Monday, December 31, 2012

डायलौग डिलीवरी मत कीजिये प्रधानमन्त्री जी

"गैंगरेप पीडिता की मौत व्यर्थ नहीं जाने देंगे" --मनमोहन सिंह
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अब क्या इसको भी कैश करेंगे ? सियासत करेंगे मौत पर भी ? मरने वाले को ज़िन्दगी दे सकेंगे ? माता-पिता को नाजों में पली बेटी लौटा सकेंगे ? आनन्-फानन में चिता सुलगा कर खुद को सुरक्षित कर लिया ताकि हर आवाज़ खामोश कर सकें ?
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प्रधानमन्त्री  जी , हर लड़की को सुरक्षा दीजिये।   उसे जीने का अधिकार दीजिये।

डायलौग डिलीवरी मत कीजिये!

Zeal


Sunday, December 30, 2012

यह सरकार अब किसी भरोसे या स्पष्टीकरण का अधिकार नहीं रखती

जन आक्रोश से बचने के लिये ब्रिटिश सरकार ने भगत सिहँ, सुखदेव और राजगुरु की लाशों को गुप्त तरीके से आधी रात में ही जला दिया था। वह इम्पीरियलिज्म जिस की आज तक निन्दा होती है।

हमारी लोक ताँन्त्रिक परन्तु बेशर्म सरकार ने आज ब्रिटिश सरकार की भी हदें पार कर डाली हैं।

सरकार ने गैंग रेप पीडिता का दाह संस्कार प्रधान मन्त्री मनमोहन सिहँ और काँग्रेस अध्यक्ष सोनियां गाँधी की उपस्थिति में कर जनता के जागने से पहले ही सबूतों को मिटा डाला है।

भारत में ऐसा ना कभी हुआ था और शायद ना कभी होगा। अभी और भी गैंग रेप से पाडित इस देश में हैं। दो दिन पहले ऐक पीडिता ने आत्म हत्या भी कर ली थी। क्या सोनियां और प्रधान मन्त्री मनमोहन सिहँ उस लडकी के दाह संस्कार में शामिल हुये थे और आगे सभी दाह संस्कारों में उपस्थित रहा करें गे?

लोक ताँत्रिक व्यवस्थाओं में पारदर्शिक्ता लाने के बजाये सरकार ऐसा क्यों कर रही है? सोनियां की बीमारी छुपाई जाती है, उस की बीमारी पर विदेशी इलाज के खर्चे छुपाये जाते हैं, कालाधन वालों के नाम छुपाये जाते हैं। अब तो लगने लगा है कि अगर चीन या पाकिस्तान हमारे देश के किसी भाग पर अतिक्रमण कर ले गा तो सोनियां मनमोहन सिहँ उसे भी छुपा लें गे। क्या सरकार की नजर में भारतवासी विशवास के लायक नहीं रहै जो उन से सभी कुछ छुपाया जा रहा है? क्या यह देश सोनियां मनमौहन सिहँ की प्राईवेट प्रापर्टी बन चुका है?

यह सरकार अब किसी भरोसे या स्पष्टीकरण का अधिकार नहीं रखती। युवाओं का देश के प्रति अब यही कर्तव्य है कि इस सरकार को सत्ता से ही बे दखल करे और सोनियां मनमोहन सिहँ से देश वासियों के घोर अपमान का जबाब मांगे।

By Chand K Sharma

Thursday, December 27, 2012

डॉ अनीता शुक्ला का घटिया और वाहियात बयान ---

कृषि अनुसंधान केंद्र की वैज्ञानिक और लायंस क्लब की अध्यक्ष डॉ अनीता शुक्ला का घटिया और वाहियात बयान ---

"पीडिता अगर सात बलात्कारियों से घिर गयी थी तो समर्पण कर देना चाहिए था , हौले से बलात्कार करवा लेना चाहिए था ! इतना हंगामा ना करती तो आंत न निकालनी पड़ती ! स्वस्थ रहती। गलती लड़की की है , लड़कों की नहीं, न ही पुलिस की!"
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इतना शर्मनाक बयान देने वाली डॉ अनीता पर थूकना चाहिए , जो स्त्रियों को इज्ज़त लुटने वक़्त समर्पण की सलाह दे रही हैं!
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मेरा व्यक्तिगत विचार-- लड़कियों को जूडो-कराटे सीखना चाहिए!  खुद को बेहद मज़बूत बनाना चाहिए ! सेल्फ-डिफेंस में इस बलात्कारियों  को मौत के घाट  उतार देने का जज्बा रखना चाहिए!  इज्ज़त लुटे उससे बेहतर से संघर्ष करें ! हिम्मत और हौसला रहेगा तो तो ये छिछोरे, नपुंसक कुछ नहीं बिगाड़ सकेंगे !

