Wednesday, February 27, 2013

मत लुटने दो इस अकूत सम्पदा को , ये तुम्हारी है ..

फिरंगियों के साथ मिलकर सरकार 'रामसेतु' को क्यों तोडना चाहती है? क्योंकि उस समुद्री इलाके में अकूत रेडियोएक्टिव संपदा भरी हुयी है , जिससे आगामी 200 वर्षों तक बिजली बनायी जा सकती है! अमेरिका की निगाह , हमारी इसी सम्पदा पर है!

और सरकार ? ---वो तो फिरंगियों का ही साथ देती है हमेशा ! हिन्दू धर्म का दोहन तो उसका मुख्य अजेंडा है। उसे न तो रामसेतु से कोई मतलब है, न ही पर्यावरण से और न ही करोड़ों हिन्दुओं की आस्था से!

भारतीयों  एकजुट हो जाओ , मत टूटने दो रामसेतु को, मत लुटने तो अपनी पौराणिक , ऐतिहासिक धरोहर को और इस अकूत सम्पदा को!

जय हिन्द ! जय भारत ! 

Tuesday, February 26, 2013

अब चाह नहीं है जीने की ..

अब चाह नहीं है जीने की ..
हर , तरफ है फटेहाल , अब नहीं ऊर्जा सीने की।

'यत्र पूज्यते नार्यस्तु'  के देश में अस्मिता लूटी जा रही पल-पल
बिलख रही हर बच्ची-बच्ची , भारत-माता सिसक रही
अब चाह नहीं है जीने की ...

कृष्ण-राम की भूमि पर , हिन्दू का कत्लेआम मचा
जीने का हक छीना उनसे, चहुँओर हो रहा नरसंहार
अब चाह नहीं है जीने की ...

सदियों से दिल में बसी आस्था के प्रतीक मंदिरों को नष्ट किया
छीन भरोसा जनता का अपनों का ही प्रतिकार किया
अब चाह नहीं है जीने की ...

दैत्य दानवों के मुख के जैसा, आतंकवाद मुख फाड़ रहा,
किया बसेरा डर ने, उर में --अंतर्मन भयभीत किया,
अब चाह नहीं है जीने की ..

अकूत सम्पदा के धनी नगर में, चोर-बाज़ार गरम हुआ
 कोयले से कौप्टर तक का,  मक्कारों ने व्यापार किया
अब चाह नहीं है जीने कि…

 रामसेतु को एडम्स-ब्रिज कह, गद्दारों ने लूट लिया,
लम्पट,  अधम, हिंसक-मानुष ने,  गो-माता का खून पीया,
अब चाह नहीं है जीने की ..

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टूट-टूट कर प्यार किया, हर बात तुम्हीं से कह डाली ,
उसपर से तुमने इल्जाम लगा , सब छीन लिया, सब छीन लिया.
अब चाह नहीं है जीने की ...

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Zeal








अपने लाडले को बिगाडिये मत ..

आठवीं कक्षा के छात्र ने जब अपने दोस्तों से अपना सेल-फोन वापस माँगा तो दोनों लकड़ों ने उसे पीट-पीट कर मार डाला! एक अन्य घटना में कुछ बच्चे स्कोर्पियो गाडी चला रहे थे , संतुलन बिगड़ने पर सात लोगों के एक समूह को रौंदा,  बुज़ुर्ग को 20 मीटर तक घसीटा फिर दीवार से भयानक  टक्कर के साथ उस वृद्ध को दीवार में घुसेड दिया! मौके पर ही मौत!

अपने बच्चों के हाथ में महंगे गेजेट्स मत दीजिये जो उनकी और दूसरों की जान के लिए ख़तरा बन जाएँ!

Zeal

Friday, February 22, 2013

गृह मंत्री ने दी गाली

सुशिल कुमार शिंदे जी ने हिन्दु-आतंकवाद कहकर गाली दी पहले फिर परिस्थितियां विरोधी देखकर  एक औपचारिक 'माफ़ी' भी मांग ली १

क्या समझा जाए?

