Wednesday, February 29, 2012

नेहरू खानदान की असलियत- अवश्य पढ़ें.


जम्मू-कश्मीर में आए महीनों हो गए थे, एक बात अक्सर दिमाग में खटकती थी कि अभी तक नेहरू के खानदान का कोई क्यों नहीं मिला, जबकि हमने किताबों में पढ़ा था कि वह कश्मीरी पंडित थे। नाते-रिश्तेदार से लेकर दूरदराज तक में से कोई न कोई नेहरू खानदान का तो मिलना ही चाहिए था। नेहरू राजवंश कि खोज में सियासत के पुराने खिलाडिय़ों से मिला लेकिन जानकारी के नाम पर मोतीलाल नेहरू के पिता गंगाधर नेहरू का नाम ही सामने आया। अमर उजाला दफ्तर के नजदीक बहती तवी के किनारे पहुंचकर एक दिन इसी बारे में सोच रहा था तो ख्याल आया कि जम्मू-कश्मीर वूमेन कमीशन की सचिव हाफीजा मुज्जफर से मिला जाए, शायद वह कुछ मदद कर सके।

अगले दिन जब आफिस से हाफीजा के पास पहुंचा तो वह सवाल सुनकर चौंक गई। बोली पंडित जी आप पंडित नेहरू के वंश का पोस्टमार्टम करने आए हैं क्या? कश्मीरी चाय का आर्डर देने के बाद वह अपने बुक रैक से एक किताब निकाली, वह थी रॉबर्ट हार्डी एन्ड्रूज कि किताब "ए लैम्प फार इंडिया- द स्टोरी ऑफ मदाम पंडित।" उस किताब मे तथाकथित गंगाधर का चित्र छपा था, जिसके अनुसार गंगाधर असल में एक सुन्नी मुसलमान थे जिनका असली नाम था गयासुद्दीन गाजी।

इस फोटो को दिखाते हुए हाफीजा ने कहा कि इसकी पुष्टि के लिए नेहरू ने जो आत्मकथा लिखी है, उसको पढऩा जरूरी है। नेहरू की आत्मकथा भी अपने रैक से निकालते हुए एक पेज को पढऩे को कहा। इसमें एक जगह लिखा था कि उनके दादा अर्थात मोतीलाल के पिता गंगाधर थे। इसी तरह जवाहर की बहन कृष्णा ने भी एक जगह लिखा है कि उनके दादाजी मुगल सल्तनत बहादुरशाह जफर के समय में नगर कोतवाल थे। अब इतिहासकारो ने खोजबीन की तो पाया कि बहादुरशाह जफर के समय कोई भी हिन्दू इतनी महत्वपूर्ण ओहदे पर नहीं था। और खोजबीन करने पर पता चला कि उस वक्त के दो नायब कोतवाल हिन्दू थे नाम थे भाऊ सिंह और काशीनाथ जो कि लाहौरी गेट दिल्ली में तैनात थे। लेकिन किसी गंगाधर नाम के व्यक्ति का कोई रिकार्ड नहीं मिला है। नेहरू राजवंश की खोज में मेहदी हुसैन की पुस्तक बहादुरशाह जफर और 1857 का गदर में खोजबीन करने पर मालूम हुआ। गंगाधर नाम तो बाद में अंग्रेजों के कहर के डर से बदला गया था, असली नाम तो था गयासुद्दीन गाजी। जब अंग्रेजों ने दिल्ली को लगभग जीत लिया था तब मुगलों और मुसलमानों के दोबारा विद्रोह के डर से उन्होंने दिल्ली के सारे हिन्दुओं और मुसलमानों को शहर से बाहर करके तम्बुओं में ठहरा दिया था। जैसे कि आज कश्मीरी पंडित रह रहे हैं। अंग्रेज वह गलती नहीं दोहराना चाहते थे जो हिन्दू राजाओं-पृथ्वीराज चौहान ने मुसलमान आक्रांताओं को जीवित छोडकर की थी, इसलिये उन्होंने चुन-चुन कर मुसलमानों को मारना शुरु किया। लेकिन कुछ मुसलमान दिल्ली से भागकर पास के इलाकों मे चले गये थे। उसी समय यह परिवार भी आगरा की तरफ कूच कर गया। नेहरू ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि आगरा जाते समय उनके दादा गंगाधर को अंग्रेजों ने रोककर पूछताछ की थी लेकिन तब गंगाधर ने उनसे कहा था कि वे मुसलमान नहीं हैं कश्मीरी पंडित हैं और अंग्रेजों ने उन्हें आगरा जाने दिया बाकी तो इतिहास है ही। यह धर उपनाम कश्मीरी पंडितों में आमतौर पाया जाता है और इसी का अपभ्रंश होते-होते और धर्मान्तरण होते-होते यह दर या डार हो गया जो कि कश्मीर के अविभाजित हिस्से में आमतौर पाया जाने वाला नाम है। लेकिन मोतीलाल ने नेहरू उपनाम चुना ताकि यह पूरी तरह से हिन्दू सा लगे। इतने पीछे से शुरुआत करने का मकसद सिर्फ यही है कि हमें पता चले कि खानदानी लोगों कि असलियत क्या होती है।

आनंद भवन नहीं इशरत मंजिल: एक कप चाय खत्म हो गयी थी, दूसरी का आर्डर हाफीजा ने देते हुए के एन प्राण कि पुस्तक द नेहरू डायनेस्टी निकालने के बाद एक पन्ने को पढऩे को दिया। उसके अनुसार जवाहरलाल मोतीलाल नेहरू के पुत्र थे और मोतीलाल के पिता का नाम था गंगाधर। यह तो हम जानते ही हैं कि जवाहरलाल की एक पुत्री थी इन्दिरा प्रियदर्शिनी नेहरू । कमला नेहरू उनकी माता का नाम था। जिनकी मृत्यु स्विटजरलैण्ड में टीबी से हुई थी। कमला शुरु से ही इन्दिरा के फिरोज से विवाह के खिलाफ थीं क्यों यह हमें नहीं बताया जाता। लेकिन यह फिरोज गाँधी कौन थे? फिरोज उस व्यापारी के बेटे थे जो आनन्द भवन में घरेलू सामान और शराब पहुँचाने का काम करता था। आनन्द भवन का असली नाम था इशरत मंजिल और उसके मालिक थे मुबारक अली। मोतीलाल नेहरू पहले इन्हीं मुबारक अली के यहाँ काम करते थे। सभी जानते हैं की राजीव गाँधी के नाना का नाम था जवाहरलाल नेहरू लेकिन प्रत्येक व्यक्ति के नाना के साथ ही दादा भी तो होते हैं। फिर राजीव गाँधी के दादाजी का नाम क्या था? किसी को मालूम नहीं, क्योंकि राजीव गाँधी के दादा थे नवाब खान। एक मुस्लिम व्यापारी जो आनन्द भवन में सामान सप्लाई करता था और जिसका मूल निवास था जूनागढ गुजरात में। नवाब खान ने एक पारसी महिला से शादी की और उसे मुस्लिम बनाया। फिरोज इसी महिला की सन्तान थे और उनकी माँ का उपनाम था घांदी (गाँधी नहीं) घांदी नाम पारसियों में अक्सर पाया जाता था। विवाह से पहले फिरोज गाँधी ना होकर फिरोज खान थे और कमला नेहरू के विरोध का असली कारण भी यही था। हमें बताया जाता है कि फिरोज गाँधी पहले पारसी थे यह मात्र एक भ्रम पैदा किया गया है। इन्दिरा गाँधी अकेलेपन और अवसाद का शिकार थीं। शांति निकेतन में पढ़ते वक्त ही रविन्द्रनाथ टैगोर ने उन्हें अनुचित व्यवहार के लिये निकाल बाहर किया था। अब आप खुद ही सोचिये एक तन्हा जवान लडक़ी जिसके पिता राजनीति में पूरी तरह से व्यस्त और माँ लगभग मृत्यु शैया पर पड़ी हुई हों थोड़ी सी सहानुभूति मात्र से क्यों ना पिघलेगी?

