाव की बात चली है तो आईये आप भी शामिल होईये हमारे परिवार के साथ , जब हमने अपने जन्म-दिन पर पारिवारिक-मित्रों के साथ ये पिकनिक मनाई !

Zeal


वाह री धर्मनिरपेक्षता

साध्वी प्रज्ञा कैंसर से जूझ रही हैं! उन्हें भोपाल पुलिस कस्टडी में रखा है, सिर्फ जिल्लत और कष्ट दिया जा रहा है ! जो आरोप आज तक साबित भी नहीं हुए उनपर , उसकी भी सजा भुगत रही हैं वो ! वहीँ कसाब को बिरयानी खिलाई जा रही है और अन्य आतंकवादी अबू हसन को वातानुकूलित कमरे में रखा गया है। ये है हमारी धर्म-निरपेक्ष सरकार का अधर्मी चेहरा ! कुछ मूर्ख और अज्ञानी हिन्दू इस देशद्रोही सरकार का साथ देकर देश को मिटा रहे हैं. अपने ही भाई-बहनों पर अत्याचार कर रहे हैं!

उठो...जागो...लड़ो...

वन्दे मातरम् !

Friday, August 24, 2012

इस मनचले ब्लॉगर का आभार


कल एक मनचले ब्लॉगर की पोस्ट पर एक टिप्पणी पढ़ी। अब ये न पूछियेगा किसकी टिप्पणी थी। अरे उसी मनचले ब्लॉगर की टिप्पणी थी जिसके ब्लॉग पर लिखी थी। बस उसका शौक है की अपने ही ब्लॉग पर 'बेनामी' बनकर खुद ही टिप्पणी करता है....Smiles...

खैर टिप्पणी में लिखा क्या था ?

लिखा था-- " दिव्या ने अपने ब्लॉग पर ३० साल पुरानी तस्वीर लगा रखी है , पता नहीं किसको आकर्षित करने के लिए"

पढ़कर मन में यही ख़याल आया की ये इतना बुज़ुर्ग हो गया है, लेकिन महिलाओं की तस्वीरों में ही उलझा हुआ है अभी तक। ब्लॉगर तो बुद्धिजीवी वर्ग में आते हैं, लेकिन ये तो किसी के विचार नहीं पढता, बल्कि तसवीरें ही देखता है।

लेकिन फिर सोचा , बात तो सही कह रहा है बेचारा। इतनी पुरानी तस्वीर लगाने क्या फायदा। चलो कोई बुढापे वाली शानदार तस्वीर लगाई जाए। कुछ तो डरेगा ये मुझसे। बस फिर क्या था , ढूंढना शुरू किया एक अदद तस्वीर को , जिसने पैसठ (६५) बसंत देख लिए हों।

वो कहते हैं ना-- जहाँ चाह , वहां राह......मिल गयी ना आखिर एक अदद तस्वीर श्रीमती दिव्या श्रीवास्तव की।

नोट- दोनों तस्वीरों में परिधान एक ही है (वही तीस साल पुराना), सर्फ़ एक्सेल का कमाल है !!


Hey ! Thanks Mr मनचले !

Zeal

तीखी या फिर खरी-खरी ?

कुछ लोग सत्यवादी होते हैं।
सत्यवादी निर्भीक होते हैं।
निष्पक्ष और निष्कपट होते हैं।
किसी की भी चाटुकारिता नहीं करते।
सत्यवादियों के लिए अपना-पराया नहीं होता।
वे निर्लिप्त और निर्विकार होते हैं ।
सप्रयास अपनी स्पष्टवादिता को बनाये रखते हैं , वरना तो मार्ग से विचलित होने के अवसर बहुत होते हैं।
वे खरा-खरा ही बोलते हैं , किसी को तीखा लगता है , इस बात की परवाह किये बगैर।
खरा बोलने वाले , निंदा से विचलित नहीं होते, उसके लिए सदैव तैयार रहते हैं ।

हमारा खरा-खरा बोलना आपको 'खारा' लगता है तो इसमें हमारा क्या कसूर-?...हमें तो अपना खरापन ही सबसे ज्यादा मीठा लगता है।

कोमल प्रकृति वाले अपनी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी स्वयं लें।

Keep Smiling !

Zeal

Thursday, August 23, 2012

बगल की डाली पर बैठी है कौन...?

कांग्रेस की फुनगी पर कौन है बैठा...?.... बगल की डाली पर बैठी है कौन... हर शाख पर बैठे हैं 2G , आदर्श और कोयले वाले.... अरे किसने लिखा था वो गीत...."हर शाख पे उल्लू बैठा है, अंजामे गुलिस्तान क्या होगा"







Wednesday, August 22, 2012

स्त्री की पहचान उसका पति है...?

ईश्वर ने स्त्री और पुरुष , दो खूबसूरत रचना की। सोचने के लिए बुद्धि और कल्पनाओं की उड़ान के लिए मन तो एक सा दे दिया लेकिन स्त्री को शारीरिक रूप से कमज़ोर बना दिया। 'प्रेम' तो दोनों के ह्रदय में समान रूप से दिया लेकिन हवस पुरुषों को थोड़ी सी ज्यादा दे दी। शेष कार्य समाज ने पूरा कर दिखाया। स्त्री को उसकी मर्यादाएं समझायीं , उसकी सीमा रेखाएं बतायीं, उसी को उचित-अनुचित का ज्ञान दिया । परिणाम स्वरुप स्त्री दबती चली गयी, सहमा-सहमा सा व्यक्तित्व हो गया उसका और पुरुष निडर और शक्तिशाली होता गया।

दोहरा जीवन जीने लगी स्त्री ....

पिता, भाई , पति और समाज में अपनों की गलतियों पर पर्दा डालते-डालते वह स्वयं के अस्तित्व को भूलती चली गयी । वह अपने नैसर्गिक कर्तव्यों को भूलकर घर की झूठी प्रतिष्ठा को बचानेको ही अपना कर्तव्य समझने लगी। (उदाहरण के लिए शाईनी आहूजा और गोपाल कांडा जैसे पुरुषों की पत्नियों ने अपने पति के गुनाहों पर पर्दा डाला )।

कल अनुराधा और वसुधा को उदास देखा तो पूछने पर पता चला की अनुराधा का पति घर में अपने मित्रों और भाईयों के साथ बैठा शराब पी रहा था और अनुराधा उस गर्मी में अपनी रसोयीं में लगी उस शराबियों के लिए भोजन बना रही थी। पूरी और हलवा, शराब के ग्लास, बरफ के टुकड़े और काजू के प्लेटें। मदमस्त ठहाके और अस्फुट संवाद....क्या यही है अनुराधा की नियति ?

