सूर्य नमस्कार :
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१- प्रणाम स्थिति :- दोनों हाथों को जोड़कर सीने के पास रखें व दृष्टि सामने रखें !एड़ियां मिलाकर रखें ! अनाहत चक्र पर ध्यान केंद्रित करें और ॐ मित्राय नमः का जाप करें !
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२-हस्तोत्थानासन :- दोनों हाथों को श्वास भरते हुए ऊपर की और ले जाएँ ! विशुद्धि चक्र पर ध्यान केंद्रित करें और ॐ रवैये नमः का जाप करें !
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३-पाद हस्तासन :- श्वास छोड़ते हुए मस्तक को घुटने से वा हाथों को ज़मीन से लगाने का प्रयास स्वाधिष्ठान चक्र पर ध्यान केंद्रित करें और ॐ सूर्याय नमः का जाप करें !
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४-अश्व संचालनासन :- एक पैर को पीछे ले जाएँ व दोनों हाथों को एक साथ रखें तथा छाती को ऊपर उठाएं ! आज्ञा चक्र पर ध्यान केंद्रित करें और ॐ भानवे नमः का जाप करें !
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५-दण्डासन :- दोनों पैरों को पीछे ले जाते हैं व दोनों हाथों को आगे रखें !मणिपुर चक्र पर ध्यान केंद्रित करें और ॐ खगाय नमः का जाप करें !
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६-अष्टांग नमस्कार :- श्वास छोड़ते हुए घुटने, छाती, ठुड्डी व मस्तक को ज़मीन से लगाएं ! अनाहत चक्र पर ध्यान केंद्रित करें और ॐ पूष्णे नमः का जाप करें !
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७- भुजंगासन :-- दोनों हाथों को कंधे के पास रखते हुए धड़ को श्वास लेते हुए ऊपर उठाएं ! स्वाधिष्ठान चक्र पर ध्यान केंद्रित करें और ॐ हिरण्यगर्भाय नमः का जाप करें !
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८-पर्वतासन :- इसमें श्वास छोड़ते हुए मस्तक को ज़मीन से लगाएं वा नाभि को देखने का प्रयास करें ! विशुद्धि चक्र पर ध्यान केंद्रित करें और ॐ मरीचये नमः का जाप करें !
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९- अश्वसंचालनासन :- एक पैर को पीछे ले जाएँ व दोनों हाथों को एक साथ रखें तथा छाती को ऊपर उठाएं ! आज्ञा चक्र पर ध्यान केंद्रित करें और ॐ आदित्याय नमः का जाप करें !
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१०- पाद हस्तासन :-श्वास छोड़ते हुए दोनों पैरों को साथ लाएं तथा मस्तक को घुटने से वा हाथों को ज़मीन से लगाएं ! स्वाधिष्ठान आज्ञा चक्र पर ध्यान केंद्रित करें और ॐ सवित्रे नमः का जाप करें !
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११-हस्तोत्थानासन :-दोनों हाथों को श्वास भरते हुए ऊपर की और ले जाएँ ! विशुद्धि चक्र पर ध्यान केंद्रित करें और ॐ अर्काय नमः का जाप करें !
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१२-प्रणाम स्थिति :- दोनों हाथों को जोड़कर सीने के पास रखें व दृष्टि सामने रखें !एड़ियां मिलाकर रखें ! अनाहत चक्र पर ध्यान केंद्रित करें और ॐ भास्कराय नमः का जाप करें !
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अपनी क्षमानुसार सम्पूर्ण क्रिया को पांच बार दोहराएं और अंत में पांच मिनट का "शवासन" अवश्य करें ! सूर्य (सविता) का प्रखर तेज़ हमें स्वस्थ, प्रसन्न वा पवित्र बना रहा है ऐसा भाव बनाएं रखें !
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१- प्रणाम स्थिति :- दोनों हाथों को जोड़कर सीने के पास रखें व दृष्टि सामने रखें !एड़ियां मिलाकर रखें ! अनाहत चक्र पर ध्यान केंद्रित करें और ॐ मित्राय नमः का जाप करें !
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२-हस्तोत्थानासन :- दोनों हाथों को श्वास भरते हुए ऊपर की और ले जाएँ ! विशुद्धि चक्र पर ध्यान केंद्रित करें और ॐ रवैये नमः का जाप करें !
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३-पाद हस्तासन :- श्वास छोड़ते हुए मस्तक को घुटने से वा हाथों को ज़मीन से लगाने का प्रयास स्वाधिष्ठान चक्र पर ध्यान केंद्रित करें और ॐ सूर्याय नमः का जाप करें !
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४-अश्व संचालनासन :- एक पैर को पीछे ले जाएँ व दोनों हाथों को एक साथ रखें तथा छाती को ऊपर उठाएं ! आज्ञा चक्र पर ध्यान केंद्रित करें और ॐ भानवे नमः का जाप करें !
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५-दण्डासन :- दोनों पैरों को पीछे ले जाते हैं व दोनों हाथों को आगे रखें !मणिपुर चक्र पर ध्यान केंद्रित करें और ॐ खगाय नमः का जाप करें !
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६-अष्टांग नमस्कार :- श्वास छोड़ते हुए घुटने, छाती, ठुड्डी व मस्तक को ज़मीन से लगाएं ! अनाहत चक्र पर ध्यान केंद्रित करें और ॐ पूष्णे नमः का जाप करें !
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७- भुजंगासन :-- दोनों हाथों को कंधे के पास रखते हुए धड़ को श्वास लेते हुए ऊपर उठाएं ! स्वाधिष्ठान चक्र पर ध्यान केंद्रित करें और ॐ हिरण्यगर्भाय नमः का जाप करें !
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८-पर्वतासन :- इसमें श्वास छोड़ते हुए मस्तक को ज़मीन से लगाएं वा नाभि को देखने का प्रयास करें ! विशुद्धि चक्र पर ध्यान केंद्रित करें और ॐ मरीचये नमः का जाप करें !
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९- अश्वसंचालनासन :- एक पैर को पीछे ले जाएँ व दोनों हाथों को एक साथ रखें तथा छाती को ऊपर उठाएं ! आज्ञा चक्र पर ध्यान केंद्रित करें और ॐ आदित्याय नमः का जाप करें !
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१०- पाद हस्तासन :-श्वास छोड़ते हुए दोनों पैरों को साथ लाएं तथा मस्तक को घुटने से वा हाथों को ज़मीन से लगाएं ! स्वाधिष्ठान आज्ञा चक्र पर ध्यान केंद्रित करें और ॐ सवित्रे नमः का जाप करें !
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११-हस्तोत्थानासन :-दोनों हाथों को श्वास भरते हुए ऊपर की और ले जाएँ ! विशुद्धि चक्र पर ध्यान केंद्रित करें और ॐ अर्काय नमः का जाप करें !
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१२-प्रणाम स्थिति :- दोनों हाथों को जोड़कर सीने के पास रखें व दृष्टि सामने रखें !एड़ियां मिलाकर रखें ! अनाहत चक्र पर ध्यान केंद्रित करें और ॐ भास्कराय नमः का जाप करें !
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अपनी क्षमानुसार सम्पूर्ण क्रिया को पांच बार दोहराएं और अंत में पांच मिनट का "शवासन" अवश्य करें ! सूर्य (सविता) का प्रखर तेज़ हमें स्वस्थ, प्रसन्न वा पवित्र बना रहा है ऐसा भाव बनाएं रखें !
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