इंदिरा गांधी या मैमूना बेगम: इसी बात का फायदा फिरोज खान ने उठाया और इन्दिरा को बहला-फुसलाकर उसका धर्म परिवर्तन करवाकर लन्दन की एक मस्जिद में उससे शादी रचा ली। नाम रखा मैमूना बेगम। नेहरू को पता चला तो वे बहुत लाल-पीले हुए लेकिन अब क्या किया जा सकता था। जब यह खबर मोहनदास करमचन्द गाँधी को मिली तो उन्होंने नेहरू को बुलाकर समझाया। राजनैतिक छवि की खातिर फिरोज को मनाया कि वह अपना नाम गाँधी रख ले, यह एक आसान काम था कि एक शपथ पत्र के जरिये बजाय धर्म बदलने के सिर्फ नाम बदला जाये तो फिरोज खान घांदी बन गये फिरोज गाँधी। विडम्बना यह है कि सत्य-सत्य का जाप करने वाले और सत्य के साथ मेरे प्रयोग नामक आत्मकथा लिखने वाले गाँधी ने इस बात का उल्लेख आज तक नहीं नहीं किया। खैर, उन दोनों फिरोज और इन्दिरा को भारत बुलाकर जनता के सामने दिखावे के लिये एक बार पुन: वैदिक रीति से उनका विवाह करवाया गया ताकि उनके खानदान की ऊँची नाक का भ्रम बना रहे। इस बारे में नेहरू के सेकेरेटरी एम.ओ. मथाई अपनी पुस्तक प्रेमेनिसेन्सेस ऑफ नेहरू एज (पृष्ठ 94 पैरा 2 (अब भारत में प्रतिबंधित है किताब) में लिखते हैं कि पता नहीं क्यों नेहरू ने सन 1942 में एक अन्तर्जातीय और अन्तर्धार्मिक विवाह को वैदिक रीतिरिवाजों से किये जाने को अनुमति दी जबकि उस समय यह अवैधानिक था का कानूनी रूप से उसे सिविल मैरिज होना चाहिये था । यह तो एक स्थापित तथ्य है कि राजीव गाँधी के जन्म के कुछ समय बाद इन्दिरा और फि रोज अलग हो गये थे हालाँकि तलाक नहीं हुआ था। फिरोज गाँधी अक्सर नेहरू परिवार को पैसे माँगते हुए परेशान किया करते थे और नेहरू की राजनैतिक गतिविधियों में हस्तक्षेप तक करने लगे थे। तंग आकर नेहरू ने फिरोज के तीन मूर्ति भवन मे आने-जाने पर प्रतिबन्ध लगा दिया था। मथाई लिखते हैं फिरोज की मृत्यु से नेहरू और इन्दिरा को बड़ी राहत मिली थी। 1960 में फिरोज गाँधी की मृत्यु भी रहस्यमय हालात में हुई थी जबकी वह दूसरी शादी रचाने की योजना बना चुके थे।

संजय गांधी और इंदिरा: संजय गाँधी का असली नाम दरअसल संजीव गाँधी था अपने बडे भाई राजीव गाँधी से मिलता जुलता । लेकिन संजय नाम रखने की नौबत इसलिये आई क्योंकि उसे लन्दन पुलिस ने इंग्लैण्ड में कार चोरी के आरोप में पकड़ लिया था और उसका पासपोर्ट जब्त कर लिया था। ब्रिटेन में तत्कालीन भारतीय उच्चायुक्त कृष्ण मेनन ने तब मदद करके संजीव गाँधी का नाम बदलकर नया पासपोर्ट संजय गाँधी के नाम से बनवाया था, इन्हीं कृष्ण मेनन साहब को भ्रष्टाचार के एक मामले में नेहरू और इन्दिरा ने बचाया था। अफवाहें यह भी है कि संजय गांधी इंदिरा गांधी के उनके सचिव युनुस खान से संबंधों के सच थे यह बात संजय गांधी को पता थी। अब संयोग पर संयोग देखिये संजय गाँधी का विवाह मेनका आनन्द से हुआ। कहा जाता है मेनका जो कि एक सिख लड़की थी संजय की रंगरेलियों की वजह से उनके पिता कर्नल आनन्द ने संजय को जान से मारने की धमकी दी थी फि र उनकी शादी हुई और मेनका का नाम बदलकर मानेका किया गया क्योंकि इन्दिरा गाँधी को यह नाम पसन्द नहीं था। फिर भी मेनका कोई साधारण लडकी नहीं थीं क्योंकि उस जमाने में उन्होंने बॉम्बे डाईंग के लिये सिर्फ एक तौलिये में विज्ञापन किया था। आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि संजय गाँधी अपनी माँ को ब्लैकमेल करते थे और जिसके कारण उनके सभी बुरे कामो पर इन्दिरा ने हमेशा परदा डाला और उसे अपनी मनमानी करने कि छूट दी।

सन्यासिन का सच: एम.ओ.मथाई अपनी पुस्तक के पृष्ठ 206 पर लिखते हैं - 1948 में वाराणसी से एक सन्यासिन दिल्ली आई जिसका काल्पनिक नाम श्रद्धा माता था। वह संस्कत की विद्वान थी और कई सांसद उसके व्याख्यान सुनने को बेताब रहते थे। वह भारतीय पुरालेखों और सनातन संस्कृत की अच्छी जानकार थी। नेहरू के पुराने कर्मचारी एस.डी. उपाध्याय ने एक हिन्दी का पत्र नेहरू को सौंपा जिसके कारण नेहरू उस सन्यासिन को एक इंटरव्यू देने को राजी हुए। चूँकि देश तब आजाद हुआ ही था और काम बहुत था। नेहरू ने अधिकतर बार इंटरव्य़ू आधी रात के समय ही दिये। मथाई के शब्दों में एक रात मैने उसे पीएम हाऊस से निकलते देखा वह बहुत ही जवान खूबसूरत और दिलकश थी। एक बार नेहरू के लखनऊ दौरे के समय श्रध्दामाता उनसे मिली और उपाध्याय जी हमेशा की तरह एक पत्र लेकर नेहरू के पास आये नेहरू ने भी उसे उत्तर दिया और अचानक एक दिन श्रद्धा माता गायब हो गईं किसी के ढूँढे से नहीं मिलीं।

नवम्बर 1949 में बेंगलूर के एक कान्वेंट से एक सुदर्शन सा आदमी पत्रों का एक बंडल लेकर आया। उसने कहा कि उत्तर भारत से एक युवती उस कान्वेंट में कुछ महीने पहले आई थी और उसने एक बच्चे को जन्म दिया। उस युवती ने अपना नाम पता नहीं बताया और बच्चे के जन्म के तुरन्त बाद ही उस बच्चे को वहाँ छोडकर गायब हो गई थी। उसकी निजी वस्तुओं में हिन्दी में लिखे कुछ पत्र बरामद हुए जो प्रधानमन्त्री द्वारा लिखे गये हैं पत्रों का वह बंडल उस आदमी ने अधिकारियों के सुपुर्द कर दिया। मथाई लिखते हैं। मैने उस बच्चे और उसकी माँ की खोजबीन की काफी कोशिश की लेकिन कान्वेंट की मुख्य मिस्ट्रेस जो कि एक विदेशी महिला थी बहुत कठोर अनुशासन वाली थी और उसने इस मामले में एक शब्द भी किसी से नहीं क हा लेकिन मेरी इच्छा थी कि उस बच्चे का पालन-पोषण मैं करुँ और उसे रोमन कथोलिक संस्कारो में बड़ा करूँ चाहे उसे अपने पिता का नाम कभी भी मालूम ना हो लेकिन विधाता को यह मंजूर नहीं था। नेहरू राजवंश की कुंडली जानने के बाद घड़ी की तरफ देखा तो शाम पांच बज गए थे, हाफीजा से मिली ढेरों प्रमाणिक जानकारी के लिए शुक्रिया अदा करना दोस्ती के वसूल के खिलाफ था, इसलिए फिर मिलते हैं कहकर चल दिए।

नोट--(दिनेश चंद्र मिश्र लखनऊ में रहनेवाले पत्रकार हैं। यह खोजबीन उन्होंने अपनी कश्मीर यात्रा के दौरान की है जिसे वे क्रमश: अपने ब्लाग पर प्रकाशित कर रहे हैं।)
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कांग्रेसिओं के प्रिय अय्याश चचा जान नेहरु की गलतियों से आज भी जल रहा है कश्मीर |


