प्राचीन भारत में Scholarly शिक्षा का प्रादुर्भाव था , जो विदेशी अतिक्रमण के कारण लम्बे समय के लिए रुक गया तथा हमारी बहुत सी वैज्ञानिक सम्पदा विलुप्त होगई थी । दक्षिण भारत में अतिक्रमण कम होने के कारण , कुछ ग्रन्थ जो बच गए उनसे ये प्रमाडित होता है की हमारे देश में विज्ञान तथा गणित ईसा से ५०० वर्ष पूर्व ही अर्थात आज से करीब २५०० वर्ष पूर्व , उन्नत स्थिति में था।
बाइनरी पद्धति की शुरुआत भारत से हुई थी, लेकिन इसका श्रेय मिला जर्मनी के वैज्ञानिक [Gottfried Leibniz ] को। जबकि सच तो यह है की इस पद्धति की खोज भारत के विद्वान्, पिंगला ने अपने छंदशास्त्र में छंदों के पदों [ लघु एवं दीर्घ ] की लम्बाई मापने के लिए प्रयुक्त की थी । जिसमें दीर्घ पद , लघु का दो-गुना था। पिंगला के इस छंद-शास्त्र से पता चलता है की द्विआधरिय [ Binary ] पद्धति हमारे भारतवर्ष में ईसा से करीब ५०० वर्ष पूर्व से प्रयुक्त की रही है , जबकि जर्मन वैज्ञानिक ने इसे १६९५ में खोजा था।
दशमलव पद्धति में दस संख्या होती है [शून्य से नौ तक ] , जबकि द्विआधारी पद्धति का आधार '२' होता है , जिसमें शून्य तथा एक की संख्या होती है , इन्ही दो संख्याओं के गुणकों का इस्तेमाल बाइनरी सिस्टम में किया जाता है।
द्विआधारिय पद्धति को इस प्रकार समझा जा सकता है....
-होना या न होना।
-लाइट या नो-लाइट
-sound और नो साउंड
-येस और नो
उदाहरण के तौर पर टेलेग्रफिक या इलेक्ट्रिकल सिग्नल भेजना।
इस पद्धति का प्रयोग बहुत सी जगहों पर किया जाता है। जैसे--
१-Computer में-
कंप्यूटर में बाइनरी पद्धति का प्रयोग होता है । जावा , कोबोल , आदि भाषा उपयोगकर्ता के लिए होती हैं जबकि हमारा कंप्यूटर केवल द्विआधरिय गणितीय पद्धति को ही समझता है तथा जावा आदि उन्नत भाषाओँ को येस तथा नो के कमांड में ट्रांसलेट करके ही कार्य करता है।
२- लखनऊ की भूल-भुलैय्या [ The labyrinth ]-
सन १७८४ में असफ-उद-दौला द्वारा बनी भुभुलैय्या में १०२४ सीढियां हैं , जो बाइनरी गणितीय पद्धति पर आधारित हैं। इन्हें '२' को आधार मानकर २ की घात १० गुना अर्थात [ २ x २ x २ x २ x २ x २ x २ x २ x २ x २ ] = १०२४ सीढियां बनायीं गयीं ।
बाइनरी पद्धति के इस्तेमाल से इसमें भूल-भुलैय्या वाला effect बेहतर तरीके से लाना संभव हो पाया।
भुल्भुल्लैया का विशाल भवन बिना किसी खम्बे के २० फीट मोती दीवारों से रुका हुआ है। यह दुनिया की एकमात्र सबसे बड़ी धनुषाकार संरचना है। इसमें बार-बार chadhne वाले तथा उतरने वाली सीढियां हैं। जो डेड-एंड पर समाप्त होती हैं। इसमें जो एक बार घुस जाता है वो आसानी से बाहर नहीं आ सकता । इसका निर्माण लोगों को रोजगार देने के उद्देश्य से कराया गया था। इसे बड़ा-इमामबाडा के नाम से भी जानते हैं।
तो आज वक़्त आ गया है की हम अपने गरिमामय इतिहास पर गर्व करें तथा इसे आगे ले जाने के लिए प्रयासरत रहे।
47 comments:
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भारत प्रवास के दौरान , बड़ी बहेन जो की ,भौतिकी में प्रोफ़ेसर हैं, के साथ हुई चर्चा के ये अंश पोस्ट रूप में उनके जन्म दिन [७ सितम्बर] पर , उन्हीं को समर्पित कर रही हूँ।
Many happy returns of the day , dear Sis.
