दो गज़ की चादर से बैर नहीं ,
तो छटांक भर की टोपी से गुरेज़ कैसा?
अजी, सज़दा ही करना था तो पूरे हुस्नो-ज़माल से करते
उन्हें भी रंज ना रहता और अल्लाह का करम भी हो जाता !
तो छटांक भर की टोपी से गुरेज़ कैसा?
अजी, सज़दा ही करना था तो पूरे हुस्नो-ज़माल से करते
उन्हें भी रंज ना रहता और अल्लाह का करम भी हो जाता !