Friday, November 30, 2012

फेसबुक वालों से इतनी दुश्मनी क्यों ?-- कानून अथवा तानाशाही ?

हर तरफ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन किया जा रहा है ! जिसे देखो उसे ही गिरफ्तार कर ले रहे हैं लोग  ! कारण ? --उनके अहम् को ठेस पहुँच गयी !  सरकार तो इंतज़ार में ही बैठी थी की फेसबुक वालों की कलम तोड़ दी जाए !  इन गिरफ्तारियों को देखकर उन्हें तो मौक़ा मिल गया फेसबुक पर लिखने वालों के खिलाफ ! बना दिया क़ानून ! अब भुगतिए 66-A को,  स्वतंत्र लेखन अब संभव ही नहीं है ! जी-हुजूरी का तडका तो लगाना ही पडेगा इन तानाशाहों के लिए !

अब न लोकतंत्र होगा , न ही आजादी , सिर्फ और सिर्फ बचेंगे तानाशाह और उनकी चाटुकार गुलाम जनता !  या तो तलवे चाटो या फिर गिरफ्तार हो जाओ! अपने अहम् को पोषित करने में उन्होंने ये भी नहीं देखा की उन्होंने स्वयं अपने पैरों पर भी कुल्हाड़ी मार ली है !

लेकिन इन तानाशाहों को ये नहीं पता की की कभी नाव गाडी पर तो कभी गाडी नाव पर होती है ! आज इनको जितना तपना है तप लें , लेकिन तानाशाही के दिन पूरे अवश्य होते हैं ! औरंगजेब हो या सद्दाम , सभी के दिन पूरे हुए हैं ! विद्रोह को जन्म देती इस तानाशाही और इन तानाशाहों का भी अंत निकट ही है !

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता  का हनन एक बहुत बड़ा गुनाह है ! इसका अंत होना ही चाहिए ! अन्यथा नयनों, पलकों , होठों पर रचे गए साहित्य ही बचेंगे , उनका रस , उनके प्राण  और लेखन की जीवंतता समाप्त हो जायेगी और साथ ही साथ बहुत से लेखक भी !

Zeal

18 comments:

Mridula Ujjwal said...

Agreed !!

vandana gupta said...

आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (1-12-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!

शिवम् मिश्रा said...

जनता के पास अपने अधिकारो की जानकारी का अभाव है!

विश्व एड्स दिवस पर रखें याद जानकारी ही बचाव - ब्लॉग बुलेटिन आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

Akash Mishra said...

आज ही दैनिक भास्कर के इंटरनेट अंक में पढ़ा कि दिल्ली की एक महिला की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने उन तमाम गिरफ्तारियों पर स्पष्टीकरण माँगा है जो बेवजह थी |
उनमे से एक गिरफ्तारी बंगाल निवासी एक ऐसे युवक की हुई थी जिसने फेसबुक पर ममता बनर्जी की कोई फोटो शेयर की थी |

प्रवीण पाण्डेय said...

अभिव्यक्ति का कठिन दौर आ गया है..

Akhil said...

व्यवस्था में अव्यवस्था के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन आवश्यक है। आपकी बात का पूरा समर्थन करता हूँ।

मुकेश कुमार सिन्हा said...

agreed

Rohitas Ghorela said...

लोगों को 99 के फेरे में फंसते सुना था पर अब तो 66 A के फेरे में फंस रहे हैं ..ये कोई नई बला आ टपकी है भई .... :O :D

आपके ब्लॉग पर आकर बहुत अच्छा लगा ..अगर आपको भी अच्छा लगे तो मेरे ब्लॉग से भी जुड़े।

आभार!!

Rohitas Ghorela said...

लोगों को 99 के फेरे में फंसते सुना था पर अब तो 66 A के फेरे में फंस रहे हैं ..ये कोई नई बला आ टपकी है भई .... :O :D

आपके ब्लॉग पर आकर बहुत अच्छा लगा ..अगर आपको भी अच्छा लगे तो मेरे ब्लॉग से भी जुड़े।

आभार!!

Ramakant Singh said...

कड़वी लेकिन सच्ची बात

जयकृष्ण राय तुषार said...

बहुत ही उम्दा पोस्ट |

Chand K Sharma said...

हमें हिन्दूओं में राजनैतिक ऐकता के लिये प्रत्येक हिन्दू को अपने आप दूसरे से जुडना होगा। जागरुक्ता लानी होगी। इस समय व्यक्तिगत तौर पर इस से अधिक और कुछ नहीं किया जा सकता।

Internet Marketing Company said...

सच है,ये 66 A का फेर है!

Unknown said...

manniya aapke is post ka link yaha kiya gaya hai kipya apni rai avasay de...
अबे तू खान्ग्रेसी है क्या ?नहीं हैं तो यह पोस्ट पढ़ यदि हैं तो खिसक ले वर्ना अपनी पोल अपने आगे खुलता देखेगासनातन ब्लोगर्स वर्ल्डke rajniti par ki yah pahli post jarur padhen..

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