शिंदे खुद को बेवक़ूफ़ बना रहे हैं या फिर भाजपा को? या फिर भाजपा ही अपनी और उछाली गयी चवन्नी में खुश और संतृष्ट है ?

Zeal  

Tuesday, February 19, 2013

मैं और मेरी फेसबुक ..

मैं और मेरी फेसबुक , अकसर ये बातें करते हैं
तुम हो तो क्या बात है, तुम न होतीं तो कैसा होता ?

हज़ारों के दिल में रंज है और लाखों की रात स्याह है
तुम हो तो सब कह-सुन लिया, तुम ना होतीं तो कैसा होता?

भारत की नींव और लोकतंत्र का चारों  स्तम्भ ,
तुम हो तो थमा हुआ है, तुम ना होतीं तो कैसा होता?

बढ़ते आतंकवाद और गुनाहों के इस शहर में,
तुम हो तो आईना दिखा भी लिया, तुम ना होतीं तो कैसा होता?

जनता का खौफ सरकार के दिल से जा रहा है,
तुम हो तो थोडा डरती भी है, तुम न होतीं तो क्या होता ?

कितनों के दिल का हाल हो तुम, कितनों के मन का मलाल हो तुम,
तुम हो सबने बरस लिया, तुम ना होतीं तो कैसा होता?

देशप्रेमियों के दिल में जो दर्द है, जो आवेश है, जो आग है ,
तुम हो तो थोड़ा गरज लिया , तुम ना होतीं तो कैसा होता?

 मैं और मेरी फेसबुक , अकसर ये बातें करते हैं
तुम हो तो क्या बात है, तुम न होतीं तो कैसा होता ?


 Zeal

Monday, February 18, 2013

मत करो खुद को निर्वस्त्र।

मूर्ख मत बनो , मत लिखो अपने दिल की पीड़ा। भेडियों के शहर में अपने जज़्बात लिखकर मत करो खुद को निर्वस्त्र। सत्याबयानी अच्छी होती है , लेकिन जज्बातों की बयानगी से क्या हासिल? थोड़ी सी सहानुभूति के लिए इतना बड़ा जोखिम? ये प्यार-व्यार और नुमाईश सब बचकानापन है! उसे लिखो मत, कहो मत!...केवल पियो उसे ...

इस तरह पीड़ा को उजागर करके रोना-धोना तुम्हारे कमज़ोर व्यक्तित्व को परिलक्षित कर रहा है! दुःख  को पीना सीखो , भावनाओं से लड़ना सीखो!

इस  पोस्ट में भले ही आपको सतरंगे शब्दों के इन्द्रधनुषी जाल न मिलें लेकिन प्रेम और दुःख से कातर हुए घुटनों के बल गिरे हुए बंधू बांधवों के लिए पर्याप्त फटकार तो  है , शायद काम आ जाए।

कभी मुस्कुरा के मिला करो।।
कभी खिलखिला के हंसा करो
तुम वजह हो मेरे वजूद की
सूरज की तरह दमका करो

Zeal 

Saturday, February 16, 2013

क्या है हिंदुत्व ?

मोदी का करारा, मुंहतोड़ जवाब --

बीजेपी को साम्प्रदायिक ठहराने के लिए सुहासिनी हैदर ने चली सस्ती चाल – क्या बीजेपी आज भी हिंदुत्व के मुद्दे को अपने साथ रखती है ?