अलीगढ़ मुस्लिम विश्विद्यालय से शिक्षा प्राप्त कर कश्मीर में अध्यापन कर रहे शेख अब्दुल्ला को ऐसा समय अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा की पूर्ति करने का अच्छा अवसर
नजर आया। शेख अब्दुल्ला ने ‘मुस्लिम कांफ्रेंस’ नामक संस्था का गठन कर साम्प्रदायिकता की राजनीति करने लगे।

अब्दुल्ला ने कश्मीर में हिन्दी भाषा की शिक्षा और गौहत्या पर प्रतिबंध जैसे कई आन्दोलन चलाकर मुस्लिम युवकों में अपनी पैठ बढ़ाई। कुछ समय बाद कांग्रेसिओं से नजदीकी बढ़ने पर अब्दुल्ला ने अपनी पार्टी का नाम ‘मुस्लिम कांफ्रेंस’ से बदलकर ‘नेशनल कांफ्रेंस’ कर दिया। फिर 1946 में शेख अब्दुल्ला ने महाराजा के खिलाफ कश्मीर छोड़ो आन्दोलन चलाया।

गांधी जी ने इसका समर्थन नहीं किया, फिर भी जवाहर लाल नेहरू ने गांधी की बात न मानते हुए इस आंदोलन को समर्थन देने के लिए श्रीनगर जाने का कार्यक्रम बनाया। कश्मीर के महाराजा ने नेहरु की इस नीच हरकत से क्रोधित होकर चचा को कोहाला पुल पर बंदी बना लिया।

नेहरू ने इसे अपने अपमान के रूप में लिया और इस अपमान को आजीवन याद रखा। और इसी अपमान का बदला लेने के लिए नेहरू पृथ्वी के स्वर्ग कश्मीर को आंतकवाद की आग में झोंक दिया |


श्री सरदार पटेल कश्मीर के भारत में विलय के लिए लगातार प्रयत्न कर रहे थे। महाराजा भारत में विलय के लिए तैयार भी हो गए। उधर कबाइलियों के वेश में पाकिस्तानी सेना गिलगित, बाल्टिस्तान से बहुत अंदर पुंछ और उड़ी सेक्टर तक आ गईं।

यह जानते ही आगबबूला हुए जिन्ना ने मौके की नजाकत का फायदा उठाते हुए कश्मीर के गांवों में पाकिस्तानी सैनिकों से कबाइलियों के वेश में 20 अक्टूबर 1947 से हमले प्रारम्भ करा दिए । 25 अक्टूबर को भारत के रियासती मंत्रालय के सचिव वी.पी. मेनन श्रीनगर पहुंचे। 26 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर के महाराजा ने अपने राज्य का भारतीय गणराज्य में विलय कर दिया। विलय की सारी प्रक्रिया वैसे ही पूरी की गई थी जैसे देश की अन्य 529 रियासतों की पूरी हुई थी।


महाराजा चाहते थे कि भारतीय सेना जल्द से जल्द श्रीनगर पहुंचे, लेकिन भारतीय सेना अगले दिन 27 अक्टूबर को पहुंचकर, पाकिस्तानियों को श्रीनगर में ईद मनाने से रोक दिया। श्रीनगर तो भारत के पास ही रहा, लेकिन कश्मीर का एक बड़ा भाग मीरपुर, मुजफ्फराबाद, बाल्टिस्तान आदि पर पाकिस्तान ने नेहरू की गलतियों के कारण कब्जा कर लिया |

इसी कांग्रेसी अयाशी में डूबे रहने वाले नेहरु की वजह से आजतक कश्मीर विकट आग में झुलस रहा है,

इसी चचा की वजह से घाटी में में लाखों घर बर्बाद हो गए, ना जाने कितने हजार बच्चे यतीम हो गए, और ना जाने कितने औरतें बेवा हो गई |

और ये आज भी बदस्तूर जारी है |

और यदि इसी तरह कांग्रेस देश पर राज करती रही, तो जल्दी ही देश कई टुकड़ों में कश्मीर की तरह सिसकियाँ ले रहा होगा |

जब शायद हमारी आने वाली नस्लें हमें बैठ कर कोस रही होंगी |

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गौमांस खाने वाला ..... ,शराब पीने वाला ..... ,सिगरेट पीने वाला .... ,जिसके उस समय की कई ख़ूबसूरत महिलाओं के साथ अनैतिक सम्बन्ध थे ...एडविना , बैजन्तीमाला,,सन्यासिन श्रधा और पदमजा नायडू तो सर्व विदित है ही पर कहा जाता है की ये महाशय आज के दिग्विजय सिंह के बाप और कश्मीर के फारुक अब्दुल्ला के बाप के घर बहुतायत जाया करते थे ;हिन्दू धर्मं में ऐसे व्यभिचारी व्यक्ति को क्या कहा जाना चाहिए ?...हाँ ,फूटे करम के करम चाँद गाँधी के प्रिय एवम कांग्रेस्सियो के चाचा जवाहर लाल नेहरु को सनातनी मुर्ख हिन्दू 'पंडित जी ....पंडित जी ...कहते नहीं अघाते थे ... जिसका रामायण , गीता और वैदिक संस्कृति से दूर दूर तक रिश्ता ही नहीं था .... वर्षों तक हिन्दू धर्म की जड़ खोदने वाला गयासुद्दीन गाजी के वंशज जव्हार लाल को मुर्ख हिन्दु सत्ता में बिठा कर खुश भी होते रहे और लोगो के चाचा भी बनाते रहे ...आजादी के बाद भारत की गरीब जनता रोती, बिलखती रही बेचारी में बेबसी के आसू में और ये श्रीमान जी कथित कांग्रेस्सियो के चाचा जी अपने अचकन में गुलाब लगा कर गुल्चर्रे उड़ाते रहे ...मज़े लेते रहे !धन्य है हिन्दू और और उनकी अंध धितरास्ट्रा भक्ति !....अब तो जागो कुंभकर्णी हिन्दुओ ...कांग्रेस भगाओ देश बचाओ ...
 
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Tuesday, February 28, 2012

सेक्सी ममता

महिला आयोग की श्रीमती ममता का कहना है की 'सेक्सी' माने सुन्दर। यदि सेक्सी माने सुन्दर तो फिर 'सुन्दर' ही कहो , ज्यादा सभ्य लगता है। फिर भी ममता जी को इतने बचकाने बयानों से बचना चाहिए। 'सेक्सी' एक अश्लील शब्द है, ये उन्हें पता होना चाहिए। धन्य हैं आजकल की नारियां भी। उच्च पदों की गरिमा का भी ख्याल नहीं रखतीं। सारा देश अपने संस्कारों की नाक कटाने पर क्यों तुला हुआ है ?

Monday, February 27, 2012

हैट्स ऑफ केजरी..

ज़रा सी पब्लिसिटी मिलते ही व्यक्ति अपनी इमेज बनाने के फेर में पड़ जाता है। मुझे ख़ुशी है की अरविन्द केजरीवाल ने खरा-खरा बोलने की हिम्मत तो जुटाई। कांग्रेसियों को आईना दिखाने वालों की सख्त ज़रुरत है। अब दिग्गी प्रवचन झाड रहे हैं। कपिल और दिग्गी 'बयानबाजियों' को अपनी बपौती समझते हैं। अब पढ़े-लिखों की 'Tweets' का सामना करना पड़ेगा इन्हें। अकाट्य तर्क है केजरीवाल का। हैट्स ऑफ सर !

