अक्सर कुछ लोग आजीवन अविवाहित रहने का निर्णय लेते हैं ! लेकिन प्रायः ऐसा देखा गया है की उनके मित्र एवं परिजन उन्हें लगातार ये बताते रहते हैं की उनका ये निर्णय गलत है!
आखिर क्यूँ लगता है उन्हें ये निर्णय गलत ?
१- उन्हें लगता है वह अकेला रह जाएगा!
२-उसकी देख-भाल करने वाला कोई नहीं होगा!
३-वह अपने मन की बातें किसी से नहीं कह सकेगा !
४- जीवनसाथी के अभाव में जीवन ही व्यर्थ है!
५- वह जीवन के बहुत से भौतिक सुख भोग करने से वंचित रह जाएगा !
६-समाज से कट जाएगा, असामाजिक हो जाएगा!
७-एकाकी हो जाएगा!
८-वह खुद को बर्बाद कर रहा , अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार रहा है!
९-माता-पिता के मरने के बाद कौन उसको देखेगा? वह हमेशा कष्टों में रहेगा.
१० जीवन में कोई तो अपना हो अतः विवाह ज़रूर करना चाहिए......
आदि-आदि भाँती प्रकार के सम्झायिशें मिलती रहती हैं उस व्यक्ति को जो अविवाहित रहने का निर्णय लेता है, चाहे वह स्त्री हो अथवा पुरुष !
लेकिन मुझे एक बात समझ नहीं आती कि क्यूँ नहीं उस व्यक्ति के इस निर्णय का सम्मान किया जाता ! हर व्यक्ति अपना जीवन कैसे जीना है , इस बात का निर्णय लेने के लिए वह स्वतंत्र है! पढ़ा-लिखा बुद्धिमान व्यक्ति जो भी निर्णय लेगा , वह उचित ही होगा, कुछ सोच समझकर ही लिया होगा ! किसी विशेष प्रयोजन से लिया गया हो सकता है ! जरूरी नहीं हर कोई गृहस्थ जीवन में बंधना ही चाहे ! कुछ लोग कुछ बड़ा करना चाहते हैं और उन्हें लगता है कि गृहस्थी कि जिम्मेदारियां उन्हें बांधेंगी और वह अपना समुचित समय न तो परिवार को दे सकेंगे , न ही अपने "संकल्प" को , जिसे वे पूरा करना चाहते हैं!
सिद्धार्थ "गौतम बुद्ध" ने गृहस्थ जीवन त्याग कर संन्यास क्यूँ ले लिया ?
स्वामी विवेकानंद जी अविवाहित थे , जिन्होंने अपने देश और धर्म को गौरवान्वित किया! आखिर उनके निर्णय में क्या अनुचित था ?
गांधी जी ने जीवन के एक पड़ाव पर अपनी पत्नी से विमर्श के बाद उन्हें अपनी बहन बना लिया, क्यूंकि उन्हें लगा कि गृहस्थ जीवन उनके संकल्पों में व्यवधान बन रहा है !
डॉ अब्दुल कलाम और अटल बिहारी बाजपेयी के अविवाहित रहने के निर्णयों में क्या गलत है ? देश के लिए समर्पित हैं !
क्या नरेंद्र मोदी जी का निर्णय गलत है , जिन्होंने पूरे भारत को अपना परिवार बना रखा है !
अपने मिशन को विवाहित रहकर भी पूरा किया जा सकता है, लेकिन इस बात से इनकार नहीं है कि विवाह एक बहुत बड़ा बंधन है जो स्वतंत्र रहकर पूरे समर्पण के साथ कुछ करने में बाधा भी बनता है क्यूंकि परिवार वालों कि अपेक्षाएं और जिम्मेदारियां पूरी करने में उस व्यक्ति का समय और ऊर्जा बंट जाती है !
यदि किसी का कोई 'संकल्प' अथवा मिशन बड़ा हो 'गृहस्थ-जीवन' से तो अविवाहित रहने का निर्णय उचित ही है क्यूंकि विवाह करके परिवार को "गौड़" बना देने में कोई समझदारी नहीं है! गृहस्थ लोगों कि प्रतिबद्धता अपने परिवार के साथ ही होनी चाहिए! लेकिन ऐसी परिस्थिति में व्यक्ति अपने मिशन जिसके लिए वह कृत-संकल्प है , उसे समुचित निष्ठां के साथ नहीं निभा पता !
१-क्या अविवाहित रहकर पति अथवा पत्नी के अभाव में जीवन व्यर्थ कहलायेगा ?
२-क्या माता-पिता और अन्य बड़ों कि सेवा करके जन्म सफल नहीं होगा?
३- क्या समस्त भारत के देशवासी उसका 'परिवार' नहीं बन सकते ?
४- भाई-बहन, माता-पिता मित्र और कलीग के होते हुए भी वह एकाकी हो जाएगा ? क्या सारे रिश्ते फर्जी निकल जायेंगे विवाह के अभाव में ?
५-उसकी देख-भाल कौन करेगा , खाना कौन बनाकर खिलायेगा ? ---क्या विवाह इस उद्देश्य से किया जाता है ? यह तो नौकरी पर एक सेवक रखकर भी पूरा किया जा सकता है!
६- ऐसे व्यक्ति को एकाकी कहना उचित है क्या? अविवाहित व्यक्ति समाज को ज्यादा योगदान करता है और कर सकता है , क्यूंकि वह स्वार्थी होकर केवल 'मेरा-परिवार', मेरे बच्चे' आदि के लिए पतिबद्ध नहीं रहता अपितु अपनों और समाज के लिए बराबर से समर्पित रहता है!
अविवाहित रहने के निर्णय का सम्मान किया जाना चाहिए! निर्णय लेने वाले पर अपने विचार थोपने नहीं चाहिए ! उसकी स्वतंत्रता , उसकी आजादी , किसी भी हालत में समझौते के लिए मजबूर नहीं कि जानी चाहिए ! एक वयस्क व्यक्ति अपना भला-बुरा सोच सकता है!
कुछ लोग अपने माता-पिता कि सेवा करना चाहते हैं आजीवन ,
कुछ लोग देश को ही समर्पित होना चाहते हैं
कुछ लोग विज्ञान एवं शोध में समर्पित होना चाहते हैं
अतः ऐसे बहुत से कारण हो सकते हैं जिसके तहत कोई वयस्क आजीवन अविवाहित रहने का निर्णय लेता है! हमें उसकी भावनाओं , उसकी सोच और निर्णय का सम्मान करना चाहिए !
हम उस व्यक्ति को सबसे बड़ी ख़ुशी , उसके निर्णय का सम्मान करके दे सकते हैं!
अतः हर वयस्क को यह स्वतंत्रता मिलनी ही चाहिए कि वह अपना जीवन कैसे जिए !
Zeal