नरेंद्र मोदी – मैं बताता हूँ आपको कि क्या है हिंदुत्व , हिंदुत्व कहता
है ‘’ सर्वधर्म समभाव ‘’ यानी सभी धर्मों का सम्मान हो और सभी धर्मों के
प्रति हमारे भीतर अच्छे और समान भाव हों , जरा आप बताएंगी कि इस देश में
कौन है जो इस बात का विरोध करेगा, हिंदुत्व कहता है ‘’ एकमसत् विप्राः
बहुधा वधंती ‘’ यानी सत्य एक है अलग-२ लोग उसको अलग-२ प्रकार से कहते हैं
चाहे वो गीता के जरिये कहें या कुरआन के जरिये या महाभारत के जरिये या
रामायण इत्यादि के जरिये , हिंदुत्व कहता है ‘’ सर्वे भवन्तु सुखिनः
सर्वे सन्तु निरामया सर्वे भद्राणि पश्यन्ते मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्
।। ‘’ यानी सभी सुखी हों सबको आरोग्य मिले सबको अच्छी शिक्षा-दीक्षा मिले
ये कहता है हिंदुत्व , है कोई इस देश में जो इसका विरोध करेगा ..?

GOD का लड़का ..

जब पूरी पृथ्वी पर कोई कपड़े पहनना नहीं जानता था तब हम कपड़े का निर्यात करते थे

जब पूरी दुनिया के लोग जानवरों को मार कर खाते थे तब हम यहाँ पर अपने भगवान को 56 भोग चढ़ाते थे

जब पूरी दुनिया के बच्चे नंगे घूमते थे तब हम मंत्रोच्चार करते थे

जब पृथ्वी पर उस परवरदिगार के संदेश वाहक और उस GOD का लड़का नहीं आया था तब हमारे यहाँ के बच्चे सरस्वती वंदना करते थे

जब पूरी दुनिया मे लोग एक दूसरे को लूटते तब हमारे यहाँ पर शांति का उपदेश दिया जाता था

और एक आज का दिन है .... एक तरफ जब हम सबसे विकसित थे तो आज के दिन युवा(??) मित्र आज के दिन उन भूखों नंगों की नकल कर रहे हैं जिन्हे हमने पायजामे मे नाड़ा बांधना सिखाया .... बड़े दुख की बात है ..... :(

Courtesy --Facebook

Friday, February 15, 2013

बसंत पंचमी

सभी मित्रों को बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं। 
Divya

Tuesday, February 12, 2013

डायल किया गया नंबर जवाब नहीं दे रहा ..

आपा-धापी के संसार में अपने अस्तित्व को तलाशती माही  बहुत निराश थी!  बेहद कर्मशील और उद्द्यमी होने के बावजूद अपना कोई स्थान नहीं बना पा रही थी वो। चौका-बर्तन में ही उलझ कर रह गयी थी उसकी जिंदगी। बचपन में देखे बड़े-बड़े सपने उसे खुश  नहीं रहने दे रहा था इस हाल में। रह रह कर उसके मन में एक हूक सी उठती थी और वो फिर से उसी निराशा में डूब जाती थी।

एक दशक बीत गया था उसे इसी तरह जीते हुए। अब वह एक मशीन बन चुकी थी, कोमल भावनाओं ने उसके ह्रदय से अपना स्थान छोड़ दिया था। वो पत्थर बन चुकी थी।

इस उलझन और निराशा भरी ज़िन्दगी में पता नहीं कब मिहिर उसकी ज़िन्दगी में शामिल हो गया।  वो माही का ध्यान रखता, उसे प्यार करता, उसकी बातों को सुनता और उसे दिलासा देता की वो उसके अस्तित्व को तलाशने में उसकी मदद करेगा !

दो वर्ष गुज़र गए , माही का इंतज़ार ख़तम नहीं हुआ , उसकी व्यग्रता बढती ही जा रही थी , उसका जीवन अभी भी बर्तन-झाडू में उलझा हुआ था, अस्तित्व की पहचान होने की कोई आस नज़र नहीं आ रही थी। उसका मन पहले से भी ज्यादा शुष्क हो चला था.