वसुधा की निराशा का कारण पूछा तो पता चला, कल ससुराल में बातों-बातों के दौरान उसके देवर ने कहा- "भाभी आपकी पहचान तो भैया हैं, क्योंकि स्त्री की पहचान उसका पति ही होता है" । वहां पर वसुधा के पति, उसकी देवरानी निशा और उसके सास-ससुर भी बैठे थे।

वसुधा ने कहा- "भैया आप की बात से सहमत नहीं हूँ, किसी की पहचान कोई दूसरा कैसे हो सकता है। हर व्यक्ति की पहचान उसका स्वयं का व्यक्तित्व होता है। मैं प्रोफ़ेसर हूँ, आप के भैया इंजिनियर हैं , हम दोनों का अपना-अपना एक व्यक्तित्व है और अपना एक अस्तित्व है फिर पति कैसे पहचान हो गया अपनी पत्नी का ? और पत्नी क्यों नहीं पहचान हो सकती अपने पति की ? या फिर उस स्त्री के माता-पिता क्यों नहीं पहचान हो सकते, जिन्होंने संस्कार दिए अपनी बेटी को और पढाया-लिखाया, काबिल बनाया।

विवाह करते समय तो लड़की की शकल-सूरत, उसकी शिक्षा , उसके संस्कार को परखकर , उसके अस्तित्व से प्रभावित होने के बाद ही विवाह किया, फिर विवाह होते ही पति कैसे पहचान बन गया उस स्त्री का ?

जब पुरुष अपनी स्त्री को धोखा देता है , किसी अन्य के साथ गुपचुप सम्बन्ध रखता है, शराब पीता है , हिंसा करता है और जब तलाक देता है , क्या तब भी वह अपनी पत्नी की पहचान होता है ?

Zeal

Tuesday, August 21, 2012

अरविन्द मिश्रा की ब्लॉग-वालियां

अरविन्द मिश्रा को वाचिक अश्लीलता करने में बहुत आनंद आता है। इस अभद्रता को वे 'वर्ड-प्ले' का नाम देते हैं। महिला ब्लॉगर्स को ब्लॉग-वालियां कहकर अपना मनोरंजन करते हैं और कभी-कभी महिलाओं को कटही-कुतिया कहकर भी ये अपना और अपने मित्रों का सस्ता मनोरंजन करते हैं। 'मनोविनोद' के नाम पर अशिष्टता का बार-बार परिचय देते अरविन्द मिश्रा के सुधरने के आसार ना के बराबर हैं। स्त्री शब्द भी यदि किसी के आलेख में आ गया तो इनकी भरपूर उपस्थिति वहां पर होती है और महिलाओं का अपमान करने को ये word-play के नाम से समझाते हैं। जैसा की इन्होने ब्लॉगर अमित श्रीवास्तव की पोस्ट पर किया। इनके द्वारा पूर्व में किये गए ऐसे प्रकरण (word-game) , अनगिनत हैं।

अरविन्द मिश्र का मनोबल बढाने वाले बहुत से पुरुष एवं महिला ब्लॉगर है जिन्होंने इनका नमक खाया है अथवा चाशनी में बनी चाय पी है। ये वो अज्ञानी-जन है जो कांग्रेस की तरह आँखें बंद किये हुए भ्रष्टाचार के साथ-साथ व्यभिचार को भी बढ़ावा दे रहे हैं।

अरविन्द मिश्र की बढती अभद्रताओं के खिलाफ आपत्ति दर्ज कराने के लिए रचना और रश्मि रवीजा को कोटिशः बधाईयाँ।

स्त्रियों का अपमान करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। और गन्दगी का समर्थन करने वालों का सम्पूर्ण बहिष्कार किया जाएगा।

हम इस वाचिक-हिंसा और अभद्र-भाषा का घोर विरोध करते हैं।

Zeal.

अम्बेडकर , आरक्षण और राजनीति.

जब संविधान बना था तो दलितों को आरक्षण देने का प्राविधान मात्र १० वर्षों के लिए किया गया था, उसके बाद इसे हटा दिया जाना था, लेकिन गन्दी और सस्ती राजनीति करने वाले नेताओं ने इस आरक्षण को अपनी महत्वाकाक्षाओं को पूरा करने की सीढ़ी बना लिया। हिन्दुओं को बाँटने के लिए दलित को लगातार ये एहसास दिलाया की वो शोषित है और उस पर जुल्म हो रहा है । लेकिन अफ़सोस की बात तो ये हैं की दलितों का एक बड़ा तबका जो इस आरक्षण से लाभान्वित हो चुका है , वो आपस में ही राजनीति कर रहा है और आरक्षण का लाभ अन्य दलितों तक पहुँचने ही नहीं दे रहा और इसका खामियाजा भुगत रहे हैं बहुसंख्यक।

सरकार को किसी की भलाई से कुछ नहीं लेना देना, वो तो बस वोट-बैंक बनाने के लिए एक को लाभ देगी और एक का खून पीयेगी। सोचना तो आपको स्वयं ही होगा।

इज्ज़त के साथ जीना है तो आरक्षण का विरोध करो।

Zeal

Sunday, August 19, 2012

स्त्रियाँ सावधान रहें ऐसों से--

आभासी दुनिया में जाने-अनजाने किसी के साथ चैट होना स्वाभाविक है। लेकिन सावधानी बरतिए। कुछ मक्कार आपके एक सादे से शब्द का भी बतंगड़ बनाकर आपको बदनाम करने से नहीं चूकते। ये इतने शातिर होते हैं की भोली-भली लड़कियों ko अपनी बातों के मकडजाल में फंसाते हैं फिर अपनी चैट के अंशों को अपनी सुविधानुसार अपने गिरोह के दोस्तों को पढ़ाते हैं और मासूम स्त्रियों को बदनाम करते हैं। क्योंकि ऐसा करके ये साईको-पुरुष एक अनजानी सी कामुक-ख़ुशी हासिल करते हैं।

सावधान रहिये।

स्त्रियाँ यदि इन शातिर पुरुषों के चंगुल में न फंसे तो ये पागल होकर स्त्री को बदनाम करते हैं और यदि दुर्भाग्य से ये फंस जाती हैं किसी भेडिये के चंगुल में, तो उसका हश्र उस स्त्री की आत्महत्या पर जाकर समाप्त होता है , लेकिन अफ़सोस की शातिर बदमाश खुले ही घुमते हैं , गन्दगी बढ़ाते रहने के लिए।

Zeal

Friday, August 17, 2012

इस देश में सुरक्षित कौन ?

