मायावती जी ने लखनऊ शहर को पत्थरों के शहर में तब्दील करके हरियाली ही छीन ली थी। अब अखिलेश बाबू उनसे भी दो कदम आगे निकले। शहर के dividers पर लगे हरे , घने, सायादार वृक्षों को बेरहमी से कटवा कर शहर का सुन्दरीकरण कर रहे हैं। पढाई लिखाई सब व्यर्थ है यदि वृक्षों का महत्त्व ही न समझें तो। उत्तर भारत की चटकती धूप में जहाँ रिक्शेवाले, खीरे-ककड़ी वाले, आम पथिक और विद्याथी उन वृक्षों की सघन छाया से थोडा राहत पा जाते थे , वह भी अब नसीब नहीं होगा। अलीगंज में वर्षों में उगे हुए इन सघन वृक्षों की बेदर्दी से कटाई अत्यंत दुखद एवं खेदजनक है।
Friday, March 30, 2012
सुखी एवं खुश रहने का मूल मन्त्र
बस एक ही मन्त्र है । कभी किसी से कोई अपेक्षा मत रखिये। अपेक्षाएं कभी पूरी नहीं होतीं। पूरी ना हो पाने की अवस्था में मन को दुखी एवं अवसादित करती हैं। अच्छे- भले रिश्ते भी इन अपेक्षाओं की भेंट चढ़कर ख़ाक हो जाते हैं। दूरियां बढती हैं और दरारें आती हैं रिश्तों में। खुद को इतना सक्षम बनाईये की आप अपने सपनों को साकार कर सकें। सपने भी उतने ही देखिये जिन्हें पूरा कर पाने का सामर्थ्य हो आपमें। किसी दुसरे से अपेक्षाएं पालकर अपना और दुसरे का जीवन दूभर मत कीजिये।
Greater the expectations , greater the disappointments
Zeal
Greater the expectations , greater the disappointments
Zeal
Labels:
Expectations
सुखी एवं खुश रहने का मूल मन्त्र
सुखी एवं खुश रहने का मूल मन्त्र -- बस एक ही मन्त्र है । कभी किसी से कोई अपेक्षा मत रखिये। अपेक्षाएं कभी पूरी नहीं होतीं। पूरी ना हो पाने की अवस्था में मन को दुखी एवं अवसादित करती हैं। अच्छे- भले रिश्ते भी इन अपेक्षाओं की भेंट चढ़कर ख़ाक हो जाते हैं। दूरियां बढती हैं और दरारें आती हैं रिश्तों में। खुद को इतना सक्षम बनाईये की आप अपने सपनों को साकार कर सकें। सपने भी उतने ही देखिये जिन्हें पूरा कर पाने का सामर्थ्य हो आपमें। किसी दुसरे से अपेक्षाएं पालकर अपना और दुसरे का जीवन दूभर मत कीजिये।
Greater the एक्ष्पेक्ततिओन्स, ग्रेअटर थे दिसप्पोइन्त्मेन्त्स!
Zeal
Greater the एक्ष्पेक्ततिओन्स, ग्रेअटर थे दिसप्पोइन्त्मेन्त्स!
Zeal
Thursday, March 29, 2012
केवल पत्नियों के लिए एक पोस्ट
इस बात की चिंता न करें की पति आपकी बात को तवज्जो नहीं देते। ज्यादातर पति tube light की तरह होते हैं। आपकी बात उन्हें समझ ही काफी देर से आती है। और जब समझ आ जाती है तो उनका पुरुष-दर्प आड़े आ जाता है। आगे-पीछे वे आपके सुझाव पर अमल भी कर लेते हैं , लेकिन इस बात की उम्मीद छोड़ दीजिये की वे आपको, आपकी बिद्धिमानी पूर्ण राय के लिए कोई श्रेय भी देंगे। बस 'नेकी' कर और दरिया में डाल। सुन लें तो भी अच्छा , ना सुनें तो भी मस्त रहिये। क्योंकि राय न मानने की अवस्था में नुकसान भी उन्हीं का होगा। आपका कुछ नहीं बिगड़ेगा।
आप तो बस रोमांटिक रहिये। अपनी किचन में एक सस्ता सा टेप बजाइए। सुबह 'भगवत-भजन सुनिए। खाना बनाते वक़्त देश भक्ति गीत सुनिए। बहुत ऊर्जा मिलेगी। इस प्रकार क्रमशः ईश्वर और अपने वतन के साथ रोमांस कीजिये। कभी-कभी फुर्सत के क्षणों में अपने लिए एक कप अदरख की चाय बनाईये और उस दौरान मधुर आवाज़ के धनी संगीतकारों की गजलें सुनिए और महसूस कीजिये की ये आपके ही हुस्न की तारीफ़ कर रहे हैं , फिर देखिये ज़िन्दगी का लुत्फ़ ही कुछ और होगा।
Keep romancing with life !
Zeal
आप तो बस रोमांटिक रहिये। अपनी किचन में एक सस्ता सा टेप बजाइए। सुबह 'भगवत-भजन सुनिए। खाना बनाते वक़्त देश भक्ति गीत सुनिए। बहुत ऊर्जा मिलेगी। इस प्रकार क्रमशः ईश्वर और अपने वतन के साथ रोमांस कीजिये। कभी-कभी फुर्सत के क्षणों में अपने लिए एक कप अदरख की चाय बनाईये और उस दौरान मधुर आवाज़ के धनी संगीतकारों की गजलें सुनिए और महसूस कीजिये की ये आपके ही हुस्न की तारीफ़ कर रहे हैं , फिर देखिये ज़िन्दगी का लुत्फ़ ही कुछ और होगा।
Keep romancing with life !
Zeal
Labels:
romance
Monday, March 19, 2012
साहस का खामियाजा.
६१ वर्षीय त्रिवेदी , राजनीति के अपराधीकरण के खिलाफ वर्षों से लड़ रहे हैं। जिस वोहरा कमिटी की वजह से "सूचना का अधिकार" क़ानून बन सका, वह त्रिवेदी की कोर्ट में दायर याचिका के कारण ही संभव हो सका था। लेकिन ममता बनर्जी के अभिमान और जिद के कारण उन्हें प्रस्तुत बजट पर चर्चा के बाद जवाब दिए बगैर ही इस्तीफ़ा देना पड़ा। साहसिक फैसले का भी खामियाजा भुगतना पड़ता है।
कत्लखाने बंद करो
वोट बैंक की लालच में सरकारें मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए कत्लखाने खुलवा रही है। आज हमाई गायें काटी जा रही हैं , कल को ये लोग हिन्दुओं की बोटियाँ काटकर खाएं तो भी कोई आश्चर्य नहीं होगा। ये हमें गुलाम बनाने बाद हमें समूल नष्ट भी करना चाहते हैं। इस्लाम की दरिंदगी भुगतने से बेहतर से बेहतर है इस जल्लाद सरकार को गिरा दिया जाए, फिर ऐसी सरकार आये जिसके राज में इंसान और जानवर दोनों सुकून और अमनोचैन की ज़िन्दगी बसर कर सकें।
Zeal
Zeal
Sunday, March 18, 2012
काजल कुमार और खुशदीप सहगल की रसीली बातें
हम दीवानों की क्या हस्ती,
आज यहाँ कल वहाँ चले
मस्ती का आलम साथ चला,
हम धूल उड़ाते जहाँ चले...
