Tuesday, September 22, 2015

डेंगू [dengue]



मीठापन ही जीत गया

जन्म से कायस्थ, कर्म से क्षत्रिय , कलम उठाये चलते हैं,
आभासी या असल ज़िन्दगी , शस्त्र उठाये चलते हैं !!
जीवन आधा बीत गया यूँ लड़ने और झगड़ने में,
जाने कितनी जीत मिली है अपने इन आंदोलन में 
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लेकिन मितरा जीत न पाये, तुमसे झगड़ा करने में, 
अहम हमारा टूट गया, अब तुमसे दूरी करने में ,
मीठे-मीठे बोल तुम्हारे , मीठी सी मुस्कान है जो,
मीठापन ही जीत गया, हम हार गए कड़वेपन में !!

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Zeal 'Divya'

Friday, September 18, 2015

अपाहिज होती व्यवस्था

हो रहा विकास, पतन का 
डाक्टरेट बन रहे हैं चपरासी 
पांचवी पास की नौकरी पाने के लिए 
पी एच डी लगे हैं कतार में 
लकवाग्रस्त शिक्षातंत्र, बोझ बढ़ा रहा है 
हर मासूम विद्यार्थी का !
दिखावे की शिक्षा, दिखावे के प्रोजेक्ट्स
ढेरों आडम्बर, गला काटती पतियोगी परीक्षाएं
खून चूसता तंत्र, अपाहिज होती व्यवस्था
सड़ी गली राजनीति , कुंठित प्रतिभाएं
व्यवसाय बनी ये शिक्षा, महज़
चपरासी और क्लर्क पैदा कर रही हैं ...


Zeal

Friday, September 11, 2015

"चौकस कुत्ते"

'कुत्ता' सो रहा था कुत्ते की नींद, 
हर आहट पर सचेत और चौकन्ना 
षड्यंत्र, आसानी से मुकम्मल हो रहा था 
क्योंकि "चौकस कुत्ते" पहरेदारी पर थे !
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उधर इंसान सोये जा रहा था गहरी नींद,
चीखें और विस्फोट उसी नींद नहीं तोड़ पा रहे थे 
षड्यंत्र मुकम्मल हो रहा था क्योंकिं ,
इंसान सो रहा था और "कुत्ते" घूम रहे थे चौकस !!
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[ यमक अलंकार का आनंद लीजिये और कविता का अर्थ समझिए ]