हमारे देश में कोई भी सुरक्षित नहीं है। चाहे वो देश के किसी भी हिस्से में रहे। उत्तर भारतीयों को ठाकरे , ठिकाने लगा देंगे तो बैंगलोर में आसामी सुरक्षित नहीं हैं। मथुरा कोकराझार में हिन्दुओं की लाशें बिछ गयीं लेकिन प्रशासन मजे में है। बंगलादेशी घुसे चले आ रहे हैं, किसी को कोई मतलब ही नहीं है। देश खंडित हो रहा हैं , लेकिन देशद्रोही ही राज कर रहे हैं। मीडिया बिक चुकी है, बस TRP के बारे में ही सोचती है! आतंकवादी बिरयानी खाते हैं। देश के अन्नदाता किसान , आत्महत्या करते हैं। संगदिल , निष्ठुर , क्रूर सरकार केवल अपनी सुरक्षा की ही व्यवस्था करती है बस। बाकी कोई मरे या जिए।

Zeal

Thursday, August 16, 2012

एक बेहद ज़रूरी पोस्ट, कृपया ध्यान दें

मुलायम सिंह यादव ने यह कहकर की --"पदोन्नति में आरक्षण समाप्त कर देंगे" , इन्होने उत्तर प्रदेश में लोगों को खुश करके चुनाव जीत लिया। जीतने के बाद आरक्षण समाप्त करने की दरयाफ्त भी कर दी केंद्र से। लेकिन अफ़सोस की वह अपील सरकारी दफ्तरों की किसी जंग लगी दराज में दम तोड़ रही है।

मायावती जिसका काम ही हिन्दुओं को बांटना है, उन्होंने आरक्षण समाप्त करने का पुरजोर विरोध किया। अब २१ अगस्त को एक विधेयक पा
स होने वाला है जिसमें पद्दोनती के अवसरों पर दलितों का अधिकार होगा। बहुत जूनियर दलित होगा तो भी वह आरक्षण के तहत पद्दोन्नत कर दिया जाएगा।

हमारे जनरल कैटेगरी के हिन्दू भाई-बहन जो Deserving हैं , promotion के लिए, उनका हक मारा जाएगा। हज़ारों लोग इस अनैतिक, और गलत नीति के कारण अपने अधिकारों से वंचित हो रहे हैं।

आरक्षण के नाम पर मायावती हिन्दुओं को बाँट रही है और अपनी महत्वाकांक्षा की आग में लाखों जनरल केटेगरी के हिन्दुओं का शोषण कर रही है।

बीजेपी सो रही है क्या । क्यों नहीं विरोध करती इस घटिया , दोगले (पदोन्नति सम्बन्धी विधेयक) का ?

हम पुरजोर विरोध करते हैं इस आरक्षण का। हिन्दुओं को दलित और सवर्ण में मत बांटो। पद्दोनती का अधिकार काबिलियत और सिनियोरिटी के आधार पर होना चाहिए, जाती के आधार पर नहीं।

Zeal

Wednesday, August 15, 2012

कलम, आज उनकी जय बोल

जला अस्थियाँ बारी-बारी
चिट्कायी जिनमें चिंगारी
जो चढ़ गए पुण्यवेदी पर
लिए बिना गर्दन का मोल
कलम, आज उनकी जय बोल

जो अगणित लघुदीप हमारे
तूफानों में एक किनारे
जल जलाकर बुझ गए किसी दिन
माँगा नहीं स्नेह मुंह खोल
कलम, आज उनकी जय बोल।

रामधारी सिंह दिनकर।

Tuesday, August 14, 2012

चिकित्सा क्षेत्र के जनक -Father of Medicine and Surgery

अठाहरवीं शताब्दी से पहले ना तो विश्व में ऐलोपैथी नाम की कोई चिकत्सा पद्धति थी और ना ही होमोपैथी थी। योरूप में चिकित्सा विज्ञान नहीं के बराबर था जब कि चिकित्सा क्षेत्र में भारत के प्राचीन ग्रंथ सक्षम, विस्तरित तथा उच्च कोटि के थे। पौराणिक वैद्य धन्वन्तरी के अतिरिक्त ईसा से पाँच शताब्दी पूर्व सुश्रुत और ईसा के दो सौ वर्ष पश्चात शल्य चिकित्सक चरक और अत्रेय के नाम मानवी चिकित्सा के क्षेत्र में मुख्य हैं। चरक और सुश्रुत विश्व के प्रथम फिज़ीशियन और सर्जन थे जिन्हों ने आधुनिक चिकित्सा पद्धति की नींव रखी।

सुश्रुत

सुश्रुत को प्रेरणाधन्वन्तरी से प्राप्त हुई थी। सुश्रुत ने संस्कृत में रोगों की जाँच के बारे में ग्रंथ लिखा तथा उन के उपचार भी बताये। उन की कृति में शल्य चिकित्सा, हड्डियों की चिकित्सा, औषधियाँ, आहार, शिशु आहार तथा स्वच्छता और चिकित्सा के बारे में उल्लेख किया गया हैं। इस कृति के पाँच भाग हैं। सुश्रुत दूारा करी गयी कई शल्य चिकित्सायें आधुनिक काल में भी कठिन मानी जाती हैं। सुश्रुत ने 1120 रोगों का वर्णन किया है तथा उन के उपचार निरीक्षण दूारा बताये हैं।

सुश्रुत ने कई शल्य उपचारों के बारे में लिखा है जैसे कि मोतिया-बिन्द, हरनियाँ, और शल्य क्रिया (सीजेरियन) दूारा जन्म-क्रिया। जाबामुखी शल्का यंत्र मोतिया-बिन्द के आप्रेशन में इस्तेमाल किया जाता था। सुश्रुत 121 प्रकार के शल्य यन्त्रों का प्रयोग करते थे जिन में लेनसेट्स, चिमटियाँ (फोरसेप्स), नलियाँ (कैथिटर्स), तथा गुप्तांगो के स्त्राव की निरीक्षण (रेक्टल एण्ड वैजाईनल स्पेकुलम्स) मुख्य हैं। शल्यक्रिया यन्त्र इतने तेज़ और सक्षम थे कि ऐक बाल को भी लम्बाई की दिशा में विभाजित कर सकते थे। ब्राह्मणों के विरोध के बावजूद भी सुश्रुत ने मृत शरीरों को शल्य प्रशिक्षशण देने हेतु प्रयोग किया तथा इसे आवशयक बताया था। उन्हों ने पाचन प्रणाली तथा शरीरिक विकास के बारे में लिखा हैः-

रसाद्रक्तं ततो मांसं मांसान्मेदः प्रजायते।

मदेसोSस्थि ततो मज्जा मज्जायाः शुक्रसम्भ्वः।। (सुश्रुत)