वस्त्र बेहद सुविधाजनक होने चाहिए ! लड़कों की तरह ही सुविधानक कपडे और स्पोर्ट्स-शू पहनने चाहिए , ताकि वक़्त ज़रुरत जो-चार किक मुंह पे जड़ सके ! नाखूनों से इन नपुंसकों की आखें फोड़ देनी चाहिए और पेचकस रखें साथ में ताकि इनकी आँतों का फालूदा बनाकर इनके परिजनों को सौपा जा सके!



Monday, December 24, 2012

लाचार भारत की एक तस्वीर

आज़ादी के बाद देश में भ्रष्टाचार बढ़ा है ।
लोकतन्त्र के साये में कुल का आकार बढ़ा है॥
भारत भ्रष्टाचार राशि दोनों की एक रही है ।
काँग्रेस के साथ करप्शनका भी हाल यही है॥
पहले केवल हरे नोट पर गान्धी जी आए थे।
उसके माने काँग्रेस ने हमको बतलाए थे ॥
चपरासी बाबू अफसर जब दफ्तर में तन जाए।
हरा नोट दिखला दो बिगड़ा हुआ काम बन जाए॥
आम आदमी को पहले इसकी आदत डलवाई ।
उस के बाद करप्शन की सीमायें गईं बढ़ाई ॥
दस के बाद पचास बाद में सौ पर बापू आए ।
उसके बाद करप्शन ने अपने जौहर दिखलाए ॥
काँग्रेस ही सूटकेस की धाँसू कल्चर लाई ।
बापू की तस्वीर पाँच सौ के नोटों पर आई॥
दो गड्डी में पेटी भर का काम निकल जाता है।
लेन देन का धन्धा भी सुविधा से चल जाता है॥
अब तो चिदम्बरम साहब चश्में को पोंछ रहे हैं।
भ्रष्टाचार घटाने की तरकीबें सोच रहे हैं ॥
बड़े-बड़ों के घर आए दिन छापे डाल रहे हैं ।
गान्धी बाबा गड़े हुए हैं उन्हें निकाल रहे हैं ॥
पहले सारा गड़ा हुआ धन ये बाहर ले आए ।
फिर हजार के नोटों पर गान्धीजी को छपबाए॥
पेटी अब पैकेट बनकर पाकेट में आ जाती है।
सोन चिरैया भारत में अब नजर नहीं आती है॥
लालू एक हजार कोटि की सीमा लाँघ चुके हैं।
नरसिम्हा चन्द्रास्वामी सब इसे डकार चुके हैं॥
माया के चक्कर में बी.जे.पी. ने साख गँवाई।
छ: महिने में माया ने अपनी माया दिखलाई॥
गली- गली नुक्कड़-नुक्कड़ चौराहे-दर-चौराहे।
बाबा साहब भीमराव के स्टेचू गड़वाए ॥
नोटों पर गान्धी बाबा ने अपना रंग दिखाया ।
चौराहे पर बाबा साहब ने वोटर भरमाया ॥
स्विस-लाण्ड्री से जिनके कपड़े धुलकर आते थे।
और मौज मस्ती को जो स्वित्ज़रलैंड जाते थे॥
काँग्रेस ने उनसे इन्ट्रोडक्शन करा लिया है।
नाती-पोतों के खातों का मजमा लगा दिया है॥
रानी की शह पाकर ए.राजा ने हद कर डाली।
कलमाड़ी के कीर्तिमान की कली-कली चुनवा ली॥
मनमोहन बन भीष्म बैठकर नाटक देख रहे हैँ।
चीर- हरण हो रहा और वे आँखें सेंक रहे हैँ ॥
अब तक 65 सालों में जो कुछ हमने पाया है।
वह सब विश्व बैंक के चैनल से होकर आया है॥
काँग्रेस का बीज यहाँ अँग्रेजों ने बोया था ।
जिसके कारण भारत का जो स्वाभिमान खोया था॥
उसको योग-क्रान्ति के द्वारा फिर वापस लाना है।
'क्रान्त' का ये सन्देश आपको घर- घर पहुँचाना है॥
ओम् 'क्रान्ति'!!!

By Dr M L Verma Krant 

Friday, December 21, 2012

पूर्णता और सम्पूर्णता


स्त्री और पुरुष एक दुसरे के बगैर अधूरे हैं। विवाह अथवा प्रेम पूर्णता लाता  है , लेकिन 'सम्पूर्णता' नहीं! एक पुरुष के जीवन में उसकी पत्नी के अतिरिक्त उसके माता-पिता, भाई-बहन ,मित्र , नौकरी , कलीग , पडोसी और समाज , सभी का कुछ न कुछ योगदान होता है उसके जीवन को पूर्ण बनाने में। उसी प्रकार एक स्त्री के जीवन में उसके पति अथवा प्रेमी के अतिरिक्त , उसके माता-पिता, भाई, बहन, परिजन, उसकी अपनी महत्वाकांक्षाएं और समाज सभी का थोडा-थोडा योगदान होता है उसके जीवन को पूर्ण बनाने में!