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हर्ष के साथ ये सूचित कर रही हूँ की , भारत सरकार ने निर्णय लिया है की 'नालंदा विश्व-विद्यालय " को पुनर्जीवित किया जाएगा।
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यही तो फर्क रहा हममें और यूरोप वासियों में की उन्होंने अपने बुद्धिजीवियों और विद्वानों द्वारा बताए गए ज्ञान पर शोध किया और उसका दिन-ब-दिन विकास करते गए लेकिन हमारे यहाँ तो readymade माल की आदत हो गई है ,हम अपने विद्वानों के द्वारा बतायी गई बातों और विधाओं पर तो और अनुसंधान कर उसे विकसित करते नहीं हैं लेकिन पश्चिम से जो भी आता है उसे आँख मूंदकर स्वीकार कर लेते हैं
आयुर्वेद इसका सबसे ज्वलंत उदहारण है ,आयुर्वेद के जरिये हर रोग की चिकित्सा संभव है ,मैं खुद इसका प्रमाण रहा हूँ जब मुझे एक ऐसा रोग हो गया था जिसमें की डोक्टोर्स ने हाथ खड़े कर दिए थे ,उस समय आयुर्वेदिक चिकित्सा से ही मेरे प्राण बच सके, जो रोग एलोपैथिक चिकित्सा व्यवस्था भी ठीक नहीं कर सकती उसे आयुर्वेद ठीक कर सकता है लेकिन दुर्भाग्य की बात ये है की इसे जितना बढ़ावा और इसके अनुसंधानिक विकास पर जितना ध्यान दिया जाना चाहिए था वो नहीं दिया गया
अपने देश के प्रति गर्व और स्वाभिमान को जगाती इस ज्ञानवर्धक पोस्ट के लिए आपका आभार
महक
आप द्वारा दी गयी जानकारियाँ भारतीय सांस्कृतिक धरोहर के प्रति गौरवपूर्ण अनुभूति करा रही हैं.
बहिन को जन्मदिवस की शुभकामनाएँ. "जीवेम शरदः शतं"
नालंदा विश्वविद्यालय फिर से साँसे लेगा...... सूचना पाकर हर्षातिरेक हुआ.
सूचना पाकर आचार्य विष्णुगुप्त याद हो आये.
आज केवल आनंद ही आनंद मिला पढ़कर.
दर्शन पाकर तो महा-आनंद.
मैंने तो आपके पत्र से पूर्व सोचा था कि आप एक प्रौढ़ महिला होंगी, आपके यत्र-तत्र बिखरे विचारों से अनुमान जो लगाया, वय ग़लत लगा.
1.सिंधु घाटी के सभ्यता के जमाने का टाउन प्लानिंग जिसमें सड़क के किनारे बना हुआ नाली, सहर में हम्माम, अनाज घर और जेतना कुछ था ऊ सब ऊँचा स्तर का बैज्ञानिक पद्धति पर आधारित था. अऊर आज?
2. दीदी को सालगिरह मुबारक.
3. नालंदा विश्विद्यालय पर एगो पोस्ट लिखने का मन है. जब हम पहिला बार नालंदा गए थे देखकर बहुत अफसोस हुआ था कि एतना कीमती धरोहर को हम लोग कैसे गँवा दिए अऊर आज बिहारी लोग सब होने पर भी गँवार के रूप में जाना जाता है. छात्रों के लिए हॉस्टल, हस्पताल, बिसाल पुस्तकालय सब देखकर मन तकलीफ से भर गया. लोग बताता है कि वहाँ पुस्तकालय में एतना किताब था कि एक बार आग लग जाने पर महीनों तक आग जलता रहा था.
अब त वैसे भी सिछा में आग लगा हुआ है वहाँ. देखें सायद अब दिन बहुर जाए!!
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आत्मा पुराना चोला त्याग कर जब नया सरीर में प्रवेस करता है त उसको पुनर्जन्म कहते हैं. बधाई, जन्म दिन का आपको भी दिव्या बहिन!!
