Saturday, January 18, 2014

ह्त्या या आत्महत्या ?

क्या सुनंदा पुष्कर कि हत्या को 'आत्महत्या' का रूप दे देगी कांग्रेस? जब थुरूर के तार ISI से जुड़े मिले और सुनंदा ने इसका खुलासा किया तो अचानक ही मौत हो गयी ? त्रिकोणीय प्रेम प्रसंग बताकर जनता को मूर्ख नहीं बनाया जा सकता। सुनंदा कमज़ोर महिला नहीं थी जो इस तरह खुद को ख़तम कर लेती ! सरकार को चाहिए सबसे पहले शशि थुरूर को गिरफ्तार करे और पूरी तहकीकात होने तक इसे खुला न छोड़े ! सुनंदा कि मौत के पूर्व के सभी ट्वीट और बयान को संज्ञान में लिया जाए !

कांग्रेसियों को अपनी बीबी , बच्चों समेत पाकिस्तान कि गुलामी करनी होगी , उनका एजेंट बनना होगा , नहीं तो रातों रात मार दिया जाएगा और कानों कान खबर भी नहीं होगी ! राष्ट्रवादी सोच और ईमानदारी रखने वालों को तो ताशकंद तक ले जाकर मारा जाता है। पाकिस्तानी एजेंट मेहर का विरोध, ISI का खुलासा , आईपीएल का खुलासा , धारा ३७० हटाने का समर्थन, काश्मीरी ब्राम्हारों के लिए उठायी गयी आवाज़ ही सुनंदा की मौत कारण बनी ! कांग्रेस कि आतंकवादी नीति से कदमताल न मिलानेवालों को काँग्रेसद्रोही माना जाता है और उन्हें मौत के घाट उतार दिया जाता है , ताकि विरोध के स्वर हमेशा के लिए खामोश हो जाएँ !

Friday, January 17, 2014

पछतावा

विदेश में रहने वाले AAP पार्टी के एक समर्थक ने अपनी गाढ़ी कमाई के कुछ पैसे AAP को चंदे में दिए ! आज जब उनके ज्ञान चक्षु खुले तो उन्होंने अपनी वॉल पर लिखा कि "उन्हें पछतावा है और उन्हें AAP पार्टी से अपना पैसा वापस चाहिए " ! लेकिन जनाब अब आपके पैसे तो डूब गए बस गनीमत इतनी है कि देश बच जाएगा डूबने से अगर इतनी ही त्वरित गति से आपियों को अपनी गलती का एहसास हो जाए तो ! जय हिन्द - वंदे मातरम् !

Wednesday, January 15, 2014

मुस्लिमपरस्त केजरीवाल !

                                                         मुस्लिमपरस्त केजरीवाल !

सारे दोगले एक हो रहे हैं , या यूँ कहें कि ये पहले से ही एक हैं , बस दो पार्टी होने का दिखावा कर रहे हैं ! मनीष सिसौदिया ने तो कह ही दिया कि वे लोग कांग्रेस के विरोधी नहीं, सिर्फ भाजपा का विरोध करना उनका उद्देश्य है !

Jokes or truth ?

1- अरविंद केजरीवाल ने अंडरवियर खरीदने से इन्कार कर दिया क्योंकि उस पर लिखा था- VIP।
2- जब 'अरविन्द केजरीवाल' पैदा हुये थे,तब डाक्टर उनके पिता जी के पास जाकर बोला था कि बधाई हो 'आम आदमी' हुआ है !!
3- केजरीवाल से जब उनके बेटे ने पूछा कि 'आसमान में कितने तारे हैं', उन्होंने सारे तारे गिने और बिल्कुल सही संख्या बताई।
4- जब राजा हरिश्चंद्र बच्चे थे, तब उनके पिता उन्हें अरविंद केजरीवाल की कहानियां सुनाया करते थे।
5- सुबह का बेईमान अगर शाम को केजरीवाल के साथ हो लेकिन तो उसे बेईमान नहीं कहते ।
6- ईमानदारी का SI यूनिट अरविंद केजरीवाल होता है ।
7- केजरीवाल ने एक दुकानदार के खिलाफ घूस देने का केस दर्ज करा दिया क्योंकि उसने गलती से 10 रुपये ज्यादा लौटा दिये थ