अतः किसी का यह कहना की वो अमुक व्यक्ति को सभी खुशियाँ दे देगा , यह मात्र एक भ्रम है!  आप किसी के भी जीवन में पूर्णता तो ला सकते हैं लेकिन सम्पूर्णता नहीं !

Zeal

Wednesday, December 19, 2012

वीर बलात्कारी पुरुष

भारत भूमि में जहाँ स्त्री को इतना सम्मान दिया जाता था, वहीँ आज स्त्री को मात्र  उपभोग की वस्तु  समझा जा रहा है। उसे आम की तरह चूसकर, फिर उसे दर्दनाक तरीके से मार-मारकर चलती गाडी से फेंक दिया जाता  है!  बलात्कारी खुले सांड की तरह घुमते हैं , सत्ता चैन की वंशी बजाती है और स्त्री कलप-कलप  कर मरती है!

दिल्ली में  गैंग रेप  की शिकार एक युवती जिस तरह की असहनीय मानसिक और शारीरिक पीड़ा से गुज़र रही है, उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। उसके माता पिता जितने दारुण दुःख झेल रहे हैं उसका अनुमान भी नहीं  कर सकते हैं ये वीर बलात्कारी!

दिल्ली की मुख्यमंत्री को यदि लड़कियों की सुरक्षा की ज़रा भी चिंता होती तो दिल्ली पुलिस को चप्पे-चप्पे पर चाक-चौबंद कर देती और ऐसे हादसों की पुनरावृत्ति नहीं होती ! लेकिन नहीं एक मुख्यमंत्री जो स्वयं स्त्री हैं , वे इतनी असंवेदनशील क्यों हैं ?  उनके राज में अश्लीलता, बर्बरता , CRIME और बलात्कार की घटनाएं  बहुत तेज़ी से बढ़ी हैं !

यदि पुलिस और प्रशासन स्त्रियों की सुरक्षा नहीं कर सकती और अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा सकती तो उसे इस्तीफ़ा दे देना चाहिए ताकि कोई और काबिल इंसान महिलाओं की सुरक्षा कर सके और उनको भी जीने का अधिकार दे सके !


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घटना का ताज़ा अपडेट--

By Kumar Rakesh--देल्ही रेप मार्क लड़की के बचने की उम्मीदें बेहद कम दिखाई दे रही हैं.
डॉक्टर के मुताबिक लड़की के शरीर में बुरी तरह दर्द है, सांस लेने में काफी तकलीफ है. नब्ज 130 पर है, जो सामान्य 72 से काफी ज्यादा है. संक्रमण बढ़ने से खूनमें प्लेटलेट्स
स्तर गिरकर 48 हजार रह गया है. जो सामान्य हालत में डेढ़ लाख से साढ़े 4 लाख होता है. पल्स रेट बढ़ना और प्लेटलेट्स घटना चिंता का कारण है.
वारदात के करीब 36 घंटे बाद मंगलवार सुबह पीड़ित लड़की को होश आया था, लेकिन वो बोल नहीं पाई. वह बोल नहीं पा रही है. उसने अपनी मां के नाम कई संदेश लिखे हैं. उसनेएक मैसेज लिखा है, 'मां, मैं जीना चाहती हूं!' रोते हुएउसने कागज पर अपना दर्द
बयान किया- 'लिफ्ट माई लेग, क्लीन माई थ्रोट' यानी मेरा पैर उठाओ और मेरा गला साफ करो. इसके बाद वो छत कीतरफ ताकती रही
और आंखों से आंसू निकलते रहे.
बीजेपी नेता मीनाक्षी लेखी ने बताया कि उसकी हालत बेहद खराब है. डॉक्टरों ने मुझे कहा है कि मर्द होने के नाते वो मुझे ये बताने की हालत में नहीं हैं कि पीड़ित लड़कीको क्या-क्या दिक्कतें हैं.
सूत्रों के मुताबिक उसकी आंतों में गहरी चोट है. उसके पेट पर किसी भारी चीज से वार किया गया. शरीर के अंदरूनी हिस्सों में कई जगह गंभीर चोटें हैं. गले औरबाहों में चोट के काफी निशान हैं. सिर को बार-बार फर्श या दीवारों पर पटका गया, जिससे 23 टांके लगाने पड़े
रीढ़ की हड्डी में भी चोट आई है. लड़की अब तक 5 बार कोमा में जा चुकी है. डॉक्टर लगातार लड़की का डायलिसिस कर रहे हैं. अब तक उसकी 5 बार लाइफ सेविंग सर्जरी की जा चुकी है।
Amar Verma ताजा अपडेट
#DelhiGangrape
चलती बस में गैंगरेप का शिकार हुई
लड़की की हालत और बिगड़ गई है। सफदरजंग
अस्पताल के सात डॉक्टरों ने गैंग रेप की शिकार