अर्थात – मनुष्य जो कुछ भोजन करता है वह पहले पेट में जा कर पचने लगता है, फिर उस का रस बनता है, उस रस का पाँच दिन तक पाचन हो कर उस से रक्त पैदा होता है। रक्त का भी पाँच दिन पाचन हो कर उस से माँस बनता है……और इसी प्रकार पाँच पाँच दिन पश्चात माँस से मेद, मेद से हड्डी, हड्डी से मज्जा, तथा अंत में मज्जा से सप्तम सार वीर्य बनता है। यही वीर्य फिर ओजस् रूप में सम्पूर्ण शरीर में व्याप्त हो कर चमकता रहता है। स्त्री के इसी सप्तम सार पदार्थ को रज कहते हैं। वीर्य काँच की तरह चिकना और सफेद होता है और रज लाख की तरह लाल होता है। इस प्रकार रस से ले कर वीर्य और रज तक छः धातुओं के पाचन करने में पाँच दिन के हिसाब से पूरे तीस दिन तथा लग भग चार घंटे लगते हैं। वैज्ञानिकों के मतानुसार चालीस सेर भोजन में से एक सेर रक्त बनता है और एक सेर रक्त से दो तोला वीर्य बनता है। इसी कारण से स्वास्थ रक्षा हेतु भारतीय विचारों में ब्रह्मचर्य पालन पर सर्वाधिक अधिक महत्व दिया जाता है।

सुश्रत प्रथम चिकित्सक थे जिन्हों ने ऐक कटे फटे कान के रोगी को उसी के शरीर के अन्य भाग से चमडी ले कर उपचार दूारा ठीक किया था। सुश्रुत को आधुनिक रिह्नोप्लास्टरी तथा नासिका के पुनर्निर्माण क्रिया का जन्मदाता कहना उचित होगा।

सुश्रुत ने शल्य क्रिया से पूर्व तैय्यारी के लिये नियमावली भी निर्धारित करी थी। उन का निर्देश था कि शल्य क्रिया से पूर्व घाव को स्टैरलाईज़ किया जाना अनिवार्य है जो कि आधुनिक एन्टीसेप्टिक सर्जरी की ओर पहला कदम माना जाता है।

चरक

चरक ने चरक-संहिता की रचना की है जो चिकित्सा शास्त्र का वृहद ग्रँथ (एनसाईक्लोपीडिया) है तथा भारत में आज भी प्रयोग किया जाता है। इस ग्रँथ के आठ खण्ड हैं जिन में रोगों की व्याख्या के साथ उपचार भी दिये गये हैं। ऐलोपैथिक चिकत्सकों के लिये जिस प्रकार यूनानी हिप्पोक्रेटिक्स की दीक्षा का महत्व है उसी प्रकार चरक ने भारत के चिकित्सकों के लिये नियमावली निर्धारित की थी। चरक ने अपने शिष्यों को दीक्षा दी थी किः

“यदि तुम चिकित्सा क्षेत्र में अपने लिये यश, सम्पदा और सफलता की अपेक्षा करते हो तो तुम्हें प्रति दिन जागने के पश्चात और सोने से पूर्व समस्त प्राणियों के भले के लिये ईश्वर से प्रार्थना करनी चाहिये तथा तुन्हें अपने तन, मन और आत्मा से रोगी की देख-भाल करनी चाहिये। तुम्हें अपने रोगियों की उपेक्षा कदापि नहीं करनी चाहिये चाहे उन की देख भाल में अपनी जान भी गँवानी पडे। तुम्हे नशीले पदार्थों का सेवन, दुष्ट संगति तथा दुष्ट कर्मों से स्दैव बचना चाहिये। तुम्हें स्दैव प्रिय भाषी, सहनशील और अपनी ज्ञान तथा कार्य कुशलता जागृत करते रहने के प्रति उद्यत रहना चाहिये ”।

अत्रेय – अत्रेय ईसा से पाँच सौ वर्ष पूर्व हुये थे। उन्हों ने शल्य चिकित्सा के बारे में ग्रंथ लिखा है। उन के अनुसार माता पिता का बीज माता पिता की के निजि शरीर से स्वतन्त्र होता है किन्तु उस में माता पिता के समस्त गुण दोष सुक्षम रूप में समेटे होते हैं।

माता पिता दूारा संतान पर पडने वाले प्रभाव को मनु-समृति में भी विस्तार से उल्लेखित किया गया हैः-

क्षेत्रभूता स्मृता नारी बीजभूतः स्मृतः पुमान्।

क्षेत्रबीजसमायोगात्संभवः सर्वदेहिनाम्।।

विशिष्टं कुत्रचिद्बीजं स्त्रयोनिस्त्वेव कुत्रचित्।

उभयं तु सनं यत्र सा प्रसूति प्रशस्.ते।। (मनु स्मृति 9- 33-34)

स्त्री क्षेत्र रूप और पुरुष बीज रूप होता है। क्षेत्र और बीज के संयोग से सभी प्राणियों की उत्पति होती है। कहीं बीज प्रधान और कहीं क्षेत्र प्रधान होता है। जहाँ दोनो समान होते हैं वहाँ सन्तान भी श्रेष्ठ होती है।

बीजस्य चैव योन्याश्च बीजमुत्कृष्ट मुच्यते।

स्रवभूप्रसूतिर्हि बीजलक्षणलक्षिता।

यादृशं तृप्यते बीजं क्षेत्रे कालोपपादिते।

तादृग्रोहति तत्तस्मिन्बीजं स्वैर्व्याञ्जतं गुणैः ।। (मनु स्मृति 9- 35-36)

बीज और क्षेत्र में बीज को ही श्रेष्ठ कहते हैं क्यों कि सभी प्राणियों की उत्पति बीज के ही लक्ष्णानुसार ही होती है। समय पर जैसा ही बीज क्षेत्र में बोया जाये गा वैसे ही बीज के गुणों से युक्त क्षेत्र में पौधा निकलता है।

इयं भूमिर्हि भूतानां शाशवती योनिरुच्यते।

न च योनिगणान्कांशि्चद्बीजं पुष्यति पुष्टिषु।।

भूमावप्येककेदारे कालोप्तानि कृषीवलैः।

नानारुपाणि जायन्ते बीजानीह स्वभावतः।। (मनु स्मृति 9- 37-38)

यह भूमि सभी प्राणियों का निरन्तर उत्पति स्थान है, किन्तु कभी भी भूमि के गुण से बीज पुष्ट नहीं होता है। एक ही समय में एक खेत में कृषकों दूारा बोये हुए अनेक प्रकार के बीज अपने स्वभाव के अनुसार अनेक प्रकार से उत्पन्न होते हैँ।

