Thursday, December 26, 2013

क्या अरविन्द केजरीवाल आम आदमी है ? क्या आम आदमी ऐसे ही होते हैं?

सीआईए की सक्रियता अपने चरम पर है। सीआईए की गतिविधि का एक सिरा केजरीवाल और उनके संगठनों पर विचाराधीन एक जनहित याचिका से जुड़ा है। दिल्ली हाईकोर्ट में इस याचिका के स्वीकार होने के बाद गृह मंत्रालय ने एफसीआरए के उल्लंघन के संदेह पर ‘कबीर’ नाम की गैर सरकारी संगठन के कार्यालय में छापे मारे। यह संस्था टीम अरविंद के प्रमुख सदस्य मनीष सिसोदिया के देख-रेख में चलती है। और यह अरविंद के दिशा निर्देश पर काम करती है। बहरहाल, कबीर के खिलाफ यह कार्रवाई 22 अगस्त, 2012 को हुई थी।
सुप्रीम कोर्ट के वकील मनोहर लाल शर्मा की इस याचिका में आठ लोगों को प्रतिवादी बनाया गया था, इनमें अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया के अलावा गृहमंत्रालय और फोर्ड फाउंडेशन भी शामिल है। केन्द्र सरकार को तीन महीने में जवाब देना था जो अवधि अगस्त महीने में पूरी हो चुकी। सरकार की तरफ से कोई जवाब नही आया। यहां सवाल ये उठता है कि केन्द्र सरकार अरविंद केजरीवाल के मामले में इतनी उदासीन क्यों है? इस सवाल के जवाब में यचिकाकर्ता मनोहरलाल शर्मा कहते है “ केन्द्र सरकार अरविंद केजरीवाल को इसलिए बचा रही है क्योंकि अरविंद केजरीवाल की मुहिम से कांग्रेस अपना राजनैतिक फायदा देख रही है”
मनोहरलाल शर्मा यही नही रुकते वो कहते हैं “ कांग्रेस सरकार के लिए अरविंद केजरीवाल अगर मुसीबत होते तो बाबा रामदेव और नितिन गडकरी की तरह ही जांच होती और अदालत में सरकार अपना पक्ष रख चुकी होती।” कुछ लोग यह भी मान रहे हैं कि कांग्रेस अरविंद केजरीवाल को आगे कर नरेंद्र मोदी की हवा का रुख बदलने की कोशिश कर रही है।
शर्मा कहते है “ केजरीवाल की भ्रष्टाचार भगाने की मुहिम फोर्ड फाउंडेशन के पैसे से चल रही है, फोर्ड फाउंडेशन अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए का फ्रंटल ऑर्गेनाइजेशन है जो दुनिया के कुछ देशों में सिविल सोसाइटी नाम से मुहिम चला रहा है।” शर्मा के मुताबिक फोर्ड फाउंडेशन कई देशों में सरकार विरोधी आंदोलनों को समर्थन देता रहा है। साथ ही आर्थिक सहयोग भी मुहैया कराता है। इसी रास्ते उन देशों में अपना एजेंडा चलाता है। केजरीवाल और उनकी टीम के अन्य सदस्य संयुक्त रूप से फोर्ड फाउंडेशन से आर्थिक मदद लेते रहे हैं।
शर्मा ने आगे कहा कि केजरीवाल ने खुद स्वीकारा है कि उन्होंने फोर्ड फाउंडेशन, डच एम्बेसी और यूएनडीपी से पैसे लिए हैं। फाउंडेशन की वेबसाइट के मुताबिक 2011 में केजरीवाल व मनीष की ‘कबीर’ नामक संस्था को करीब दो लाख अमेरिकी डॉलर का अनुदान मिला था। फॉरेन कॉन्ट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट-2010 के मुताबिक विदेशी धन पाने के लिए भारत सरकार की अनुमति लेना और राशी खर्च करने के लिए निर्धारित मानकों का पालन करना जरूरी होता है, लेकिन टीम केजरीवाल के सदस्यों ने नियमों का पालन नहीं किया”
ये सवाल भी लोग पूछ रहे हैं कि अरविंद केजरीवाल आखिर 20 सालों तक दिल्ली में ही कैसे नौकरी करते रहे? जबकि राजस्व अधिकारी को एक निश्चित स्थान व पद पर तीन वर्ष के लिए ही तैनात किया जा सकता है। अरविंद की पत्नी पर भी उनके महकमें की कृपा रही। ऐसे में सवाल तो उठेंगे ही, क्योंकि अशोक खेमका, नीरज कुमार और अशोक भाटिया जैसे अधिकारियों की हालत जनता देख रही है। अशोक खेमका को 19 साल की नौकरी में 43 तबादलों का सामना करना पड़ा है। नीरज कुमार को 15 साल के कैरियर में 15 बार इधर-उधर किया गया है।

(राकेश सिंह का यह लेख प्रथम प्रवक्ता पत्रिका से साभार है।)

Saturday, December 21, 2013

विकास की आस मोदी

मौलवी के मुँह मेँ मोदी... मुस्लीमोँ के मुँह मेँ मोदी.. संतो के विश्वास मोदी.. हिन्दुओ की गर्जना मेँ मोदी.. रिपोर्टरो के मुँह मेँ मोदी.. कैमरामैन के कैमरे मेँ मोदी... टीवी ओन करो तो मोदी, न्यूज लगाओ तो मोदी जी, फेसबुक ट्विटर लॉग इन करो तो मोदी, हर नेता के मुँह मेँ मोदी... भ्रष्टाचारीयोँ के डर मेँ मोदी.. ईमानदारो की आवाज मोँदी... झूठी सेकुलरो KAA JO BEDAGARK KARE वो मोदी, इंसानो के हौसले मेँ मोदी, विकास की आस मोदी, कांग्रेस का काल मोदी, पाकिस्तानियो का बाप मोदी, चीन का टक्कर मोदी, अमेरिका का घमंड तोड़े मोदी, हर जगह मोदी जी मोदी जी........ देश की जनता कहे, 2014 में विजयी भव मोदी जी........जय हिन्द !

Friday, December 20, 2013

प्रथमे ग्रासे मक्षिका पातः

प्रथमे ग्रासे मक्षिका पातः

दो महान और घाघ पार्टियों में अभी गंठजोड़ हो भी नहीं पायी थी कि आपस में एक दुसरे को दो-मुंहा सांप और छछूंदर कहने कि नौबत आ गयी !

इतनी जल्दी सच्च्चाई सामने आ गयी ?

कृपया SMS से जवाब दें

कृपया SMS से जवाब दें -- 

मेथी का पराठा बनाऊँ या आलू का ?

 [आम जनता से पूछे बगैर अब कोई काम नहीं किया जाएगा]

