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Friday, August 24, 2012

तीखी या फिर खरी-खरी ?

कुछ लोग सत्यवादी होते हैं।
सत्यवादी निर्भीक होते हैं।
निष्पक्ष और निष्कपट होते हैं।
किसी की भी चाटुकारिता नहीं करते।
सत्यवादियों के लिए अपना-पराया नहीं होता।
वे निर्लिप्त और निर्विकार होते हैं ।
सप्रयास अपनी स्पष्टवादिता को बनाये रखते हैं , वरना तो मार्ग से विचलित होने के अवसर बहुत होते हैं।
वे खरा-खरा ही बोलते हैं , किसी को तीखा लगता है , इस बात की परवाह किये बगैर।
खरा बोलने वाले , निंदा से विचलित नहीं होते, उसके लिए सदैव तैयार रहते हैं ।

हमारा खरा-खरा बोलना आपको 'खारा' लगता है तो इसमें हमारा क्या कसूर-?...हमें तो अपना खरापन ही सबसे ज्यादा मीठा लगता है।

कोमल प्रकृति वाले अपनी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी स्वयं लें।

Keep Smiling !

Zeal