उपरोक्त तथ्यों की वैज्ञानिक प्रमाणिक्ता को पाश्चात्य चिकित्सक भी आसानी से नकार नहीं सकते और ना ही यह अन्ध विशवास के क्षेत्र में कहे जा सकते हैं।

चिकित्सा सम्बन्धी ग्रन्थ

पाणनि कृत अष्टाध्याय़ी में कई रोगों के नाम उल्लेख हैं जिस से प्रमाणित होता है कि ईसा से 350 वर्ष पूर्व रोग जाँच प्रणाली विकसित थी। संस्कृत भाषा के शब्द-कोष ‘अमरकोश’ में शरीर के अंगों के नाम दिये गये हैं जो चिकित्सा पद्धति के विकास का प्रमाण हैं।

वाघतः ने625 ईसवी में छन्द तथा पद्य में ऐक चिकित्सा ग्रंथ की रचना की।

भाव मिश्र ने 1550 ईसवी में शरीर विज्ञान पर ऐक विस्तरित ग्रन्थ लिखा जिस में रक्त संचार प्रणाली का पूर्ण विवरण दिया है। यह उल्लेख पाश्चात्य विशेषज्ञ हार्वे से लगभग ऐक सौ वर्ष पूर्व लिखे गये थे। भाव मिश्रने सिफिल्स रोग में पारे दूारा उपचार की परिक्रया लिखी है। यह रोग पूर्तगालियों के माध्यम से भारत में अभिशाप बन कर आया था।

इन के अतिरिक्त निम्नलिखित प्राचीन ग्रंथों में भी चिकित्सा सम्बन्धी जानकारी दी गयी हैः-

  • नारायण सूक्त – मानव शरीर विशेषत्यः हृदय के बारे में लिखा है।
  • मालिनि शास्त्र ऋषि श्रगिं जड और चेतन शरीरों के बारे में लिखा है।
  • गरुड़ः विषनाशक औषिधयों के बारे में विस्तरित जानकारी दी है।

उपचार पद्धति

  • सुश्रुत तथा चरक दोनो ने ही रोगी की शल्य परिक्रिया के समय औषधि स्वरूप मादक द्रव्यों के प्रयोग का वर्णन किया है। उल्लेख मिलता है कि भारत में 927 ईसवी में दो शल्य चिकित्सकों ने ऐक राजा को सम्मोहिनी नाम की मादक औषधि से बेहोश कर के उस के मस्तिष्क का शल्य क्रिया से उपचार किया था।
  • नाडी गति निरीक्षण से रोग पहचान तथा उपचार का उल्लेख 1300 ईसवी तक मिलता है।
  • मूत्र-विशलेषण भी रोग पहचान का विशवस्नीय विकलप था।

चीन के इतिहासकार युवाँग चवँग के अनुसार भारतीय उपचार पद्धति सात दिन के उपवास के पश्चात आरम्भ होती थी। कई बार तो केवल पेट की सफाई की इसी परिक्रिया के दौरान ही रोगी स्वस्थ हो जाते थे। यदि रोगी की अवस्था में सुधार नहीं होता था तो अल्प मात्रा में औषधि का प्रयोग अन्तिम विकलप के तौर पर किया जाता था। आहार, विशेष स्नान, औषधीय द्रव्यों को सूंघना, इनहेलेशन, यूरिथ्रेल एण्ड वैजाइनल इनजेक्शन्स को ही विशेष महत्व दिया जाता था। भारतीय चिकित्सक विष के तोड की औषधि के भी विशेषज्ञ माने जाते थे।

अठाहरवीं शताब्दी तक योरुप वासियों को चेचक वेक्सीनेशन का प्रयोग नहीं आता था। किन्तु भारत में 550 ईस्वी में ही इस क्रिया का प्रयोग धन्वन्तरी के उल्लेख में मिलता है।

चेचक का टीका उपचार प्राचीन भारत में परम्परागत तरीके से होता था। उस विधि को ‘टिक्का’ की संज्ञा दी गयी थी। चीन में भी यह प्रथा 11वीं शताब्दी में गयी। यह उपचार ब्राह्मण ऐक तेज तथा नोकीली सूई के दूारा देते थे। इस का प्रयोग उत्तर तथा दक्षिण भारत में प्रचिल्लत था । पश्चात अँग्रेज़ों मे 1804-1805 इस्वी में इसे निषेध कर दिया था। निषेध करने का मुख्य कारण योरूप वासियों के विचार में शरीर में सूई से चुभन करना ईसाई परम्पराओं के विरुध था।

आचार के नियम

अन्य विद्याओं की भान्ति चिकित्सा विज्ञान भी सामाजिक नियमों तथा परमपराओं के सूत्र में बन्धा हुआ था। ऐक चिकित्सक के लिये रोगी का उपचार करना ही सर्व श्रेष्ठ सेवा थी।

चरक से भी बहुत समय पूर्व रामायण युग में भी रावण के निजि वैद्य सुषेण ने युद्ध भूमि में मूर्छित लक्ष्मण का उपचार किया था। यह वर्तान्त आधुनिक रेडक्रास धारी स्वयं सेविकी संस्थानो के लिये ऐक प्राचीन कीर्तिमान स्वरूप है तथा चिकित्सा क्षेत्र के व्यवसायिक सेवा सम्बन्धी परम्पराओं की भारतीय प्रकाष्ठा को दर्शाता है। उल्लेखनीय है शत्रु के दल में जा कर शत्रु का उपचार करने के बावजूद भी वैद्य सुषैण के विरुद्ध रावण ने कोई दण्ड नहीं दिया था।

चाँद शर्मा

Monday, August 13, 2012

रोम हटाओ, ॐ को लाओ

"रोम हटाओ, को लाओ "---सरकार बधिर हो चुकी है कांग्रेसियों को श्रवन-यंत्र बांटे गए , किन्तु कोई लाभ हुआ लातों के भूत बातों से नहीं मानते अतः--"कांग्रेस हटाओ, देश बचाओ" ---भारत माता की जय वन्दे मातरम् !

Zeal

तानाशाही ?