Zeal

Wednesday, December 11, 2013

"आप" के पाप

. भारतीय आर्मी के दो जवान के सर पाकिस्तानी सैनिको ने काट दिए,
लघभग सभी पार्टियों ने पाकिस्तान के खिलाफ कोई न कोई बयान
दिया था | लेकिन केजरीवाल जी का कहना है कि "पाकिस्तान से जंग
नही होनी चाहिए ।" कहीं ये मुस्लिम तुष्टीकरण तो नहीं है ? अपने
देश के सैनिको के सम्मान की रक्षा में असमर्थता, कायरता ?लिंक देखिये
- http://timesofindia.indiatimes.com/india/Pak-army-
act-unpardonable-but-war-is-undesirable-Kejriwal/
articleshow/18049289.cms
2. "अफजल गुरु की फांसी से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश
की बदनामी हुई है ।" - मुस्लिम तुष्टीकरण एवं देशद्रोह ?
क्योंकि काफी मुस्लिमों ने अफज़ल की फांसी का विरोध किया थालिंक
देखिये- http://hindi.yahoo.com/national-1019183
8-111003850.html
3. "भारतीय आर्मी कश्मीरी लोगो को मारती है |" - मुस्लिम
तुष्टीकरण एवं देशद्रोह ?लिंक देखिये http://
www.greaterkashmir.com/news/2013/Mar/6/army-
responsible-for-killing-of-kashmiris-prashant-
bhushan-41.aspइनका कहना है - कश्मीर में मुस्लिम चाहते है
कि कश्मीर को भारत से अलग कर दिया जाये इसलिए कश्मीर को अलग
कर के भारत का एक टुकड़ा और कर दिया जाए |
4. हिन्दू आतंकवाद आज चरम पर है - मुस्लिम तुष्टीकरण ?लिंक
देखिये- http://hindi.yahoo.com/national-1019183
8-111003850.htmlक्या आज तक किसी पार्टी ने यह कहा है
कि मुस्लिम आतंकवाद आज चरम पर है ?
5. "कश्मीर को भारत से अलग कर दिया जाये" - मुस्लिम तुष्टीकरण
एवं देशद्रोह ?लिंक देखिये- http://www.youtube.com/
watch?v=QQom1xy8kUMकश्मीर में मुस्लिम चाहते है
कि कश्मीर को भारत से अलग कर दिया जाये |
6. बुखारी ने कहा अन्ना के आन्दोलन* से वन्दे मातरम बंद कर दीजिये
क्यूंकि मुस्लिमों में वन्दे मातरम नही बोला जाता है, केजरीवाल ने बंद
किया वन्दे मातरम और बाद में इसी बुखारी के पास मिलने भी गये | -
मुस्लिम तुष्टीकरण एवं देशद्रोह ?लिंक देखिये- http://
www.youtube.com/watch?v=2wyufhKIyesक्या ऐसे
लोगो का समर्थन लेना जरुरी था केजरीवाल को ?
7. "आप" पार्टी की साईट पर एक खास कॉलम
बनाया गया "Muslim Issus" - मुस्लिम तुष्टीकरण ?लिंक देखिये-
http://www.aamaadmiparty.org/meettheteam.aspx
क्या हिन्दुओ की कोई समस्या नही होती है,
क्या मुस्लिमों की ही आज देश में समस्या हैं ?
8. बुखारी की जामा मस्जिद पर 4 करोड़ का बिजली का बिल कई
सालो से बकाया है पर न कांग्रेस कुछ कहती है न हमारे केजरीवाल जी -
मुस्लिम तुष्टीकरण ?लिंक देखिये- http://www.indianexpres
s.com/news/jama-masjid-runs-up-rs-4cr-power-bill-
spat-over-dues-has-area-in-dark/1007397/जबकि
केजरीवाल बिजली बिल के खिलाफ इतने दिनों से बैठे है जिसे वो अनशन
कहते हैं |
9. अकबरुद्दीन ओवैसी ने बयान दिया कि हम 100 करोड़ हिन्दुओ
को खत्म कर देंगे और श्री राम को गलियां दी पर केजरीवाल का कोई
बयान ओवेसी के खिलाफ नही आया बल्कि उन्होंने सुदर्शन न्यूज़
को ही खबर ना दिखाने की नसीहत दे डाली - मुस्लिम तुष्टीकरण ?
सुनिए रोंगटे खड़े कर देने वाले हिन्दू के खिलाफ इस विडियो को-
https://www.youtube.com/watch?v=BXFFR8NX
G1Eलिंक देखिये- http://www.youtube.com/watch?
v=HiyRCEDjLBsकेजरीवाल भक्त कहते हैं कि सुदर्शन न्यूज़ चैनल
को कोई कॉल नही किया गया है तो केजरीवाल ने
ओवैसी का कहीं विरोध क्यूँ नही किया है, किसी भी मीडिया में ओवैसी के
खिलाफ केजरीवाल का कोई बयान नही आया है |
10. "कांग्रेस के हिन्दू विरोधी बिल का समर्थन" - मुस्लिम
तुष्टीकरणजानिए इस रोंगटे खड़े कर देने वाले हिन्दू के खिलाफ बिल
को- http://www.youtube.com/watch?v=vK9CkyVX
i90http%3A%2F%2Fwww.youtube.com%2Fwatch
%3Fv%3DDa1dtkeikewकेजरीवाल
की साथी साजिया इल्मी का tweet देखियेलिंक देखिये- https://
twitter.com/shaziailmi/status/1563351956650721
29केजरीवाल भक्त कहते हैं, हम इस बिल का समर्थन नही करते हैं
तो फिर आपने अभी तक ऐसे हिन्दू विरोधी बिल के खिलाफ मीडिया में
कोई बयान क्यूँ नही दिया है |
11. अरविन्द केजरीवाल की संस्था को फोर्ड फाउंडेशन से पैसे मिले -
लिंक देखिये- http://www.ibtl.in/news/exclusive/1162/
arvind-kejriwal-and-manish-sisodia--has-receiv
ed-400-000-dollars-from-the-ford-foundation-in-the-
last-three-years---arundhati-royजिसका पेट विदेशी पालते
हों वो देश के बारे में भला सोचेगा कैसे ?
12. जनता के पेसे से केजरीवाल एश कर रहे हैं, देखिये इस बिल कोलिंक
देखिये- http://www.bhaskar.com/article/NAT-india-
against-corruption-movement-complete-fund-and-
expenditure-details-3836280-PHO.html?seq=4&HT1=
%3FBIG-PIC%3Dhttp://www.bhaskar.com/article/
NAT-india-against-corruption-movement-complete-
fund-and-expenditure-details-3836280-PHO.html?
seq=5&HT1=%3FBIG-PIC%3D
13. अरविन्द केजरीवाल से प्रश्न पूछो और पिटाई खाओ ! इनसे कोई
सवाल करे तो समर्थक उसको पीट देते हैं |लिंक देखिये- http://
www.punjabkesari.in/news/केजरीवाल-से-सवाल-पूछना-पड़ा-
मंहगा-114388
14. केजरीवाल पर घोटाले का तथ्य छुपाने का आरोपलिंक देखिये-
http://www.samaylive.com/nation-news-in-h
indi/174062/yp-singh-slam-kejriwal-for-hiding-land-
scam.html
15. कांग्रेस ने अपने विरोध को रोकने के लिए और अपने प्रचार के लिए
सोशल मीडिया पर 100 करोड का खर्चा किया है पर केजरीवाल टीम
ने खुलासा किया कि बीजेपी ने 100 करोड़ का खर्चा किया है |लिंक
देखीये- http://www.governancenow.com/gov-next/
egov/congress-plans-rs-100-crore-social-media-war-
chest
16. केजरीवाल की साथी अंजलि दमानिया के घोटाले
का पूरा लेखा झोका !लिंक देखिये- http://www.dnaindia.com/
pune/report_activist-anjali-damania-a-land-shark-to
o_1746829
17. कुमार विश्वास 'ब्रह्मा विष्णु महेश' का मजाक उड़ाते हुए -
क्या कभी कुमार ने अलाह या इसाइयत पर ऐसा कुछ बोला है ?लिंक
देखिये- http://www.youtube.com/watch?v=CvANmaSh
h2U
18. जिस दिन केजरीवाल ने गडकरी के खिलाफ खुलासा किया था उसके
अगले ही दिन ABP न्यूज़ चैनल उन किसानो के घर गया था और
वहां जाकर पता चला कि गडकरी ने उनकी जमीन नही हडपी है और आज
भी वो वहां खेती कर रहे हैं |लिंक देखिये:- http://
www.youtube.com/watch?v=2aYX2Ik5tgkhttp%3A
%2F%2Fwww.youtube.com%2Fwatch%3Fv%3
DHtGHcUjJlagअब समझ आया कि केजरीवाल केवल खुलासे ही क्यूं
करते हैं कोर्ट क्यूँ नही जाते हैं क्यूंकि वहां तो इनके खुलासे चलेंगे
नही अभी से झूट बोलता है राजनीति में आया तो न जाने
क्या क्या करेगा?
19. केजरीवाल टीम का पाकिस्तानी प्रेम - फेसबुक पर लिखते हैं "I
love Pak"लिंक देखिये- http://www.bhaskar.com/article/
TOW-i-love-my-pakista-status-deleted-by-facebo
ok-4178960-NOR.htmlकहता है .... " हमारे पास
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है, लेकिन ये कैसी अभिव्यक्ति की हम आई
लव पाकिस्तान तक नहीं लिख सकते। मैंने यह स्टेट्स सिर्फ इसलिए
लिखा था क्योंकि मैं दोनों देशों के बीच बेहतर संबंधों की ख्वाहिश
रखता हूं।"जरा हरामखोरी की हद तो देखो !!! आए दिन हमारे
जवानों, देश में आतंवाद जैसी घटनाओं को अंजाम देने में लिप्त
पाकिस्तान के साथ ये देश द्रोही बेहतर सम्बन्ध बनाने की ख्वाइश
रखते हैं |
20. केजरीवाल को यह चुनौती दी थी की अगर उनकी टीम में हिम्मत
है तो वे जंतर मंतर में होने वाले debate में शामिल हों और मेरे
तथा अन्य सदस्यों के सवालों का जवाब दें। परन्तु टीम केजरीवाल
का कोई भी सदस्य चर्चा में शामिल नहीं हुआलिंक देखिये- http://
www.youtube.com/watch?v=XPJsKzWx
bKw&list=UU1tnj_v8Sn-hWERFvqSjBWQ&index=9सभी
पार्टी से सवाल पूछते रहते हैं और इनसे कोई सवाल करे तो भाग जाते
हैं |
21. प्रशांत भूसण हिमाचल प्रदेश के जमीन घोलते में फसे हुए हैं |लिंक
देखिये- http://ibnlive.in.com/news/himachal-pradesh-
probe-begins-into-prashant-bhushans-land-deal/
376046-3-254.htmlखुद की पार्टी में घोटाले हैं और लोगो से
सवाल पूछते हैं |
22. प्रशांत भूसण जज को 4 करोड़ की घुस देते हैं |लिंक देखिये-
http://articles.timesofindia.indiatimes.com/
2011-04-17/india/29427409_1_forensic-experts-cor
ruption-spectrum-scamखुद की पार्टी में चोर हैं और पार्टी में
चोर बता रहे हैं |
23. शांति भूसन का 1.3 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी में पकड़े गए और
27 लाख का जुरमाना भरा |लिंक देखिये- http://www.ndtv.com/
article/india/team-anna-s-shanti-bhushan-found-
guilty-of-evading-1-3-crores-of-property-ta
xes-164319खुद की पार्टी में चोर हैं और पार्टी में चोर बता रहे हैं |
24. शांति भूसण ने बैंगलोर में धमाके करने वाले आंतकवादी अब्दुल
नससे मदनी को बचाया था ? इस आतंकवादी ने कितने
ही बेगुनाहों की हत्या कर दी थी? क्या शांति भूसन का मदनी को अपने
मित्र के नाते सजा से बचाना सही है?लिंक देखिये- http://
www.indianexpress.com/news/madani-may-pose-
major-threat-if-released-ktaka-govt/783526खुद
देशद्रोही को बचाते हैं |
25. शांति भूसण नॉएडा व इलाहबाद के जमींन घोटाले में फंसे और
आरोप सिद्ध भी हो चुके हैं |लिंक देखिये- http://
www.youtube.com/watch?v=xRPmTOtFln8एक चोर
पार्टी दूसरी पार्टी में चोर देख रही है |
26. शांति भुसण का आतंकवादी शौकत हुसैन गुरु जिसने 2001 में संसद
पर आतंकी हमले किये थे उसको बचाना सही था ?लिंक देखिये- http://
www.indlawnews.com/Newsdisplay.aspx?
5b7510bd-868e-4a1b-ad58-386ec7aeb7fd
28. शांति भूसण का मुंबई में 1993 में हुए बम धमाको में
आरोपी आतंकवादियों को बचाना सही था ?लिंक देखिये- http://
news.google.co.nz/newspapers?id=lu
IVAAAAIBAJ&sjid=kRMEAAAAIBAJ&p
g=2103%2C2936835
29 कश्मीर दंगो, असम दंगो, सिख दंगो, अभी हाल ही मे हुए
पश्चिम बंगाल दंगो, बंगलादेश दंगो, रामसेतु मुद्दे पर ये कुछ
नहीं कहते | सरकार द्वारा हिन्दू विरोध पर कुछ नही कहते, लेकिन
गुजरात दंगो में मुस्लिम पर इतनी चिंता ? ( जबकि नरेंद्र
मोदी को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल चुकी है )लिंक देखिये- http://
www.youtube.com/watch?v=gnNyH401nQc

अब भी कोई व्यक्ति इस पार्टी के साथ है, तो क्या वो देश-द्रोही, हिन्दू
विरोधी और जीता जागता मूर्ख नहीं है ? निर्णय आप स्वं कीजिये |


 साभार --facebook

Monday, December 9, 2013

मैं तुच्छ हूँ , मामूली हूँ , मेरी कोई औकात नहीं है , मैं आम आदमी हूँ , मैं नहीं जीता , आम आदमी जीता है ! ना सपोर्ट मागूंगा ना दूंगा ! ना जियूँगा न जीने दूंगा! तीन तिकाड़ा काम बिगाड़ा। पका दिया है अरविन्द केजरीवाल ने. ऐसा लगता है जैसे आम आदमी पहले नहीं था , बस इनके आते ही पैदा हो गया ? इन्होने अच्छे और सच्चे लोगों को दरकिनार कर दिया !बाबा रामदेव, अन्ना , किरण बेदी , सबको दूध से मक्खी कि तरह निकाल दिया। सबको भ्रष्ट का तमगा दे दिया। गुड्डा गुड़िया शामिल करके पार्टी बना लिए ! इन्हें वोट देने वाले भी मोबाईल से खेलने वाले ,१८ -१९ कि जमात वाले बच्चा पार्टी ही है !

Thursday, December 5, 2013

बिकाऊ सरकार


आज मलाड - मुंबई स्थित जैन मंदिर तोड़ने आई बिकाऊ सरकार

कई दिनों से देखा जा रहा हे की भारत में जो सब से ज़यादा पवित्र माने जाते हे, जो लोग सब से ज़यादा टैक्स भरते हे, जिनकी वजह से ये देश प्रगति पर हे उन जैन लोगो पे बार बार ये सरकार अत्याचार कर रही हे
पहले लखनऊ में भगवान श्री महावीर स्वामी की प्रतिमा तोड़ दी गई
राजस्थान के तीर्थ में भी श्री नेमनाथजी की प्रतिमा तोड़ दी गई
फ़िर गिरनार में साधू भगवंत पे हमला
फिर महाराष्ट्र में मुनी श्री प्रशांत विजयजी कि हत्या
चंदेरी, मध्य प्रदेश में भी दिगंबर मुनि पे हमला
अहमदाबाद में भी बहोत से जैन मंदिर से चोरी
श्री समेत सिखर तीर्थ भी सरकार ने ले लिया और सब भंडार पे सरकार कि नजर
राजस्थान के केसरियाजी तीर्थ की आय सरकार ले रही हे - जब की राजस्थान सरकार सुप्रीम कोर्ट में भी केस हार चुकी हे
महाराष्ट्र में भी अंतरिक्ष पार्श्वनाथ तीर्थ सरकार कि नजर में
इतना ही नहीं करीब हर २ महीने में किसी न किसी साधू - साध्वी भगवंत पर जानलेवा हमला होता हे
और हमेशा जैन धर्म के सिद्धांतो के साथ खिलवाड़ किया जा रहा हे
और आज फिर से मलाड में सरकार का हमला

मानो कि ये सरकार हाथ धो के धर्म के पीछे पड़ी हे

जब देश में बलात्कार होते हे तब कहा जाती हे ये सरकार
जब देश में गन्दी से गन्दी फिल्मे बनती हे तब कहा जाती हे ये सरकार
सब एकजुट हो के इस सरकार का विरोध करे - आखिर कब तक हम हमारी संस्कृति को ऐसे सरेआम बिकने देंगे ?
Courtesy- Facebook

Friday, November 22, 2013

यौन शोषण' से कोई आपत्ति नहीं है! उन्हें केवल ईगो-प्रॉब्लम थी

तहलका की चीफ एडिटर, शोमा चौधरी को 'यौन शोषण' से कोई आपत्ति नहीं है! उन्हें केवल ईगो-प्रॉब्लम थी और वे मात्र माफी चाहती थीं जो उनके मित्र तरुण ने बिना शर्त मांग भी ली ! अतः शोमा को अब कोई आपत्ति नहीं है इस तरह कि घृणित घटना से !
---------------------------------------
क्या शोमा जानती हैं कि यौन शोषण के आरोप में तरुण को कम से कम सात साल कि सज़ा होती , जिससे वो बच जायेंगे और फिर इन्हें आधार बनाकर, यौन-शोषण के अनेक अन्य आरोपी भी स्वघोषित सज़ा , प्रायश्चित और मात्र माफी आदी से बच जायेंगे ! एक नया रिवाज़ चल जाएगा जो क़ानून के लिए खतरनाक है और स्त्रियों को न्याय पाने से वंचित करेगा ! शोमा को पूरी प्रक्रिया में बाधा नहीं उपस्थित करनी चाहिए ! बलात्कार अथवा यौन शोषण के आरोपी का इस प्राकर बचाव करना एक महिला के लिए अत्यंत शर्मनाक है!

