भारत भूमि में कोई एक बिस्मिल नहीं पैदा हुआ। हर दिन एक भगत , एक अशफाक और बिस्मिल पैदा होते हैं यहाँ। जिसकी जीती-जागती मिसाल हैं हमारे हिंदी ब्लॉगर - डॉ एम् एल वर्मा 'क्रांन्त ' जी। वर्मा जी ने अभूतपूर्व योगदान दिया है हिंदी और अंग्रेजी विकीपीडिया को। लेकिन अफ़सोस , की इन कायर अंग्रेजों ने वर्मा जी के आलेखों को विकिपीडिया पर मॉडरेट करना शुरू कर दिया। जब डॉ वर्मा ने इस पड़ताल की तो कायर -विकिपीडिया ने हमारे डॉ वर्मा को ब्लाक कर दिया। क्योंकि उन्हें डर था की वर्मा जी द्वारा शहीदों पर लिखे जा रहे आलेखों से कहीं भारत की जनता के खून में दुबारा उबाल न आ जाये।
Friends this article was written/edited by me on English Wikipedia but it was cruelly edited there by some biased editors. You can very well see this article in its present position there at English Wikipedia. I was going to make it better but in the meantime I was blocked for an indefinite period. Since I can not edit there hence I found it better to copy it from there and pasted it here on my blog. At least some people will be benefited here. This is the true story behind this article.
डॉवर्माकीउत्कृष्टरचनापढ़िए----हमने बिस्मिल की तड़पती वो गज़ल देखी है वक़्त-ए-रुख्सत जो लिखी थी वो नकल देखी है
जब क़दम वादी-ए-गुर्बत में उन्होंने रक्खा हमने उस दौर की जाँबाज फसल देखी है
सरफ़रोशी की तमन्ना में भी कितना दम था खाक में मिलने की हसरत पे अमल देखी है
आज जरखेज जमीनों में जो उग आयी है हमने हालात की बीमार फसल देखी है
कल भी देखा था जो हम सबको हिला देता था और जब कुछ भी न होता हो वो कल देखी है 'क्रान्त' अब मुल्क की हालत पे हँसी आती है रंज होता था कभी सबको वो कल देखी है
कृपया एक नज़र इस आलेख पर डालें।
डॉ वर्मा की उत्कृष्ट रचना पढ़िए----हमने बिस्मिल की तड़पती वो गज़ल देखी है
वक़्त-ए-रुख्सत जो लिखी थी वो नकल देखी है
जब क़दम वादी-ए-गुर्बत में उन्होंने रक्खा
हमने उस दौर की जाँबाज फसल देखी है
सरफ़रोशी की तमन्ना में भी कितना दम था
खाक में मिलने की हसरत पे अमल देखी है
आज जरखेज जमीनों में जो उग आयी है
हमने हालात की बीमार फसल देखी है
कल भी देखा था जो हम सबको हिला देता था
और जब कुछ भी न होता हो वो कल देखी है
'क्रान्त' अब मुल्क की हालत पे हँसी आती है
रंज होता था कभी सबको वो कल देखी है
ZEAL