मेरी तरफ से भी बहन जी को उनके जन्मदिन की बधाई भेजें
अपनी प्राचीन सँस्कृति की महानता का खँडन करने की मँशा से नहीं, बल्कि एक ऎतिहासिक तथ्य के भूलसुधार हेतु, मैं इस पोस्ट में केवल इतना जोड़ना चाहूँगा.. कि आश्चर्यचकित कर देने वाले इस स्थापत्य ( इमामाबाड़ा और भूलभुलैया ) की रूपरेखा ( BluePrint ) फारस से बुलाये गये ’ क़िफ़ायत-उल्लाह’ ने बनायी थी, और इसका निर्माण उसके साथ आये 80 लोगों की टोली की निग़रानी में किया गया था ।
इसके लिये एक सर्वसुलभ इन्टनेट सँदर्भ : यहाँ देखा जा सकता है ।
It will be visible after approval ?
Sure !
गणित की ये व्याख्या मेरी समझ मे नहीं आया। पर हां 500 साल पहले ये काफी उन्नत अवस्था में थी ये विश्वास है। रोमन सम्राज्य के इतिहास पर नजर डालेंगे तो आपको समझ में आएगा कि आरंभ से ही हमारी हर शिक्षा का मुख्य उद्देश्य समाज के विशाल वर्ग को नजर में रख कर होता था। जिस कारण गणित का प्रयोग महान मगध सम्राज्य से पहले से ही होता आ रहा है यानि ईसा से भी 550 साल से भी काफी पहले से ही। भौतिकी और गणितिय रसायनिक सभी शोधों में इतना आगे थे कि पूछिए मत। बस आपसी झगड़े फिर लगातार होते मुस्लिम आक्रमण ने हमें इस तरफ सोचने का मौका ही नहीं दिया।
नालंदा के पतन का एक कारण ये भी था.....कि वो अपने में ही सिमटने लगा था......।
good!!
I like doing simple mathematics in Binary.... :)
bahut hee rochak jankari mili
बहुत सारी जानकारी देता आलेख। साथ ही टिप्पणी में भी।
आपकी दीदी की सालगिरह पर अशेष शुभकामनाएं।
हिन्दी का प्रचार राष्ट्रीयता का प्रचार है।
हिंदी और अर्थव्यवस्था, राजभाषा हिन्दी पर, पधारें
Dearest ZEAL:
It was nice reading an informative blog.
India has a triumphant heritage and we have achieved many a things long before the western world had.
However, the only difference that kept us in anonymity and gave them a claim to fame is the wish to share.
Where we kept our knowledge embedded in oblique verses, they came out with vigor and took their findings to the public at large.
And beyond that, even the White Supremacy has a role in this. After all, we must acknowledge, that small-small nations of Europe did once practically rule most of the earth.
But, we Indians, must be proud of our heritage regardless of the lack of due acclaim to the original discoverers.
I have a dream - to visit the Labyrinth once. Ek Sundar Divase.
Arth kaa
Natmastak charansparsh
रोचक जानकारी ...
महत्वपूर्ण जानकारियों से भरे ऐसे लेख और उन पर आई विद्वतापूर्ण टिप्पणियों से ब्लॉगजगत पर आस्था बढ़ती है |
नालंदा विश्वविद्यालय को केवल पुनर्जीवित करने से कर्तव्य की इतिश्री नहीं होगी | उसका स्तर और गरिमा भी बनायी जानी चाहिए |
दीदी को हमारी तरफ से हैप्पी बरथ डे कहिएगा...
:)
आपकी तस्वीर की नहीं जी..अभी तो उस भूलभुलैया कि तस्वीर देखने कि इच्छा हो रही है..वो बात और के आपकी ये पोस्ट गणित ज्ञान कुछ अधिक होने के कारण सर पर से गुजर गयी..बाइनरी पद्धति के बारे में जानकार लोग जाने..हम तो ये सोच रहे हैं कि यदि उसमें १०२४ सीढी के बजाय एकाध कम ज्यादा होती तो कैसा हुता उसका असर..!
दीदी को हमारी तरफ से हैप्पी बरथ डे कहिएगा...
:)
आपकी तस्वीर की नहीं जी..अभी तो उस भूलभुलैया कि तस्वीर देखने कि इच्छा हो रही है..वो बात और के आपकी ये पोस्ट गणित ज्ञान कुछ अधिक होने के कारण सर पर से गुजर गयी..बाइनरी पद्धति के बारे में जानकार लोग जाने..हम तो ये सोच रहे हैं कि यदि उसमें १०२४ सीढी के बजाय एकाध कम ज्यादा होती तो कैसा हुता उसका असर..!