Wednesday, November 20, 2013

भारत-रत्न किसे मिलना चाहिए

भारत-रत्न किसे मिलना चाहिए , इसका criteria क्या है ? और कब वापस मांग लिया जाएगा इसका कोई समय निर्धारित है क्या ?---या सब मौकापरस्त कांग्रेस के मूड पर ही निर्भर करता है?
----------------------------------------------------------------------------

File- PTI Photo/Shashank Parade
Case Filed Against PM, Tendulkar Over Bharat Ratna



The awarding of Bharat Ratna to Sachin Tendulkar was drawn to the court today with a petitioner challenging the Centre's decision to bestow the honour on the just-retired cricketer and alleging a 'conspiracy' to ignore hockey legend Dhyanchand.

A local advocate Sudhir Kumar Ojha, in his petition filed in the CJM S P Singh's court, named as accused Prime Minister Manmohan Singh, Home Minister Sushil Kumar Shinde, Sports Minister Bhanwar Jitendra Singh and the secretary to the union home department besides Tendulkar himself for selecting the star cricketer for the honour in a 'conspiratorial manner' soon after his retirement from all formats of the game.

He brought charges against them under sections (offences relating to cheating and dishonesty) 419 (punishment for cheating by personation), 417 (punishment for cheating), 504 (intentional insult with intent to provoke breach of peace) and 120(B) (punishment of criminal conspiracy) of the Indian Penal Code.

Ojha alleged in his petition that the government has cheated the people and hurt their sentiments by going back on its own earlier decision to give the highest civilian honour to Tendulkar and Dhyanchand taking into account a raging debate on the issue and recommending only the cricketer.

He alleged that soon after the 'Master blaster' bid adieu to the game, they conspired to select him for the award for his contributions to the sport and ignore Dhyanchand.

The petition said none of the distinguished persons like former prime minister Atal Bihari Vajpayee, socialist leader Ram Manohar Lohia or other cricketers who had brought glory to the country had been considered for the award.

"But a millionaire like Sachin Tendulkar has been given the award under a conspiracy," the petition said.

Ojha has made JD(U) MP Shivanand Tiwari, who spoke out against the Centre on the issue yesterday, a witness in the case.

The CJM admitted the case and fixed December 10 for the hearing in the matter.

The Centre had announced the decision to confer Bharat Ratna on Tendulkar within hours of his bidding adieu to cricket in Mumbai last week.
--------------------------------------------------------------

 http://news.outlookindia.com/items.aspx?artid=817807

Wednesday, November 6, 2013

मुझे प्रधानमन्त्री बनना है -- नेहरू

मुझे प्रधानमंत्री बनना है , मुझे प्रधानमन्त्री बनना है कि ज़िद न कि होती तो नेहरू को कोई न बनाता प्रधानमन्त्री।
----------------------------------------------------
 यदि सरदार वल्लभ भाई पटेल ही पहले प्रधानमंत्री होते तो  इस देश कि तस्वीर ही कुछ अलग होती। पाकिस्तानियों , चीनियों और अमरीकियों कि ज़ुर्रत भी नहीं होती भारत देश कि ओर देखने की। देश में राम-राज होता और कांग्रेस में गुलाम अमूल बेबियों और पप्पुओं कि जगह  वीर देशभक्त देशभक्त पैदा होते।

Nehru dynasty  कि यही ज़िद अब राहुल ने पकड़ रखी है। काबिलियत और लयकीयत से कोई वास्ता नहीं है कांग्रेसी-परिवारवादियों को।

जय भारत ! जय पटेल !

फतवा-वालों की चाकरी , कजरारे-केजरी

मुस्लिम वोटों की नाव पर टिकी हुयी है फर्जी नेताओं कि राजनीति, वरना कब कि डूब चुकी होती इनकी नैय्या। फतवा जारी करने वाले मौलवियों कि शरण में हैं केजरीवाल। समर्थन मांगने के लिए ढंग के लोग नहीं मिलते  इन वोट के लालचियों को?

भड़काऊ भाषण द्वारा दंगे भड़काने के आरोप में जेल काट चुके तौकीर रज़ा खान ने लेखिका तस्नीमा नसरीन के खिलाफ फतवा जारी किया। आरोप लगने पर केजरीवाल ने कहा मैं इन्नोसेंट , हूँ मुझे ये सब पता नहीं था ! अरे कोई तो पढ़ाओ लिखो केजरीवाल को , नहीं तो लश्करे तैयबा वाले भी ज्वाइन कर लेंगे "आप" पार्टी को , क्योंकि केजरीवाल तो इन्नोसेंट हैं, आतंकवाद पर अपडेट नहीं रहते हैं ये।

फतवा-वालों की चाकरी , कजरारे-केजरी

Thursday, October 3, 2013

लालबहादुर शास्त्री


‘‘हम चाहे रहें या न रहें, हमारा देश और तिंरगा झंडा रहना चाहिए और मुझे पूरा विश्वास है कि हमारा तिंरगा हमेशा ऊंचा रहेगा, भारत विश्व के देशों में सर्वोच्च होगा। यह उन सबमें अपनी गौरवाशाली विरासत का संदेश पहुंचाएगा।’’ ये शब्द भारत के द्वितीय प्रधानमंत्री श्री लालबहादुर शास्त्री के हैं, जो उन्होंने लालकिले की प्राचीर से 15 अगस्त, 1965 को कहे थे।

छोटी कद काठी में विशाल हृदय रखने वाले श्री शास्त्री के पास जहां अनसुलझी समस्याओं को आसानी से सुलझाने की विलक्षण क्षमता थी, वहीं अपनी खामियों को स्वीकारने का अदम्य साहस भी उनमें विद्यमान था। हृदय में छिपी देशप्रेम की चिंगारी से शास्त्रीजी को स्वाधीनता संग्राम में अंग्रेजों के खिलाफ जूझ मरने की शक्ति प्राप्त हुई। सन् 1965 में जब पड़ोसी देश पाकिस्तान ने हमारी सीमाओं का अतिक्रमण करने की भूल की तो उनका सरल स्वभाव उग्र होकर दहक उठा। उनकी ललकार का मनोबल पाकर भारतीय सैनिकों ने पाक-सेना को अपने इरादे बदलने के लिए विवश कर दिया। शास्त्रीजी के नारे ‘जय जवान, जय किसान’ ने किसानों और सैनिकों के माध्यम से देश में चमत्कार भरा उत्साह फूंक दिया।

शास्त्रीजी प्रतिनिधि थे एक ऐसे आम आदमी के, जो अपनी हिम्मत से विपरीत परिस्थितियों की दिशाएं मोड़ देता है। एक साधारण परिवार में जन्मे और विपदाओं से जूझते हुए सत्य, स्नेह, ईमानदारी कर्तव्यनिष्ठा एवं निर्भीकता के दम पर विश्व के सबसे बड़े प्रजातांत्रिक देश भारत के प्रधानमंत्री पद पर पहुंचने की अपने आपमें एक अनोखी मिसाल हैं-लालबहादुर शास्त्री। आज देश को ऐसे ही सशक्त नेतृत्व की जरूरत है।

लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर, 1904 को मुगलसराय, उत्तर प्रदेश में एक प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव (जो बाद में भारत सरकार के राजस्व विभाग के क्लर्क के पद पर आसीन हुए) और उनकी धर्मपत्नी रामदुलारी के पुत्र के रूप में हुआ था। परिवार में सबसे छोटा होने के कारण बालक लालबहादुर श्रीवास्तव को परिवार वाले प्यार से नन्हें कहकर ही बुलाया करते थे। जब वे अठारह महीने का हुए, तब दुर्भाग्य से पिता का निधन हो गया और माँ रामदुलारी अपने पिता हजारीलाल के घर मिर्ज़ापुर चली गयीं। कुछ समय बाद नाना भी नहीं रहे और ऐसे में बिना पिता के बालक नन्हें की परवरिश करने में बालक के मौसा रघुनाथ प्रसाद ने उसकी माँ का बहुत सहयोग किया।

ननिहाल में रहते हुए ही लालबहादुर ने प्राथमिक शिक्षा ग्रहण की और उसके बाद की शिक्षा हरिश्चन्द्र हाई स्कूल में हुई। 17 वर्ष की अल्पायु में ही गाँधीजी की स्कूलों और कॉलेजों का बहिष्कार करने की अपील पर वे पढ़ाई छोड़कर असहयोग आंदोलन से संलग्न हो गए। परिणामस्वरूप वे जेल भेज दिए गए। जेल से रिहा होने के पश्चात्‌ उन्होंने काशी विद्यापीठ (वर्तमान महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ) में पढ़ाई आरंभ की। काशी विद्यापीठ से शास्त्री की उपाधि मिलते ही उन्होंने जन्म से चला आ रहा जातिसूचक शब्द श्रीवास्तव हमेशा के लिये हटा दिया और अपने नाम के आगे शास्त्री लगा लिया और इसके पश्चात 'शास्त्री' शब्द 'लालबहादुर' के नाम के साथ ऐसा समबद्ध हुआ कि लोग इसे ही उनकी जाति समझने लग गए।

स्नातकोत्तर के बाद वह गांधी के अनुयायी के रूप में फिर राजनीति में लौटे। सन्‌ 1926 में शास्त्रीजी ने इलाहाबाद को अपना कार्य-क्षेत्र चुना और 1929 में उन्होंने श्री पुरुषोत्तम दास टंडन के साथ 'भारत सेवक संघ' के इलाहाबाद इकाई के सचिव के रूप में काम किया। बाद में वे इलाहाबाद नगर पालिका, तदोपरांत इम्प्रुवमेंट ट्रस्ट के भी सदस्य रहे| स्वाधीनता आंदोलन के दौरान वे कुल सात बार जेल गए और अपने जीवन में कुल मिलाकर 9 वर्ष उन्हें कारावास की यातनाएँ सहनी पड़ीं। 1928 में उनका विवाह श्री गणेशप्रसाद की पुत्री 'ललिता' से हुआ। ललिता जी से उनके छ: सन्तानें हुईं, चार पुत्र- हरिकृष्ण, अनिल, सुनील व अशोक; और दो पुत्रियाँ- कुसुम व सुमन। उनके चार पुत्रों में से दो- अनिल शास्त्री और सुनील शास्त्री प्रभुकृपा से अभी भी हैं, शेष दो दिवंगत हो चुके हैं।

अपने राजनैतिक सफ़र में उन्होंने संयुक्त प्रांत (वर्तमान उत्तर प्रदेश) की कांग्रेस पार्टी में प्रभावशाली पद ग्रहण किए और 1937 एवं 1946 में वे संयुक्त प्रांत की विधायिका में निर्वाचित हुए। भारत की स्वतंत्रता के पश्चात शास्त्री जी को उत्तर प्रदेश के संसदीय सचिव के रूप में नियुक्त किया गया था। वो गोविंद बल्लभ पंत के मुख्यमंत्री के कार्यकाल में गृह एवं यातायात मंत्री बने। यातायात मंत्री के समय में उन्होंनें प्रथम बार किसी महिला को संवाहक (कंडक्टर) के पद में नियुक्त किया। प्रहरी विभाग के मंत्री होने के बाद उन्होंने भीड़ को नियंत्रण में रखने के लिए लाठी के जगह पानी की बौछार का प्रयोग प्रारंभ कराया।

