बाल दिवस किसके नाम पर मनाते हैं हम ? वो नेहरू
जिसने कई पीढ़ियों को दासता दे डाली ! वही नेहरू खानदान जिसके राज में गरीब
आत्महत्या करते हैं और बच्चे कुपोषण का शिकार होकर भूख से बिलबिलाते हुए
दम तोड़ते हैं। बहिष्कार करते हैं हम बाल-दिवस पर नेहरू के नाम का !
नेहरू बच्चों का सबसे बड़ा दुश्मन था। वो केवल विदेशियों का भक्त था !
जहाँ इतने कुपोषित और गरीब बच्चे हों , वहां नेहरू को चाचा नाम से याद करना सबसे बड़ी मूर्खता है ! हमारे बच्चे गलत इतिहास जो पढ़ते हैं , इसीलिए नए गुलाम तैयार हो जाते हैं ! अरे बाल-दिवस मनाना ही है तो डॉ राजेन्द्र प्रसाद, पटेल या फिर आज़ाद और बिस्मिल के नाम पर मानना चाहिए ! विदेशियों के हाथ बिके नेहरू खानदान के नाम पर नहीं !
जय हिन्द !
वन्दे मातरम् !
कृपया एक नज़र इस आलेख पर डालें।
डॉ वर्मा की उत्कृष्ट रचना पढ़िए----हमने बिस्मिल की तड़पती वो गज़ल देखी है
वक़्त-ए-रुख्सत जो लिखी थी वो नकल देखी है
जब क़दम वादी-ए-गुर्बत में उन्होंने रक्खा
हमने उस दौर की जाँबाज फसल देखी है
सरफ़रोशी की तमन्ना में भी कितना दम था
खाक में मिलने की हसरत पे अमल देखी है
आज जरखेज जमीनों में जो उग आयी है
हमने हालात की बीमार फसल देखी है
कल भी देखा था जो हम सबको हिला देता था
और जब कुछ भी न होता हो वो कल देखी है
'क्रान्त' अब मुल्क की हालत पे हँसी आती है
रंज होता था कभी सबको वो कल देखी है
ZEAL