सर्वगुण संपन्न ,दोगली सरकार

कांग्रेस जैसी सर्वगुण संपन्न सरकार चिराग लेकर ढूँढने पर भी नहीं मिलेगी। एक से एक नव-रत्न हैं इनके दरबार में देश , काल, परिस्थिति देखकर कांग्रेसी कभी कमीनगी करते हैं (सिब्बल), कभी कुत्तापना, कभी सुवरपना (दिग्गी), कभी गदहपना , कभी लंगूर की तरह उचकते हैं (खुर्शीद, बेनी प्रसाद) जरूरत पड़ने पर आरक्षण देकर "गधों" को बाप बना लेते हैं, सत्ता हथियाने के लिए घरवालों को भी मरवा देने से पीछे नहीं हटते। विदेशियों के आगे सब "लीक" कर देते हैं , पाकिस्तानियों की तरह मिलिट्री राज करने की धमकी देकर तानाशाही करते हैं। भारतीयों को गरीब और फटीचर समझते हैं इश्क फरमाते हैं विदेशी स्त्रियों से जो सिगरेट पीने वाली होती है (पहले प्रधानमन्त्री का इतिहास देखें) अथवा किसी होटल में पिज्जा बेचने वाली होती है। धन्य है कांग्रेस। आज की चिट्ठी में बस इतना ही। बुद्धिमानों के लिए इशारा काफी है। थोड़े लिखे को ज्यादा समझिएगा। --जय भारत--वन्देमातरम!

Sunday, February 26, 2012

शाहरूख खान का झूठा अभिमान

एक बार इंटरव्यू में फिल्म अभिनेता शाहरूख खान से पूछा गया - "धर्म के बारे में आपका क्या विचार है?" वह बोला- "अल्ला ताला तो बस एक ही है , हाँ उसके अलावा शरीर में खाल लपेटे , भस्म रमाये, जटा बढ़ाये बहुत से ढोंगी बाबा मिल जायेंगे"---हिन्दू धर्म का अपमान करना कोई शाहरूक से सीखे। घमंड से भरा हुआ यह खान अपनी पत्नी गौरी को भी काफी कष्ट देता है। जितने भी सच्चे हिन्दू हैं उन्होंने इन खानों की फिल्मों का बहिष्कार कर दिया है है। बचे हुए बेशर्म और बेगैरत हिन्दू अभी भी इसकी अश्लीलता भरी फिल्में देखते हैं। ---उठो-जागो--जब जागो तभी सवेरा। --वन्देमातरम

Friday, February 24, 2012

सहवाग और धोनी के आपसी मतभेद

सहवाग और धोनी को आपसी मतभेदों से ऊपर उठकर जीना चाहिए एक दुसरे के खिलाफ बयानबाजी करके खेल की भावना को ठेस नहीं पहुंचानी चाहिए एक निश्चित ऊँचाई तक पहुँच जाने के बाद लाखों लोगों की अपेक्षाएं आपसे जुड़ जाती हैं छोटी-मोटी बातों से ऊपर उठकर देश के लिए और खेल-प्रेमियों के लिए खेलिए आपके आपसी मतभेद करोड़ों की भावनाओं को आहत करते हैं और खेल की गुणवत्ता को कम करते हैं

माई नेम इस "गुड्डू खान"

माई नेम इस "गुड्डू खान" मैं थोक दवा विक्रेता हूँ सीबीआई की रेड में मेरे काले कारनामे सामने गए हैं , लेकिन मुझे कोई डर नहीं है जब तक कांग्रेस है , तब तक सुरक्षित हूँ मैंजिसके राज में ३६६ क़त्ल करने वाला "कसाब" सुरक्षित रह सकता है तो फिर मैं क्यूँ नहीं ? मैंने तो बस चंद करोड़ के घोटाले ही किये हैं

Thursday, February 23, 2012

मायिनो सरकार और कामरान.

भारत देश की जासूसी के लिए पकिस्तान ने ढेरों गुर्गे भारत में बैठा रखे हैं, जो बेख़ौफ़ होकर भारत में रह रहे हैं और हमारी मिलिट्री की ख़ुफ़िया जानकारी बहुत सफाई से पाकिस्तान भेज रहे हैं। ऐसा ही एक ३९ वर्षीय पाकिस्तानी आतंकी 'कामरान अकबर' उर्फ़ अत्तार उर्फ़ आसिफ हुसैन नामक भारत के कोलकाता शहर में नाजायज तरीके से रह रहा है। इसे पाकिस्तानी मिलिट्री इंटेलिजेंस द्वारा , भारतीय सेना, उनके सन्देश चिन्ह, नंबर, कोड, चौकसी के उपाय , चैटिंग तथा इन्टरनेट का उपयोग आदि की समुचित ट्रेनिंग के बाद नेपाल से होते हुए भारत में गैर कानूनी प्रवेश दिलाया गया। कोलकाता में इसने विवाह करके वहां अपना गढ़ भी बना लिया। धीरे-धीरे इसने भारत का वोटर ID , PAN कार्ड और ड्राईविंग लाईसेंस भी पा लिया। कितने शातिर हैं ये पाकिस्तानी , लेकिन मायिनो सरकार इन्हें आरक्षण देकर हमारे देश को बेच कर खा रही है।

Tuesday, February 21, 2012

मैकाले-सरकार (कांग्रेस) और चिराग तले अँधेरा

मैकाले की शिक्षा पद्धति ने ब्रेन-वाश कर दिया है हमारे भारतीय समाज का। divide and rule policy चलाकर उन्होंने हमें टुकड़ों-टुकड़ों में बाँट दिया। आज इसी विभाजन की "मंथरा-नीति" से कांग्रेस हमें नोच-नोच कर खा रही है देश का विकास बाधित है धन और सत्ता को हड़पने का लालच चरम पर है। फिर भी विकल्प है हमारे पास। इस भ्रष्ट मैकाले -तंत्र को उखाड़ फेंकने के लिए इन्ही के हथियार से इन्हें मारना होगा। मैकाले-सरकार (कांग्रेस) को अपनी "भारतीय संस्कृति " की ताकत से मारना होगा। परंपरागत तरीके , आस्था और विश्वास , रीति-रिवाज , पर्व और त्योहारों की महत्ता को समझकर, अपने बच्चों को समझाना होगा हम जैसा भारत चाहते हैं वैसा भारत पहले अपने घरों में बनाना होगा। ध्यान रहे कहीं "चिराग तले अँधेरा रह जाए"

अपने बच्चों के साथ देश की चर्चा अवश्य कीजिये। वे क्या बदलाव चाहते हैं , उन्हें सुनिए। समाज में क्या घट रहा है , उन कडवी सच्चाईयों से उन्हें अवगत कराईये। उनके साथ भिन्न भिन्न विषयों पर डिबेट करिए। उनका दिमागी विकास भी होगा और समाधान भी आएगा। उनके मन में उठ रहे अनेक संशयों का अंत भी होगा।

कभी अपने बच्चों से बात करके देखिये, आप उन्हें कनफ्यूज़न का डिब्बा ही पायेंगे। क्योंकि बढ़ते बच्चों के पास पल प्रतिपल असंख्य प्रश्न जन्म ले रहे होते हैं , लेकिन उनका समाधान करने वाला कोई नहीं होता। माता पिता या तो असमथ होते हैं उनके उत्तर देने में , या फिर उनके पास समय नहीं होता है अपने बच्चों के लिए। वे समझते हैं अच्छे स्कूलों में डालकर इतिश्री हो गयी उनके दायित्वों की। आँख-नाक -कान खुले रखने से तो जैसे परहेज़ है इन पढ़े-लिखे लोगों को। खुद अपडेटेड रहते हैं मुद्दों पर , ही अपने बच्चों को रखते हैं।

बच्चे रट-रट कर तो आगे बढ़ जाते हैं , लेकिन उनके पास विषय पर पकड़ गहरी नहीं होती कंसेप्ट नहीं होता। दुनिया में इतना ज्ञान बिखरा पड़ा है और घटनाएं हैं जिन पर चर्चा होनी चाहिए लेकिन सब कुछ एक साथ तो घोंटकर नहीं पिलाया जा सकता है। पुरुष अपनी अपनी नौकरियों में व्यस्त और त्रस्त हैं और उनकी पत्नियाँ शाम ढले गॉसिप करती मिल जायेंगी। मटर-गोभी , हेयर-स्टाइल और पडोसी निंदा से ज्यादा बतियाने की ज़रुरत ही नहीं समझती। बच्चों को क्या संस्कार देंगीं

कभी अपने बच्चों के साथ भी पर्वों पर चिंतन और राष्ट्र-हित की चर्चा किया कीजिये। वरना चिराग तले अँधेरा ही रह जाएगा।


जिस कवी की कल्पना में, ज़िन्दगी हो प्रेमगीत
उस कवी को आज तुम नकार दो...
भीगती नसों में आज, फूलती रगों में आज
आग की लपट का तुम बघार दो
....