1951 में जवाहर लाल नेहरु के नेतृत्व में वह अखिल भारत काँग्रेस कमेटी के महासचिव नियुक्त किये गये। 1952 में वह संसद के लिये निर्वाचित हुए और केंद्रीय रेलवे व परिवहन मंत्री बने। इसी पद पर कार्य करते समय शास्त्रीजी की प्रतिभा पहचान कर 1952 के पहले आम चुनाव में कांग्रेस पार्टी के चुनाव आंदोलन को संगठित करने का भार नेहरू जी ने उन्हें सौंपा। चुनाव में कांग्रेस भारी बहुमत से विजयी हुई जिसका बहुत कुछ श्रेय शास्त्रीजी की संगठन कुशलता को दिया गया। 1952 में ही शास्त्रीजी राज्यसभा के लिए चुने गए और उन्हें बहुत ही महत्वपूर्ण “रेल मंत्रालय” का दायित्व मिला।

वर्ष 1954 में इलाहाबाद में महाकुंभ मेला लगा जिसमें करीब 20 लाख तीर्थयात्रियों के लिए व्यवस्था की गई। दुर्भाग्यवश मौनी अमावस्या स्नान के दौरान बरसात होने के फलस्वरूप बांध पर फिसलन होने से प्रात: 8.00 बजे दुर्घटना हो गई। सरकारी आंकड़ों ने 357 मृत व 1280 को घायल बताया, परंतु ग्राम सेवादल कैंप जिसकी देखरेख मृदुला साराभाई व इंदिरा गांधी कर रही थीं, की गणना के अनुसार यह संख्या दोगुनी थी। दुर्घटना पर जांच कमीशन बैठा जिसने डेढ़ वर्ष बाद रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार और रेल अव्यवस्था को दोषी करार दिया। 1956 के मध्य में भी कुछ और रेल दुर्घटनाएं हो गईं, जिसमें 1956 में हुयी अडियालूर रेल दुर्घटना, जिसमें कोई डेढ़ सौ से अधिक लोग मारे गए थे, प्रमुख थी। शास्त्रीजी ने अपना नैतिक दायित्व मानते हुए रेलमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया और इनके इस निर्णय का देशभर में स्वागत किया गया|
शास्त्रीजी को कभी किसी पद या सम्मान की लालसा नहीं रही। उनके राजनीतिक जीवन में अनेक ऐसे अवसर आए जब शास्त्रीजी ने इस बात का सबूत दिया। इसीलिए उनके बारे में अक्सर यह कहा जाता है कि वे अपना त्यागपत्र सदैव अपनी जेब में रखते थे।

अपने सद्गुणों व जनप्रिय होने के कारण 1957 के द्वितीय आम चुनाव में वे विजयी हुए और पुनः केंद्रीय मंत्रिमंडल में परिवहन व संचार मंत्री के रूप में सम्मिलित किए गए। सन्‌ 1958 में वे वाणिज्य व उद्योगे मंत्री बनाए गए। पं. गोविंद वल्लभ पंत के निधन के पश्चात्‌ सन्‌ 1961 में वे गृहमंत्री बने, किंतु सन्‌ 1963 में जब कामराज योजना के अंतर्गत पद छोड़कर संस्था का कार्य करने का प्रश्न उपस्थित हुआ तो उन्होंने सबसे आगे बढ़कर बेहिचक पद त्याग दिया। पंडित जवाहरलाल नेहरू जब अस्वस्थ रहने लगे तो उन्हें शास्त्रीजी की बहुत आवश्यकता महसूस हुई। जनवरी 1964 में वे पुनः सरकार में अविभागीय मंत्री के रूप में सम्मिलित किए गए और नेहरू की मृत्यु के बाद चीन के हाथों युद्ध में पराजय की ग्लानि के समय 9 जून 1964 को उन्हें प्रधानमंत्री का पद सौंपा गया।

शास्त्रीजी को प्रधानमंत्रित्व के 18 माह की अल्पावधि में अनेक समस्याओं व चुनौतियों का सामना करना पड़ा किंतु वे उनसे तनिक भी विचलित नहीं हुए और अपने शांत स्वभाव व अनुपम सूझ-बूझ से उनका समाधान ढूँढने में कामयाब होते रहे। स्व. पुरुषोत्तमदास टंडन ने शास्त्री जी के बारे में ठीक ही कहा था कि उनमें कठिन समस्याओं का समाधान करने, किसी विवाद का हल खोजने तथा प्रतिरोधी दलों में समझौता कराने की अद्भुत प्रतिमा विद्यमान थी।

कश्मीर की हजरत बल मस्जिद से हजरत मोहम्मद के पवित्र बाल उठाए जाने के मसले को, जिससे सांप्रदायिक अशांति फैलने की आशंका उत्पन्न हो गई थी, शास्त्रीजी ने जिस ढंग से सुलझाया वह सदा अविस्मरणीय रहेगा। देश में खाद्यान्न संकट उत्पन्न होने पर अमेरिका के प्रतिमाह अन्नदान देने की पेशकश पर तो शास्त्रीजी तिलमिला उठे किंतु संयत वाणी में उन्होंने देश का आह्वान किया- 'पेट पर रस्सी बाँधो, साग-सब्जी ज्यादा खाओ, सप्ताह में एक शाम उपवास करो। हमें जीना है तो इज्जत से जिएँगे वरना भूखे मर जाएँगे। बेइज्जती की रोटी से इज्जत की मौत अच्छी रहेगी।'

हालांकि भारत की आर्थिक समस्याओं से प्रभावी ढंग से न निपट पाने के कारण शास्त्री जी की आलोचना हुई, लेकिन जम्मू-कश्मीर के विवादित प्रांत पर पड़ोसी पाकिस्तान के साथ वैमनस्य भड़कने पर उनके द्वारा दिखाई गई दृढ़ता के लिये उन्हें बहुत लोकप्रियता मिली| उनको चाहने वाले लोगों को वो दिन आज भी याद आता है जब 1965 में अचानक पाकिस्तान ने भारत पर सायं 7.30 बजे हवाई हमला कर दिया था तो उस समय तीनों रक्षा अंगों के चीफ ने लालबहादुर शास्त्री से पूछा ‘सर आप क्या चाहते है आगे क्या किया जाए…आप हमें हुक्म दीजिए’ तो ऐसे में शास्त्री जी ने कहा कि “आप देश की रक्षा कीजिए और मुझे बताइए कि हमें क्या करना है?” ऐसे प्रधानमंत्री बहुत कम ही होते हैं जो अपने पद को सर्वोच्च नहीं वल्कि अपने पद को जनता के लिए कार्यकारी मानकर चलते है|

सन्‌ 1965 के भारत-पाक युद्ध में उन्होंने विजयश्री का सेहरा पहना कर देश को ग्लानि और कलंक से मुक्त करा दिया। छोटे कद के विराट हृदय वाले शास्त्रीजी अपने अंतिम समय तक शांति की स्थापना के लिए प्रयत्नशील रहे। सन्‌ 1965 के भारत-पाक युद्ध विराम के बाद उन्होंने कहा था कि 'हमने पूरी ताकत से लड़ाई लड़ी, अब हमें शांति के लिए पूरी ताकत लगानी है।' शांति की स्थापना के लिए ही उन्होंने 10 जनवरी 1966 को ताशकंद में पाकिस्तानी राष्ट्रपति अय्यूब खाँ के साथ 'ताशकंद समझौते' पर हस्ताक्षर किए।

भारत की जनता के लिए यह दुर्भाग्य ही रहा कि ताशकंद समझौते के बाद वह इस छोटे कद के महान पुरुष के नेतृत्व से हमेशा-हमेशा के लिए वंचित हो गई। 11 जनवरी सन्‌ 1966 को इस महान पुरुष का ताशकंद में ही हृदयगति रुक जाने से निधन हो गया। मरणोपरांत सन्‌ 1966 में उन्हें भारत के सर्वोच्च अलंकरण 'भारत रत्न' से विभूषित किया गया। राष्ट्र के विजयी प्रधानमंत्री होने के नाते उनकी समाधि का नाम भी 'विजय घाट' रखा गया। भारत के अद्वितीय प्रधानमन्त्री स्वर्गीय लालबहादुर शास्त्री जी भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं किन्तु उनके द्वारा स्थापित नैतिक मूल्यों का वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों में अभी भी महत्व है.

शास्त्री जी के पुत्र सुनील शास्त्री की पुस्तक 'लालबहादुर शास्त्री, मेरे बाबूजी' के अनुसार शास्त्री जी आज के राजनीतिज्ञों से बिल्कुल भिन्न थे। उन्होंने कभी भी अपने पद या सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग नहीं किया। अपनी इस दलील के पक्ष में एक नजीर देते हुए उन्होंने लिखा है, 'शास्त्री जी जब 1964 में प्रधानमंत्री बने, तब उन्हें सरकारी आवास के साथ ही इंपाला शेवरले कार मिली, जिसका उपयोग वह न के बराबर ही किया करते थे। वह गाड़ी किसी राजकीय अतिथि के आने पर ही निकाली जाती थी।' किताब के अनुसार एक बार उनके पुत्र सुनील शास्त्री किसी निजी काम के लिए इंपाला कार ले गए और वापस लाकर चुपचाप खड़ी कर दी। शास्त्रीजी को जब पता चला तो उन्होंने ड्राइवर को बुलाकर पूछा कि कल कितने किलोमीटर गाड़ी चलाई गई और जब ड्राइवर ने बताया कि चौदह किलोमीटर तो उन्होंने निर्देश दिया, 'लिख दो, चौदह किलोमीटर प्राइवेट यूज।' शास्त्रीजी यहीं नहीं रुके बल्कि उन्होंने अपनी पत्नी को बुलाकर निर्देश दिया कि उनके निजी सचिव से कह कर वह सात पैसे प्रति किलोमीटर की दर से सरकारी कोष में पैसे जमा करवा दें।

शास्त्रीजी की सादगी और किफायत का यह आलम था कि एक बार उन्होंने अपना फटा हुआ कुर्ता अपनी पत्नी को देते हुए कहा, 'इनके रूमाल बना दो।' इस सादगी और किफायत की कल्पना तो आज के दौर के किसी भी राजनीतिज्ञ से नहीं की जा सकती। पुस्तक में कहा गया है, 'वे क्या सोचते हैं, यह जानना बहुत कठिन था, क्योंकि वे कभी भी अनावश्यक मुंह नहीं खोलते थे। खुद कष्ट उठाकर दूसरों को सुखी देखने में उन्हें जो आनंद मिलता था, उसका वर्णन नहीं किया जा सकता।'

लालबहादुर शास्त्री अपनी सारी व्यस्ताओं के बावजूद अपनी मां के साथ कुछ पल बिताना नहीं भूलते थे और बाहर से चाहे वे कितना ही थककर आयें अगर मां आवाज देती थीं तो वह उनके पास जाकर जरूर बैठते थे। पुस्तक ‘‘लालबहादुर शास्त्री, मेरे बाबूजी’’ में बताया गया है कि शास्त्री जी की मां उनके कदमों की आहट से उनको पहचान लेती थीं और बड़े प्यार से धीमी आवाज में कहती थीं ‘‘नन्हें, तुम आ गये? और शास्त्री जी चाहे कितनी ही परेशानियों से लदे हुए आये हों, मां की आवाज सुनते ही उनके कदम उस कमरे की तरफ मुड़ जाते थे, जहां उनकी मां की खाट पड़ी थी।

पुस्तक के अनुसार शास्त्री जी की मां रामदुलारी 1966 में शास्त्री जी के निधन के बाद नौ माह तक जीवित रहीं और इस पूरे समय उनकी फोटो सामने रख उसी प्यार एवं स्नेह से उन्हें चूमती रहती थीं, मानों वह अपने बेटे को चूम रही हों। सुनील शास्त्री के अनुसार उनकी दादी कहती थीं, इस नन्हे ने जन्म से पहले नौ महीने पेट में आ बड़ी तकलीफ दी और नहीं जानती थी कि वह इस दुनिया से कूच कर मुझे नौ महीने फिर सतायेगा। किताब के अनुसार शास्त्री जी के निधन के ठीक नौ माह बाद उनकी माता का निधन हो गया था। लेखक लिखते हैं, दादी का प्राणांत बाबूजी के दिवंगत होने के ठीक नौ महीने बाद हुआ। पता नहीं कैसे दादी को मालूम था कि नौ महीने बाद ही उनकी मृत्यु होगी।

