आरोप लगते रहते हैं मुझ पर
की मैं पाषाणहृदय हूँ
प्रेम से परे, ह्रदय विहीन
रुक्ष, शुष्क और नमी के
अभाव से ग्रस्त ...
.
सोचने पर मजबूर हो गयी
कि सत्य क्या है
मानने पर विवश हो गयी
कि सत्य यही है
लेकिन मस्तिष्क इस सत्य को
स्वीकार करने को तैयार नहीं था ...
.
बच्चों ने कहा -बेस्ट ममा
पति ने कहा -वंडरफुल वाईफ
भाई ने कहा- नटखट बहना
पिता ने कहा- गर्व है तुम पर
सास ने कहा - घर कि लक्ष्मी
मित्रों ने कहा -मेरी हो तुम...
.
सोचने पर मजबूर हो गए
थोड़ा सा कन्फ्यूज़ हो गए
जो राष्ट्र का सतत चिंतन करता हो
समाज कि अवहेलना से व्यथित होता हो
लोकतंत्र का एक स्तम्भ बनकर खड़ा हो
निष्ठां से सारे दायित्व निभा रहा हो ...
.
क्या वो प्रेम और समर्पण से दूर है?
हृदयविहीन , रुक्ष और शुष्क है?
की मैं पाषाणहृदय हूँ
प्रेम से परे, ह्रदय विहीन
रुक्ष, शुष्क और नमी के
अभाव से ग्रस्त ...
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सोचने पर मजबूर हो गयी
कि सत्य क्या है
मानने पर विवश हो गयी
कि सत्य यही है
लेकिन मस्तिष्क इस सत्य को
स्वीकार करने को तैयार नहीं था ...
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बच्चों ने कहा -बेस्ट ममा
पति ने कहा -वंडरफुल वाईफ
भाई ने कहा- नटखट बहना
पिता ने कहा- गर्व है तुम पर
सास ने कहा - घर कि लक्ष्मी
मित्रों ने कहा -मेरी हो तुम...
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सोचने पर मजबूर हो गए
थोड़ा सा कन्फ्यूज़ हो गए
जो राष्ट्र का सतत चिंतन करता हो
समाज कि अवहेलना से व्यथित होता हो
लोकतंत्र का एक स्तम्भ बनकर खड़ा हो
निष्ठां से सारे दायित्व निभा रहा हो ...
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क्या वो प्रेम और समर्पण से दूर है?
हृदयविहीन , रुक्ष और शुष्क है?