भारत माता की जय ,
वन्दे मातरम् !

Monday, February 20, 2012

ढीठ विद्यार्थी और ढीठ माता-पिता.

गुजरात के सूरत शहर के तुषार वरीया नामक शिक्षक ने आठवी और नवी कक्षा के तकरीबन १५ छात्रों के बाल ट्रिम कर दिए। माता-पिता नाराज़ हैं शिक्षक को विद्यार्थियों की फंकी-स्टाइल पसंद नहीं थी बार-बार मना करने पर भी जब विद्यार्थियों ने उनकी बात नहीं सुनी तो मजबूरन उन्हें ऐसा करना पड़ा। मेरे विचार से शिक्षक ने ठीक किया रंग बिरंगे बाल और 'जेल' लगाकर कोई विद्यालय जाता है क्या भला? लातों के भूतों का यही उचित इलाज है। शिक्षकों को इतना अधिकार तो होना ही चाहिए की विद्याथियों को अनुशासित कैसे किया जाए।

जय महादेव


ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।

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सौराष्ट्रे सोमनाथंच श्री शैले मल्लिकार्जुनम् ।
उज्जयिन्यां महाकालमोंकारममल ेश्वरम् ॥

केदारे हिगवत्पृष्ठे डाकिन्यां भीमशंकरम् ।
वाराणस्यांच विश्वेशं त्र्यम्बंक गौतमी तटे ॥

वैद्यनाथं चिताभूमौ नागेशं दारुकावने ।
सेतुबन्धे च रामेशं घृष्णेशंच शिवालये ॥

एतानि ज्योतिर्लिंगानि प्रातरुत्थाय य: पठेत् ।
जन्मान्तर कृत पापं स्मरणेन विनश्यति ॥

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ॐ करपूर गौरम, करूणावतारम, संसारसारं, भुजन्गेन्द्रहरम, सदावसन्तम, हृदयारविन्दे भवनभवामि सहितंनमामि।

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जय अचलेश्वर...जय काशी विश्वनाथ...जय महा कालेश्वर...जय मनकामेश्वर...जय महादेव !

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Sunday, February 19, 2012

बापू- भगत सिंह

मैं कोई राजनेता अथवा नेत्री तो नहीं जो वीर शहीद सरदार भगत सिंह को "राष्ट्र पिता" घोषित कर दूं, लेकिन वे ही असली हक़दार हैं "बापू" कहलाने के। वे किसी करेंसी-नोट पर छापे जाएँ अथवा नहीं , लेकिन आने वाली अनेक सदियों के दिलों में अंकित होता रहेगा इस अमर शहीद का देशभक्त चेहरा।

मेरे बापू--मेरे भगत सिंह

वन्दे मातरम्

जागरूक आवाम का शहर -- लखनऊ.

माना की आज शहर में सर्दी कुछ ज्यादा ही है, बादल भी छाये हैं , लेकिन आलस न करो लखनऊ वालों, आज आपके शहर में मतदान है , उठो, जागो , इस्तेमाल करो अपने कीमती मतों का। ४५ और ५५% नहीं, बल्कि ९५ से १०० % मतदान होने चाहिए। आज हर व्यक्ति बदलाव चाहता है , विकास चाहता है , जागरूक हो चुका है। कोई लाख कीमत अदा करे लेकिन वो बिकाऊ नहीं रह गया है, अपने होशो हवास से अपने मत का इस्तेमाल करता है। बहुत कुछ निर्भर करता है देश की युवा जनता पर। देखना है वे अपने मतों से किसे जिताते हैं। जितना 'परिपक्व' हमारे युवाओं की सोच होगी , उतना ही बेहतर चुनावी परिणाम आयेगे।

जय हो !

Saturday, February 18, 2012

कटु लहजा..

मेरी भाषा थोड़ी कड़क और घायल करने वाली होती है। मैं ऐसी नहीं थी, ऐसा लिखना नहीं चाहती थी, लेकिन हमारे समाज में हो रहे सत्ता के ढोंग ने मुझे ऐसा बना दिया। एक मुद्दत से राजनेताओं की काली करतूतें , गरीबों की आत्महत्या , अल्पसंख्यकों को स्वार्थवश लुभाना , हिन्दुओं के अस्तित्व से खिलवाड़ और देश को तार-तार करती सियासत ने मेरी भाषा और लहजे को कटु बना दिया। यदि हम इन देश के गद्दारों, ठेकेदारों को सुधार नहीं सकते तो कम से इन्हें आईना तो दिखा सकते हैं। यदि ये हमें सुकून से जीने का अधिकार नहीं देते तो हम इन्हें सम्मान के साथ जीने नहीं देंगे। --जय हिंद !--वन्देमातरम !

Friday, February 17, 2012

सत्ता का क्रूर मज़ाक...

राहुल विंसी गुस्सा है , मैं निराश हूँ उसके गुस्से का कारण तो बस एक ही है की उसे आशातीत चुनावी परिणाम नहीं मिल रहे हैं। लेकिन मेरी निराशा के अनगिनत कारण हो गए हैं। यथा--
हर इंसान बिकाऊ क्यों हो गया है।
मुसलामानों की खरीद-फरोख्त कब बंद होगी।
मीडिया छिछोरेपन से कब बाज़ आएगा,
सिर्फ राहुल और प्रियंका को दिखाता है , अन्य पार्टियों को क्यों नहीं,
चुनाव आयोग पक्षपात क्यों कर रहा है,
मंत्री अपने पद की गरिमा क्यों नहीं समझ रहे,
जनता के साथ , सत्ता का क्रूर मज़ाक कब बंद होगा,
चाटुकार अपनी दुम हिलाना कब बंद करेंगे,
भारत में हो रहा राजनैतिक-घटियापन, विदेशों में क्यों नहीं होता।
लोकतंत्र की परिभाषा ये नेता कब समझेंगे।
मुसलामानों का स्वाभिमान कब जागेगा और उनके भी रक्त में उबाल कब आएगा। कब बनेंगे ये लोग भारतीय और कब लड़ेंगे अपने देश के लिए।

वन्दे मातरम् !

एग्रीगेटर अब निष्पक्ष नहीं रहा...

'हमारी वाणी' नामक एग्रीगेटर अब निष्पक्ष नहीं रहा। मेरी पोस्टों को हटा देता है! पोस्ट लगाने के थोड़ी देर बाद उसे वहाँ से हटा दिया जाता है। कसूर मेरा है अथवा उनके मन में डर पैदा हो गया है ?----जो भी हो , हमने इन्हें माफ़ किया, क्योंकि जो डर गया वो खुद-बखुद ही मर गया।

जय हो !

Thursday, February 16, 2012

चुनाव आयोग को दुबारा चुनौती

खुर्शीद के बाद बेनी प्रसाद वर्मा ने चुनाव आयोग को दुबारा चुनौती दी--"मुसलामानों का कोटा और बढाया जाएगा"--मुल्ले बिकते हैं बोलो खरीदोगे?--प्रश्न यह है की कांग्रेस मुल्लों को खरीद रही है या फिर मुल्ले ही मौज ले रहे हैं इस फ्रसट्रेटेड कांग्रेस के ? चुनावी रैलियों में अलबर्ट पिंटो ने हताश होकर आज परचा फाड़ा, कल शायद कुरता ही फाड़ बैठें। आप लोग सामने ना पड़ियेगा, राहुल जी गुस्से में हैं , कहीं आपके बाल ही न नोच डालें।