शास्त्रीजी की मृत्यु को लेकर तरह-तरह के कयास लगाये जाते रहे। बहुतेरे लोगों का, जिनमें उनके परिवार के लोग भी शामिल हैं, मत है कि शास्त्रीजी की मृत्यु हार्ट अटैक से नहीं बल्कि जहर देने से ही हुई। पहली इन्क्वायरी राज नारायण ने करवायी थी, जो बिना किसी नतीजे के समाप्त हो गयी ऐसा बताया गया। मजे की बात यह कि इण्डियन पार्लियामेण्ट्री लाइब्रेरी में आज उसका कोई रिकार्ड ही मौजूद नहीं है। यह भी आरोप लगाया गया कि शास्त्रीजी का पोस्ट मार्टम भी नहीं हुआ। 2009 में जब यह सवाल उठाया गया तो भारत सरकार की ओर से यह जबाव दिया गया कि शास्त्रीजी के प्राइवेट डॉक्टर आर० एन० चुघ और रूस के कुछ डॉक्टरों ने मिलकर उनकी मौत की जाँच तो की थी परन्तु सरकार के पास उसका कोई रिकॉर्ड नहीं है। बाद में प्रधानमन्त्री कार्यालय से जब इसकी जानकारी माँगी गयी तो उसने भी अपनी मजबूरी जतायी।

शास्त्रीजी की मौत में संभावित साजिश की पूरी पोल आउटलुक नाम की एक पत्रिका ने खोली। 2009 में, जब साउथ एशिया पर सीआईए की नज़र (CIA's Eye on South Asia) नामक पुस्तक के लेखक अनुज धर द्वारा सूचना के अधिकार के तहत माँगी गयी जानकारी पर प्रधानमन्त्री कार्यालय की ओर से यह कहना कि "शास्त्रीजी की मृत्यु के दस्तावेज़ सार्वजनिक करने से हमारे देश के अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध खराब हो सकते हैं तथा इस रहस्य पर से पर्दा उठते ही देश में उथल-पुथल मचने के अलावा संसदीय विशेषधिकारों को ठेस भी पहुँच सकती है। ये तमाम कारण हैं जिससे इस सवाल का जबाव नहीं दिया जा सकता।", यही बतलाता है कि कहीं कुछ है जो गड़बड़ है।

यही नहीं, कुछ समय पूर्व प्रकाशित एक अन्य अंग्रेजी पुस्तक में लेखक पत्रकार कुलदीप नैयर ने भी, जो उस समय ताशकन्द में शास्त्रीजी के साथ गये थे, इस घटना चक्र पर विस्तार से प्रकाश डाला है। गत वर्ष जुलाई 2012 में शास्त्रीजी के तीसरे पुत्र सुनील शास्त्री ने भी भारत सरकार से इस रहस्य पर से पर्दा हटाने की माँग की थी, जिनका कहना था कि जब शास्त्री जी के शव को उन्होंने देखा था तो उनकी छाती, पेट और पीठ पर नीले निशान थे जिन्हें देखकर साफ लग रहा था कि उन्हें जहर दिया गया है। लालबहादुर शास्त्री की पत्नी ललिता शास्त्री का भी यही कहना था कि लालबहादुर शास्त्री की मौत संदिग्ध परिस्थितियों में हुई थी| सबसे पहले सन् 1978 में प्रकाशित मदनलाल 'क्रान्त ' की काव्य-कृति 'ललिता के आँसू' में शास्त्रीजी की मृत्यु की करुण कथा को स्वाभाविक ढँग से उनकी धर्मपत्नी ललिता शास्त्री के माध्यम से कहलवाया गया था, जो उस समय जीवित थीं।

हे मर्यादा के शुचि प्रतीक! ओ मानवता के पुण्य धाम!
हे अद्वितीय इतिहास पुरुष! शास्त्री! तुमको शत-शत प्रणाम!!
तुमने स्वदेश का कल देखा, अपने जीवन का आज नहीं;
तुमने मानव-मन की पुकार को किया नजर अंदाज नहीं.
तुमने तारों की प्रभा लखी,सूना आकाश नहीं देखा;
तुमने पतझड़ की झाड़ सही,कोरा मधुमास नहीं देखा.
तुमने प्रतिभा की पूजा की, प्रतिमा को किया न नमस्कार;
तुम सिद्धान्तों के लिए लड़े, धर्मों का किया न तिरस्कार.
तुमने जलते अंगारों पर, नंगे पैरों चलना सीखा;
तुमने अभाव के आँगन में भी, भली-भाँति पलना सीखा.
तुमने निर्धनता को सच्चा वरदान कहा, अभिशाप नहीं;
तुमने बौद्धिक विराटता का, माना कोई परिमाप नहीं.
तुमने आदर्शवाद माना, माना कोई अपवाद नहीं;
तुमने झोंपड़ियाँ भी देखीं, देखे केवल प्रासाद नहीं.
तुम वैज्ञानिक बन आये थे, खोजने सत्य विश्वास शान्ति;
तुमने आवरण नहीं देखा, खोजी अन्तस की छुपी कान्ति.
तुमने केवल पाया न अकेले ललिता का ही ललित प्यार;
तुमको जीवन पर्यन्त मिला, माँ रामदुलारी का दुलार.
तुमने शासन का रथ हाँका पर मंजिल तक पहुँचा न सके;
तुम हाय! अधर में डूब गये, जीवित स्वदेश फिर आ न सके.
तुम मरे नहीं हो गये अमर, इतना है दृढ विश्वास मगर;
रह गया अधूरा "जय किसान" इसकी अब लेगा कौन खबर?
तुम थे गुलाब के फूल मगर दोपहरी में ही सूख गये;
तुमने था लक्ष्य सही साधा पर अन्तिम क्षण में चूक गये.
जो युद्ध-क्षेत्र में नहीं छुटा, पथ शान्ति-क्षेत्र में छूट गया;
जो ह्रदय रहा संकल्प-निष्ठ, क्यों अनायास ही टूट गया?
यह प्रश्न आज सबके उर में शंका की तरह उभरता है;
पर है वेवश इतिहास मौन, कोई टिप्पणी न करता है?
जो कठिन समस्या राष्ट्र अठारह वर्षों में सुलझा न सका;
भारत का कोई भी दुश्मन तुमको भ्रम में उलझा न सका.
वह कठिन समस्या मात्र अठारह महिने में सुलझा दी थी;
चढ़ चली जवानी अरि-दल पर तुमने वह आग लगा दी थी.
अत्यल्प समय के शासन में सम्पूर्ण राष्ट्र हुंकार उठा;
उठ गयी तुम्हारी जिधर दृष्टि उस ओर लहू ललकार उठा.
तुम गये आँसुओं से आँचल माँ वसुन्धरा का भीग गया;
जन-जन की श्रद्धांजलियों से पावन इतिहास पसीज गया.
हे लाल बहादुर! आज तुम्हारी चिर-प्रयाण-तिथि पर अशान्त-
मन से अपनी यह श्रद्धांजलि, तुमको अर्पित कर रहा 'क्रान्त'|

गरीबी में जन्मे, पले और बढ़े शास्त्रीजी को बचपन में ही गरीबी की मार की भयंकरता का बोध हो गया था, फलतः उनकी स्वाभाविक सहानुभूति उन अभावग्रस्त लोगों के साथ रही जिन्हें जीवनयापन के लिए सतत संघर्ष करना पड़ता है। वे सदैव इस हेतु प्रयासरत रहे कि देश में कोई भूखा, नंगा और अशिक्षित न रहे तथा सबको विकास के समान साधन मिलें। शास्त्रीजी का विचार था कि देश की सुरक्षा, आत्मनिर्भरता तथा सुख-समृद्धि केवल सैनिकों व शस्त्रों पर ही आधारित नहीं बल्कि कृषक और श्रमिकों पर भी आधारित है और इसीलिए उन्होंने नारा दिया, 'जय जवान, जय किसान।' 

Courtesy- Facebook

Monday, September 30, 2013

गलत संगत

गलत संगत करने से परिणाम हमेशा अपमानजनक ही होते हैं ! कांग्रेस की संगत में रहकर कल के पैदा राहुल ने प्रधानमन्त्री के निर्णय को " नॉनसेंस" बताकार उनके मुंह पर चांटा जड़ा और पाकिस्तानियों से दोस्तीदारी का नतीजा क्या निकला ? नवाज़ शरीफ ने प्रधानमन्त्री मनमोहनसिंह को "देहाती औरत " कहा जो प्रपंच और चुगली करती है ! और पड़िए गलत संगत में , परिणाम सामने है।

वैसे क्या गलत कहा शरीफ ने ? काश हमारे प्रधानमन्त्री में भी इतना दम होता ही वे एक के बदले दो चांटा जड़ आते नवाज़ शारीफ के मुंह पर , तब तो कोई बात थी वरना लौलीपॉप चाटने वाले बहुत हैं।

Wednesday, September 25, 2013

सोशल मीडिया ने नींद उड़ा दी है नेताओं की

सोशल मीडिया ने नींद उड़ा दी है नेताओं की। ये चाहते हैं की ये कुछ भी करें लेकिन पर्दाफ़ाश न हो। लेकिब ये संभव नहीं। जनता का खून पियोगे तो पल भर में रिपोर्ट सबके सामने ला दी जायेगी। अब आप अपने घर के अँधेरे कमरे में भी कुछ करोगे तो सच सोशल मीडिया सामने लाकर रख देगा ! नेताओं का भय ही हमारी सफलता है ! अपना नैतिक , चारित्रिक और राजनैतिक पतन रोको अन्यथा सब उजागर कर दिया जाएगा ! नेताओं के मन में भय पैदा होना एक शुभ संकेत है। सोशल मीडिया सही दिशा में है। जय हिन्द ! वन्दे मातरम् !

Wednesday, September 18, 2013

एक और जिन्नाह ..

नेताओं की सियासत के कारण ही पुलिस महकमा बदनाम हो रहा है और जनता असुरक्षित महसूस कर रही है। मुजफ्फरनगर दंगों में जब पुलिस ने दंगाइयों को पकड़ा तो आज़म खाम ने फोन करके कहा कि --- "इन्हें छोड़ दो और जो चल रहा है उसे चलने दो"....आज़म खान चाहते थे की दंगे भड़के, लोग मरें और उसकी सियासी लाभ वे ले सकें ! ईमानदार पुलिस अफसरों को सपा-सरकार परेशान कर रही है। अखिलेश यादव ,एक और जिन्नाह को पाल पोस रहा है ! निज स्वार्थ में पूरे देश को दांव पर लगा रहा है।

Monday, September 16, 2013

वोट-बैंक की गंदी सियासत

सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह की सियासी नौटंकी चल रही है मुजफ्फरनगर में। NDTV टीवी वाले केवल रोते हुए मुस्लिम चेहरे ही दिखा रहे हैं मानो हिन्दुओं को कुछ हुआ ही न हो। सारे पीड़ित मुस्लिम ही हों ! वोट-बैंक की गंदी सियासत ?

