शिंदे की ज़बान इस तरह फिसलेगी बार-बार तो कब तक
बर्दाश्त किया जाएगा इन्हें ? धारा 228A का उल्लंघन करते हुए , भंडारा
रेप काण्ड की नाबालिग रेप-पीड़िताओं के नामों का उल्लेख किया . इस प्रकार
की गलती वे सन 2007 में भी कर चुके हैं। कभी वे हिन्दुओं को आतंकवादी भी
कहते हैं ! बार-बार ज़बान फिसलना आखिर क्या दर्शाता है?
पिछले 65 सालों से तो गुलामी के लिए अभिशप्त हैं ही हम लोग, क्या आगे भी गुलामी ही लिखी है?
पिछले 65 सालों से तो गुलामी के लिए अभिशप्त हैं ही हम लोग, क्या आगे भी गुलामी ही लिखी है?
http://timesofindia.indiatimes.com/india/Before-Shinde-a-similar-gaffe-by-an-SC-judge/articleshow/18758667.cms