--------------------
नेकी कर...कुएं में डाल...
पोस्ट लिख...ब्लाग पर डाल...
ये फंडा अपनाओगे तो रहोगे हमेशा ब्लागर खुशहाल...
घन्यवाद इन उपयोगी फंडों का...Smiles...
---------------------
अविनाश जी पूछते हैं , मठाधीश हैं तो मठरानियाँ क्यों नहीं ? -- गजब का प्रश्न है , आनंद आ गया।
महिलाएं भला कब पीछे रही हैं किसी क्षेत्र में । एक से एक माफिया भी हैं और मठरानियाँ भी।
----------------------
वैसे यदि अपेक्षाओं को ख़त्म करके कोई व्यक्ति अपने तन मन धन से किसी कार्य में डूब जाए तो शेष सब कुछ गौड़ हो जाता है। कुछ भी नहीं इस पृथ्वी पर जो मन को विचलित कर सके। अपने मन के वैराग्य को बढ़ाते जाना और लक्ष्य के प्रति समर्पित रहना ही सबसे सुन्दर विकल्प है।
जय श्री राम
जय महिषासुर मर्दिनी
जय हिंद
जय भारत
वन्दे मातरम्
Zeal
माँ चाहिए, पत्नी चाहिए, गर्ल फ्रेंड चाहिए लेकिन 'बेटी' नहीं
हर किसी को माँ चाहिए, पत्नी चाहिए, गर्ल फ्रेंड चाहिए लेकिन 'बेटी' किसी को नहीं चाहिए। शिक्षा का इतना प्रचार प्रसार होने के बावजूद भी रूढ़िवादी सोच से मुक्त नहीं हो पाये हैं लोग। कुल का दीपक 'बेटा' ही है। बेटियां अभी भी बोझ ही लगती हैं। आज की तारीख में भी गर्भ में ही मार दिए जाते हैं कन्या भ्रूण और देखने को मिलती हैं कचरे के ढेर पर उनकी अजन्मी संरचनाएं। ये उस देश का हाल है जहाँ गार्गी, विद्द्योत्मा , लक्ष्मी बाई ,कल्पना चावला, सुनीता विलियम्स , किरण बेदी जैसी बेटियों ने इतिहास रच दिया है और जहाँ शास्त्रों में स्त्रियों को लक्ष्मी की संज्ञा दी गयी है।
Zeal
Zeal
Saturday, March 17, 2012
सपने देखने की शौक़ीन--'बबली'
गाँव की भोली भाली बबली अपने सपनों को सच करने में यकीन रखती थी। पहले बड़े-बड़े सपने देखना फिर उसे सच करना यही उसकी ज़िन्दगी थी। कोई शिकायत नहीं थी उसे । खुश रहती थी वो। गाँव की बड़ी बड़ी समस्याएं हल कर चुकी थी वो , सभी गाँव वालों को उस पर आस्था और श्रद्धा हो गयी थी। उनकी अपेक्षाएं बढती जा रही थी उससे। गाँव का एक नौजवान मिहिर बबली को बहुत प्यार करता था। उसके कार्यों की सराहना करता और उसका साथ देता था। बबली की अपेक्षाएं भी मिहिर से कुछ ज्यादा ही हो गयी थीं। मिहिर बबली को अपना चाणक्य कहता था और खुद को 'सिंहरण'।
एक बार उस गाँव में कुछ अत्याचारी आ गए। बबली उन्हें भगा नहीं पा रही थी अपने गाँव से क्योंकि वे बहुत ताकतवर थे। उनके पास सत्ता का बल था जिसके कारण वे मासूम जनता पर जुल्म कर रहे थे। बबली ने सोचा शायद इन्हें हराने के लिए स्वयं को भी इतना ही ताकतवर बनाना पड़ेगा । उसने 'सरपंच' का चुनाव लड़ने की ठान ली। उसने सोचा मिहिर उसकी इस काम में मदद अवश्य करेगा, लेकिन हुआ कुछ इसके विपरीत ही।
मिहिर ने उससे कहा की उसे 'शासक' बनने की नहीं सोचनी चाहिए अपितु उसे सिंहरण की तरह गाँव के हित में युद्धरत रहना चाहिए। यदि तुम भी चुनाव लड़ोगी तो जिसके लिए मैं लड़ रहा हूँ , वो कैसे जीतेगा। गाँव के वोट बंट जायेंगे , न तुम जीतोगी , न ही वो जीतेगा। फिर ये अत्याचारी दुबारा सरपंच बन जायेंगे।
उसकी बात से स्तब्ध , वह चुप रह गयी। बबली को चुप देखकर मिहिर ने कहा- " मैं मनमोहन सिंह की तरह यस मैडम, यस मैडम कहकर तुम्हारी जी हुजूरी नहीं कर सकता। "---{ आजकल किसी को मोहन या सोनिया कहना गाली समान ही है , बुरा लगना लाजमी है}
बबली ने मिहिर की बातें ध्यान से सुनी । वह सही कह रहा था । गाँव-देश की रक्षा में तत्पर होकर लड़ते रहना ही सबसे बड़ा धर्म है। शासक होने में कोई बड़प्पन नहीं।
उस दिन के बाद से बबली ने सपने देखना छोड़ दिया। वह चंद्रगुप्त के सेनापति की तरह 'सिंहरण' बन चुकी थी।
Zeal
एक बार उस गाँव में कुछ अत्याचारी आ गए। बबली उन्हें भगा नहीं पा रही थी अपने गाँव से क्योंकि वे बहुत ताकतवर थे। उनके पास सत्ता का बल था जिसके कारण वे मासूम जनता पर जुल्म कर रहे थे। बबली ने सोचा शायद इन्हें हराने के लिए स्वयं को भी इतना ही ताकतवर बनाना पड़ेगा । उसने 'सरपंच' का चुनाव लड़ने की ठान ली। उसने सोचा मिहिर उसकी इस काम में मदद अवश्य करेगा, लेकिन हुआ कुछ इसके विपरीत ही।
मिहिर ने उससे कहा की उसे 'शासक' बनने की नहीं सोचनी चाहिए अपितु उसे सिंहरण की तरह गाँव के हित में युद्धरत रहना चाहिए। यदि तुम भी चुनाव लड़ोगी तो जिसके लिए मैं लड़ रहा हूँ , वो कैसे जीतेगा। गाँव के वोट बंट जायेंगे , न तुम जीतोगी , न ही वो जीतेगा। फिर ये अत्याचारी दुबारा सरपंच बन जायेंगे।
उसकी बात से स्तब्ध , वह चुप रह गयी। बबली को चुप देखकर मिहिर ने कहा- " मैं मनमोहन सिंह की तरह यस मैडम, यस मैडम कहकर तुम्हारी जी हुजूरी नहीं कर सकता। "---{ आजकल किसी को मोहन या सोनिया कहना गाली समान ही है , बुरा लगना लाजमी है}
बबली ने मिहिर की बातें ध्यान से सुनी । वह सही कह रहा था । गाँव-देश की रक्षा में तत्पर होकर लड़ते रहना ही सबसे बड़ा धर्म है। शासक होने में कोई बड़प्पन नहीं।
उस दिन के बाद से बबली ने सपने देखना छोड़ दिया। वह चंद्रगुप्त के सेनापति की तरह 'सिंहरण' बन चुकी थी।
Zeal
Labels:
Chanakya,
Chandragupt,
Leader,
Sinhran
कश्मीर में हिन्दुओं की दुर्दशा ..