Sunday, September 15, 2013

सटीक निर्णय

कोई भी विरोध उगते सूरज को आसमान पर आने से रोक नहीं सकता। मोदी का उदय हो चुका है। बीजेपी ने बहुत सही फैसला , सही समय से लिया है! मोदी जी के नाम की घोषणा से विधान सभा चुनावों में भी बहुत लाभ मिलेगा ! यही सही समय था घोषणा का जब मोदी की लोकप्रियता अपने चरम पर है और उनके चाहने वालों का उत्साह भी। यदी कोई और निर्णय लिया जाता तो करोड़ों लोग निराश हो जाते।

बीजेपी के सही एवं सटीक निर्णय का ह्रदय से स्वागत है।

Thursday, September 5, 2013

सोये मत रहिये ,असलियत देखिये


लालकिला का का असली नाम लालकोट है----
- जैसे ताजमहल का असली नाम तेजोमहालय है और क़ुतुब मीनार का असली नाम विष्णु स्तम्भ है वैसे ही यह बात भी सत्य है|
- अक्सर हमें यह पढाया जाता है कि दिल्ली का लालकिला शाहजहाँ ने बनवाया था| लेकिन यह एक सफ़ेद झूठ है और इतिहासकारों का कहना है की वास्तव में लालकिला पृथ्वीराज ने बारहवीं शताब्दी में पूरा बनवाया था जिसका नाम “लाल कोट “था जिसे तोमर वंश के शासक ‘अनंग पाल’ ने १०६० में बनवाना शुरू किया था |महाराज अनंगपाल तोमर और कोई नहीं बल्कि महाभारत के अभिमन्यु के वंशज तथा महाराज पृथ्वीराज चौहान के नाना जी थे|
- इसका सबसे बड़ा प्रमाण है कि तारीखे फिरोजशाही के पृष्ट संख्या 160 (ग्रन्थ ३) में लेखक लिखता है कि सन 1296 के अंत में जब अलाउद्दीन खिलजी अपनी सेना लेकर दिल्ली आया तो वो कुश्क-ए-लाल ( लाल प्रासाद/ महल ) कि ओर बढ़ा और वहां उसने आराम किया|
- अकबरनामा और अग्निपुराण दोनों ही जगह इस बात के वर्णन हैं कि महाराज अनंगपाल ने ही एक भव्य और आलिशान दिल्ली का निर्माण करवाया था|
- शाहजहाँ से 250 वर्ष पहले ही 1398 ईस्वी में तैमूरलंग ने भी पुरानी दिल्ली का उल्लेख किया हुआ है (जो कि शाहजहाँ द्वारा बसाई बताई जाती है)|
- लाल किले के एक खास महल मे वराह के मुँह वाले चार नल अभी भी लगे हुए हैं क्या शाहजहाँ सूअर के मुंह वाले नल को लगवाता ? हिन्दू ही वराह को अवतार मान कर पावन मानते है|
- किले के एक द्वार पर बाहर हाथी की मूर्ति अंकित है क्योंकि राजपूत राजा गजो (हाथियों) के प्रति अपने प्रेम के लिए विख्यात थे जबकि इस्लाम जीवित प्राणी के मूर्ति का विरोध करता है|
- लालकिला के दीवाने खास मे केसर कुंड नाम से एक कुंड भी बना हुआ है जिसके फर्श पर हिंदुओं मे पूज्य कमल पुष्प अंकित है| साथ ही ध्यान देने योग्य बात यह है कि केसर कुंड एक हिंदू शब्दावली है जो कि हमारे राजाओ द्वारा केसर जल से भरे स्नान कुंड के लिए प्राचीन काल से ही प्रयुक्त होती रही है|
- गुंबद या मीनार का कोई अस्तित्व तक नही है लालकिला के दीवानेखास और दीवानेआम मे| दीवानेखास के ही निकट राज की न्याय तुला अंकित है \ ब्राह्मणों द्वारा उपदेशित राजपूत राजाओ की न्याय तुला चित्र से प्रेरणा लेकर न्याय करना हमारे इतिहास मे प्रसिद्द है|
- दीवाने ख़ास और दीवाने आम की मंडप शैली पूरी तरह से 984 ईस्वी के अंबर के भीतरी महल (आमेर/पुराना जयपुर) से मिलती है जो कि राजपूताना शैली मे बना हुई है| आज भी लाल किले से कुछ ही गज की दूरी पर बने हुए देवालय हैं जिनमे से एक लाल जैन मंदिर और दूसरा गौरीशंकर मंदिर है जो कि शाहजहाँ से कई शताब्दी पहले राजपूत राजाओं के बनवाए हुए है|
- लाल किले के मुख्य द्वार के फोटो में बने हुए लाल गोले में देखिये , आपको अधिकतर ऐसी अलमारियां पुरानी शैली के हिन्दू घरो के मुख्य द्वार पर या मंदिरों में मिल जायंगी जिनपर गणेश जी विराजमान होते हैं |
- और फिर शाहजहाँ या एक भी शिलालेख मे लाल किले का वर्णन तक नही है|

Monday, September 2, 2013

गौ ह्त्या , गो हत्यारे

पहले आप सब ये जान ले भारत मे 3600 कत्लखाने ऐसे हैं जिनके पास गाय काटने का लाइसेन्स है ! इसके इलावा 36000 कत्लखाने गैर कानूनी चल रहे हैं ! प्रति वर्ष ढाई करोड़ गायों का कत्ल किया जाता है ! 1 से सवा करोड़ भैंसो का , और 2 से 3 करोड़ सुअरो का ,बकरे -बकरियाँ ,मुर्गे मुर्गियाँ आदि छोटे जानवरों की संख्या भी करोड़ो मे हैं गिनी नहीं जा सकती ! तो भारत एक ऐसा देश बन गया है जहां कत्ल ही कत्ल होता है !

तो ये सब जब उनको सहन नहीं हुआ तो सन 1998 मे राजीव भाई और राजीव भाई जैसे कुछ समविचारी लोगो ने सुप्रीम कोर्ट मे मुक़द्दमा किया ! एक संस्था है भारत मे अखिल भारतीय गौ सेवक संघ जिससे राजीव भाई जुड़े हुए थे और इस संस्था का मुख्य कार्यालय जो की राजीव भाई के शहर वर्धा मे ही है !! और एक दूसरी संस्था है उसका नाम है अहिंसा आर्मी ट्रस्ट !तो इन दोनों ने सुप्रीम कोर्ट मे मुक़द्दमा दाखिल किया और बाद मे पता चला की गुजरात सरकार भी मुक़द्दमे मे शामिल हो गई !

तो सुप्रीम कोर्ट मे मुक़द्दमा किया गया कि गाय और गौ वंश की ह्त्या नहीं होनी चाहिए ! तो सामने
बैठे कसाई लोगो ने कहा क्यूँ नहीं होनी चाहिए ?? जरूर होनी चाहिए ! तो राजीव भाई की तरफ से सुप्रीम कोर्ट मे अपील किया गया कि ये एक -दो जज का मामला नहीं है आप इसमे बड़ी बैंच बनाई जाए !
3-4 साल तो सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार नहीं किया बाद मे मान लिया की चलो इसके लिए constitutional bench बनाई जाएगी ! भारत के थोड़े दिन पहले चीफ जस्टिस रहे श्री RC लाहोटी ने अपनी अध्यक्षता मे 7 जजो की एक constitutional bench बनाई जिसमे 2004 से सितंबर 2005 तक मुकदमे की सुनवाई चली !!

कसाइयो की तरफ से लड़ने वाले भारत के सभी बड़े -बड़े वकील जो 50 -50 लाख तक फीस लेते हैं
सोली सोराब्जी की बीस लाख की फीस है !, कपिल सिब्बल 22 लाख की फीस है ! महेश जेठ मालानी राम जेठ मालानी का लड़का जो फीस लेते है ३२ लाख से ३४ लाख सारे सभी बड़े वकील कसाइयों के पक्ष में !! राजीव भाई के तरफ से लड़ने वाला कोई बड़ा वकील नहीं क्यूंकि फीस देने का इतना पैसा नहीं !तो राजीव भाई ने आदालत को कहा की हमारे पास तो कोई वकील नहीं है तो क्या करेगे ?? तो आदालत ने कहा की हम अगर आपको वाकिल दे ??? तो राजीव भाई ने कहा बड़ी मेहरबानी होगी या फिर आप हमें ही बहस का मौका दे दो तो बड़ी मेहरबानी होगी !! तो उन्होंने कहा की हां आप ही बहस कर लो और हम आपको एम् इ एस्क्युरी देगे यानि कोर्ट के द्वारा दिया गाया वकील और फिर हमने ये केस लड़ना शुरू किया !

तो मुक़द्दमे मे कसाईयो द्वारा गाय काटने के लिए वही सारे कुतर्क रखे गए जो कभी शरद पवार द्वारा बोले गए या इस देश के ज्यादा पढ़ें लिखे लोगो द्वारा बोले जाते है या देश के पहले प्रधान मंत्री नेहरू द्वारा कहे गए !

कसाईयो का पहला कुतर्क !!

1) गाय जब बूढ़ी हो जाती है तो बचाने मे कोई लाभ नहीं उसे कत्ल करके बेचना ही बढ़िया है ! और हम भारत की अर्थ व्यवस्था को मजबूत बना रहे हैं क्यूंकि गाय का मांस export कर रहे हैं !!

दूसरा कुतर्क !




2) भारत मे गाय के चारे की कमी है ! भूखी मरे इससे अच्छा ये है हम उसका कत्ल करके बेचें !

तीसरा कुतर्क

3) भारत मे लोगो को रहने के लिए जमीन नहीं है गाय को कहाँ रखें ?

चौथा कुतर्क

4 ) इससे विदेशी मुद्रा मिलती है !

और सबसे खतरनाक कुतर्क जो कसाइयों की तरफ से दिया गया कि गया की ह्त्या करना हमारे धर्म इस्लाम मे लिखा हुआ है की हम गायों की ह्त्या करें !! (this is our religious right ) !
कसाई लोग कौन है आप जानते है ??मुसलमानो मे एक कुरेशी समाज है जो सबसे ज्यादा जानवरों की ह्त्या करता है ! उनकी तरफ से ये कुतर्क आयें !

राजीव भाई की तरफ से बिना क्रोध प्रकट किए बहुत ही धैर्य से इन सब कुतर्को का तर्कपूर्वक जवाब दिया !

उनका पहला कुतर्क गाय का मांस बेचते हैं तो आमदनी होती है देशो को ! तो राजीव भाई ने सारे आंकड़े सुप्रीम कोर्ट मे रखे कि एक गाय को जब काट देते हैं तो उसके शरीर मे से कितना मांस निकलता है ??? कितना खून निकलता है ?? कितनी हड्डियाँ निकलती हैं ??

एक सव्स्थय गाय का वजन 3 से साढ़े तीन कवींटल होता है उसे जब काटे तो उसमे से मात्र 70 किलो मांस निकलता है एक किलो गाय का मांस जब भारत से export होता है तो उसकी कीमत है लगभग 50 रुपए ! तो 70 किलो का 50 से गुना को ! 70 x 50 = 3500 रुपए !

खून जो निकलता है वो लगभग 25 लीटर होता है ! जिससे कुल कमाई 1500 से 2000 रुपए होती है
फिर हड्डियाँ निकलती है वो भी 30-35 किलो हैं ! जो 1000 -1200 के लगभग बिक जाती है !!
तो कुल मिलकर एक गाय का जब कत्ल करे और मांस ,हड्डियाँ खून समेत बेचें तो सरकार को या कत्ल करने वाले कसाई को 7000 रुपए से ज्यादा नहीं मिलता !!

फिर राजीव भाई द्वारा कोर्ट के सामने उल्टी बात रखी गई यही गाय को कत्ल न करे तो क्या मिलता है ??? हमने कत्ल किया तो 7000 मिलेगा और अगर इसको जिंदा रखे तो कितना मिलेगा ??
तो उसका calculation ये है !!

एक सव्स्थ्य गाय एक दिन मे 10 किलो गोबर देती है और ढाई से 3 लीटर मूत्र देती है ! गाय के एक किलो गोबर से 33 किलो fertilizer (खाद ) बनती है !जिसे organic खाद कहते हैं तो कोर्ट के जज ने कहा how it is possible ??

राजीव भाई द्वारा कहा गया आप हमे समय दीजिये और स्थान दीजिये हम आपको यही सिद्ध करके बताते हैं ! तो कोर्ट ने आज्ञा दी तो राजीव भाई ने उनको पूरा करके दिखाया !! और कोर्ट से कहा की आई. आर. सी. के वैज्ञानिक को बुला लो और टेस्ट करा लो !!! तो गाय का गोबर कोर्ट ने भेजा टेस्ट करने के लिए ! तो वैज्ञानिको ने कहा की इसमें 18 micronutrients (पोषक तत्व )है !जो सभी खेत की मिट्टी को चाहिए जैसे मैगनीज है ! फोस्फोरस है ! पोटाशियम है, कैल्शियम,आयरन,कोबाल्ट, सिलिकोन ,आदि आदि | रासायनिक खाद मे मुश्किल से तीन होते हैं ! तो गाय का खाद रासायनिक खाद से 10 गुना ज्यादा ताकतवर है !तो कोर्ट ने माना !!

