आज ख़याल आया , क्यूँ न तुम्हें एक पत्र लिखूं। हर किसी को जीवन के किसी न किसी मोड़ पर , किसी की ज़रुरत होती है। तुम्हें नहीं लगता की तुम्हें है, लेकिन तुम्हें ज़रुरत है एक शुभचिंतक की, जो तुम्हे बताये की तुम क्या करो और देश को तुमसे क्या अपेक्षाएं हैं।
तुम सोने के पिंजरे मैं कैद हो, आजादी का सुख तुमने नहीं चखा है। बड़े वृक्ष के नीचे छोटा वृक्ष कभी नहीं पनपता । तुम कांग्रेस रुपी महा-वृक्ष के नीचे दिन प्रतिदिन सूख रहे हो। बाहर आ जाओ इस मृग-तृष्णा से । पार्टी के दिग्गज तुम्हारी पवित्र और मौलिक सोच को बदल डालेंगे और तुम्हें पता ही नहीं चलेगा। अपनी पहचान खुद बनाओ । त्याग दो मोह , इस उपहार में मिली विरासत का।
तुम्हारे पिताजी ४५ वर्ष की आयु में प्रधान मंत्री बने थे । तुम ४० वर्ष की आयु में ही अपने पिता से ज्यादा दुःख और दुनिया देख चुके हो। तुम देश का नेतृत्त्व करने की क्षमता रखते हो , लेकिन नहीं, त्याग दो कुर्सी के मोह को। इनकार कर दो लेने से, विरासत में मिलने वाले उपहारों को।
प्रिय राहुल तुम शतायु हो, ऐसी मेरी कामना है तुम्हारे लिए। देखो , अब सिर्फ ६० वर्ष हैं तुम्हारे पास इस देश के लिए कुछ कर सकने के लिए। इसलिए देर मत करो । आज़ादी के ६० साल बाद भी हम लोग दासता और मानसिक गुलामी में जकड़े हुए हैं। तुम कुछ करो राहुल। मुक्त कर दो अपने देशवासियों को इस विकृत मानसिकता से।
अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद करो । तुम्हारे पास पैसा है, रुतबा है, जज्बा है , तुम शक्तिशाली हो। तुम्हारी आवाज़ गरीबों की, इमानदारों की, देश भक्तों की आवाज़ को मजबूत बनाएगी। विरासत में मिली अपनी शक्तियों को अपने लिए नहीं बल्कि अपने देश के गौरव की रक्षा , तथा जरूरतमंदों के लिए लगाओ। अगर तुम्हारे जैसे ताकतवर लोग नहीं सोचेंगे तो हम जैसे मामूली लोगों के आवाज़ उठाने से क्या होगा भला ? हमारी आवाज़ में आवाज़ मिलाओ राहुल।
सिद्धार्थ / राहुल / बुद्ध /- की तरह घर छोड़कर संन्यास लेने की जरूरत नहीं है । वहीँ रहो, उनके साथ रहो , लेकिन एक पार्टी के लिए मत जियो और सिर्फ अल्पसंख्यकों के लिए मत जियो। तुम पृथ्वी पर सबसे बड़े देश के सपूत हो। तुम्हारे एक -अरब भाई-बहन हैं। सबके बारे में सोचो।
और हाँ राहुल , अपनी एजुकेशन और बढाओ और कोशिश करो ये समझने की, कि हमारे देश में उच्च शिक्षा के लिए कितनी कम सीटें हैं और शिक्षा मेंहंगी भी है। कुछ करो । तुम कर सकते हो , क्यूंकि तुम सक्षम हो। देश में विद्यार्थियों को अच्छे शैक्षणिक संस्थानों कि ज़रुरत है। हो सके तो प्रति वर्ष , हर कसबे में एक विद्यालय और एक चिकित्सालय खुलवाओ।
तुमसे बहुत अपेक्षाएं हैं देश को। तुम कांग्रेस के नहीं , भारत माता के सपूत हो। लज्जित मत करो अपनी माता को। अभी भी देर नहीं हुई है, सही दिशा में बढ़ो । किसी के बहकावे में मत आओ। देश के बड़े-बड़े मुद्दों पर तटस्थ मत रहो। तुम्हारी चुप्पी बहुत खलती है। चुप रहना सबसे बड़ा अपराध है। इसके लिए ये गरीब जनता तुम्हें कभी नहीं माफ़ करेगी , जो तुम्हारे आगमन पर तुम्हें पलकों पर बिठा लेती है।
काश्मीर मुद्दा, अयोध्या मुद्दा, उच्च शिक्षा, वृद्धों और बच्चों , सबके लिए कुछ करो। कब तक यायावरी में जिंदगी गुजारोगे ? आज हम गरीबों क़ी महनत का ७० हज़ार करोड़ रुपया पानी क़ी तरह बह गया। इस पर कुछ बोलो, अंदर के सारे भेद खोलो । सच को छुपाओ नहीं। गुनाहगार को बचाओ नहीं। तटस्थ मत रहो, क्यूंकि वो तुम्हारे अपने हैं ? क्या हम सभी तुम्हारे नहीं हैं ?
प्रिय राहुल , तुम बदलाव लाना चाहते हो न ?, तो फिर देर किस बात क़ी ? स्वजन के मोह में गांडीव मत रखो। बांधो सर पे कफ़न और अपनी देश-सेवा से ये बता दो क़ी तुम्हारी रगों में भी देश-भक्ति से भरा , भारतीय लहू दौड़ रहा है।
मौका दो, नेताजी, भगत सिंह और शहीदों को तुम पर नाज़ करने का।
बता दो देश को , कि तुम्हारा जीवन देश के लिए समर्पित हैं। सुख और विलासिता में रहकर , देश के प्रति अपने कर्तव्यों को मत भुला देना।
जागो राहुल, देर न करो ।
तुम्हारी शुभचिंतक ,
दिव्या।