माईनो माफिया गैंग --सावधान

एक विदेशी स्त्री माईनो ने भारत की दुर्दशा कर दी है। सबसे पहले देश के प्रधानमन्त्री पर वशीकरण तंत्र चलाकर सत्ता चला रही है , फिर मुसलामानों को उंगुलियों पर नचाकर अपने प्रभुत्व को बनाए हुए है। राहुल और प्रियंका के जन्म के समय माईनो ने अपनी इटालियन नागरिकता छोड़ी नहीं थी अतः राहुल और प्रियंका भी दो देशों की नागरिकता लिए घूम रहे हैं। अब सुना है राहुल की एक अदद पत्नी भी हैं जो वेनेजुएला की है, अब इनके पास होगी एक और नागरिकता और हम भारतीयों को सौगात में मिलेगी एक और विदेशी बहु जो हमें आने वाले कई दशकों की दासता दे जायेगी। कब बंद होगा ये विदेशी बहुओं का सिलसिला। कब जागेगा भारत का स्वाभिमान।

Wednesday, February 15, 2012

शेरों के बीच सेक्युलर सियार

ये कुरैशी साहब हैं, कोई टी एन सेशन नहीं पद की मर्यादा से इन्हें कोई लेना-देना नहीं है। जो हिंदुत्व की बात करेगा (वरुण गांधी, बाल ठाकरे) वो जेल जाएगा लेकिन जो मुसलामानों के आरक्षण की बात करेगा वो बेदाग़ रहेगा और बा-इज्ज़त बहाल रहेगा इतना भेद-भाव तो इस विदेशी-इस्लामिक सरकार से ही हो सकता है। ---अरे सेक्युलर गधों। अगर सच्चे हिन्दू हो तो इस कांग्रेस को वोट मत देना। और अगर कांग्रेस से इतना ही लगाव है तो हिन्दू होने का नाटक मत करो। अपना धर्म परिवर्तन कर लो। शेरों के मध्य सियार जंचते नहीं हैं।

Tuesday, February 14, 2012

काला-बाजारी

विदेशों के स्विस बैंकों आदि, 'Tax heaven' में सबसे ज्यादा पैसा भारत से पहुँचता है हमको अईसा-वयिसा समझो हम "भारत" हैं हम कोई मामूली नहीं हैं ,हमने पांच सौ बिलियन डॉलर जमा कर रखा है विदेशों में सीबीआई डायरेक्टर 'A P Singh' का कहना है -"यथा राजा तथा प्रजा" जय हो !

Monday, February 13, 2012

पालतू कुत्ते या फिर पालतू आतंकी ?

किसी को शौक होता है कुत्ते पालने का, किसी को खरगोश पालने का, तो कोई तोता पालता है। लेकिन कांग्रेस को शौक है आतंकवादियों को पालने का। देश में चाहे जितने आतंकी हमले हो जाएँ , इन्हें कोई फरक नहीं पड़ता। कभी संसद पर तो कभी दूतावासों पर आतंकी हमले होते हैं यहाँ। जब तक कसाब जैसे आतंकवादियों को शाही दामाद बना कर रखा जाएगा तब तक यही होगा। अपना घर ही चाक-चौबंद रखना जो नहीं जानता वो देश का प्राधानमंत्री बनने के सपने देख रहा है। शर्मनाक !

Sunday, February 12, 2012

नेताओं में पनपती असाध्य विकृतियां

सरकार का आदेश हुआ है की जो IAS और PCS आफिसर ठीक से काम नहीं करेंगे उन्हें सेवा-निवृत्त कर दिया जाएगा। लेकिन सरकार का अपने बारे में क्या विचार है ? पिछले ६४ वर्षों से कोढ़ग्रस्त मशीनरी बनी हुयी है सरकार , इनके नेताओं की सेवा निवृत्ति क्यूँ नहीं होती। आजकल खा-पी कर मोटे हो रहे भ्रष्ट नेताओं को दिल का दौरा भी नहीं पड़ता। कितनी भी फजीहत हो जाते ये शर्माते नहीं है। डट कर घोटाले करते हैं , काला धन बटोरते हैं और गर्व के साथ जेल जाकर , वापस आकर चुनाव लड़ते हैं। अब सत्ता भी दागियों, लुटेरों, बेशर्मों और तानाशाहों की बपौती हो गयी है। पढ़ा-लिखा होना देशभक्ति के लिए ज़रूरी अर्ह्यता नहीं है।

Saturday, February 11, 2012

दलितों के घर चूरमा-बाटी

इमादारी के बदले मिला- नौ फ्रैक्चर और क्षतिग्रस्त हुयी किडनी जयपुर, RTI [Right to information] के ६५ वर्षीय कार्यकर्ता दूधराम ने राजस्थान के ग्रामीण विकास कार्यों की एक पयोजना 'MGNREGA' में १२ करोड़ के घोटाले को सामने लाने का प्रयास किया तो उसे बुरी तरह मारा गया आज वह ICU में भर्ती है और मौत से जूझ रहा है भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाना भी एक गुनाह हो गया है अब सरकार, दलितों के घर चूरमा-बाटी खाने में व्यस्त है और इमानदार अधिकारी बुरी कदर पीटे जा रहे हैं

Friday, February 10, 2012

वो रोई नहीं, भावुक हुयी थीं, नहीं नहीं बस चिंतित थी ...LOL.......

बाटला एनकाउंटर पर दिग्विजय ने कहा- "फेक एनकाउन्टर है " , चिदंबरम ने कहा -"genuine एनकाउन्टर है" , खुर्शीद ने पहले कहा फूट-फूट कर सोनिया रोई, फिर बयान से मुकर गए बोले-"केवल भावुक हुयी थी" , फिर परवेज़ महोदय का बयान आया - "वे रोई, भावुक हुयी, बस चिंतित हुयी" , फिर कांग्रेस प्रवक्ता ने पूरे प्रकरण को अपने अट्टहास के नीचे दबा दिया मुसलामानों के वोट को खरीदने के लिए कितना नीचे गिरेगी ये पार्टी ? पल पल बयान बदलती कांग्रेस टुकड़ों में बंटी। इन महान हस्तियों को पहले एक-राय हो जाना चाहिए था की चार साल पुराना मुद्दा कैसे कैश करना है। वैसे कांग्रेस मुसलामानों को जितना मूर्ख समझ रही है, वे उतना भी मूर्ख नहीं हैं। समाजवादी पार्टी के आज़म खान ने कहा- "कांग्रेस अपना ड्रामा बंद करे"

घडियाली आँसू ...

बलात्कार का शिकार होती मासूम बच्चियों के लिए दिल नहीं पसीजता, भूख से पीड़ित हो आत्महत्या करते किसानों के लिए दुःख नहीं होता, ठण्ड से मरने वालों का दर्द नहीं है, कारगिल के शहीदों के लिए आँखें नम नहीं हुयी जिसकी , वही आँखें रो पड़ीं आतंकवादियों की मौत पर धन्य हैं सोनिया-माता के घडियाली आँसू ...

फेसबुक बंद होने में मात्र १५ दिन शेष हैं। आग लगा दो ..

फेसबुक बंद होने में मात्र १५ दिन शेष हैं। आग लगा दो सबको जगा दो। पछताने के लिए ये शेष रह जाए की काश लिख दिया होता। हम डरते क्यों रहे। इन १५ दिनों में बहुत कुछ हो सकता है। इतना लिखो कि वतन का सौदा करने वाले देशद्रोहियों और अभिव्यक्ति कि स्वतंत्र छीनने वालों का रक्तचाप आसमान छूने लगे और फेसबुक बंद होने से पहले ही वे अपने नापाक मंसूबों में विफल हो जायें। 'वीर हनुमान' कि तरह समय रहते ही लंका में आग लगाकर अपनी ताकत बता दो। सत्ता में बैठे रावणों का विनाश तो तय है। डरना मना है ! --"सरफरोशी कि तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना , बाजुए कातिल में है। "--जय हो राम प्रसाद बिस्मिल!, जय हनुमान !, जय भारत ! वन्दे मातरम् !

माओवादी और राहुल विंसी

माओवादियों ने दंतेवाड़ा में अनेक गाड़ियाँ जला दीं, अनेक मौतों के साथ आतंक जारी है। क्या राहुल विंसी इन माओवादियों के घर भोजन-पानी करेंगे? छतीसगढ़ के बारे में कुछ सोचेंगे ? देश में ५० प्रतिशत जनता जो भुखमरी से त्रस्त है , उसके बारे में क्या सोचा है श्रीमान ने ? हम से पांच साल मत मांगो, हम अपना उत्तर प्रदेश संभल देंगे। तुम अपना ध्यान आवाम के हित में लगाओ। कुर्सी के लिए मत सोचो। पहले देश के लिए कुछ कर के दिखाओ, फिर बड़े-बड़े सपने देखना।

Thursday, February 9, 2012

निंदक-कपिल .