राजीव भाई ने कहा अगर आपके र्पोटोकोल के खिलाफ न जाता हो तो आप चलिये हमारे साथ और देखे कहाँ - कहाँ हम 1 किलो गोबर से 33 किलो खाद बना रहे हैं राजीव भाई ने कहा मेरे अपने गाँव मे मैं बनाता हूँ ! मेरे माता पिता दोनों किसान है पिछले 15 साल से हम गाय के गोबर से ही खेती करते हैं !
तो 1 किलो गोबर है तो 33 किलो खाद बनता है ! और 1 किलो खाद का जो अंराष्ट्रीय बाजार मे भाव है वो 6 रुपए है !तो रोज 10 किलो गोबर से 330 किलो खाद बनेगी ! जिसे 6 रुपए किलो के हिसाब से बेचें तो 1800 से 2000 रुपए रोज का गाय के गोबर से मिलता है !

और गाय के गोबर देने मे कोई sunday नहीं होता weekly off नहीं होता ! हर दिन मिलता है ! तो साल मे कितना ??? 1800 का 365 मे गुना कर लो !
1800 x 365 = 657000 रुपए !साल का !
और गाय की समानय उम्र 20 साल है और वो जीवन के अंतिम दिन तक गोबर देती है !
तो 1800 गुना 365 गुना 20 कर लो आप !! 1 करोड़ से ऊपर तो मिल जाएगा केवल गोबर से !

और हजारो लाखों वर्ष पहले हमारे शास्त्रो मे लिखा है की गाय के गोबर मे लक्ष्मी जी का वास है !!
और मेकोले के मानस पुत्र जो आधुनिक शिक्षा से पढ़ कर निकले हैं जिनहे अपना धर्म ,संस्कृति - सभ्यता सब पाखंड ही लगता है !हमेशा इस बात का मज़ाक उड़ाते है ! कि हाहाहाःहाहा गाय के गोबर मे लक्ष्मी !
तो ये उन सबके मुंह पर तमाचा है ! क्यूंकि ये बात आज सिद्ध होती है की गाय के गोबर से खेती कर ,अनाज उत्पादन कर धन कमाया जा सकता है और पूरे भारत का पेट भरा जा सकता है !

_______________________

अब बात करते हैं मूत्र की रोज का 2 - सवा दो लीटर !! और इससे ओषधियाँ बनती है
diabetes ,की ओषधि बनती है !
arthritis,की ओषधि बनती है
bronkitis, bronchial asthma, tuberculosis, osteomyelitis ऐसे करके 48 रोगो की ओषधियाँ बनती है !! और गाय के एक लीटर मूत्र का बाजार मे दवा के रूप मे कीमत 500 रुपए है ! वो भी भारत के बाजार मे ! अंतर्राष्ट्रीय बाजार मे तो इससे भी ज्यादा है !! आपको मालूम है ?? अमेरिका मे गौ मूत्र patent हैं ! और अमरीकी सरकार हर साल भारत से गाय का मूत्र import करती है और उससे कैंसर की medicine बनाते हैं !! diabetes की दवा बनाते हैं ! और अमेरिका मे गौ मूत्र पर एक दो नहीं तीन patent है ! अमेरिकन market के हिसाब से calculate करे तो 1200 से 1300 रुपए लीटर बैठता है एक लीटर मूत्र ! तो गाय के मूत्र से लगभग रोज की 3000 की आमदनी !!!
और एक साल का 3000 x 365 =1095000
और 20 साल का 300 x 365 x 20 = 21900000 !

इतना तो गाय के गोबर और मूत्र से हो गया !! एक साल का !

_______________________

और इसी गाय के गोबर से एक गैस निकलती है जिसे मैथेन कहते हैं और मैथेन वही गैस है जिससे आप अपने रसोई घर का सिलंडर चला सकते हैं और जरूरत पड़ने पर गाड़ी भी चला सकते हैं 4 पहियो वाली गाड़ी भी !!

जैसे LPG गैस से गाड़ी चलती है वैसे मैथेन गैस से भी गाड़ी चलती है !तो न्यायधीश को विश्वास नहीं हुआ ! तो राजीव भाई ने कहा आप अगर आज्ञा दो तो आपकी कार मे मेथेन गैस का सिलंडर लगवा देते हैं !! आप चला के देख लो ! उन्होने आज्ञा दी और राजीव भाई ने लगवा दिया ! और जज साहब ने 3 महीने गाड़ी चलाई ! और उन्होने कहा its excellent ! क्यूंकि खर्चा आता है मात्र 50 से 60 पैसे किलोमीटर और डीजल से आता है 4 रुपए किलो मीटर ! मेथेन गैस से गाड़ी चले तो धुआँ बिलकुल नहीं निकलता ! डीजल गैस से चले तो धुआँ ही धुआँ !! मेथेन से चलने वाली गाड़ी मे शोर बिलकुल नहीं होता ! और डीजल से चले तो इतना शोर होता है कान फट जाएँ !! तो ये सब जज साहब की समझ मे आया !!

तो फिर हमने कहा रोज का 10 किलो गोबर एकठ्ठा करे तो एक साल मे कितनी मेथेन गैस मिलती है ?? और 20 साल मे कितनी मिलेगी और भारत मे 17 करोड़ गाय है सबका गोबर एक साथ इकठ्ठा करे और उसका ही इस्तेमाल करे तो 1 लाख 32 हजार करोड़ की बचत इस देश को होती है ! बिना डीजल ,बिना पट्रोल के हम पूरा ट्रांसपोटेशन इससे चला सकते हैं ! अरब देशो से भीख मांगने की जरूरत नहीं और पट्रोल डीजल के लिए अमेरिका से डालर खरीदने की जरूरत नहीं !!अपना रुपया भी मजबूत !

तो इतने सारे calculation जब राजीव भाई ने बंब्बाड कर दी सुप्रीम कोर्ट पर तो जज ने मान लिया गाय की ह्त्या करने से ज्यादा उसको बचाना आर्थिक रूप से लाभकारी है !

_____________________________
जब कोर्ट की opinion आई तो ये मुस्लिम कसाई लोग भड़क गए उनको लगा कि अब केस उनके हाथ से गया क्यूंकि उन्होने कहा था कि गाय का कत्ल करो तो 7000 हजार कि इन्कम ! और इधर राजीव भाई ने सिद्ध कर दिया कत्ल ना करो तो लाखो करोड़ो की इन्कम !!और फिर उन्होने ने अपना trump card खेला !! उन्होने कहा की गाय का कत्ल करना हमारा धार्मिक अधिकार है (this is our religious right )

तो राजीव भाई ने कोर्ट मे कहा अगर ये इनका धार्मिक अधिकार है तो इतिहास मे पता करो कि किस - किस मुस्लिम राजा ने अपने इस धार्मिक अधिकार का प्रयोग किया ?? तो कोर्ट ने कहा ठीक है एक कमीशन बैठाओ हिस्टोरीयन को बुलाओ और जीतने मुस्लिम राजा भारत मे हुए सबकी history निकालो दस्तावेज़ निकालो !और किस किस राजा ने अपने इस धार्मिक अधिकार का पालण किया ?

तो पुराने दस्तावेज़ जब निकाले गए तो उससे पता चला कि भारत मे जितने भी मुस्लिम राजा हुए एक ने भी गाय का कत्ल नहीं किया ! इसके उल्टा कुछ राजाओ ने गायों के कत्ल के खिलाफ कानून बनाए ! उनमे से एक का नाम था बाबर ! बाबर ने अपनी पुस्तक बाबर नामा मे लिखवाया है कि मेरे मरने के बाद भी गाय के कत्ल का कानून जारी रहना चाहिए ! तो उसके पुत्र हुमायु ने भी उसका पालण किया और उसके बाद जितने मुगल राजा हुए सबने इस कानून का पालन किया including ओरंगजेब !!

फिर दक्षिण भारत मे एक राजा था हेदर आली !टीपू सुल्तान का बाप !! उनसे एक कानून बनवाया था कि अगर कोई गाय की ह्त्या करेगा तो हैदर उसकी गर्दन काट देगा और हैदर अली ने ऐसे सेकड़ो कासयियो की गर्दन काटी थी जिन्होने गाय को काटा था फिर हैदर अली का बेटा आया टीपू सुलतान तो उसने इस कानून को थोड़ा हल्का कर दिया तो उसने कानून बना दिया की हाथ काट देना ! तो टीपू सुलतान के समय में कोई भी अगर गाय काटता था तो उसका हाथ काट दिया जाता था |

तो ये जब दस्तावेज़ जब कोर्ट के सामने आए तो राजीव भाई ने जज साहब से कहा कि आप जरा बताइये अगर इस्लाम मे गाय को कत्ल करना धार्मिक अधिकार होता तो बाबर तो कट्टर ईस्लामी था 5 वक्त की नमाज पढ़ता था हमायु भी था ओरंगजेब तो सबसे ज्यादा कट्टर था ! तो इनहोने क्यूँ नहीं गाय का कत्ल करवाया और क्यूँ ? गाय का कत्ल रोकने के लिए कानून बनवाए ??? क्यूँ हेदर अली ने कहा कि वो गाय का कत्ल करने वाले के हाथ काट देगा ??

तो राजीव भाई ने कोर्ट से कहा कि आप हमे आज्ञा दें तो हम ये कुरान शरीफ ,हदीस,आदि जितनी भी पुस्तके है हम ये कोर्ट मे पेश करते हैं और कहाँ लिखा है गाय का कत्ल करो ये जानना चाहतें है ! और आपको पता चलेगा कि इस्लाम की कोई भी धार्मिक पुस्तक मे नहीं लिखा है की गाय का कत्ल करो !
हदीस मे तो लिखा हुआ है कि गाय की रक्षा करो क्यूंकि वो तुम्हारी रक्षा करती है ! पेगंबर मुहमद साहब का statement है की गाय अबोल जानवर है इसलिए उस पर दया करो ! और एक जगह लिखा है गाय का कत्ल करोगे तो दोझक मे भी जमीन नहीं मिलेगी !मतलब जहनुम मे भी जमीन नहीं मिलेगी !!

तो राजीव भाई ने कोर्ट से कहा अगर कुरान ये कहती है मुहम्मद साहब ये कहते हैं हदीस ये कहती है तो फिर ये गाय का कत्ल कर धार्मिक अधिकार कब से हुआ ?? पूछो इन कसाईयो से ?? तो कसाई बोखला गए ! और राजीव भाई ने कहा अगर मक्का मदीना मे भी कोई किताब हो तो ले आओ उठा के !!

अंत कोर्ट ने उनको 1 महीने का पर्मिशन दिया की जाओ और दस्तावेज़ ढूंढ के लाओ जिसमे लिखा हो गाय का कत्ल करना इस्लाम का मूल अधिकार है ! हम मान लेंगे !! और एक महीने तक भी कोई दस्तावेज़ नहीं मिला !! कोर्ट ने कहा अब हम ज्यादा समय नहीं दे सकते ! और अंत 26 अक्तूबर 2005 judgement आ गया !! और आप चाहें तो judgement की copy
www. supremecourtcaselaw . com पर जाकर download कर सकते हैं !

ये 66 पनने का judgement है सुप्रीम कोर्ट ने एक इतिहास बाना दिया और उन्होंने कहा की गाय को काटना सांविधानिक पाप है धार्मिक पाप है ! और सुप्रीम कोर्ट ने कहा गौ रक्षा करना,सर्वंधन करना देश के प्रत्येक नागरिक का सांविधानिक कर्त्तव्य है ! सरकार का तो है ही नागरिकों का भी सांविधानिक कर्तव्य है ! अब तक जो संविधानिक कर्तव्य थे जैसे , संविधान का पालन करना ,राष्ट्रीय ध्वज ,का सम्मान करना ,क्रांतिकारियों का समान करना ,देश की एकता , अखंडता को बनाए रखना ! आदि आदि अब इसमे गौ की रक्षा करना भी जुड़ गया है !!