कल एक मित्र का मेसेज मिला। लिखा था - "दिव्या आप तानाशाह हैं " .....इसका उत्तर सार्वजनिक रूप से दे रही हूँ ताकि अन्यों के मन का संशय भी दूर हो जाए।

मुझे लगता है , मैं तानाशाह नहीं हूँ, बल्कि अनुशासन प्रिय हूँ। जो लोग अनुशासनप्रिय होते हैं, वे कहीं न कहीं थोड़े से दृढ निश्चयी भी होते हैं। वे अपने उसूलों और विचारों का सख्ती से पालन करते हैं, लेकिन किसी पर थोपते नहीं हैं। और यदि कोई अमर्यादित होकर अभद्रता से पेश आता है तो प्रतिक्रिया भी सशक्त और तीखी होती है। इस प्रतिक्रिया को 'तानाशाही' कहना अनुचित होगा। हर किसी को खुश रखना संभव नहीं है। ऐसा करने के प्रयास में विचारों की दृढ़ता और जीवन का अनुशासन समाप्त हो जाता है।

फिर भी जाने-अनजाने यदि मित्रों का दिल दुखता है मेरी किसी बात से तो उसके लिए करबद्ध क्षमा मांगती हूँ आप सभी से।

मैं ऐसी ही हूँ, यदि आप सच्चे मित्र हैं तो मेरी बुराईयों / कमियों/त्रुटियों सहित , सम्पूर्णता के साथ स्वीकार कीजिये।

Zeal

गृहस्थ जीवन !

अविवाहित व्यक्ति , चाहे वो स्त्री हो अथवा पुरुष , उसके पास सबसे बड़ा सुख होता है 'आजादी' का। वह व्यक्ति अपनी सम्पूर्ण ऊर्जा को एक लक्ष्य की प्राप्ति में लगा सकता है। उसे अपने जीवन-साथी, बच्चों , समाज और परिवार की चिंता नहीं सताती। जो मिला वो खा लिया, जहाँ जगह मिली सो लिए ! इसके विपरीत विवाह एक बंधन है , जिसमें स्त्री अथवा पुरुष दोनों पर ही अनेक जिम्मेदारियां होती हैं। वह चाहते हुए भी बहुत कुछ नहीं कर पाता। अतः ज़रूरी है गृहस्थ व्यक्ति की मनोदशा को समझा जाए। उसे यह कहकर उलाहना ना दी जाए की तुम्हारे प्रयासों में कमी है।

Zeal

Friday, August 10, 2012

हरे कृष्ण गोविन्द माधव मुरारी , हे नाथ नारायण वासुदेवा


नमो विश्वस्वरूपाय विश्वस्थित्यन्तहेतवे।
विश्वेश्वराय विश्वाय गोविन्दाय नमो नमः॥1॥
नमो विज्ञानरूपाय परमानन्दरूपिणे।
कृष्णाय गोपीनाथाय गोविन्दाय नमो नमः॥2॥
नमः कमलनेत्राय नमः कमलमालिने।
नमः कमलनाभाय कमलापतये नमः॥3॥
बर्हापीडाभिरामाय रामायाकुण्ठमेधसे।
रमामानसहंसाय गोविन्दाय नमो नमः॥4॥
कंसवशविनाशाय केशिचाणूरघातिने।
कालिन्दीकूललीलाय लोलकुण्डलधारिणे॥5॥
वृषभध्वज-वन्द्याय पार्थसारथये नमः।
वेणुवादनशीलाय गोपालायाहिमर्दिने॥6॥
बल्लवीवदनाम्भोजमालिने नृत्यशालिने।
नमः प्रणतपालाय श्रीकृष्णाय नमो नमः॥7॥
नमः पापप्रणाशाय गोवर्धनधराय च।
पूतनाजीवितान्ताय तृणावर्तासुहारिणे॥8॥
निष्कलाय विमोहाय शुद्धायाशुद्धवैरिणे।
अद्वितीयाय महते श्रीकृष्णाय नमो नमः॥9॥
प्रसीद परमानन्द प्रसीद परमेश्वर।
आधि-व्याधि-भुजंगेन दष्ट मामुद्धर प्रभो॥10॥
श्रीकृष्ण रुक्मिणीकान्त गोपीजनमनोहर।
संसारसागरे मग्नं मामुद्धर जगद्गुरो॥11॥
केशव क्लेशहरण नारायण जनार्दन।
गोविन्द परमानन्द मां समुद्धर माधव॥12॥

Zeal

Thursday, August 9, 2012

रामदेव एक क्रांतिकारी, एक युगपुरुष


- बाबा ने ही सम्पूर्ण विश्व में भारतीय संस्कृति के मृत-प्रायः होते जा रहे योग एवं आयुर्वेद को पुनः स्थापित किया
- बाबा ने ही देश-विदेश के करोड़ों लोगों को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से योग सिखाया हैं
- बाबा ने ही लोगो की सेवा के लिए पतंजलि योगपीठ की स्थापना की जहाँ 1000 लोगों की आवास की निःशुल्क व्यवस्था है
- इसके पतंजलि योगपीठ में प्रतिदिन 5000 आगन्तुकों के निःशुल्क भोजन व्यवस्था की - और "अतिथि देवो भव:" की भारतीय परंपरा को आगे बढाया है
- भारत से भ्रष्टाचार को मिटाने के लिये अष्टांग योग के माध्यम से जो देशव्यापी जन-जागरण अभियान इस सन्यासी वेशधारी क्रान्तिकारी योद्धा ने प्रारम्भ किया
- इसने किशनगढ़, घासेड़ा तथा महेन्द्रगढ़ में भारतीय वैदिक गुरुकुलों की स्थापना की
- सन् 2006 में महर्षि दयानन्द ग्राम, हरिद्वार में पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट के अतिरिक्त अत्याधुनिक औषधि निर्माण इकाई पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड नाम के दो सेवा प्रकल्प स्थापित किये।
- इन सेवा-प्रकल्पों के माध्यम से बाबा रामदेव योग, प्राणायाम, अध्यात्म आदि के साथ-साथ भारतीय वैदिक शिक्षा व भारतीय आयुर्वेद का भी प्रचार-प्रसार कर रहे हैं
- इसके तत्वाधान में पुरे देश में प्रतिदिन लाखो निशुल्क योग-कक्षाए चलती है
- अमेरिका, इंग्लैण्ड व चीन सहित् विश्व के 120 देशों की लगभग 100 करोड़ से अधिक जनता टी०वी० चैनलों के माध्यम से बाबा के क्रान्तिकारी कार्यक्रमों की प्रसंशक बन चुकी है और स्वास्थ्य-लाभ पाप्त कर रही है
- सम्पूर्ण भारत में व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त करने के साथ-साथ एवं यहाँ के मेहनतकशों के खून-पसीने की गाढी कमाई को देश के राजनीतिक लुटेरों द्वारा विदेशी बैंकों में जमा करने के खिलाफ उन्होंने व्यापक जनान्दोलन छेड़ रखा है
- इटली एवम् स्विट्ज़रलैण्ड के बैंकों में जमा लगभग 400 लाख करोड़ रुपये के काले धन को स्वदेश वापस लाने की माँग करते हुए इस बाबा ने आम जनता में जागृति लाने हेतु पूरे भारत की ग्यारह लाख किलोमीटर की यात्रा भी की
- इस यात्रा के दौरान इसने ग्यारह करोड़ से अधिक लोगो को प्रत्यक्ष रूप से निशुल्क योग सिखाया और देश में व्याप्त भ्रस्ताचार और काले धन के बारे में लोगो को बताया और जगाया
- अभी अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद की पुण्य-तिथि (27 फरवरी 2011) को दिल्ली में भ्रष्टाचार के विरुद्ध विशाल रैली का आयोजन किया जिसमें भारी संख्या में देश की जागरुक जनता ने पहुँचकर उन्हें अपना समर्थन दिया और कई करोड़ लोगों के हस्ताक्षरयुक्त मेमोरेण्डम भी सौंपा जिसे बाबा ने उसी दिन राष्ट्रपति-सचिवालय तक पहुँचाया
- पतंजलि आयुर्वेद ने सबसे सस्ती और सबसे अच्छी नित्य प्रयोग की वस्तुएं एवं दवाईयां न्यूनतम मूल्य पर उपलब्ध करवाई. (उदहारण के लिए 1600 रूपए में मिलने वाले एलोवेरा जूस को मात्र 200 रूपए में उपलब्ध करवाया और इसी प्रकार सभी उत्पादों और ओषधियो को अन्य कंपनियों की तुलना में 12 % से 1600 % तक सस्ती उपलब्ध करवाई है.)
- 25 -30 वर्षो की कड़ी मेहनत के परिणामस्वरूप पूरे विश्व में प्रमाणिकता से योग एवं आयुर्वेद को पुनः प्रतिस्थापित किया
- देश में आने वाली किसी भी विपरीत स्थिति में भारत स्वाभिमान सबसे पहले आगे आकर लोगो की सेवा में लग जाता है और हर सम्भव मदद करता है (जैसे भूकंप, रेल हादसे, आसाम बाढ, आसाम दंगो आदि में भारत स्वाभिमान ने हर बार हर सम्भव मदद की है.)