प्रोफेसर साहिबा को जन्मदिन की शुभकामनाएं और दिव्या से अनुरोध है कि कभी भूलभुलैयां पर विस्तार से लिखें।
bari di ko janmdin ki subhkamna....
rochak aur sikshaprad jankari.....
pranam
मैं एक विभागीय परीक्षा की तैयारी कर रहा था तब पहली बार मुझे binary digits का अध्ययन करना पड़ा था. पर परीक्षा पास करने के उपरांत सब भूल गया. आपका लेख जानकारी पूर्ण है. इस पद्यति की शुरुवात भी भारत में हुई ये बात मुझे पता नहीं थी.
अब लेख से थोडा हट कर भी एक बात कह दूँ. मैं भी प्रतुल की ही तरह से आपको एक अधेड़ उम्र की महिला समझता था पर आपकी तस्वीर कुछ और ही बयान कर रही है. इससे पहले महक जी ने भी जब अपने दीदार कराये थे तो भी मेरे दिल में उनके हिदुत्वावादी कड़क लेख पढ़कर उनकी जो तस्वीर बनी थी वो अचानक हवा में विलीन हो गयी थी. आज से आप मेरी नज़रों में अधेड़ से यंग महिला हो गयी. बधाई स्वीकार करें.
इस बदलाव से मुझे एक नयी पोस्ट लिखने का मसाला मिल गया है अब अगर आपको मेरी उपरोक्त बातें बुरी ना लगी हों तो उस पर काम शुरू कर दूँ.
अच्छी गुणात्मक एवं जानकारी भरी पोस्ट. हमे अपने अतीत का गौरव और सम्मान को पुनर्जीवित करने के लिए प्रेरित करती भी. हमे अपने प्राचीन गणित के विद्वानों , पिंगल , भास्कराचार्य एवं आर्यभट से प्रेरणा लेने की जरुरत है . आपकी अग्रजा को जन्मदिन की शुभकामनाये.
रोचक और सार्थक लेख।
जो Binary system नहीं समझ सके उनके लिए ये सब लिख रहा हूँ
Decimal system में आप अपनी उँगलियों से गिनती करते हैं।
Binary system में समझिए कि आप अपनी मुठ्ठियों से गिनती करते हैं।
अब भी नहीं समझे?
Decimal system १० पर आधारित है।
Binary system २ पर आधारित है।
Decimal system में कुछ उदाहरण :
436 = 4 x (10^2) + 3 x (10^1) + 6 x (10^0) = 400 + 30 + 6 = 436
1372 = 1 x (10^3) + 3 x (10^2) + 7 x (10^1) + 2 x (10^0) = 1000 + 300 + 70 + 2 = 1372
Binary system में (10^?) बदले (2^?) लगाइए। सब समझ में आ जाएगा।
उदाहरण
4 in Decimal = 100 in Binary = 1 x (2^2) + 0 x (2^1) +0 x (2^0)
5 in Decimal = 101 in Binary = 1 x (2^2) + 0 x (2^1) +1 x (2^0)
8 in Decimal = 1000 in Binary = 1 x (2^3) + 0 x (2^2) +0 x (2^1) + 0 x (2^0)
2 in Decimal = 10 in Binary = 1 x (2^1) + 0 x (2^0)
3 in Decimal = 11 in Binary = 1 x (2^1) + 1 x (2^0)
In the decimal system you have TEN digits to make to make up numbers.
In the binary system you have only Two digits to make up numbers.
Software वाले Hexadecimal system का भी प्रयोग करते हैं जिसमे 16 digits प्रयोग करते हैं और वे हैं
0,1,2,3,4,5,6,7,8,9,A,B,C,D,E,F
कोई भी किसी भी सन्दर्भ में चाहें जितनी digits का प्रयोग कर सकते हैं
जैसे भाषा में कई प्रकार की लिपियाँ काम आती हैं, उसी तरह गणित में अनेक पद्दतियाँ काम आ सकती हैं।
लिपियों में अक्षर कभी कम और कभी ज्यादा होती हैं। अंग्रेज़ी में केवल २६ पर देवनागरी में इससे कई ज्यादा अक्षर होते हैं।
Decimal system सबसे अधिक प्रचलित है और इस कारण हम सब उसे आसानी से समझ लेते हैं और हम इसके आदी हो चुके हैं।
पर कंप्यूटर में binary system का प्रयोग इसलिए होता है कि ० और १ off और on से मेल रखते हैं और processing में ये पद्दति कंप्यूटर के लिए सुवधाजनक और लाभदायक होता है और बडी तेजी से होती है।
आशा है के अब बात कुछ समझ में आ जाएगी।
आपकी दीदी को भी हमारी शुभकामनाएं
अंत में हमारी ओर से एक सुझाव स्वीकार कीजिए।
कृपया font size थाडा सा बढा दीजिए। हम अघेड उम्र वालों की आँखे कुछ कमजोर हो गई हैं और पढने में दिक्कत होती है।
जी विश्वनाथ, बेंगळूरु
हो सकता है कि स्टूडियो टाईप खींचे फोटो का आसर हो ये.....ओरिजिनल में कुछ अलग हो...पर हम तो आपके पढ़े के हिसाब से आपको और भी छोटी मान रहे थे जील...
