Wednesday, June 10, 2015

हमारा "सूर्य नमस्कार" योग दिवस में शामिल करो

प्रधान-सेवक किसके ? हिन्दुओं के या फिर शांतिदूतों के? केवल लिम्का बुक ऑफ़ वर्ल्ड रेकॉर्ड में दर्ज करने की लालच में औने-पौने, काट-छाँट वाला योगासन क्यों निर्धारित किया ? आतंकवाद फैलाने वाले मुस्लिमों को खुश करने की मजबूरी क्या है? पहले जनमत संग्रह कराया जाए की भारत की कितने प्रतिशत आबादी सूर्य नमस्कार करने के पक्ष में है और कितनी नहीं !
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यदि मुस्लिम फतवा जारी कर सकते हैं तो हम हिन्दू भी बहिष्कार करते हैं इस योग दिवस का ! जब तक सूर्य नमस्कार शामिल नहीं किया जाएगा , तब तक इस योग दिवस का कोई औचित्य नहीं है ! ये मात्र एक खानापूर्ति और कागज़ों पर दर्ज करने वाला आंकड़ा मात्र है !
जब किसी पर, किसी भी प्रकार की बाध्यता नहीं है तो सूर्य नमस्कार हटाने का दुराग्रह क्यों ? इस समय जो तटस्थ रहेगा उसे इतिहास भी माफ़ नहीं करेगा और ना ही उनकी आने वाली औलादें !

1 comment:

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