सन 1989 का इतिहास भी आप अवश्य पढ़ें जब राजीब गाँधी के कारण कश्मीर में 400000 कश्मीरी पंडितों को लूट पीट कर कश्मी की घाटी से भगा दिया गया था और हजारों हिन्दू लड़कियों और महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया था। कश्मीरी महिला लाजो भाटिया ने कहा कि मुस्लिम आतंकवादी बहुत से लड़कियों के मां-बाप को लकड़ी के खंभे में बांधकर उनके सामने ही बलात्कार किया। बहुत से मां बाप का वहीं हृदयगति रूकने के कारण मर गये कितने पागल हो गये, फिर उन लड़कियों को बोटी बोटी काटकर दरिया में फेंक दिया .
(saabhaar- Akhil Bharat Hindu Mahasabha)
Zeal
(saabhaar- Akhil Bharat Hindu Mahasabha)
Zeal
Labels:
Kashmir
साध्वी प्रज्ञा
सरकार को अफज़ल कसाब से तो विशेष प्रेम है , लेकिन निडर और देशभक्त साध्वी प्रज्ञा के साथ इतनी निष्ठुरता? यदि सरकार में बैठे दिग्गजों में ज़रा भी मानवता है तो साध्वी का ढंग से समुचित इलाज शीघ्र करायें। क्या प्रज्ञा का दोष केवल इतना है की वे हिन्दू हैं ? अथवा भगवा पहनती हैं ?
Zeal
Labels:
Sadhvi pragya
Friday, March 16, 2012
प्रथमे ग्रासे मक्षिका पातः
अखिलेश यादव के शपथ ग्रहण समारोह में पार्टी के कार्यकर्ताओं ने, समर्थकों ने और पुलिस ने जम कर हुडदंग किया। शराफत , अनुशासन और सभ्यता से इनका कोई लेना देना नहीं है। नफासत और नजाकत का शहर भी रो रहा है अपनी किस्मत पर इन हुडदंगियों के कारण ! ज़रुरत है एक सभ्य समाज को लाने की, जिसमें गंभीरता हो, समर्पण हो , राष्ट्र प्रेम हो और आवाम का शुभचिंतक हो। हम मजबूर नहीं हैं, हमारे पास विकल्प है इसका। २०१४ के चुनावों में श्रीमती दुर्गा देवी की अध्यक्षता में तेज़ी से बढ़ता हुआ "दुर्गा दल" राष्ट्र विकास के लिए अपना पूरा सहयोग राष्ट्रवादी पार्टियों को करेगा। देश से भ्रष्टाचार, उजड्डता और देशद्रोह को जड़ से ख़तम कर दिया जाएगा। जय हिन्दू- जय श्री राम -जय महिषासुरमर्दिनी।
Zeal
Zeal
Thursday, March 15, 2012
कुड़ी बंगालन !
कांग्रेस पर शनि की साढ़े-साती गहराई। कुड़ी बंगालन इस्तीफ़ा लेकर चल गयी। मनमोहन जी का बायाँ कान खीचे है ये "गरीबों की so called मसीहा" ( ममता जी ) और दायाँ खींचे है " अमीरों की सौदागर" (सोनिया जी)। -- जय हो !
Labels:
Mamta Banerjee
महिषासुरमर्दिनी 'दुर्गा देवी' - हमारी नेता !
राष्ट्र को बचाने के लिए धर्म की रक्षा बहुत ज़रूरी है। आज भी घर घर में धर्म को जीवित रखने में स्त्रियों का महती योगदान है। कीर्तन, भजन , कथा, व्रत-उपवास में माता एवं बहनों का विशेष योगदान रहता है। आज आपकी मुलाक़ात हम श्रीमती दुर्गा देवी जी से करवायेंगे। इन्होने देश में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहीम छेड़ रही है। राजनैतिक पार्टियों में व्याप्त दोगलापन इन्हें फूटी आँखों नहीं सुहाता। श्रीमती दुर्गा देवी एक 'हिन्दू राष्ट्र" की कल्पना करती हैं , जहाँ हिन्दुओं के अधिकार सुरक्षित रहे।
उनके पार्टी संविधान में --
--सर्वप्रथम "हिन्दू धर्म " के अस्तित्व की रक्षा को प्रथम धर्म माना जाएगा, ताकि धर्म के द्वारा देश की रक्षा की जा सके।
--उनके राज में हर धर्म और वर्ग को सुकून से जीने का अधिकार दिया जाएगा लेकिन देश को बांटने वाले किसी भी प्रकार के "आरक्षण" को समाप्त कर दिया जाएगा।
--हर उस कार्य को प्राथमिकता दी जायेगी जो राष्ट्र हित में होगा।
--जनता की खुशहाली ही "दुर्गा-दल" का प्रथम लक्ष्य होगा।
--देश के विकास के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य का विस्तार किया जाएगा।
--हिंदी भाषा को विश्व-स्तरीय बनाया जाएगा।
--पार्टी में किसी भी बलात्कारी, आतंकवादी , चोर और घोटाले बाजों को स्थान नहीं दिया जाएगा।
--पार्टी में स्त्री और पुरुष सभी सदस्यों को स्नात्तकोत्तर होना आवश्यक होगा।
--गाँवों और ग्रामीण इलाकों में जीवन स्तर ऊंचा किया जाएगा।
--न्याय प्रक्रिया तीव्र की जायेगी।
शीघ्र ही श्रीमती दुर्गा देवी हमारे बीच होंगीं, जिनके साथ हम हिंदुस्तान में रामराज पुनः देखेंगे। और एक भ्रष्टाचार मुक्त भारत में आजादी के साथ सांस ले सकेंगे।
जय हिंद !
जय भारत!
वन्देमातरम !
उनके पार्टी संविधान में --
--सर्वप्रथम "हिन्दू धर्म " के अस्तित्व की रक्षा को प्रथम धर्म माना जाएगा, ताकि धर्म के द्वारा देश की रक्षा की जा सके।
--उनके राज में हर धर्म और वर्ग को सुकून से जीने का अधिकार दिया जाएगा लेकिन देश को बांटने वाले किसी भी प्रकार के "आरक्षण" को समाप्त कर दिया जाएगा।
--हर उस कार्य को प्राथमिकता दी जायेगी जो राष्ट्र हित में होगा।
--जनता की खुशहाली ही "दुर्गा-दल" का प्रथम लक्ष्य होगा।
--देश के विकास के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य का विस्तार किया जाएगा।
--हिंदी भाषा को विश्व-स्तरीय बनाया जाएगा।
--पार्टी में किसी भी बलात्कारी, आतंकवादी , चोर और घोटाले बाजों को स्थान नहीं दिया जाएगा।
--पार्टी में स्त्री और पुरुष सभी सदस्यों को स्नात्तकोत्तर होना आवश्यक होगा।
--गाँवों और ग्रामीण इलाकों में जीवन स्तर ऊंचा किया जाएगा।
--न्याय प्रक्रिया तीव्र की जायेगी।
शीघ्र ही श्रीमती दुर्गा देवी हमारे बीच होंगीं, जिनके साथ हम हिंदुस्तान में रामराज पुनः देखेंगे। और एक भ्रष्टाचार मुक्त भारत में आजादी के साथ सांस ले सकेंगे।
जय हिंद !