- ये ही वो बाबा है जिसने स्त्री वस्त्र पहनकर कृष्ण भगवान् की तरह "रणछोर" कहलाना स्वीकार किया, लेकिन कायरो की तरह मरना नहीं.
- ये ही वो बाबा है जिसने अर्जुन के अज्ञातवास वर्ष की तरह अपने पौरुष को छुपाये रखा
- ये ही वो बाबा है जिसने सरकारी दबाव व दुष्टता, और न जाने कितने प्रलोभनों को ठोकर मार दी लेकिन अपने भारतीय सभ्यता के उत्थान और नए समाज के निर्माण के पथ को नहीं छोड़ा
- ये ही वो बाबा है जिसने शिव की भांति पराजय के विष को अपने कंठ में धारण किया
- ये ही वो बाबा है जिसने गुरु वशिस्थ की भांति गुरुकुल की भूमि का विस्तार किया है
- ये ही वो बाबा है जो परशुराम की तरह राजनीति से दूर तो है, लेकिन अन्याय को सहन नहीं कर सकता

-इसने उन सभी विदेशी कंपनियों को जो झूंटे वादे करके महंगे सामान बेचती है
- इसने उन सभी विदेशी कंपनियों को जो खाने और पीने की वस्तुओ के नाम पर जहर परोस रही है
- इसने उन सभी नेताओ को जिनकी जीविका का एक मात्र साधन भ्रस्ताचार है
- इसने उन सभी डाक्टरों को जिनकी जीविका सिर्फ दूसरो की बिमारी पर निर्भर है

जो स्वं की बात नहीं करता, जो समाज कल्याण की सोचता है .. ऐसा है ये बाबा.
जिसने योग का प्रचार विस्तार किया, दुनिया में इसे सम्मान दिलाया .. ऐसा है ये बाबा.
जिसने बालाकृष्णन के साथ अर्युवेदा को सम्मान ही नहीं, घर घर पहुँचाया .. ऐसा है ये बाबा.
जो हिन्दू और मुस्लिम की बात नहीं करता, सबको जोड़ता है .. ऐसा है ये बाबा.
जो गरीबो और अमीरों में फर्क नहीं करता, जो सभी को निरोगी बनाता है .. ऐसा है ये बाबा.
जो सिर्फ शहरो का ही नहीं, गाँव और कस्बो का भी विकास चाहता है .. ऐसा है ये बाबा.
जो शिक्षा ही नहीं, चरित्र, परिवार, समाज और रास्ट्र निर्माण की बात करता है .. ऐसा है ये बाबा.

भारत को फिर से विश्व गुरु और सोने की चिड़िया बनाना चाहता है ये बाबा। इसलिए चल पड़ा है ये, भ्रष्ट व्यवस्था को बदलने के लिए और स्वदेशी व्यवस्था लागू करवाने के लिए, विदेशों में जमा कालाधन वापस लाने और भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए, एक राष्ट्रव्यापी ऐतिहासिक निर्णायक आन्दोलन के लिए .. जो कि दिल्ली के रामलीला मैदान में लाखों देशभक्तों के सहयोग से सफल बनाया जायेगा ..

धन्य है मेरी मात्र भूमि जिसने बाबा रामदेव को जनम दिया .. धन्य है वो गुरु जिसने इसे शिक्षा दी ..

Courtesy-- Bhartiya Chintan

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Tuesday, August 7, 2012

राजनैतिक महत्वाकांक्षा

गुलामी की बेड़ियों में जकड़ी जनता अब जागरूक हो गयी है। शायद कुछ ज्यादा ही जागरूक हो गयी है। जिसे देखो वही अपनी पार्टी बनाना चाहता है। अन्ना और केजरीवाल की महत्वाकांक्षाओं का बुखार अब केशूभाई पटेल पर भी छा गया है। मोदी के विरोध में लोग राजनैतिक पार्टियाँ बना कर मनभावन सपने देखने में लगे हुए हैं। लेकिन किसके हाथ में नेतृत्व सौंपना है वो अभी भी जनता के ही हाथ में है। चलिए देखते हैं भारत भूमि का भविष्य क्या है। इस राजनैतिक उथल-पुथल का परिणाम क्या होगा।

Zeal

Monday, August 6, 2012

धन्य हो ओस की बूंदों तुम !