सुप्रीम कोर्ट ने कहा की भारत की 34 राज्यों कीसरकार की जिमेदारी है की वो गाय का कतल आपने आपने राज्य में बंद कराये और किसी राज्य में गाय का कतल होता है तो उस राज्य के मुख्यमंत्री की जिमेदारी है राज्यपाल की जावबदारी,चीफ सेकेट्री की जिमेदारी है, वो अपना काम पूरा नहीं कर रहे है तो ये राज्यों के लिए सविधानिक जवाबदारी है और नागरिको के लिए सविधानिक कर्त्तव्य है !!

अब कानून दो सतर पर बनाये जाते हैं एक जो केद्र सरकार बना सकती है और एक 35 राज्यों की राज्य सरकार बना सकती है अपने आपने राज्यों में !! अगर केंद्र सरकार ही बना दे !! तो किसी राज्य सरकार को बनाने की जरूरत नहीं ! केंद्र सरकार का कानून पूरे देश मे लागू होगा ! तो आप सब केंद्र सरकार पर दबाव बनाये !! जब तक केंद्र सरकार नहीं बनाती तब तक आप अपने अपने राज्य की सरकारों पर दबाव बनाये ! दबाव कैसे बनाना है ???

आपको हजारो ,लाखो की संख्या मे प्रधानमंत्री ,राष्ट्रपति या राज्य के मुख्यमंत्री को पत्र लिखना है और इतना ही कहना है की 26 अक्तूबर 2005 को जो सुप्रीम कोर्ट का judgment आया है उसे लागू करो !!
आप अपने -आस पड़ोस ,गली गाँव ,मुहल्ला ,शहर मे लोगो से बात करनी शुरू करे उनको गाय का महत्व समझाये !! देश के लिए गाय का आर्थिक योगदान बताएं ! और प्रधानमंत्री ,राष्ट्रपति या राज्य के मुख्यमंत्री को पत्र लिखने का निवेदन करें ! इतना दबाव डालें की 2014 के चुनाव मे लोगो उसी सरकार को वोट दें जो इस सुप्रीम कोर्ट के गौ ह्त्या के खिलाफ judgement को पूरे देश मे लागू करें !


और अंत उस क्रांतिकारी मंगल पांडे ने इतिहास बना वो फांसी पर चढ़ गया लेकिन गाय की चर्बी के कारतूस उसने अपने मुंह से नहीं खोले ! और जिस अंग्रेज़ अधिकारी ने उसको मजबूर किया उसको मंगल पांडे ने गोली मर दी !! तो हमने कहा था कि हमारी तो आजादी का इतिहास शुरू होता है गौ रक्षा से !!



आपने पूरी post पढ़ीं बहुत बहुत धन्यवाद !!

यहाँ जरूर click कर देखें !!!
http://www.youtube.com/watch?v=i7xaTCfA7js

अमर बलिदानी राजीव दीक्षित जी की जय !!
वन्देमातरम , जय गौ माता !

Sunday, September 1, 2013

बलात्कार और मनमर्जी के सरकारी संशोधन

१६ दिसंबर निर्भया बलात्कार काण्ड के छठे आरोपी, जो पौने अठारह साल का था उसे नाबालिग बताकर मात्र तीन वर्ष के लिए सुधार गृह भेजा गया है। शायद उसने बलात्कार बचकाने तरीके से किया होगा इसलिए उसे बच्चों वाली सज़ा दी गयी है ! तीन वर्ष बाद बाहर निकलकर दुबारा ऐश करेगा ये सरकारी अल्पसंख्यक बच्चा।

सनद रहे इस लफंगे ने ना केवल बलात्कार किया अपितु छात्रा के पेट में लोहे का सरिया डालकर उसकी आंतें बाहर निकाल दी थी!

बलात्कार और मर्डर की सज़ा मात्र तीन वर्ष के लिए सुधार गृह की सज़ा ! हो रहा भारत निर्माण , बढ़ रहे हैं अत्याचार।

हमारी सरकार जहाँ चाहती हैं वहां तो त्वरित संशोधन कर बिल पास करा लेती है , लेकिन बलात्कार की शिकार हो रही लड़कियों के लिए कोई संशोधन नहीं किया जाएगा ! हम लाचार हैं ! या फिर लचर हैं आप ?

--------------------------------------------------------------------

प्राचीन भारत में बलात्कार एवं त्वरित दण्ड के संदर्भ

रावण जिसे दुष्टता का पर्यायवाची माना जाता है - उसने सीता हरण किया - परन्तु अपने महल में न रख कर - 1 महीने तक अशोक वाटिका में पूर्ण सुरक्षा एवं सुविधा के साथ रक्खा और बलात्कार तो दूर की बात है - दोबारा हाथ तक नहीं लगाया किया - फिर भी उसके पुतले को आज तक जलाया जाता है |

इन्द्र के पुत्र जयंत ने रूप बदल - कौव्वा का रूप धरण कर - सीता के पैरों में चोंच मार कर भाग गया | प्रभु श्री राम के छोड़े हुए बाण ने चौदहों लोकों में पीछा कर के ढूंढ कर प्राणदान देते हुए एक आँख फोड़ कर दंडित किया |

इन्द्र ने रूप बदल कर सती अहिल्या के साथ छलपूर्वक शीलहरण किया - इन्द्र को देवराज होने के उपरांत भी कठोर दंड मिला |

महाभारत की कथा में वर्णन है - दुस्साशन ने द्रौपदी के केश पकड़ कर उसे सभा तक खींचा और दुर्योधन ने द्रौपदी को जंघा पर बैठाने का आदेश मात्र दिया - लेकिन उस कुकृत्य के कारण धृतराष्ट्र के समस्त पुत्रों को मृत्यु दंड मिला और कौरव वंश का नाश हुआ |

विदेशी आक्रमणकरियों के भारत पर अधिकार करने के पहले क्या ऐसा कोई संदर्भ मिलता है कि किसी ने बलात्कार जैसा कुकृत्य - जघन्य अपराध किया हो और उसे राजाज्ञा द्वारा त्वरित मृत्यु-दंड न दिया गया हो ?

क्षत्रपति शिवाजी ने भी विदेशी आक्रमणकरियों के विरुद्ध कई युद्ध लड़े और उन्हें परास्त कर अपने देश की भूमि का पुनः अधिग्रहण किया - लेकिन उस कार्यवाही में पराजित विदेशी आक्रमणकरियों की स्त्रियों के साथ पूर्ण सज्जनता प्रदर्शित करते हुए सम्मानपूर्वक उन्हें सुरक्षित उनके खेमों में भिजवाने के उल्लेख मिलते हैं |

विदेशी आक्रमणकरियों के भारत पर अधिकार करने के पश्चात उन्होने अपनी सभ्यता (?) के अनुसार पराजित देश की स्त्रियों के साथ बलात्कार की परंपरा स्थापित की - अतः पराजित जाति आज तक बलात्कार भोगने के लिए विवश है |

स्त्री को प्रताड़ित या उस का बलात्कार करना तो तो दूर - अपमानित करना भी भारत की सभ्यता एवं संस्कृति में वर्जित है - त्वरित एवं कठोर दंडनीय - अक्षम्य अपराध है |

Friday, August 30, 2013

भटके हुए भटकल

एक और शाही मेहमान 'यासीन भटकल' आतंकवादी आज विशेष विमान से दिल्ली लाया जा रहा है! ४५ बम ब्लास्ट और २०० मौतों की ज़िम्मेदारी ली है ! इसने इन्डियन मुजाहिद्दीन को ट्रेनिंग देकर बहुत से अन्य आतंकियों को बम बनाने में expert कर दिया है। अब बिरयानी का खर्चा और बढेगा! चुनाव करीब है , अभी और भटके हुए भटकल पकडे जायेंगे और बिरयानी खिलाकर कांग्रेस , वोटरों का तुष्टिकरण करेगी ! भारत की जनता अब कांग्रेस में अपना विश्वास खो चुकी है !

Saturday, August 24, 2013

मुस्लिम तुष्टिकरण की हदों को पार कर रही है अखिलेश सरकार

उत्तर प्रदेश सरकार हिन्दू विरोधी है , वो हिन्दुओं को उनके मौलिक एवं संवैधानिक अधिकारों से वंचित कर रही है। पंचकोसी यात्रा हो या फिर चौदह कोसी यात्रा हो या फिर चौरासी कोसी यात्रा हो , ये तो सभी त्यौहार और पर्व की तरह हैं, उल्लास के साथ मनाने देना चाहिए ! संतों को उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है। या यात्रा कोई आतंकवाद नहीं है ! श्रद्धालुओं के खिलाफ सेना की छावनी बना दी गयी है ! संतों और श्रद्धालुओं को गिरफ्तार किया जा रहा है!

अखिलेश सरकार हिन्दुओं पर बहुत अत्याचार कर रही है। अब हम लोग क्या मुग़ल सल्तनत में रह रहे हैं?


दोहरी मानसिकता

९९ % आतंकवादी और बलात्कारी मुस्लिम क्यों होते हैं ? मुम्बई गैंग रेप के चार बलात्कारियों के नाम हैं -- अब्दुल, कासिम, अशफ़ाक और सलीम!

अब इन कुकर्मियों पर "राष्ट्रीय सेक्युलर-हिंजडा पार्टी" चुप क्यों है?

अभी कोई हिन्दू होता तो बलात्कार से बड़ा हिन्दू का धर्म हो जाता , मुस्लिम हैं तो कहेंगे बलात्कारियों का कोई धर्म नहीं होता !

दोगली सरकार !
Double standards !

Thursday, August 22, 2013

अंधश्रद्धा कानून के पीछे हिन्दू-विरोधी षड्यंत्र


नरेन्द्र दभोलकर की हत्या Congress और एनसीपी के द्वारा पूर्व नियोजित षडयंत्र द्वारा की गयी है इसाई मिशनरीयो के इशारे पे।

निष्कर्ष तक पहुचने के कारण :-

1) हत्या के तुरंत बाद से ही सारे मराठी चैनल्स पे सिर्फ नरेन्द्र दभोलकर के प्रोग्राम ही दिखाए जा रहे हैं और हत्या के लिए सीधे सीधे बिना किसी सबूत या साक्ष्य के सनातन संस्था, हिन्दू जनजाग्रति व् अन्य सनातनी संस्थाओ को दोषी बताया जा रहा है जबकि पुलिस ने अभी तक इस मामले पे कोई आधिकारिक बयान नही दिया है।

2) हत्या के तुरंत बाद ही आनन् फानन में अंध्श्रधा उन्मूलन कानून बिना किसी चर्चा के पास करके गवर्नर के पास भेज दिया गया है। ये महाराष्ट्र चुनाव से पहले हिन्दुओ को बाटने और मुस्लिम-इसाई तुष्टिकरण का षडयंत्र है।

3) हत्या के तुरंत बाद ही दभोलकर समर्थको के भेष में खान्ग्रेस और एनसीपी के कार्यकर्ताओ ने महाराष्ट्र में उत्पात मचाना शुरू कर दिया और पुणे बंद का एलान कर दिया गया।

इस कानून का पास हो जाना भारत में सनातन धर्म पे सबसे बड़ी चोट होगी क्यूंकि महाराष्ट्र में पास होते ही अन्य राज्यों में बिल पास होने के दरवाजे खुल जायेंगे। ये कानून केवल हिन्दू रीती रिवाजों को कवर करता है, इस कानून में हाथ पे कलावा बांधना, टीका लगाना, हवन करना, सत्यनारण का पाठ करना जैसी हिन्दू रीतियो को ढोंग बताया गया है और इन सब के लिए 7 साल तक की सजा है। इस्लाम और ईसाइयत को इस कानून में पूरी छुट है।

अंध्श्रधा उन्मूलन कानून बनाने वाले नरेन्द्र दभोलकर को भाई राजीव दिक्षित ने काफी समय पहले expose किया और बताया है की किस तरह दभोलकर को विदेशो से पैसा लेकर केवल सनातन धर्म के खिलाफ कार्य करता था और इस दभोलकर के बेटे का नाम हमीद है और वो इस्लाम कबूल कर चूका है।

हम सब को मिलकर एक स्वर में इस कानून का विरोध करना होगा अन्यथा वो दिन दूर नही जब हाथ जोड़कर प्रार्थना करना भी ढोंग बता के आपको जेल में ठूस दिया जायेगा।

हर हर महादेव


courtesy-- Rohit kumar