जय भारत!
वन्देमातरम !
Labels:
Durga Dal,
Indian,
Politics,
Smt Durga Devi
चोर की दाढ़ी में तिनका
फेसबुक पर मोदी के खिलाफ भी लिखने वाले कुछ कम नहीं हैं। लेकिन वे तो बौखलाए हुए नहीं हैं । मस्त गज के समान विचरण करते हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस बौखलाई हुयी क्यों है? कहीं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता छीन रही है , तो कहीं लेखकों की ID ही ब्लाक कर रही है । इतना भी क्या घबराना। कहीं चोर की दाढ़ी में तिनका तो नहीं ?
Labels:
Narendra Modi,
zeal
Tuesday, March 13, 2012
स्त्री की अस्मिता के साथ इतना क्रूर मज़ाक
दिल्ली में एक लड़की को जो अपने भाई के साथ घर जा रही थी, को खींचकर मारुती कार में किडनैप कर लिया। रात भर उसके साथ सामूहिक बलात्कार करके प्रातः उसे सड़क पर फेंक दिया। एक पल में जिंदगी उजाड़ दी। कब बदलेगी इन युवकों की गन्दी , भोंडी और विकृत मानसिकता। माता-पिता से कहाँ चूक हो रही है अपने बच्चों को संस्कार देने में। क्या ये वही भारत है जिसकी सभ्यता और संस्कृति पर हम गर्व करते हैं और जहाँ स्त्री को लक्ष्मी की संज्ञा दी जाती है। एक स्त्री किसी की मासूम बेटी है, प्यारी बहन है, ममतामयी माँ है और कदम-कदम पर मुश्किलों पर साथ देने वाली जीवन संगिनी है। कैसे कोई मानवता को भुलाकर स्त्री की अस्मिता के साथ इतना क्रूर मज़ाक कर सकता है। क्यों कुछ युवक सम्पूर्ण पुरुष जाति को कलंकित कर रहे हैं।
Labels:
Rape
सचिन पर गर्व है मुझे
किसी को भी उंचाईयों पर चढ़ते देखकर , ज्यादातर लोगों के पेट में दर्द होने लगता है। यही हाल हिन्दुस्तानियों के साथ ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों का भी हो रहा है। सचिन तेंदुलकर से सभी की ईर्ष्या प्रबल हो रही है। जिसे देखो वही उसके खिलाफ जहर उगल रहा है। सभी चाहते हैं वह संन्यास ले लें। मैं चाहती हूँ, सचिन जैसे महान खिलाड़ी अभी और खेलें और एकदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय खेल में अपना 'महाशातक' ज़रूर पूरा करें, ताकि कोई भी उनके इस रेकॉर्ड को ना तोड़ सके। गर्व है मुझे अपने इस महान , समर्पित खिलाड़ी पर।
Zeal
Zeal
Labels:
Sachin Tendulkar,
zeal
Monday, March 12, 2012
पॉलीटिक्स एवं महिलाएं
कुछ लोग कहते हैं - "मुझे पौलिटिक्स में रूचि नहीं है" । सच तो ये है की यह कहकर वे अपनी अज्ञानता पर पर्दा डालता हैं। अरे क्यों नहीं रूचि है भाई , देश-दुनिया की गतिविधियों पर भरपूर निगाह रखो । अच्छाई का समर्थन करो और अन्याय के खिलाफ जम कर विद्रोह करो। लोगों की यही अज्ञानता और तटस्थता तो मतदान में कमी लाती है और गुंडों का बोलबाला हो जाता है। ऐसी स्थिति में सही अर्थों में लोकतंत्र कैसे बहाल होगा ? जरूरी है देश का प्रत्येक नागरिक राजनीति और लोकतंत्र की पूरी जानकारी रखे। विशेषकर महिलाओं को इस दिशा में अपनी रूचि पैदा करनी होगी अन्यथा- "I hate politics" कहकर अपनी कमतरी को छुपाना व्यर्थ है।
Labels:
Democracy,
Indian woman,
interest,
Politics,
zeal
Sunday, March 11, 2012
चेहरा रहता है दो गज घूंघट में और टायलेट के लिए खुला मैदान ?
स्त्रियों की गरिमा का ध्यान नहीं रखा जाता । ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं दिशा मैदान के लिए खुले में जाती हैं। क्या शर्म , संकोच और हया नहीं आती होगी ? चेहरा रहता है दो गज घूंघट में और टायलेट के लिए खुला मैदान ? कितनी ही स्त्रियाँ , बच्चियां तो इसी दौरान बलात्कार का भी शिकार हो जाती हैं। शहरी क्षेत्रों में भी स्त्री यदि बाज़ार हाट जाए , तो कहीं भी टायलेट की सुविधा नहीं है। महीने के पांच दिनों की परेशानी , डायबिटीज़ के मरीजों को बार-बार मूत्र त्याग के लिए परेशानी , और किसी भी आपात स्थिति में कोई सुविधा नहीं है। मूत्र विसर्जन जैसी आपात स्थिति से बचने के लिए स्त्रियाँ पानी कम पियें ? अनेक व्याधियों को दावत दें ? ६५ वर्षों में स्त्री ( सुनीता विलियम्स) अपनी विद्वता से चाँद पर तो पहुँच गयी है , लेकिन भारतवर्ष में स्त्रियों की गरिमा और सुविधा को ध्यान में रखकर 'टायलेट्स' नहीं उपलब्ध हैं। गावों में प्रत्येक घर में , और शहरों में पब्लिक टायलेट्स की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए।
Saturday, March 10, 2012
ढोल गंवार शूद्र अरु नारी ..
ढोल, गंवार, शूद्र, अरु नारी, सकल ताड़ना के अधिकारी...