कल अपने मेसेज बॉक्स में , तारीफ के पुलिंदे के साथ, ओस की बूंदों से भीगा एक गुलाब मिला। इतनी प्रशंसा और प्रेम इस पृथ्वी पर संभव है विश्वास ही नहीं हो रहा था। मन का संशय बढ़ता ही जा रहा था। इसी दुविधा में अन्ना जी पर अपनी दूसरी पोस्ट लिख डाली। अन्ना के फैसले पर मेरे विचारों को जानने के बाद , गुलाब प्रेषित करने वाले ने त्वरित गति से अगला मेसेज भेज दिया-- "अहंकार, स्त्री का गहना नहीं होता" । एक प्रहर बीतने से पहले ही प्रेषक का प्रेम का बुखार उतर गया और आसमान साफ़ हो गया।

मेरी तरह यदि किसी अन्य स्त्री को ओस की बूंदों से भरा गुलाब मिले तो मन में आये संशय को तवज्जो अवश्य दें। २४ घंटे के अन्दर ही प्रेषक खुद ही आपको अहंकारी कहकर आपका संशय दूर कर देगा। --- ये फेसबुक है , यहाँ एक पोस्ट पढ़कर बुखार चढ़ता है और अगली पोस्ट पर 'मतभेद' होते ही उतर भी जाता है।

धन्य हो ओस की बूंदों तुम !

Zeal

Sunday, August 5, 2012

केवल बुद्धिविहीन भारतीयों के लिए एक पोस्ट



विदेशी दलाल मायिनो जिसने स्वयं और अपने बेटे विन्ची को ,दो देशो की (इटली और भारत ) नागरिकता दिला रखी है , और भारत की मासूम जनता, उसकी संस्कृति, हिन्दू धर्म और धरोहर के साथ खिलवाड़ कर रही है है, उसने आचार्य बालकृष्ण , जिन्होंने हमारी आयुर्वेदिक धरोहर में अभूतपूर्व योगदान दिया है , जिन्होंने हिमालय-भ्रमण करके अनेक दुर्लभ वनस्पतियों (ऋद्धि, सिद्धि, काकोली, क्षीर -काकोली आदि ) पर श्रेष्ठ ग्रन्थ लिखा , को विदेशी बताकर जेल में सडा रही है। कुंद-बुद्धि भारतीय , नपुंसकों की भाँती अपने देश की तबाही का तमाशा देख रहे हैं।

Zeal

Saturday, August 4, 2012

भारत शौक़ीन है कचरा बटोरने का....


दुनिया भर का सारा कचरा , चाहे वो पृथ्वी का हो , आकाशीय हो अथवा उपग्रहीय हो , भारत में ही डंप किया जाता है। अब तो जेहादी और आतंकवादी भी भारत को अपना डेरा बना रहे हैं। देखिये इस तस्वीर को , बंगलादेशी मुसलमान हमारा सुख-चैन छीनने भारत में घुसपैठ कर रहे है। और इन्हें सेंध लगाने का मौका दे रही हैं 'मुस्लिम तुष्टिकरण' करने वाली हिन्दू-विरोधी , गद्दार पार्टियाँ।

Zeal

Friday, August 3, 2012

अन्ना का निर्णय गलत है.

अना हजारे का राजनीति में आने का निर्णय १०० फीसदी गलत है। नयी पार्टी बनाकर वे हिन्दू वोटों को बाँट कर खंडित करेंगे। हमारी शक्ति कमज़ोर होगी। दलालों की पार्टी कांग्रेस तो चाहती ही यही है। उसकी तो चांदी हो जायेगी। क्योंकि मुल्लों को तो उसने खरीद ही रखा है। मुल्लों के वोट तो बाटेंगे नहीं , वे तो दलाल कांग्रेसियों को ही मिलेंगे। मैं अन्ना के निर्णय का पुरजोर विरोध करती हूँ। अन्ना को भ्रष्टाचार के खिलाफ लडाई जारी रखनी चाहिए। अनशन द्वारा जान देकर नहीं बल्कि धरना देकर , उनकी नाक में दम करके। राजनीति में उतरने का विचार त्याग दीजिये। राजनीति आपको मुद्दों से भटका देगी। पहले ही अनेक पार्टियाँ भटकी हुयी हैं । आप क्यूँ उसका हिस्सा बनना चाहते हैं ? जन नायक ही बने रहिये ना।

Thursday, August 2, 2012

झूमे ये सावन सुहाना...सुहाना....


बात-बात पर भैया के साथ झगड़ना मेरी आदत थी। भैया कौन से दूध के धुले हैं, ताली एक हाथ से तो नहीं बजती , वे भी मुझसे बहुत झगड़ते थे। मुझे मारकर भागना और उन्हें पकड़कर वापस मार पाने की ललक में मैं उनका पीछा करती थी। हाथ नहीं आते थे। सारे के सारे थप्पड़ पेंडिंग पड़े हैं। अभी तक हिसाब बराबर नहीं हुआ। क्योंकि विवाह के बाद भाई अपनी बहनों से लड़ना जो छोड़ देते हैं।

हाई स्कूल का अच्छा रिजल्ट आने पर hmt की 'swarna' घडी मिली भैया से। ग्यारहवी पास करने पर भैया की तरफ से एक साईकिल और बारहवी की परीक्षा में बढ़िया अंक आने पर two-in-one , जिस पर आज भी कैसट बजते हैं मेरे रसोईघर में। सुबह-सुबह सुन्दर-काण्ड और उसके बाद ..." मेरे वतन के लोगों...."

और फिर सिलसिला शुरू हुआ चिट्ठी के माध्यम से राखी के धागों को भेजने का...

आज अपने बड़े भाई के साथ-साथ अपने ब्लॉग और फेसबुक पर मिले सभी भाई-बहनों को रक्षा-बंधन के पवित्र-पावन पर्व की सुभकामनायें।

भईया मेरे, राखी के बंधन को निभाना ....

Zeal

Wednesday, August 1, 2012

मुझे चिंता है आपकी...


भारत देश में लोगों को इंसान और इंसानियत की परख नहीं है। जो राष्ट्र हित में अपनी शान-शौकत वाली नौकरी को तिलांजलि दे देते हैं और अपनी जान की परवाह किये बगैर देश के लिए लडाई लड़ते हैं , उनके त्याग को भी लोग समझ नहीं पा रहे। सरकार तो कसाई, क्रूर और असंवेदनशील है ही, लेकिन हम लोग तो ऐसे नहीं हो सकते। मुझे चिंता है भाई केजरीवाल की। अनशन का आठवां दिन और मधुमेह का रोगी होते भी लडाई जारी रखी है। ईश्वर इस देशभक्त की रक्षा करें और दुर्बुद्धि, घटिया सरकार को सद्बुद्धि दें। -- वन्दे मातरम !

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