लड़की की हालत पर ऑफ दी रिकार्ड ब्रीफिंग में
ये बात कही। डॉक्टरों ने
बताया कि लड़की की हालत में ज्यादा सुधार
नहीं आया है। डॉक्टरों ने कहा कि लड़की ने कल
इशारे में थोड़ी बातचीत की थी, लेकिन लेकिन
आज वो इशारे में भी बात नहीं कर पा रही है।
सर्जरी से पहले कल लड़की ने अपने मां और
पिता से बात की थी। डॉक्टरों ने कहा कि पाइप
के जरिये लड़की को लिक्विड भोजन
दिया जा रहा है और उसे अभी भी वेंटिलेटर पर
रखा गया है।
डॉक्टरों के मुताबिक फिलहाल लड़की के शरीर में
कोई इंफेक्शन नही है, लेकिन इंफेक्शन
का खतरा बना हुआ है। हम पूरी तरह ख्याल रख
रहे हैं। अभी तक आंतों में गंभीर जख्म है।
लड़की 40 मिनट तक बस में और उसके बाद एक
घंटे तक सड़क पर रहने के बावजूद वो कैसे बच गई
ये हैरत की बात है।लड़की को खून देने वाले
लोगों का अस्पताल में तांता लगा हुआ है। कल
सर्जरी के पहले वो जिस तरह बात कर
रही थी आज सर्जरी के बाद आज वो बातचीत
नहीं कर पा रही है। उसकी हालत जस के तस
बनी हुई है।


  • Smart Rajat Gupta Journalist · Friends with Sanjay Agarwal
    DELHI :- रेप पीड़ित छात्रा ने लिखा, मुझे जीना है मा
    दिल्ली में रविवार को गैंगरेप का शिकार बनी छात्रा की हालत नाजुक बनी हुई है. सोमवार को अस्पताल में भर्ती हुई छात्रा की मौत से जंग जारी है, लेकिन इस बीच गजब की हिम्मत दिखाते हुए इस लड़की ने अपनी मां को एक संदेश लिखा.
    पीड़ित छात्रा वेंटीलेटर पर है. डॉक्टरों की कहना है कि अभी उसके बारे में कुछ कहा नही जा सकता, जख्म गहरे हैं और हालात नाजुक है. पीड़ित छात्रा अभी भी कुछ बोल नहीं पा रही है लेकिन उसने अपनी मां को संदेश लिखा और इस संदेश से हमारे समाज का एक कड़वा सच सामने आ गया है.
    संदेश में उसने लिखा, 'उस रात मेरा क्रेडिट कार्ड भी चला गया. वो दरिंदे मेरा मोबाइल भी उठा कर ले गए, लेकिन घर पर जो मेरा पुराना मोबाइल पड़ा है उसमें मेरे दो दोस्तों का नंबर है. उन्हें फोन करके बोल दीजिएगा कि मैं तीन महीने के लिए बाहर गई हूं.'
    ये एक लड़की होने का दर्द है. इस दर्द को समझना भी आसान नहीं है. लेकिन ये लड़की ना सिर्फ ये दर्द बर्दाश्त कर रही है बल्कि पूरे जज्बे के साथ इससे लड़ भी रही है. लेकिन शायद ये लड़की होने की मजबूरी है या फिर हमारे समाज और उसकी सोच से जो माहौल बना है उसकी मजबूरी. ये लड़की अपने दोस्तों के बीच वापस तो जाना चाहती है, लेकिन नहीं चाहती कि उन्हें कुछ भी पता चले.
    पीड़ित छात्रा को ये नहीं पता कि दो दिन से पूरा देश बस उसकी ही चर्चा कर रहा है. उसे ये भी नहीं पता उसके साथ आज पूरा समाज खड़ा है, उसे हौसला देने के लिए हर शख्स आगे आने को तैयार है. लेकिन इस सब के बीच एक बड़ा सच ये भी है कि जिस लड़की के साथ ऐसी बड़ी वारदात हो जाती है. वो भी सबसे पहले इसे छिपाना चाहती है.
    REPORT:-Smart Rajat Gupta Journalist DELHI
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Tuesday, December 18, 2012

आतंकवादियों का सम्मान करना कोई कांग्रेसियों से सीखे




दिग्विजय जी आतंकवादी ओसामा को 'जी' कहकर संबोधित करते हैं तो श्रीमान शिंदे जी आतंकवादी हाफ़िज़ सईद को 'श्री' कहकर सम्मान देते हैं !
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दोनों में से कौन ज्यादा महान है?