पता नहीं तुलसीदास जी ने ये लिखा या फिर कोई सिरफिरा टिप्पणीकार इन पंक्तियों को जोड़ गया रामायण में, लेकिन जो भी हो बहुत ही मूर्खता पूर्ण वचन हैं ये और स्त्री अस्मिता के खिलाफ हैं। हमारे शास्त्रों और ग्रंथों में जहाँ स्त्री को बहुत सम्मान का दर्जा दिया गया वहां 'नारी' को ताड़ना देने जैसी अविवेकपूर्ण बात अत्यंत अनुचित है। इस प्रकार की बातें हमारे ग्यानी ध्यानी ऋषि मनीषी कर ही नहीं सकते। अतः रामायण में ये लिखा तो अवश्य है , लेकिन इसे वाल्मीकि अथवा तुलसी ने नहीं लिखा है। इसे रामायण के किसी टिप्पणीकार ने अपनी अल्प बुद्धि से प्रेरित होकर लिखा है।
यदि सपूत और कपूत दोनों होते हैं, तो कुछ स्त्रियाँ भी सन्मार्ग और कुमार्ग पर होती हैं । जो दोषी है, गलत है वही ताड़ना का अधिकारी है । इसमें समस्त नारी जाती को ताड़ना का अधिकारी कहकर 'लिंग-भेद' क्यों किया गया है।
हिंदी कवि द्वारा --"हाय अबला तेरी यही कहानी---" । इस पंक्ति में स्त्री के ऊपर "अबला' का टैग लगा दिया है, जो सर्वथा अनुचित है। बहुत से पुरुष भी अबला और लाचार हैं। पुरुष हो अथवा स्त्री , अपनी मेहनत और काबिलियत से ही सबल और लायक बनता है अन्यथा 'लाचार' ही रहता है। अतः एक समुदाय विशेष को 'अबला' कहकर सदियों तक के लिए टैग कर देना लिंग-भेद दर्शाता है और सर्वथा अनुचित है।
मुझे कवियों की उपरोक्त दोनों उक्तियों पर घोर आपत्ति है।
पता नहीं तुलसीदास जी ने ये लिखा या फिर कोई सिरफिरा टिप्पणीकार इन पंक्तियों को जोड़ गया रामायण में, लेकिन जो भी हो बहुत ही मूर्खता पूर्ण वचन हैं ये और स्त्री अस्मिता के खिलाफ हैं। हमारे शास्त्रों और ग्रंथों में जहाँ स्त्री को बहुत सम्मान का दर्जा दिया गया वहां 'नारी' को ताड़ना देने जैसी अविवेकपूर्ण बात अत्यंत अनुचित है। इस प्रकार की बातें हमारे ग्यानी ध्यानी ऋषि मनीषी कर ही नहीं सकते। अतः रामायण में ये लिखा तो अवश्य है , लेकिन इसे वाल्मीकि अथवा तुलसी ने नहीं लिखा है। इसे रामायण के किसी टिप्पणीकार ने अपनी अल्प बुद्धि से प्रेरित होकर लिखा है।
यदि सपूत और कपूत दोनों होते हैं, तो कुछ स्त्रियाँ भी सन्मार्ग और कुमार्ग पर होती हैं । जो दोषी है, गलत है वही ताड़ना का अधिकारी है । इसमें समस्त नारी जाती को ताड़ना का अधिकारी कहकर 'लिंग-भेद' क्यों किया गया है।
हिंदी कवि द्वारा --"हाय अबला तेरी यही कहानी---" । इस पंक्ति में स्त्री के ऊपर "अबला' का टैग लगा दिया है, जो सर्वथा अनुचित है। बहुत से पुरुष भी अबला और लाचार हैं। पुरुष हो अथवा स्त्री , अपनी मेहनत और काबिलियत से ही सबल और लायक बनता है अन्यथा 'लाचार' ही रहता है। अतः एक समुदाय विशेष को 'अबला' कहकर सदियों तक के लिए टैग कर देना लिंग-भेद दर्शाता है और सर्वथा अनुचित है।
मुझे कवियों की उपरोक्त दोनों उक्तियों पर घोर आपत्ति है।
Friday, March 9, 2012
राष्ट्रवादी लेखकों के फेस-बुक अकाउंट बंद !
धन्य हैं वे सभी फेसबुकिये, जिनके लेखन से डरकर 'चिम्पांजी सरकार' उनके अकाउंट बंद कर रही है । और लानत है उन सब पर जिनके खाते अभी तक चालू हैं। अरे सौभाग्य समझो अपना की चिम्पांजी डरने लगे हैं राष्ट्रवादियों से। लिखो। जम कर लिखो। भ्रष्टाचार के खिलाफ बेख़ौफ़ होकर लिखो। एक अकाउंट क्या , इन भ्रष्टों के खिलाफ तो हम लाखों अकाउंट बनायेगे । ये बंद कराते जायेंगे, हम धार बढाते जायेंगे। ये हमें तोड़ने आयेंगे , हम इन्हें छील कर खायेंगे। जो जनता को रौंदेगा, हम उसे कुचलते जायेंगे। --वन्देमातरम।
Labels:
corruption
Thursday, March 8, 2012
इमानदारी और निष्ठा की सजा है- मौत
ऐसा नहीं की देश में इमानदारों की कमी है। लेकिन इमानदारी और निष्ठा दिखाने वालों की सजा है मौत। ग्वालियर के बामौर इलाके में एक IPS अधिकारी की ट्रक से कुचलकर हत्या कर दी गयी, क्योंकि उन्होंने अवैध उत्खनन को रोकने का प्रयास किया था। उनकी पत्नी जो स्वयं एक आईएस ऑफिसर हैं और इस समय गर्भवती भी थीं, उनकी तो दुनिया ही उजड़ गयी। गुंडों ने इमानदारों की इमानदारी भी खरीद ली। जो बिकने को तैयार नहीं , उनकी ज़िन्दगी उजाड़ डाली। भ्रष्ट सरकार के राज में अनाचार। यथा राजा तथा प्रजा।
Labels:
corruption,
cruelty,
Gwalior.,
zeal
महिला दिवस या फिर एक मज़ाक ?
* आज न्यायालय में स्त्रियाँ , न्याय की मांग करते हुए , लाचार और हताश होकर निर्वस्त्र हो रहीं हैं ।
* विधायकों द्वारा यौन शोषण किये जाने पर स्त्रियाँ , खून करने पर मजबूर हो रही हैं , क्यूंकि न्यायलय से तो न्याय मिलेगा नहीं।
* छोटी-छोटी बच्चियां बलात्कार का शिकार हो रहीं हैं ।
और यहाँ -'महिला दिवस' मनाकर क्या सिद्ध किया जा रहा है ? हर देश में ठीक है , लेकिन भारत देश में महिला-दिवस निरर्थक है ।
* विधायकों द्वारा यौन शोषण किये जाने पर स्त्रियाँ , खून करने पर मजबूर हो रही हैं , क्यूंकि न्यायलय से तो न्याय मिलेगा नहीं।
* छोटी-छोटी बच्चियां बलात्कार का शिकार हो रहीं हैं ।
और यहाँ -'महिला दिवस' मनाकर क्या सिद्ध किया जा रहा है ? हर देश में ठीक है , लेकिन भारत देश में महिला-दिवस निरर्थक है ।
Labels:
Women's day,
zeal
मुळ-मुळ यादव की 'पंचर' साईकिल
६ दिसंबर को बजरंग दल के जिन दो वीर सैनानियों (कोठारी बंधुओं) ने सबसे पहले 'राम जन्म भूमि' पर भगवा झंडा फहराया था , उन्हें इस मुळ मुळ (मुलायायम यादव) सरकार ने पुलिस आदेश करके मरवा दिया था। धिक्कार है मुलायम सरकार को। यदि इस बार इन्होने ज़रा भी बेशर्मी की तो जैसे भ्रष्टाचारी कांग्रेस को उखाड़ कर फेंका गया है , वैसे ही इस ढुल-ढुल सी , मुळ मुळ सरकार को भी नेस्तनाबूद कर दिया जाएगा। उत्तर प्रदेश की जनता ने अब पाठ पढाना सीख लिया है। पंजे की सारी उंगलियाँ तोड़ फेंकी , हाथी को दिखाया जंगल का रास्ता, भगवा को किया खबरदार , अब संभलो साईकिल वालों नहीं तो "पंचर" कर दिए जाओगे। -- वन्देमातरम।
Wednesday, March 7, 2012
'मुस्लिम तुष्टिकरण' की बैसाखी
तुरुप का पत्ता भी हो बेकार गया। क्लीन बोल्ड हो गयी कांग्रेस। आरक्षण का आलाप तो व्यर्थ गया। अगली बार कौन सा हथकंडा अपनाएगी ये नादान पार्टी। 'मुस्लिम तुष्टिकरण' की बैसाखी से तो चल रही थी कांग्रेस। अब वो सहारा भी न रहा।
अपनी धरोहर "आयुर्वेद" का सम्मान कीजिये.