इसका मतलब ये हरगिज़ ना निकालिएगा कि आपके लेखन में परिपक्वता नहीं है...
सबसे पहले तो मेरे प्रिय विषय भौतिकी की, प्रोफ़ेसर साहिबा को जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनायें.
binary system का इतिहास ही क्यों? सभी तरह के इतिहास के साथ एक समस्या है कि " इतिहास हमेशा विजेता लिखता है!" (हारने वाला अपना नज़रिया बतानें के लिये बचता ही कहां है?)
हाँ, हारी हुयी कौम जब फिर उठने लगती है तो इतिहास भी फिर करवट बदलने लगता है. जिस दिन देश आत्म-सम्मान से जीना चाहने लगेगा एक नया इतिहास पड़ने को मिलेगा? पता नहीं हम होंगे उस दिन या नहीं! दिव्या होगी यह कामना तो कर ही सकते हैं!
बहुत रोचक जानकारी। ऐसी कई और उपलब्धियाँ हैं जिन पर हमें गर्व होना चाहिये। हम भारतीयों में हीन भावना इस कदर घर कर गयी है कि तोड़े मरोड़े इतिहास के अध्यायों को सच मान बैठे हैं।
हम तो शुरू से ही अपने ज्ञान-विज्ञान, कला-कौशल और दर्शन पर गर्व करते हैं....
दुर्भाग्य से मध्यकालीन विभीषिका ने पूरब और पश्चिम में बड़ा अंतर बना रक्खा है.
इसी बात पर एक बात आर याद आई.
यह बात सर्वविदित है "ग्रीक दार्शनिकों, वैज्ञानिकों ने भारतीय क्षेत्रों का भ्रमण किया यहाँ के दर्शन, वेद शास्त्रों का अध्धयन कर अपने निष्कर्ष दिए हैं.
आधुनिक भौतिकी (Modern Physics) के सन्दर्भ में भी एक महान भौतिक वैज्ञानिक विशेषज्ञ Julius R. Oppenheimer(1904-1967) का कहना है "What we shall find in Modern Physics is an exemplification, an encouragement and a refinement of old Hindu wisdom."
दीदी जी को बधाई!!
jankaariyon se bhara hua lekh..bahut badhiya post.
jaankari achchi hai.mujhe to is baare me aaj hi pata chala.shukriya. didi ko janmdiwas ki haardik shubh kaamnaye.
Hi...
Rochak avam gyanvardhak jaankari...
Deepak..
विश्वनाथ जी का बहुत बहुत आभार...
आशा है कि उन सब को समझ आ गया होगा अब.....जिन्हें हमारे अलावा समझ नहीं आ रहा था....
हाँ जील जी,
फॉण्ट काफी छोटा है...एनलार्ज करके पढ़ना पड़ता है..
waise rajasthan me bhi shiksha board ne apne pathya kram me vaidik gannit ko shaamil kar liya hai jo ek aclcha kadam hai.
आपकी दी हुई जानकारी से सच में गर्व होता है अपने भारतीय होने पर ... अपनी सांस्कृति अपनी एतिहासिक पुस्तकों को दुबारा नये सिरे से खंगालने की ज़रूरत है .... अभी भी बहुत कुछ है ... कई रहस्य हैं जो छुपे हुवे हैं बाहर आने को ... पर प्रयास की ज़रूरत है .... सार्थक लिखा है ....
विद्वतापूर्ण आलेख दिव्या ,ज्ञानवर्धन के लिए आभार -यही है वह रीयल स्टफ जिसके कारण आप जील और दिव्या हैं -फोटो इज कूल! गरिमायुक्त !