Monday, December 17, 2012

बहारों फूल बरसाओ , मोदी का रंग छाया है ...




 नरेन्द्र मोदी की हैट्रिक --बधाईयाँ, मिठाईयाँ, शहनाईयां---मोदी दिल्ली आओ --स्वागत है ..

Zeal

Saturday, December 15, 2012

कांग्रेसियों कि एक और कारगुजारी

घोटालो से घिरे कांग्रेसियों कि एक और कारगुजारी सामने आयी है सरकार ने देश के पहले स्वतंत्रता संग्राम के शहीदों की कर्मभूमि रहे अंडमान तथा निकोबार के ‘वाइपर द्वीप’ को एक विदेशी कंपनी को मरीना एवं होटल बनाने के लिए मात्र एक रुपये के पट्टे पर नीलाम कर दिया है। ऐसा करके सरकार ने न केवल लोगो की भावनाओं को बल्कि सुरक्षा और सामरिक महत्व के मुद्दों को भी दरकिनार करदिया।

ज्ञात हो कि-
(वाइपर द्वीप जेल का इत
िहास काले पानी के नाम से विख्यात सेल्युलर जेल से भी 50 वर्ष पुराना और कहीं अधिक क्रूर तथा खौफनाक है। ब्रिटिश हुकुमत के जुल्मों के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के 200 सेनानियों को बेड़ियों में जकड़कर 1858 में इसी निर्जन द्वीप पर खुली जेल में जानवरों की तरह एक दूसरे से बांध कर रखा गया था। आजादी के इन मतवालों को ब्रिटिश जेलर सात-सात की संख्या में एक दूसरे से बेड़ियों में बांध कर रखते थे और इन्हें ‘चेन गैंग’ का नाम दिया गया था। सरकार ने शहीदों की इस बलिदान और कर्मभूमिको धरोहर की तरह सहेज कर रखने के बजाय मलयेशिया की कंपनी रीकान पी एमएम प्राइवेट लिमिटेड को विदेशी लक्जरी याचों के लिए 50 बर्थ का मरीना तथा होटल बनाने के लिए एक रुपये प्रति वर्ष के पट्टे पर दे दिया है। इसके लिए सरकार कंपनी को सब्सिडी भी देगी तथा बिजली और पानी की सुविधा भी उपलब्ध कराएगी।अंडमान तथा निकोबार द्वीप समूह के सांसद विष्णु पद रे ने बताया कि अंडमान प्रशासन ने इसके लिए न तो उनके और न ही अन्य राजनीतिक दलों के साथ कोई बातचीत की। उन्होंने दावा किया कि सुरक्षा तथा सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस द्वीप पर यह प्रोजेक्ट बनाने से पहले संबंधित एजेंसियों से अनापत्ति प्रमाण पत्र भी नहीं लिया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन किसी भी कीमत पर शहीदों की इस भूमि को अय्याशी का अड्डा बनाने पर आमादा है। उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण रक्षा प्रतिष्ठानों के वाइपर के निकट होने से अंडमान द्वीप समूह और देश की सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी।)

न्यूज स्रोत-
~@Social Media

प्रेम की कोई भाषा नहीं होती...



मेरा फ़्लैट दुसरे माले पर है ! सुबह बालकनी में धूप ले रही थी कि निगाह कार पार्किंग में गयी ! सुरेश जल्दी-जल्दी सभी कारें साफ़ करने में लगा था , पता नहीं एक दिन में कितनी कार साफ़ कर डालेगा ... उसे तो बस हर कार मालिक से 300 रूपए महीने पाने थे!

अचानक मेरी निगाह नीचे खड़े काले कुत्ते पर गयी , मुंह उठाये दुसरे माले पर मुझे देख रहा था ! प्रेम के लिए अपनी गर्दन को बेवजह इतनी तकलीफ दे रहा था ! मुझे उसका अपनापन बहुत अच्छा लगा ! मैंने मुस्कुरा दिया तो उसने पूंछ और जोर से हिलानी शुरू कर दी ... फिर अपनी जगह बदलकर ठीक मेरी बालकनी की सिधान में आ गया और 180 डिग्री पर सर उठाकर निहारने लगा ! मेरे पास पूंछ तो थी नहीं की उसका प्रेम रेसिप्रोकेट कर सकती , अतः बाय बाय की मुद्रा में हाथ हिलाया ...कुत्ता जोर जोर से पूँछ हिल रहा था ...शायद पूर्व जन्म का मेरा दोस्त था .....फिर मैं अन्दर आ गयी ....दोनों पर इमोशनल अत्याचार ज्यादा हो रहा था  ....