उपद्रवी कपि (बन्दर) उर्फ़ कपिल तो बस मौके ढूंढता है दूसरों की निंदा करने की। इसके पास ढंग का करने को कुछ नहीं है। अब अश्लील विडिओ का मुद्दा ले आया है। अपनी गिरहबान में यदि ये झांके तो पिछले एक शताब्दी की अश्लीलता सामने जायेगी। कोई अंग्रेजों के साथ तो कोई इटालियानो के साथ गुलछर्रे उडाता रहा है। एन डि तिवारी तो हैं ही बेमिसाल। इनके जलवे तो जग-जाहिर हैं। दूध के धुले कांग्रेसियों के बारे में क्या ख़याल है, निंदक- कपि-महोदय का। सर्वश्रेष्ठ निंदक का अवार्ड दिया जाता है इस कपि को।

निंदक नियरे राखिये , आँगन कुटी छवाए...


Zeal

Wednesday, February 8, 2012

मुलायम का चुनावी समाजवादी मुद्दा.

वोट लूटने की खातिर , खिलवाड़ करते नेता। अब मुलायम महोदय का चुनावी स्टंट आया है की मुझे जिताओ , मैं सेंट्रेल की तरह स्टेट यूनीवरसिटी में भी प्रोफेसर्स की रिटायरमेंट की उम्र ६२ से ६५ वर्ष करवा दूंगा। ६२ ही ज्यादा है ६५ की क्या ज़रुरत है? क्या युवाओं को पढ़ाने का मौका नहीं मिलना चाहिए क्या? जब UGC में रिटायर्मेंट के बाद दो वर्ष की "प्रोफ़ेसर-अमेरिटस " की सुविधा है तो ६५ वर्ष करने की क्या आवश्यक है? उम्र बढ़ाकर युवा पीढ़ी को नौकरी के अवसरों से वंचित करना उचित नहीं लगता।

Tuesday, February 7, 2012

राउल बड़ा ड्रामेबाज है या राखी सावंत ?

दलितों के घर भोजन करने में राउल का कोई बड़प्पन नहीं है। बड़प्पन तो उनका है जो इसे इतना आतिथ्य सत्कार देते हैं। राउल महाराज में यदि इतना बड़प्पन होता तो कभी दलितों को भी अपने भवन में दावत देता,उनके लिए शिक्षा-व्यवस्था करता, चिकित्सा व्यवस्था करता। दलितों का आरक्षण काटकर मुसलामानों को देता। यदि बड़प्पन होता तो गो-हत्या करने वालों को जेल भेज देता। यदि बड़प्पन होता तो बहुसंख्यकों से दुश्मनी नहीं रखता उमा भारती , मोदी और सुब्रमण्यम स्वामी का अपमान नहीं करता। यदि बड़प्पन होता तो मुसलामानों को पटाकर और हिन्दुओं का अधिकार छीनकर प्रधानमन्त्री बनने के सपने नहीं देखता। ये रोटी का नहीं खरी-खोटी का हकदार है।

कशमीर मुद्दा

पाकिस्तानी प्राधानमंत्री का कहना है की २१वि शताब्दी में युद्ध कोई विकल्प नहीं है, अतः वे काश्मीर मुद्दे का हल बात-चीत तथा बुद्धिमानी से निकालेंगेसमस्त देशभक्त-भारतीयों की तरफ से मेरा यह कहना है की काश्मीर कोई मुद्दा ही नहीं जिसका वे हल तलाश रहे हैंकाश्मीर हमारा था, हमारा है , हमारा ही रहेगाविदेशी कृपया दूर रहे हमारे काश्मीर सेउस पर अपनी गिद्ध दृष्टि रखें

Monday, February 6, 2012

खुर्शीद का चुनावी विज्ञापन

उत्तर प्रदेश में मुस्लिम जमात को लुभाने के लिए कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने सभी चुनावी आचार संहिता को धत्ता बताते हुए मुस्लिम-आरक्षण का विज्ञापन देने की चेष्टा कीलेकिन एलेक्शन-कमीशन ने इस प्रकार के घटिया 'लोलीपॉप' का विज्ञापन करके वोट लूटने पर रोक लगा दी हैकांग्रेस की दाल नहीं गली, क्योंकि बिना मुस्लिमों को लुभाए उन्हें वोट मिलना आसान नहीं

तलाक तलाक तलाक --ये क्या मज़ाक है ?

मुस्लिमों में जागरूकता आते देखकर ख़ुशी हो रही है। अब इस्लाम में क्रान्ति रही है। मुस्लिम बहनों ने तीन बार तलाक कह देने मात्र से तलाक हो जाने सम्बन्धी नियम के खिलाफ आवाज़ उठायी है। असग़र अली इंजिनियर ने भारतीय मुस्लिम महिला आन्दोलन का समर्थन करते हुए इस नियम को बदलने की आवश्यकता पर बल दिया है। मुंबई के 'इंस्टिट्यूट ऑफ़ इस्लामिक स्टडीज़' के 'क़ुतुब जहान किदवई' का कहना है की इस वाहियात नियम को ख़तम किया जाना चाहिए और इस्लाम में polygamy की प्रथा पर बैन लगना चाहिए।

केरल के रिटायर्ड जज श्री शमसुद्दीन ने कहा की कुरआन की आयातों में एक ही विवाह करने की बात स्पष्ट रूप से लिखी है। केरल में अब निकाह-रजिस्ट्रार नियुक्त किये जायेंगे जो निकाहनामों का पूरा लेखा-जोखा रखेंगे।

देखें यह ड्राफ्ट कब पास होता है और मुस्लिम बहनों के साथ अत्याचार कब बंद हो पाता है।

बरसाती मेंढक

उत्तर प्रदेश वाले बेवकूफ नहीं हैं जो बरसाती मेढकों [प्रियंका] की टर्र--टर्र में जायेंगे चुनाव प्रचार 'शकल' दिखाकर नहीं , देश के प्रति समर्पित होकर निष्ठां से किया जाता है चौकलेटी चेहरों से गंवारों को मूर्ख बनाया जा सकता है , बुद्धिजीवियों को नहीं

Sunday, February 5, 2012

गूंगे भारतीय

अमर्त्य सेन ने किताब लिखी " Argumentative Indians" , लेकिन देश प्रमुख , श्री मनमोहन सिंह की 'चुप्पी' देखकर,अनेक देश हैरत में हैं और भारतीयों को 'गूंगा' समझ रहे हैं

माँ कैसी होती है ? सोनी -माता जैसी ?

माँ से बढ़कर कोई नहीं होता। बेटा कितने भी कुकर्म करे माँ उसके गुनाहों पर पर्दा डालती रहती है। राहू (राहुल) और केतू (कसाब), दोनों बेटा-दामाद को कितना निश्छल प्यार लुटा रही है ये माँ !

तुम्हें सब है पता मेरी माँ ....फिर भी तुम मेरे कुकर्म छुपा रही हो माँ ...तू कितनी अच्छी है, तू कितनी भोली है माँ ..तुम्हे सब है पता मेरी माँ ----By Kasaab [Best terrorist in the world]

मुसलमान डरते क्यों हैं ?

मुसलामानों की बढती आबादी सारे विश्व के लिए खतरा बनी हुयी है , लेकिन ये बेचारे खौफ खा रहे हैं एक अकेली 'दिव्या' से। फेसबुक पर मेरी हर पोस्ट पर ये 'मधुमक्खी' की तरह जमा हो जाते है मुझे हलाल करने के लिए और 'ब्लॉगजगत' में मेरी पोस्ट आने के तुरंत बाद ही डरपोक अनवर जमाल और अयाज़ अहमद मेरी पोस्ट के विरोध में एक पोस्ट लिख कर ड़ाल देते हैं। मेरी ही पोस्टों से इनकी दूकान चल रही है। अरे विपक्ष में बैठे बदमाशों , आईडिया चुराने की रोयल्टी तो दिया करो ...smiles...smiles...smiles........वैसे मुझसे डरा मत करो हे भारत भूमि के 'मुसलामानों' मेरी शरण में जाओ , तुम्हें अभयदान देती हूँ। ----जय हिंद---वन्देमातरम !