कट्टर भारतीय
हम भारतीयों ने विश्व की सबसे बेहतरीन चिकित्सा व्यवस्था"आयुर्वेदिक चिकित्सा व्यवस्था" विश्व को दी और भारतीयों ने ही सर्जरी की विद्या विश्व को सिखाई.आज विश्व भर में ये कहा जाता है किदुनिया को सर्ज़री की विद्या इंग्लैंड ने सिखाई. लेकिन इंग्लैंड की "रोयल सोसायटी ऑफ सर्जन" अपने इतिहास में ये लिखती है कि हमनें सर्जेरी भारत से ही सीखी है.
लन्दन में "फैलो ऑफ द रॉयल सोसाइटी" की स्थापना करने वाला अंग्रेज हॉलकॉट 1795 में भारत में मद्रास में आकर सर्जरी सीख करगया. उसकी डायरी के पन्ने इस बात के गवाह हैं. वो बार-बार ये कहता रहा कि मैंने ये विद्या भारत से सीखी है और फिर मैने इसे पूरे यूरोप को सिखाया है. लेकिन अंग्रेजों ने उसकी शुरू की बात कोतो दबा दिया और बाद के वाक्य ' मैने सर्जरी विद्या को पूरे यूरोप को सिखाया है ' का खूब प्रचार किया.
सर्जरी हमारी विद्या है और इसका सबसे पुख्ता प्रमाण हमारे पास मौजूद है "सुश्रुत संहिता" नाम केग्रन्थ के रूप में. सुश्रुत संहिता हज़ारों वर्ष पुराना ग्रन्थ है और सर्जरी पर ही आधारितहै. इसे अगर आप पढेंगे तो जान जायेंगे कि सर्जरी यानि कि शल्य चिकित्सा के लिए जिन यंत्रों और उपकरणों कि ज़रूरत होती है ऐसे 125 यंत्र और उपकरण महर्षि सुश्रुत के समय में आविष्कृत हो चुके थे. आज की आधुनिक सर्जरी में बहुत सारे उपकरण वही हैं जो महर्षि सुश्रुत जी ने बताये थे.
प्लास्टिक सर्जरी भारत की देन
भारत में प्लास्टिक सर्जरी के प्रमाणों को जानने के लिए इतिहास की एक रोचक घटना आपको बताना चाहताहूँ. 18 वीं शताब्दी में दक्षिण भारत में हैदर अली नाम का एक महान राजा हुआ करता था, टीपू सुल्तान इन्हीं के पुत्र थे. 1780 से 1784 के बीच में अंग्रेजों ने हैदर अली पर कई हमले किये और हर बार हैदर अली से हारकर गए. इनमें से एक हमले का ज़िक्र एक अंग्रेज़ की डायरी में दर्ज है, उसे बताता हूँ.
1780 में एक अंग्रेज़ अधिकारी कर्नल कूट ने हैदर अली से युद्ध किया. कर्नल कूट हार गया फिर उसके साथ जो हुआ वो सब वो अपनी डायरी में बता रहा है," मैं हार गया और हैदर अली के सैनिक मुझे पकड़कर उसके पास ले गए. वो सिंहासन पर था और में उसके कदमों(चरणों) में. वो चाहता तो मेरी गर्दन काट सकता था, लेकिन उसनें मेरी नाक काट ली . फिर मुझे छोड दिया गया. मेरी कटी नाक मेरे हाथ में दे दी गयी और एक घोड़े पर मुझे बैठा दिया गया और कहा गयाकि जाओ, भाग जाओ.(नाक काटना भारत में सबसे बड़ी बेईज्ज़ती मन जाता है.) मैं भाग गया और भागते-भागते बेलगाम नाम के एक स्थान पर पहुंचा.वहाँ मेरी कटी नाक देखकर एक वैध मेरे पास आया. मैंने उसके पूंछने पर सारी बात बता दी. वो वैध बोला कि अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारी ये कटी हुई नाक जोड़ सकता हूँ. मेरेलिए ये आश्चर्य की बात थी कि कटा हुआ अंग आखिर कैसे जुड़ सकता है? वो मुझे अपने घर ले गया और वहाँ मेरा ऑपरेशन किया." इस ऑपरेशन का तीस( 30 ) पन्नों में उसने अपनी डायरी में विस्तृत वर्णन किया है.आगे वो लिखता है,
" ऑपरेशन के बाद मेरी नाक जुड़ गयी . उसने मुझे एक लेप दिया और कहा कि इसे सुबह-शाम नाक पर लगाते रहना. 16-17 दिन में नाक पूरी तरह से ठीक हो गयी."
फिर वो लन्दन चला गया. तीन( 3 ) महीने बाद वो ब्रिटिश संसद में जाकर भाषण दे रहा है और सबसे पहला सवाल वहाँ उपस्थित लोगों से वो करता है कि, "क्या आपको लगता है कि मेरी नाक कटी है?" सब लोग मना करतेहैं, कहते है कि तुम्हारी नाक कटी हुई बिल्कुल नहीं लगती. तब कर्नल कूट अपना पूरा किस्सा उन लोगों कोबताता है. इसके बाद अंग्रेजों का एक दल उस वैध से मिलने बेलगाम जाता है. बेलगाम में वो वैध उनको मिलता है और वो उससे अंग जोड़ने की विद्या के बारे में पूंछते हैं कि, तुमने ये विद्या कैसे सीखी? तोवैध ने कहा कि आपको तो यहाँ हर गांव में मुझ जैसा वैध मिल जाएगा. उन्होंने पूंछा, तुम्हें ये विद्या किसने सिखाई? तो वैध ने कहा कि हमारे गुरुकुलों में ये विषय पढ़ाया और सिखाया जाता है. तब अंग्रेज़ गुरुकुल में गए और वहाँ दाखिला लिया. वहाँ ये विषय सीखा और यहाँ से सीखकर इंग्लैंड गए.