MORAL of the story -- प्रेम की कोई भाषा नहीं होती ...कभी हिंदी में , कभी स्पैनिश में ...कभी पूंछ हिलाकर .....


Zeal

Wednesday, December 12, 2012

एक अहम् आलेख - अवश्य पढ़िए

एक समय था जब भारत देश में अंध विश्वास के नाम पर मूर्ख बनाकर उनकी मासूमियत का नाजायज लाभ उठाया जाता था लेकिन अब समय बदल गया है। उन्नत तकनीक के साथ-साथ शातिर दिमाग वालों ने नयी राहें खोज निकाली हैं लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ करके उनके भोलेपन का नाजायज़ फायदा उठाने के लिए!

और इस नयी विकसित स्वार्थी तकनीक का नाम है -'सेक्युलेरिज्म' अथवा धर्म-निरपेक्षता।

धर्मनिरपेक्ष का अर्थ होता है एक ऐसा प्राविधान जिसके तहत किसी भी धर्म विशेष को कोई विशेष अधिकार या सुविधायें न प्राप्त हों।  सभी धर्मों के लिए एक जैसा मापदंड हो। किसी के भी साथ किसी प्रकार का अन्याय न होने पाए! सभी अपनी-अपनी आस्थाओं के साथ और एक जैसी सुख सुविधाओं के साथ सुकून से जियें!

लेकिन अफ़सोस कि भारत देश ने इन मापदंडों को कभी नहीं माना। इसके विपरीत भारत की सरकारों ने धर्म-निरपेक्ष शब्द के मायने ही बदल दिए ! हमारे देश में सेक्युलर होने का अर्थ हो गया 'मुस्लिम तुष्टिकरण' ! हर राज्य की सरकार स्वयं को सबसे बड़ा सेक्युलर सिद्ध करने की होड़ में लग गयी , लेकिन सभी की दौड़ 'मुस्लिम तुष्टिकरण पर जाकर ही समाप्त हुयी !

बंगाल में तसलीमा नसरीन जैसी  विश्व विख्यात लेखिका को राज्य से निकाल दिया गया क्योंकि उन्होंने इस्लाम की सच्चाई से पर्दा उठा दिया था! यही हश्र सलमान रुश्दी का भी किया गया। 

मुस्लिमों को आरक्षण देकर हिन्दुओं के अधिकारों का दमन भी धर्म-निरपेक्षता नहीं अपितु 'मुस्लिम तुष्टिकरण है'

हिन्दुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ करते हुए अनेक राज्यों में कत्लखाने खुलवाना और गोहत्या करवाना क्या धर्म-निरपेक्षता है या फिर मुस्लिम तुष्टिकरण?

उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह और अखिलेश यादव द्वारा जो किया जा रहा है वो सर्व-विदित है! मुस्लिम बच्चियों की शिक्षा के लिए 30 हज़ार दिए जायेंगे और हिन्दू बच्चियां को ?

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इमानदारी का हवाला देते हुए एक मुसलमान एस ए इब्राहिम को खुफिया ब्यूरो का प्रमुख बनाया। उनसे चार वरिष्ठ और काबिल अफसरों को नज़र अंदाज़ कर उन्हें खुफिया ब्यूरो का प्रमुख नियुक्त किया है। ये मुस्लिम तुष्टिकरण की गन्दी राजनीति नहीं तो और क्या है?

अजमल कसाब और अफज़ल गुरु जैसे घृणित आतंकवादियों को शाही दामाद की तरह रखना वोट बैंकों के ध्रुवीकरण की सस्ती राजनीति है , जिसे सरकार धर्म-निरपेक्षता कहकर हिन्दुओं पर कहर बरपा रही है और मुसलामानों से उनका स्वाभिमान छीन रही है !

मुसलमान कठपुतली बनकर जीने को मजबूर हो गए हैं और हिन्दू लाचार बना दिए गए हैं।

इस सब का कारण है छद्म धर्म निरपेक्षता अर्थात मुस्लिम तुष्टिकरण!

Monday, December 10, 2012

जस्टिस काटजू का वर्गीकरण - देखिये तो आप किस श्रेणी में हैं

जस्टिस काटजू का कहना है की भारत की जनता में 90% ईडियट हैं , लेकिन उन्होंने यह नहीं स्पष्ट किया की वे कौन से लोग हैं ! अतः पाठकों की सुविधा के लिए कुछ श्रेणियों का उल्लेख कर रही हूँ , देखिये तो आप किस श्रेणी में उपयुक्त बैठते हैं! 90 में अथवा 10 प्रतिशत वाली श्रेणी में !