 8- केजरीवाल जी वजन बताने वाली मशीन पर बिना कपड़ो के खड़े होते हैं ताकि वजन सही आ सके...
9-केजरीवाल ने आज तक कोई भी LIC policy नहीं ली है, उनका कहना है की "HONESTY IS THE BEST POLICY...."......
10- एक बार maggi मे मसाला नहीं निकलने पर केजरीवाल ने Nestle पर धोखाधड़ी का case कर दिया था...
11- केजरीवाल अंडरवियर नही पहनते क्योंकि अंडरवियरों पे वीआईपी लिखा होता है।
12-केजरीवाल वो ईमानदार व्यक्ति है जिन्होंने अपनी शादी में लाखो का दहेज़ लेने के बाद... अपने ससुर जी को चंदे की पक्की रशीद काट के दी...।
13-स्कूल मे अपने पिता का नाम पूछे जाने पर केजरीवाल DNA टेस्ट कराने चले गए थे...
14- केजरीवाल जी इतने इमानदार हैं की होटल मे खाना खाने के बाद जो सौफ और मिश्री का भी payment करते हैं....
15-एक बार केजरीवाल ने हलवाई पर इसलिए केस कर दिया था कि गुलाम जामुन में न तो गुलाब था और न ही जामुन...
16- एक बार कौवे ने झूठ बोला तो केजरीवाल जी ने उसे काट लिया।
17-गोलगप्पे खाने के बाद extra पापड़ी लेने का भी पैसा केजरीवाल देते हैं...
18- केजरीवाल जी इतने ईमानदार हैं कि जब भी कहीं बम पाते हैं तो आतंकियों को लौटा देते हैं...
19- सुप्रीम कोर्ट केजरीवाल की ईमानदारी से इतना प्रभावित है की अब गीता की जगह केजरीवाल जी की कसम खा कर बयान देना पड़ेगा |

Courtesy- Facebook

Monday, January 13, 2014

विडम्बना

जरा सोचिए, इससे अधिक विडम्बना क्या हो सकती है कि...
1. जिन अन्ना हजारे ने केवल अपने गाँव रालेगण सिद्धि का विकास किया, आज वो जन जन के नायक बने बैठे हैं और
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जो नाना जी देशमुख अपने प्रदेश महाराष्ट्र से दूर उत्तर प्रदेश को अपना कर्मक्षेत्र बनाकर जीवन भर ग्राम स्वराज के लिए कार्य करते रहे, जिन्होंने अति पिछड़े चित्रकूट क्षेत्र का कायाकल्प करके रख दिया, उन्हें जानने वाले उँगलियों पर हैं...
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2. कश्मीर को भारत से अलग करने की बात करने वाले प्रशांत भूषण आज हीरो बने बैठे हैं और
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कश्मीर के भारत में पूर्ण विलय के लिए अपने प्राण गंवाने वाले श्यामाप्रसाद मुखर्जी या, 1947 के
कबाइली हमले के समय सेना के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर महत्वपूर्ण योगदान देने वाले बलराज
मधोक अब स्मृतियों में भी नहीं...
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3. स्टाम्प ड्यटी में गड़बड़ कर मकान हासिल करने वाले शांति भूषण ईमानदारी के पैरोकार है और अपने
पुरखों का मकान भी देश को देने वाले रज्जू भैया या अशोक सिंघल गुनाहगार...
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4. पत्रकारिता के नाम पर जाने किस तरह के कार्यों से करोड़ों रुपये अर्जित करने वाली शाजिया इल्मी महिला शक्ति की प्रतीक है
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और वृन्दावन में अनाथ बच्चों के लिए वात्सल्य ग्राम चलाकर सैकड़ों अनाथों पर अपनी ममता लुटा रही साध्वी ऋतंभरा दंगाई...
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5. कश्मीर में सेना के विरोध में मोर्चा निकालने वाले संदीप पाण्डेय, मेधा पाटेकर देश के कर्णधार हैं
और
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कश्मीर में सेना के साथ कंधे से कन्धा मिला कर खड़े रहे स्वयंसेवक और लांसनायक यदुनाथ सिंह जैसे योद्धा गुमनाम...
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6. भारत माता के चित्र और वन्दे मातरम को सांप्रदायिक ठहराने वाले एवं इमाम बुखारी और
तौकीर रज़ा की चौखट पर माथा रगड़ने वाले अरविन्द केजरीवाल आज युवाओं के आदर्श हो गए,
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पर कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक और अटक से लेकर कटक तक इस्लामी जिहाद और नक्सलवाद से लड़ रहा और अपनी जान गँवा रहा अनगिनत युवा किसी गिनती में ही नहीं...
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7. मंचों पर चुटकुलेबाजी और भांडगीरी करने वाले स्वघोषित चाणक्य कुमार विश्वास आज महान
कवि हैं.
पर देश के लिए अपना हृदय चीर कर लिखने वाले गोपालसिंह नेपाली या रामावतार
त्यागी को कोई पूछने वाला नहीं...
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8. NGOs के नाम पर विदेशों से करोड़ों के वारे न्यारे करने वाले अब आदर्श और सादगी के प्रतीक हैं और
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दो जोड़ी कपड़ों में अपना पूरा जीवन निस्वार्थ भाव से देश को समर्पित करने वाले संघ के प्रचारक
आतंकवादी...
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क्या कहें, सिवाय इसके कि जो देश अपने नायकों का चुनाव ठीक से नहीं कर पता, उसे नष्ट
हो जाने के लिए तैयार रहना चाहिए ...

