Saturday, April 25, 2015

दो गज़ चादर

दो गज़ की चादर से बैर नहीं , 
तो छटांक भर की टोपी से गुरेज़ कैसा? 
अजी, सज़दा ही करना था तो पूरे हुस्नो-ज़माल से करते 
उन्हें भी रंज ना रहता और अल्लाह का करम भी हो जाता !

Thursday, April 23, 2015

सपने मरते नहीं हैं कभी...

सपने अधूरे भले ही रह जाएँ,
लेकिन मरते नहीं हैं कभी !
मुझसे तो मेरे मरने के बाद भी 
मुझे हिला कर पूछ लेना,
यही आवाज़ आएगी ...
"हाँ, फिर से शहर बदला है 
और फिर से उम्मीद जागी है "

Monday, April 20, 2015

माँ





जब मैं छोटी थी तब आप मेरी माँ थीं, 
जब मैं बड़ी हुयी तो आप मेरी दोस्त बन गयीं, 
आज आप इस दुनिया में ही नहीं हैं,
फिर भी आप मेरा आदर्श बनकर जीवित हैं !
आप कल भी पास पास थीं, आप आज भी करीब हैं !

Wednesday, April 15, 2015

मौत:

आज सुबह तुमने पूछा था, बताओ तुम्हारी आँखों में आँसू क्यों है? ये उस अकाल मृत्यु का शोक है जो, सरहद पर डटे जवानों को आ जाती है, बारिश में बर्बाद हुए किसानों को आ जाती है, और कभी-कभी, जीते जी हम जैसे इंसानों को आ जाती है रो लेती हैं ज़िंदा लाशें अपनी ही मौत पर , घुट जाते हैं शब्द सारे, रूंधे गले में ऐंठ कर !!

Wednesday, April 8, 2015

बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही गोरी काफी है

राहुल जी जब भी बाहर जाते हैं,
बस एक ही चिंता लगी रहती है, 
कहीं एक और बहू न आ जाये गोरी चमड़ी वाली 
और बेगैरतों के समर्थन से देश फिर से ,
कुछ दशकों के लिए गुलाम ना हो जाए !
बर्बाद गुलिस्ताँ करने को बस एक ही गोरी काफी है