  • वे, जो मात्र 200 रूपए में धर्म के नाम पर दंगा करते हैं।
  • वे, जो कभी वोट देने ही नहीं जाते बस नेताओं को भला-बुरा कहते रहते हैं!
  • वे, जो महंगे-महंगे कुत्ते पालते हैं , लेकिन ठण्ड से कांपते और भूख से मरते इंसानों को देख आगे बढ़ जाते हैं।
  • वे, जो 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' पर अंकुश लगाते हैं।
  • वे, जो खुद को सबसे चतुर समझते हैं लेकिन अन्य राजनैतिक दलों का भंडाफोड़ करना ही अपना सबसे बड़ा नैतिक दायित्व समझते हैं।
  • वे, जो लड़के की चाहत में कन्या भ्रूण हत्या करते हैं।
  • वे, जो धर्म के नाम ऊँट और गाय हलाल करके जन्नत पाते हैं।
  • वे, जो स्वाभिमान की बलि चढ़ाकर राजनैतिक पार्टियों का वोट-बैंक बनते हैं। 
  • वे, जो रहते तो भारत में हैं, लेकिन वन्दे मातरम् कहने से बहुत परहेज़ करते हैं।
  • वे, जो किटी-पार्टीज़ में व्यस्त रहती हैं और लोकतंत्र का आ-बा-सा भी नहीं जानती, बस शाबासी चाहती हैं!
  • वे, जो केवल कल्पनाओं की दुनिया में रहते हैं , वास्तविकता से कोई सरोकार नहीं रहता। 
  • बहुसंख्यक अपना अधिकार मारे जाने पर भी सेक्युलर बने रहते हैं!

कोई कैटेगरी छूट गयी हो तो कृपया बतावें ! और जाते जाते अपनी श्रेणी भी बताते जावें तो महती किरपा होवेगी


जय हिन्द !
वन्दे मातरम् !

मर्द या फिर हत्यारे ?


धर्म के नाम पर मर्दानगी दिखाते मर्द या फिर हत्यारे ?

अहिंसा परमो धर्मः 

Zeal

नाम की महिमा

जब भी कोई बड़ा काम कीजिये , 'स्तरीय' कीजिये ! श्रीमान रघु जी की तरह 'ROADIES' (सड़कछाप) बनने और युवाओं को गाली गलौच सिखाने का कोई औचित्य नहीं है! आमिर खान की 'THREE IDIOTS' जैसी फिल्मों में सस्ता मनोरंजन तो है लेकिन वो युवाओं को दिग्भ्रमित भी करता है ! शिक्षकों का कैसे मखौल उडाना है , यह ऐसी फिल्मों से भली-भाँती सीखा जा सकता है! व्यक्ति को अपने हर शब्द के प्रति जिम्मेदार होना चाहिए ! हमारे द्वारा आज की तारीख में लिखा हर शब्द कल का इतिहास होगा ! अतः हर शब्द गरिमामयी हो , अर्थपूर्ण हो और प्रेरणादायी हो, चाहे वो किसी संस्था का नाम हो अथवा आपके ब्लौग का नाम , अथवा आपकी संतानों का नाम !--नाम की महिमा बहुत है ! --जय हिन्द! वन्दे मातरम् !

Zeal

Sunday, December 9, 2012

फिर से कोई नेहरू और कोई मोहम्मद अली जिन्नाह पैदा हो जाएगा..

If wealth is lost, nothing is lost
If Health is lost, something is lost
If Character is lost , Everything is LOST.


हमारे देश के नेताओं ने तो अपना चरित्र ही खो दिया है ! FDI के मुद्दे पर जिस तरह से मत विभाजन हुआ है , सिर्फ अपने स्वार्थ को देखा है उन्होंने ! किसान, खुदरा व्यापारी और आम जनता के हितों का ध्यान कतई नहीं रखा गया ! सिर्फ अपनी-अपनी कुर्सी बचाने के लिए सस्ती-गणित की गयी है ! विदेशी आकर हमें लूट भी लें तो भी , गुलाम भी बना लें तो भी इन राजनेताओं पर क्या फरक पडेगा भला? आत्महत्या तो किसान करेंगे ! मरेगी और भुगतेगी तो आम जनता ही , इनका क्या जाएगा ! फिर से कोई नेहरू और कोई मोहम्मद अली
जिन्नाह पैदा हो जाएगा!

Zeal

Thursday, December 6, 2012

रंगे सियार ..


आखिर दोनों रंगे सियारों ने कल संसद में अपनी जात दिखा ही दी !

जय हिन्द !


Wednesday, December 5, 2012

फेसबुकिये लिखें तो पाप?