साभार,
बबली राज सोनी

मछली बाज़ार

जनता का दरबार लगाया और जब मासूम जनता उमड़ पड़ी तो उठकर भाग गया केजरीवाल , जनता के शिकायती पत्रों को सड़क पर फेंक दिया। सचिवालय कि छत पर चढ़ गया ? मछली बाज़ार बना रहा है इसने राजधानी को ! न ही ये बातों का मान रखता है , न ही अपने पद कि गरिमा। ज़रा भी grace नहीं है इसमें। इसका व्यवहार एक सड़कछाप मदारी कि तरह लगता है जो मजमा लगाकर तमाशे करता है फिर थोड़ी सी वाह वाही के बाद चल देता है अगला मजमा लगाने के लिए। जनता कि तकलीफों से कोई सरोकार नहीं है इसे !

Friday, January 10, 2014

मुफ़्त्खोर है इस देश कि जनता

मूर्ख और मुफ़्त्खोर है इस देश कि जनता। एक ने कहा मुफ्त लैपटॉप देंगे तो उत्तर प्रदेश में एक गद्दार बैठा दिया और दुसरे ने कहा कि मुफ्त पानी देंगे तो मूर्खों ने दिल्ली में भी एक गद्दार बैठा दिया। जनता इतनी स्वार्थी कैसे हो सकती है भला? देश में लोकतंत्र चाहिए , ना कि मुफतखोरी ! देश को विकास कि राह पर ले जाने वाला चाहिए न कि लालच देकर उल्लू सीधा करने वाला सीआईए का एजेंट ! देश को जोड़ने वाला चाहिए , न कि काश्मीर को अलग करके खंडित करने वाला ! आम जनता को चाहिए कि वो केजरीवाल कि हरकतों में सीआईए कि भूमिका को जाने , जो भारत देश का पूरा लोकतंत्र ही हाईजैक करके उसे अपनी मर्जी से नचाना चाहता है ! भूषण जैसे देशद्रोहियों के बयान सीआईए द्वारा ही प्रायोजित हैं। बेहद सचेत हो जाने कि आवश्यकता है !

Monday, January 6, 2014

जानिये इसकी असलियत , तोड़िये अपने भ्रम




7 myths about Arvind Kejriwal

AAP announces free water for Delhiites
Myth 1: He’s a middle class phenomenon

The 2011 August Kranti agitation led by Anna Hazare was a middle class phenomenon. In 2012, when Kejriwal took on the likes of Robert Vadra and Nitin Gadkari, then the middle class was cheering him on.

Even when the Aam Aadmi Party was launched, it seemed like a party of, for and by the middle class. However all Kejriwal’s association with the middle class ended there. AAP campaigned in the jhuggi jhopdis, among autowallahs and the like.

Their major promises of free water, electricity bill cuts and 500 schools have absolutely no bearing on the middle class but the lower classes. Most of the middle class stayed with the BJP and that’s why they are the biggest party in the Delhi Assembly.

Myth 2: He represents a new kind of politics
Go through the AAP manifesto and you will find that it has more ideological similarities with the Communist Manifesto released in 1848 rather than the post-1991 liberalized India of today.