भारत में अंग्रेजों नेप्लास्टिक सर्जरी सीखी
जिन-जिन अंग्रेजों ने भारत में प्लास्टिक सर्जरी सीखी उनकी डायरियां आज भी इस बात का प्रमाण हैं. एक ऐसा ही प्रसिद्ध अंग्रेज़ था थॉमस क्रूसो वो 1792 में अपनी डायरी में लिखता है कि, " गुरुकुल में मुझे जिस विशेष आदमी ने प्लास्टिक सर्जरी सिखाई वो जाति का नाई था. चर्मकार जाति के बहुत से सर्जन थे. शायद चमड़ी सिलना उन्हें ज्यादा अच्छा आता है." यानि कि 1792 तक हर कोई बिना भेद-भाव के गुरुकुलों में शिक्षा पा रहा था और दे रहा था.ये गुरुकुल पुणे में था जहां इस अंग्रेज़ ने प्लास्टिक सर्जरी सीखी. आगे वो लिखता है कि, " मुझे अच्छे से सिखाने के बाद उस शिक्षक ने मुझसेऑपरेशन भी करवाया. मैंने अपने शिक्षक के साथ मिलकर एक घायल मराठा सैनिक का ऑपरेशन किया. उसकेहाथ युद्ध में कट गए थे. हमारा ऑपरेशन सफल रहा. उसके हाथ जुड़ गए ."थॉमस क्रूसो सीखकर इंग्लैंड चला गया. वो लिखता है," इतना अदभुत ज्ञान मैंने किसी से सीखा और इसे सिखाने के लिए किसी ने मुझसे एक पैसा तक नहीं लिया . ये बहुत ही आश्चर्य की बात है." उसका ये कथन इस बात की फिर से पुष्टि करता है कि भारत में शिक्षा हमेशा मुफ्त रही है और उसका यहाँ पढ़ना ये साबित करता है कि भारत में बिना भेद-भाव के सभी को शिक्षा मिला करती थी .
इंग्लैंड जाकर थॉमस क्रूसो ने एक स्कूल खोला और वहाँ सर्जरी सिखाना शुरू कर दिया। दुर्भाग्य है कि प्लास्टिक सर्जरी के विश्व ग्रंथों में उस स्कूल का तो वर्णनहै लेकिन उस गुरुकुल का, उस शिक्षक का, भारत का वर्णन नहीं है.
------------------
Note--यह पोस्ट 'कट्टर भारतीय' नमक ब्लॉगर द्वारा लिखी गयी है।
------------------
'sushruta' is the father of surgery and 'Dhanvantari' is the father of medicine.
Zeal
लन्दन में "फैलो ऑफ द रॉयल सोसाइटी" की स्थापना करने वाला अंग्रेज हॉलकॉट 1795 में भारत में मद्रास में आकर सर्जरी सीख करगया. उसकी डायरी के पन्ने इस बात के गवाह हैं. वो बार-बार ये कहता रहा कि मैंने ये विद्या भारत से सीखी है और फिर मैने इसे पूरे यूरोप को सिखाया है. लेकिन अंग्रेजों ने उसकी शुरू की बात कोतो दबा दिया और बाद के वाक्य ' मैने सर्जरी विद्या को पूरे यूरोप को सिखाया है ' का खूब प्रचार किया.
सर्जरी हमारी विद्या है और इसका सबसे पुख्ता प्रमाण हमारे पास मौजूद है "सुश्रुत संहिता" नाम केग्रन्थ के रूप में. सुश्रुत संहिता हज़ारों वर्ष पुराना ग्रन्थ है और सर्जरी पर ही आधारितहै. इसे अगर आप पढेंगे तो जान जायेंगे कि सर्जरी यानि कि शल्य चिकित्सा के लिए जिन यंत्रों और उपकरणों कि ज़रूरत होती है ऐसे 125 यंत्र और उपकरण महर्षि सुश्रुत के समय में आविष्कृत हो चुके थे. आज की आधुनिक सर्जरी में बहुत सारे उपकरण वही हैं जो महर्षि सुश्रुत जी ने बताये थे.
प्लास्टिक सर्जरी भारत की देन
भारत में प्लास्टिक सर्जरी के प्रमाणों को जानने के लिए इतिहास की एक रोचक घटना आपको बताना चाहताहूँ. 18 वीं शताब्दी में दक्षिण भारत में हैदर अली नाम का एक महान राजा हुआ करता था, टीपू सुल्तान इन्हीं के पुत्र थे. 1780 से 1784 के बीच में अंग्रेजों ने हैदर अली पर कई हमले किये और हर बार हैदर अली से हारकर गए. इनमें से एक हमले का ज़िक्र एक अंग्रेज़ की डायरी में दर्ज है, उसे बताता हूँ.
1780 में एक अंग्रेज़ अधिकारी कर्नल कूट ने हैदर अली से युद्ध किया. कर्नल कूट हार गया फिर उसके साथ जो हुआ वो सब वो अपनी डायरी में बता रहा है," मैं हार गया और हैदर अली के सैनिक मुझे पकड़कर उसके पास ले गए. वो सिंहासन पर था और में उसके कदमों(चरणों) में. वो चाहता तो मेरी गर्दन काट सकता था, लेकिन उसनें मेरी नाक काट ली . फिर मुझे छोड दिया गया. मेरी कटी नाक मेरे हाथ में दे दी गयी और एक घोड़े पर मुझे बैठा दिया गया और कहा गयाकि जाओ, भाग जाओ.(नाक काटना भारत में सबसे बड़ी बेईज्ज़ती मन जाता है.) मैं भाग गया और भागते-भागते बेलगाम नाम के एक स्थान पर पहुंचा.वहाँ मेरी कटी नाक देखकर एक वैध मेरे पास आया. मैंने उसके पूंछने पर सारी बात बता दी. वो वैध बोला कि अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारी ये कटी हुई नाक जोड़ सकता हूँ. मेरेलिए ये आश्चर्य की बात थी कि कटा हुआ अंग आखिर कैसे जुड़ सकता है? वो मुझे अपने घर ले गया और वहाँ मेरा ऑपरेशन किया." इस ऑपरेशन का तीस( 30 ) पन्नों में उसने अपनी डायरी में विस्तृत वर्णन किया है.आगे वो लिखता है,
" ऑपरेशन के बाद मेरी नाक जुड़ गयी . उसने मुझे एक लेप दिया और कहा कि इसे सुबह-शाम नाक पर लगाते रहना. 16-17 दिन में नाक पूरी तरह से ठीक हो गयी."
फिर वो लन्दन चला गया. तीन( 3 ) महीने बाद वो ब्रिटिश संसद में जाकर भाषण दे रहा है और सबसे पहला सवाल वहाँ उपस्थित लोगों से वो करता है कि, "क्या आपको लगता है कि मेरी नाक कटी है?" सब लोग मना करतेहैं, कहते है कि तुम्हारी नाक कटी हुई बिल्कुल नहीं लगती. तब कर्नल कूट अपना पूरा किस्सा उन लोगों कोबताता है. इसके बाद अंग्रेजों का एक दल उस वैध से मिलने बेलगाम जाता है. बेलगाम में वो वैध उनको मिलता है और वो उससे अंग जोड़ने की विद्या के बारे में पूंछते हैं कि, तुमने ये विद्या कैसे सीखी? तोवैध ने कहा कि आपको तो यहाँ हर गांव में मुझ जैसा वैध मिल जाएगा. उन्होंने पूंछा, तुम्हें ये विद्या किसने सिखाई? तो वैध ने कहा कि हमारे गुरुकुलों में ये विषय पढ़ाया और सिखाया जाता है. तब अंग्रेज़ गुरुकुल में गए और वहाँ दाखिला लिया. वहाँ ये विषय सीखा और यहाँ से सीखकर इंग्लैंड गए.
