ज़रुरत है एक विदेशी प्रधानमन्त्री की
(कृपया टेंडर भरिये)
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हम गरीब हैं
हम लाचार हैं
हमारे पास पैसा नहीं है
हमारे पास संसाधन नहीं है
हमारे देश से प्रतिभाएं विदेश पलायन कर जाती हैं
हम क्या करें , हम मजबूर हैं विदेशियों से मदद लेने के लिए
विदेशियों आओ , हमें बचाओ, हमारी भुखमरी मिटाओ
अपनी कम्पनियाँ लाओ , धान उगाओ , हथियार बनाओ
कुछ भी करो , लेकिन हमें बचाओ
हो सके तो विदेशी कंपनियों के साथ एक विदेशी प्रधानमन्त्री भी निवेश कर दो !
जय विदेश ! ! जय विदेश !
(कृपया टेंडर भरिये)
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हम गरीब हैं
हम लाचार हैं
हमारे पास पैसा नहीं है
हमारे पास संसाधन नहीं है
हमारे देश से प्रतिभाएं विदेश पलायन कर जाती हैं
हम क्या करें , हम मजबूर हैं विदेशियों से मदद लेने के लिए
विदेशियों आओ , हमें बचाओ, हमारी भुखमरी मिटाओ
अपनी कम्पनियाँ लाओ , धान उगाओ , हथियार बनाओ
कुछ भी करो , लेकिन हमें बचाओ
हो सके तो विदेशी कंपनियों के साथ एक विदेशी प्रधानमन्त्री भी निवेश कर दो !
जय विदेश ! ! जय विदेश !
2 comments:
बहुत बढ़िया--
सादर --
बहुत शानदार...
जब सब कुछ विदेशियों से ही करवाना है तो हमने प्रधानमंत्री चुना किसलिए? गरीबी, भुखमरी, महंगाई भी विदेशी मिटाएं, रोजगार विदेशी ही पैदा करें, देश की रेल, बैंक, हॉस्पिटल सब विदेशी ही चलाएं| सेना भी विदेशियों के भरोसे चले| तो कोई बताए कि हमे भारतीय प्रधानमंत्री की क्या जरूरत? क्यो चुनावो मे इतना पैसा फूँका?
आपकी पोस्ट बहुत सटीक है| प्रशंसमीय
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