Most of the voters do not bother to go through manifestoes and check with ideologies and that’s why the AAP has got away on this count.

You may as well call him Arvind Karl Marx.

Myth 3: He has great ideas for the country
Freebies and subsidies are destroying the country and we are facing a financial collapse. So how will increasing freebies and subsidies make things better? Even something like 500 new schools is impractical in Delhi where land is at a premium.

How about beefing up the water and electricity supplies, modernizing them and cutting down on wastage and theft? Even if they want to do that they will not be able to do that thanks to this dole system. And how about improving the standards of the government schools in operation rather than building new ones?

They oppose nuclear power without giving any clarity on how we are going to meet our power shortfall. Prashant Bhushan also talked of giving Kashmir away which would be a highly disastrous move.

Myth 4: He’s an alternative to the BJP
When we got Independence, we were a firmly Left-leaning nation with all political parties, intellectuals, editors, historians, NGOs and civil society activists occupying that space. The only alternative to that is the BJP which leans to the Right.

Kejriwal and AAP also lean to the Left, so how are they an alternative to the BJP? AAP is an alternative to the Congress, CPM, SP, BSP, Trinamool…

Myth 5: He’s a PM candidate for 2014

When Goa got its first Chief Minister, the Maharashtrawadi Gomantak Party stormed to power and not the Congress. The Asom Gana Parishad came to power in 1985 in the very year it was formed. Chief Minister Prafulla Kumar Mahanta was in his early thirties then.

The most sensational debut in an Assembly was NT Rama Rao and the Telugu Desam Party. Within a year of formation, it won a whopping 201/290 seats in Andhra Pradesh. The truth is that AAP is not the greatest debut as it is being made out to be.

But the national scene is a different thing all together. C Rajagopalachari was our first Indian Governor General after Independence. But his Swatantra Party became the chief Opposition only in 1967.

The Congress was formed in 1885 and the RSS in 1925. Even the Left parties, around since before Independence, got their best electoral show in 2004. If you said that AAP could be the third largest party in the Lok Sabha after Congress and BJP in 2019, then it’s slightly possible.

Plus how is AAP going to rule if it keeps swearing at all parties and says it will have absolutely nothing to do with them?

Myth 6: He’s the outsider
Kejriwal was a bureaucrat and it is the bureaucracy which is running the country. Then he was part of civil society which is also close to the establishment.

In that manner people are trying to compare him to Gujarat Chief Minister Narendra Modi calling them both outsiders, but that is totally wrong.

AAP is the darling of the ruling establishment in India and if you notice then he has the mainstream media eating out of his hands.

Myth 7: His is a party with a difference
If you combine the above factors then you’ll realize that there’s not much to differentiate between the AAP and other parties. They all try to woo the voters with freebies and take the secular path even if that brings them in close proximity fundamental hardliners.

The AAP has taken outside support from the Congress, something they said they would never do. They have been high on name calling too.
Post script…

The entire anti-Modi industry first leaned on Congress Vice President Rahul Gandhi as the great new hope and then even someone like BJP patriarch LK Advani briefly. They also flirted with Madhya Pradesh Chief Minister Shivraj Chouhan but their latest darling is Kejriwal.

By Sunil Rajguru

सफलता का कोई शॉर्ट-कट नहीं होता।

सफलता का कोई शॉर्ट-कट नहीं होता।---जो रातों रात दिल्ली का मुख्यमंत्री बन जाए और बिना कोई काम करे प्रधानमन्त्री बनने के सपने देखे , उसे आम नहीं कहते , उसे सीआइए का एजेंट कहते हैं।--गुजरात , मध्य प्रदेश, गोवा , राजस्थान आदि कि सरकारें निष्ठा के साथ अपना काम कर रही हैं , कभी बड़बोलापन नहीं दिखाया , नाजायज़ सपने नहीं देखे ! लेकिन आजकल जो बरसाती मेंढ़कों और गिरगिटों कि जो खेप आयी है , उसे तो बस रातों रात सब कुछ पा लेना है जैसे ! मेहनत, लगन, निष्ठा और राष्ट्रहित का जज़बा होना बेहद ज़रूरी है ! वादा खिलाफी , मासूम जनता कि अपेक्षाओं से खिलवाड़ , बात बात पर पलटना , ये सब अच्छे नायकों के गुण नहीं होते !