भारत में अंग्रेजों नेप्लास्टिक सर्जरी सीखी
जिन-जिन अंग्रेजों ने भारत में प्लास्टिक सर्जरी सीखी उनकी डायरियां आज भी इस बात का प्रमाण हैं. एक ऐसा ही प्रसिद्ध अंग्रेज़ था थॉमस क्रूसो वो 1792 में अपनी डायरी में लिखता है कि, " गुरुकुल में मुझे जिस विशेष आदमी ने प्लास्टिक सर्जरी सिखाई वो जाति का नाई था. चर्मकार जाति के बहुत से सर्जन थे. शायद चमड़ी सिलना उन्हें ज्यादा अच्छा आता है." यानि कि 1792 तक हर कोई बिना भेद-भाव के गुरुकुलों में शिक्षा पा रहा था और दे रहा था.ये गुरुकुल पुणे में था जहां इस अंग्रेज़ ने प्लास्टिक सर्जरी सीखी. आगे वो लिखता है कि, " मुझे अच्छे से सिखाने के बाद उस शिक्षक ने मुझसेऑपरेशन भी करवाया. मैंने अपने शिक्षक के साथ मिलकर एक घायल मराठा सैनिक का ऑपरेशन किया. उसकेहाथ युद्ध में कट गए थे. हमारा ऑपरेशन सफल रहा. उसके हाथ जुड़ गए ."थॉमस क्रूसो सीखकर इंग्लैंड चला गया. वो लिखता है," इतना अदभुत ज्ञान मैंने किसी से सीखा और इसे सिखाने के लिए किसी ने मुझसे एक पैसा तक नहीं लिया . ये बहुत ही आश्चर्य की बात है." उसका ये कथन इस बात की फिर से पुष्टि करता है कि भारत में शिक्षा हमेशा मुफ्त रही है और उसका यहाँ पढ़ना ये साबित करता है कि भारत में बिना भेद-भाव के सभी को शिक्षा मिला करती थी .
इंग्लैंड जाकर थॉमस क्रूसो ने एक स्कूल खोला और वहाँ सर्जरी सिखाना शुरू कर दिया। दुर्भाग्य है कि प्लास्टिक सर्जरी के विश्व ग्रंथों में उस स्कूल का तो वर्णनहै लेकिन उस गुरुकुल का, उस शिक्षक का, भारत का वर्णन नहीं है.
------------------
Note--यह पोस्ट 'कट्टर भारतीय' नमक ब्लॉगर द्वारा लिखी गयी है।
------------------
'sushruta' is the father of surgery and 'Dhanvantari' is the father of medicine.
Zeal
देश का दुर्भाग्य...
भारत देश का ये दुर्भाग्य है की यहाँ की राजनीतिक पार्टियाँ सिर्फ अपने बारे में सोचती हैं। देश के बारे में सोचना उन्हें गुनाह लगता है। सपा और बसपा जैसे दल के नेताओं के पास इतनी बुद्धि ही नहीं है की वे राष्ट्र हित में सोच भी सकें। इनको तो ये भी नहीं पाता की जश्न कभी बन्दूक की गोलियों से नहीं मानना चाहिए। उस मासूम का गुनाह क्या था जिसकी मौत हो गयी। पत्रकारों की पिटाई क्यों की गयी। इतनी जल्दी यादव जी की पार्टी अपनी गुंडागर्दी दिखाएगी , ये मालूम न था। उत्तर प्रदेश की जनता ने कांग्रेस का बहिष्कार करके एक और अच्छा तो किया लेकिन गवारों के इस दल को जिताकर भारी भूल की है।
बीजेपी चाहती तो आसानी से इस समस्या का हल निकल सकता था। उन्हें अपने प्रधानमंत्री(मोदी) और उत्तर प्रदेश की मुख्य मंत्री (सुश्री उमा भारती) का नाम स्पष्ट रूप से घोषित करना चाहिए था। गोल-मोल रखने से , ईर्ष्या द्वेष , आपसी फूट और षड्यंत्र की बू आती है। जब तक एक जुट नहीं होंगे तब तक गुंडा राज झेलना ही पड़ेगा। देश का धन निठाल्ले उड़ायेंगे और बाकि अपने स्विस खातों में जमा करते रहेंगे।
बीजेपी चाहती तो आसानी से इस समस्या का हल निकल सकता था। उन्हें अपने प्रधानमंत्री(मोदी) और उत्तर प्रदेश की मुख्य मंत्री (सुश्री उमा भारती) का नाम स्पष्ट रूप से घोषित करना चाहिए था। गोल-मोल रखने से , ईर्ष्या द्वेष , आपसी फूट और षड्यंत्र की बू आती है। जब तक एक जुट नहीं होंगे तब तक गुंडा राज झेलना ही पड़ेगा। देश का धन निठाल्ले उड़ायेंगे और बाकि अपने स्विस खातों में जमा करते रहेंगे।
Labels:
corruption,
Democracy,
Election,
Misfortune,
politicians,
Politics,
zeal
Tuesday, March 6, 2012
पक्षपाती एग्रीगेटर 'हमारीवाणी'
सम्पादक हमारीवाणी,
कितना झूठ बोलेंगे ? शर्म आनी चाहिए आपको। मेरी कल दोपहर २.४७ बजे की "सबसे ताकतवर पार्टी" नामक पोस्ट हटा दी और अब मानने से भी इनकार कर हैं। पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं आप। आप अपनी मनमानी कीजिये। अब आपसे कोई अपेक्षा नहीं है। निष्पक्ष रह पाना आपके बस की बात नहीं है। मेरे लेखों की धार से डरकर मेरी पोस्ट को हटाने की आपकी मजबूरी समझ सकती हूँ। आखिर आप एक इंसान ही हैं , कोई भगवान् नहीं । डरपोक होना नब्बे फीसदी इंसानों की फितरत है।
खुश रहिये। -- Good bye !
जो पोस्ट आपने हटाई है उसका कंटेंट था--
"जो मुसलामानों का ईमान और स्वाभिमान खरीद ले , चुनाव आयोग के सिद्धांत खरीद ले , ऐसी ताकतवर पार्टी का नाम है कांग्रेस।"
Zeal
कितना झूठ बोलेंगे ? शर्म आनी चाहिए आपको। मेरी कल दोपहर २.४७ बजे की "सबसे ताकतवर पार्टी" नामक पोस्ट हटा दी और अब मानने से भी इनकार कर हैं। पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं आप। आप अपनी मनमानी कीजिये। अब आपसे कोई अपेक्षा नहीं है। निष्पक्ष रह पाना आपके बस की बात नहीं है। मेरे लेखों की धार से डरकर मेरी पोस्ट को हटाने की आपकी मजबूरी समझ सकती हूँ। आखिर आप एक इंसान ही हैं , कोई भगवान् नहीं । डरपोक होना नब्बे फीसदी इंसानों की फितरत है।
खुश रहिये। -- Good bye !
जो पोस्ट आपने हटाई है उसका कंटेंट था--
"जो मुसलामानों का ईमान और स्वाभिमान खरीद ले , चुनाव आयोग के सिद्धांत खरीद ले , ऐसी ताकतवर पार्टी का नाम है कांग्रेस।"
Zeal
Labels:
Hamariwani
Subscribe to:
Posts (Atom)
काजल कुमार Kajal KumarMar 17, 2012 04:41 AM