भ्रष्ट सरकार

तो चिदंबरम ने कोई षड्यंत्र किया है , ही कसाब ने कोई आतंक, क्योंकि कसाब द्वारा किये गए ३६६ क़त्ल और चिदंबरम के खिलाफ जुटाए गए साक्ष्य पर्याप्त नहीं हैं धन्य हैं देश का न्याय और धन्य है ये भ्रष्ट सरकार मुट्ठी भर बिकाऊ वोटों से जीत कर हम देशवासियों पर पांच वर्ष के लिए थोप दी जाती है अरे उखाड़ फेंको इस भ्रष्ट सरकार को फिर अदालतों की ज़रुरत पड़ेगी ही साक्ष्यों की क्योंकि घोटाले बंद हो जायेंगे और रामराज्य स्वतः ही स्थापित हो जाएगा

Saturday, February 4, 2012

मीडिया , सीबीआई, जुडीशियरी , सब खरीद ली ?

ये हिन्दुस्तान है , खाला का घर नहीं है , जो मनमाना होने देंगे! --सुब्रमण्यम की याचिका ख़ारिज करके चिदंबरम को राहत देकर क्या साबित किया है अदालत ने ? बकरा तो हलाल होकर ही रहेगा, अब दिल्ली दूर नहीं ! सुब्रमण्यम स्वामी के साक्ष्यों पर हमें पूरा भरोसा है ! भ्रष्टाचारियों की माँ कब तक खैर मनाएगी! हम सुप्रीम कोर्ट जायेंगे , सच को सामने लायेंगे !

'बापू' का पछतावा--डैड , चिंता-फिकर नॉट !!

कल रात 'बापू' मेरे सपने में आये, कहने लगे - "मुझे अपनी भूल पर भारी पछतावा है , पटेल की जगह नेहरु को प्रधानमन्त्री बनाकर बहुत बड़ी भूल की थी मैंने। यदि 'सदार पटेल' को प्रधानमन्त्री बनाया होता तो आज भारत को ये दुर्दिन नहीं देखना पड़ता। मेरे बच्चों मेरी भूल को दोहराना मत, उखाड़ फेंको विदेशियों को। दिव्या, मेरी लाडली , कुछ करो , ख़तम कर दो इस परिवारवाद को । किसी सच्चे और इमानदार को ही बैठाना अब गद्दी पर, जो देश और देशवासियों के बारे में सोचे, स्विस खातों में काला धन न भरे"। -----मैंने कहा-- " बापू, चिंता-फिकर नॉट , हम हैं न ! इस बार कोई माई का लाल ही बैठेगा गद्दी पर , न कोई इटालियन , न ही कोई ब्रितानी। डैड , आपकी गलती का प्रायश्चित हम करेंगे और भारतमाता को असली आज़ादी दिलायेंगे और अखंड भारत बनायेंगे। ये भारत भूमि अभी 'पटेलों' और 'देश के लालों' से खाली नहीं हुयी है।

हम लाये हैं तूफ़ान से , कश्ती निकाल के,
इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के।

जय हिंद
जय भारत,
वन्दे मातरम्

Zeal

Friday, February 3, 2012

झक्की दिग्गी

दिग्विजय सिंह ने 'लाटूर के भूकंप' और 'जापान की सुनामी' के लिए भी 'RSS' को जिम्मेदार ठहराया।

जय हो !

Zeal

Thursday, February 2, 2012

गांधी जी का चौथा बन्दर होता तो क्या कहता ?

विकल्प --

  • घोटाले मत करो , घोटाले मत सोचो, घोटाले मत देखो , जो हो चुके हैं , उन्हें भूल जाओ।
  • मनमोहन से चुप्पी साधना सीखो
  • राहुल से दलितों के घर चटखारे लेना सीखो
  • सोनिया मैम से अनाधिकार चेष्टा द्वारा भारतीयों को गुलाम बनाना सीखो
  • चुनाव आते ही मुस्लिम आरक्षण का ब्रम्हास्त्र चलाना सीखो कांग्रेस से
  • मंदिरों में घंटे मत बजाओ , आरती मत करो , शंखनाद मत करो , बस भोर बाये अजान सुनने की आदत डाल लो
  • या फिर ये कहता कि --"जागो हिन्दू जागो"

अथवा कुछ और कहता?

Zeal

Wednesday, February 1, 2012

बढती मुस्लिम आबादी एक विश्व-संकट (Muslim demographics (Europe, USA, Scandinavia)

हमारी भावी पीढियां एक पूर्णतया बदली हुयी संस्कृति में पैदा होंगी। किसी भी संस्कृति को बरकरार रखने में "जन्म-दर' का सबसे बड़ा योगदान है। आज अमेरिका, फ़्रांस, कनाडा, जर्मनी , स्वीडन , बेल्जियम , नीदरलैंड आदि में यूरोपियन्स की औसत जन्म दर . है जबकि मुस्लिम की जन्म-दर . है। इतनी तीव्रता से बढती मुस्लिम आबादी वहां की मौलिक सभ्यता को तेज़ी से समाप्त कर रही है

इस तरह तीव्रता से बढती आबादी द्वारा --

५० वर्षों में जर्मनी पूरी तरह मुस्लिम स्टेट हो जायेगा।
३९ वर्षों में फ्रांस में मुस्लिम गणतंत्र होगा।
१७ वर्षों में बेल्जियम की एक-तिहाई आबादी मुस्लिम होगी।

२०२५ तक अधिकाँश देशों की आधी सेना मुस्लिम होगी।

सन १९७० में अमेरिका में १००० मुस्लिम थे , जबकि २०१२ में ,०००००० हो गए हैं
यूरोप में इस समय मुस्लिम आबादी ५२ मिलियन है , जो एक दशक में बढ़कर दोगुनी हो जायेगी।

इन आकड़ों को देखते हुए अनुमानतः २०५० तक अन्य सभी सभ्यताएं समाप्त हो जायेंगी और सिर्फ इस्लाम बचेगा।
और फिर स्वीडन वाला हाल होगा जहाँ मुस्लिम सभ्यता का प्रसार हो जाने के कारण क्राईम , बलात्कार, अनाचार और हिंसा का बोलबाला है। लोगों के पास अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं है।

ये तो था पश्चिमी देशों का आंकड़ा और खतरा। भारतवासियों को समय रहते चेतना होगा। अपनी सभ्यता को बचाना होगा। देश में हो रहे मंदिरों के विनाश को रोकना होगा। अपने धर्म में आस्था रखनी होगी और निज में गर्व महसूस करने की ज़रुरत है।

आज हैदराबाद में "महालक्ष्मी मंदिर" में घंटे बजाये जाने पर प्रतिबन्ध लगा दिया है , कल को हमारी सांस लेने पर भी प्रतिबन्ध लगवा देंगे ये लोग। क्या हम भयभीत हैं ? या फिर कायर? या फिर नपुंसक ? जो अपने मदिरों में आरती और घंटे भी नहीं बजा सकते ? हमारे घंटे इन्हें तकलीफ देते हैं और ..इनकी अजान ?

कबीरदास जी के शब्दों में --

काकर-पाथर जोरी के , मस्जिद दियो बनाए,
ता चढ़ी मुल्ला बांग दे, का बहरा हुआ खुदाय ?

हमें ही ,
आतंकवादियों से खतरा है ,
ही आत्मघाती बोम्बर्स से ,
ना ही गोलियों से और ना ही तोप से,
केवल ये बढती मुस्लिम आबादी , बिना कुछ किये ही हमें पूरी तरह से समाप्त कर देने के लिए काफी है। और इसे बढ़ावा दे रहे हैं धर्म-भीरु, प्रवचनकारी-पाखंडी और छद्म-सेकुलर जमात।

जय हिन्दू,
जय भारत,
वन्दे मातरम् !

जय श्री राम !
जय महाकाल !

Zeal !



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