जब तक पुरुषों पर जवानी ज्यादा छायी रहेगी , महिलाओं की जवानियाँ सड़क पर शर्मसार होती रहेगी। बड़े फख्र से ये बतायेंगे की पुरुष कभी बूढ़े नहीं होते। एक्टिवे ही रहते हैं। कुछ ज्यादा ही hyperactive हैं।
आखिर पुरुष क्यूँ नहीं विरोध करते घृणित , गन्दी , अश्लील मानसिकता का ? समाज में मुन्नी बदनाम और शीला की जवानी जैसे भद्दे गाने चल रहे हैं , किसी को परवाह नहीं। कोई सरोकार नहीं । क्या इन्हें इतना भी भय नहीं की इनकी बेटियाँ इसी समाज में बड़ी हो रही हैं। अच्छी से अच्छी शिक्षा भी बेकार जायेगी जब तक ये भोंडापन रहेगा समाज में। पुरुषों को भी विरोध करना चाहिए।
भला हो बनारस की जागरूक महिलाओं का , जिन्हें परवाह हैं अपनी संस्कृति की । कहीं तो विद्रोह हुआ इस अश्लील , गाने का। कैटरीना और मल्लिका और राखी सावंत में अंतर क्या है ? भारत को पतन की तरफ की तरफ ले जा रही ये महिलाएं भयानक जुर्म कर रही हैं। संस्कृति को नीलाम कर रही हैं। इनके खिलाफ भी कानून बनना चाहिए और कार्यवाई होनी चाहिए।
ये महिलाएं ही जिम्मेदार है , बढ़ते हुए बलात्कार जैसी घटनाओं की और युवाओं की मानसिकता को विकृत करने की। आखिर वेश्याओं और इन महिलाओं में भला अंतर क्या है। फरहा खान तो हर-एक अभिनेत्री से अश्लील नाच करवाने के बाद ही उन्हें बेस्ट एक्ट्रेस का खिताब मिलने देगी।
सुर्ख़ियों में रहने के लिए इतना नीचे गिरना जरूरी है क्या ?
एक इन्जिनीरिंग कॉलेज में एक लड़के अभिषेक ने दो लड़कियों को blackmail करके उनसे , १७० लड़कियों के MMS बनवाकर विदेशों में बेचकर करोड़ों कमा लिए। वाह ! मजे भी लूटे और कमाई इतनी आसान। अरे इससे तो अच्छा है , जिसे शौक है वो ब्लू-फिल्में देखे और समाज को साफ़-सुथरा रहने दे।
सेंसर बोर्ड सो रहा है अथवा नेत्रहीन है जो आँख के सामने इतना कुछ होते हुए देख रहा है और कोई आपत्ति भी नहीं । शीला दीक्षित जी को यदि इस गाने पर भी आपत्ति नहीं तो समझ लीजिये की उनकी आत्मा मर चुकी है।
अपनी संस्कृति पर क्या कोई लेख लिखे , जब उसे डूबाने वाले कतार बांधे खड़े हैं।