दो वर्षों से मिहिर उसे दिलासा दे रहा था , उसके पास भी तो कोई जादू की छड़ी नहीं थी , जिसे घुमाकर वो माही की ज़िन्दगी बदल सकता।

हालात ने परिस्थितियां इतनी जटिल कर दीं की एक दिन परेशान होकर मिहिर ने उससे कहा की वो प्रेम से विहीन है, बिलकुल सूखी हुयी है, उसका मन पत्थर के समान है .... आज के बाद से वो उससे बात भी न करे।

अपने बारे में ये सब तो वो पहले से ही जानती थी , नया क्या था, पत्थर तो वो थी ही। हाँ , कुछ अंकुर ज़रूर फुट पड़े थे ह्रदय में, मिहिर के लिए ..

मिहिर की यादों में खोयी माही जब बेचैन हो गयी तो उसने उससे बात करने की कोशिश की ..


 The number you have dialed is not answering..


Zeal

Saturday, February 2, 2013

कांग्रेस की बैसाखी है इस्लाम या फिर इस्लाम की बैसाखी है कांग्रेस ?

इस्लामिक कांग्रेस !

खबरदार अगर किसी ने कांग्रेस को कुछ कहा तो ! वो तुष्टिकरण नहीं करती ! वो तो पालती पोसती है अपने लाडलों को , फिर चाहे वो खान पारिवार हों अथवा अफज़ल हो अथवा कसाब।  चाहे वो अश्लीलता करें , परदे पर नाचें अथवा कसाब की तरह क़त्ल और आतंकवाद करे ! इन सब पर हमारी सरकार दया दृष्टि रखती है ! इनके लालन-पालन में कोई कसर नहीं छोडती !

कांग्रेस की बैसाखी है इस्लाम या फिर इस्लाम की बैसाखी है कांग्रेस ?  मुस्लिम वोटों की दया के बिना कांग्रेस डूब जायेगी या कांग्रेस की दया के बिना मुसलमान बर्बाद हो जायेंगे ?

अगर थोड़ी सी भी बुद्धि का इस्तेमाल करें ये लोग तो आसानी से समझ सकते हैं कि कांग्रेस केवल इनका इस्तेमाल कर रही है अपने निजी हित में ! कांग्रेस ने मुस्लिम समाज का स्वाभिमान खरीद लिया है और उसे डरे-सहमे रहकर जीने को मजबूर कर दिया है!

यदि भारत से इतनी ही तकलीफ है तो इन लोगों को पाकिस्तान में जाकर पुरसुकून से रहना चाहिए , लेकिन नहीं ये लोग बहुत चतुर हैं , हमारा अधिकार मारकर , हमारा खून पीने के लिए यहीं जमे हुए हैं !  लेकिन सनद रहे -कभी नाव गाडी पर तो कभी गाडी नाव पर होती है !

खुशनसीब हैं गुजरात के मुसलमान जो अपने नेता को उसके धर्म से नहीं , बल्कि उसके कर्म से पहचानते हैं ! और इसीलिए लगातार उन्नति कर रहे हैं और खुशहाल हैं !

आज तक दो ही मुसलमान देखे जो खुले दिमाग से सोचते हैं --

सलमान रुश्दी
तस्नीमा नसरीन

इन दोनों ने इस्लाम को सच्चे अर्थों में समझा है और बंगाल-शेरनी को भी दहला के रख दिया है।

Friday, February 1, 2013

मुर्दों का देश

कमल हसन जैसे सम्बेदन शील कलाकार देश छोडना चाहते है ,सलमान रश्दी को भारत आने नही दिया जाता ,अफरोज जैसा हत्यारा और दरिंदा जिसने दामिनी के साथ दो बार रेप किया इसलिये बचाया जाता है की वह मुस्लिम है,जनरल बी.के .सिंह का स्कूल प्रमाणपत्र गलत हो सकता है क्यूकी उन्होंने देश रक्षा मे अपनी जवानी लगा दिया!!!;प्रज्ञा सिंह को सबूत के आभाव मे कैंसर की अवस्था मे भी जमानत नही दी जा सकती ,,,इसके जिम्मेदार यह इस्लामिक कोंग्रेस नहीं है हम खुद है !!!!!

By Pankaj Singh