मणिशंकर अय्यर यदि विरोधी पार्टी के सदस्यों को ---"जानवर"--- कह दें तो सरकार एक फॉर्मल माफ़ी मांग के छुट्टी पा जाती है, लेकिन फेसबुक पर यदि कोई कुछ लिख दे तो गिरफ्तारी , जुर्माना और तीन साल की सज़ा मिलती है। अय्यर जैसे राजनेता , जिन्हें बेस्ट सांसद का अवार्ड मिल चुका है वे जपने विशेषाधिकारों का हनन करते हैं , साथ ही इनकी पार्टी हमारी "अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता" का भी हनन करती है। आप कहें तो पुण्य और फेसबुकिये लिखें तो पाप?  गजब है आपकी दोहरी मानसिकता!

वैसे अय्यर टाइप का एक पुरुष ब्लॉगर भी है जो खुद को हीरो-बाघ कहता है , साथी पुरुष ब्लॉगर्स को "चमड़ोधा कुत्ता" और महिला ब्लॉगर्स को "लोमड़ी" कहता है! ऐसे गाली-गलौच करने वाले राजनेता और ब्लॉगर्स की क्या  सज़ा होनी चाहिए ?

Monday, December 3, 2012

डॉ राजेन्द्र प्रसाद पर गर्व करता है सारा हिन्दुस्तान

 डॉ राजेन्द्र प्रसाद -
-भारत के प्रथम राष्ट्रपति का जन्म , बिहार के जिला सीवान में ३ दिसंबर  १८८४ को हुआ था। इनके पिता नाम महादेव सहाय तथा माता का नाम कमलेश्वरी देवी था।
-ये भारत के एक मात्र ऐसे प्रेसिडेंट थे जो अपनी तनख्वाह का चौथाई हिस्सा , संस्कृत के विद्यार्थियों को दे देते थे।
-विद्या के धनी डॉ राजेन्द्र प्रसाद गोल्ड मेडलिस्ट थे । परीक्षा में कहा जाता था-' अटेम्प्ट ऐनी फाइव '....राजेंद्र प्रसाद सभी प्रश्न हल करके लिख देते थे - " चेक ऐनी फाइव '
- भारत का पहला संविधान १९४८-१९५० , डॉ राजेंद्र प्रसाद ने बनाया था।
-इन्हें भारत के सर्वोच्च पुरस्कार 'भारत-रत्न ' से पुरस्कृत किया गया।

आजादी के बाद , गांधी जी ने राजेन्द्र प्रसाद को प्रधान मंत्री बनाना चाह तो इन्होने अस्वीकार कर दिया और नेहरु को बनाने के लिए कहा। फिर गांधी जी ने इन्हें राष्ट्रपति बनाना चाह तो इन्होने अस्वीकार करते हुए कहा की- " मैं कर्ज में डूबा हुआ हूँ और मैं नहीं चाहता की आजाद भारत का पहला प्रेसिडेंट कर्जदार हो। तब गाँधी जी ने जमुना लाल बजाज को बुलाकर इनको कर्ज-मुक्त कराया और तब ये राष्ट्रपति बने।

नेहरु जी द्वारा प्रस्तुत - ' हिन्दू कोड बिल ' को जब डॉ राजेंद्र प्रसाद के सामने लाया गया तो उन्होंने उसे अस्वीकार कर दिया, काट-छाँटके बाद दुबारा लाया गया तो पुनः आपति जाहिर की, तीसरी बार में जाकर वह बिल पास` हुआ । तब तक उसका दो-तिहाई हिस्सा हटाया जा चूका था। यदि वो बिल उस समय पूरा पास हो जाता तो भारत का नैतिक मूल्य जो आज आजादी के साठ साल बाद गिरा है, वो तभी गिर चुका होता।

उस बिल पर डॉ राजेन्द्र प्रसाद को सख्त आपत्ति थी। उन्होंने लिखा है -- [" Had there been any clause of referendum in the constitution of India, the electorate would have decided the question. "]

यानि, यदि यह संवैधानिक अधिकार जनता के पास होता तो यह बिल कभी पास नहीं होता।

भोपाल त्रासदी (MIC)

आज के दिन 3 दिसंबर 1984 को देश की सबसे बड़ी त्रासदी जिसमें भोपाल में गैस (MIC) त्रासदी में तकरीबन 25 हज़ार मौतें हुयीं। भोपाल में उस त्रासदी का आरोपी वारेन एंडरसन फरार है क्यों सरकार ने फिरंगियों से रिश्वत  जो खायी है ! नहीं पकड़ेगी उसे ! नहीं मिलेगा न्याय मरने वालों को और उनके बचे-खुचे व्याधिग्रस्त परिवार जनों को! आज भी भोपाल में उस त्रासदी से प्रभावित लोगों की संतानें विकलांग पैदा हो रही हैं , लेकिन सरकार इन सब बातों से बेपरवाह है !