बाकी तो क्या क्या हो गया -ओह !
दिव्या जी
गणित तो मुझे जरा कम ही समझ आता है |किन्तु आपने जो जानकारी दी है वह अवश्य उपयोगी है |नालंदा विश्वविध्यालय फिर से स्थापित हो और उतनी ही गरिमा फिर से पाए बहुत अच्छी सूचना है |
प्रोफ़ेसर दीदी को जन्मदिन कि बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाये |
इस ज्ञानवर्धक पोस्ट के लिए आभार |
हमारी सांस्कृतिक धरोहर विशाल है। हमें इसे अक्षुण्ण रखना चाहिए। नालंदा के बारे में जान कर अच्छा लगा। पोस्ट बहुत ही नई सूचना प्रदान करने में सक्षम है।
दीदी को जन्म दिन की अशेष शुभकामनाएं।
हरीश गुप्त की लघुकथा इज़्ज़त, “मनोज” पर, ... पढिए...ना!
शानदार ज्ञानवर्धक प्रस्तुती ...आपकी बड़ी बहन जी को जन्म दिन की बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनायें ..
यह जानकारी अच्छी लगी.
पहले मुझे लगा कि बधाइयाँ आपके जन्मदिन पर हैं. फिर पोस्ट पूरी पढ़ी तो नीचे देखा आपकी बहिन का जन्मदिन है. उन्हें बहुत बधाइयाँ.
आपका जन्मदिन कब आता है? मेरा दस मई को चला गया. अब अगले साल भी दस मई को ही आयेगा.
Educational post....Very happy birth day to your dear Didi....thank you!
क्या आपको पता है कि सबसे अच्छे हिन्दी ब्लौग कहाँ देखने को मिलते हैं?
उन अच्छे-अच्छे ब्लौगों में आपका ब्लौग भी शामिल हो गया है.
देखने के लिए पधारें http://hindiblogjagat.blogspot.com
जील जी आप मेरे ब्लॉग पर आये इसके लिए धन्यबाद . इसी कारण मुझे भी आपके ब्लॉग पर जाने का मौका मिला और द्वीअधारिय गणित के बारे में अच्छी जानकारी मिली. यों तो भारत बार में यत्र तत्र ज्ञान ही ज्ञान भरा पड़ा है किन्तु हम लोगों को पश्चिम की नक़ल की आदत से हो गयी है. आर्यभट जैसे महान गणितज्ञ इसी देश में हुए हैं वैदिक गणित का ज्ञान विश्व में अन्यत्र कही नहीं है यदि है तो यहीं से गया है . जरूरत इस देश के लोगों को अपने देश के ज्ञान को खोज कर उसका परिमार्जन की है .
दीदी को जन्म दिन पर हार्दिक वधाई .
जील जी आप मेरे ब्लॉग पर आये इसके लिए धन्यबाद . इसी कारण मुझे भी आपके ब्लॉग पर जाने का मौका मिला और द्वीअधारिय गणित के बारे में अच्छी जानकारी मिली. यों तो भारत बार में यत्र तत्र ज्ञान ही ज्ञान भरा पड़ा है किन्तु हम लोगों को पश्चिम की नक़ल की आदत से हो गयी है. आर्यभट जैसे महान गणितज्ञ इसी देश में हुए हैं वैदिक गणित का ज्ञान विश्व में अन्यत्र कही नहीं है यदि है तो यहीं से गया है . जरूरत इस देश के लोगों को अपने देश के ज्ञान को खोज कर उसका परिमार्जन की है .
दीदी को जन्म दिन पर हार्दिक वधाई .
Very nice and informative post...
मेरे आने तक तो सब कुछ कहा जा चूका है अब मै क्या कहु | दीदी को मेरी तरफ से जन्म दिन की बधाई |
कुछ समय पहले मैंने एक श्रंखला २ की पॉवर के अंक, पहेलियां, और कमप्यूटर विज्ञान के नाम से लिखी थी पर यह जानकारी मेरे लिये नयी है।
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आप सभी के बहुमूल्य विचारों के लिए बहुत बहुत आभार। दीदी ने जन्म -दिन की बधाई के लिए आप सभी को धन्यवाद प्रेषित किया है।
दिव्या।
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मेरे आदरणीय पाठक गण, सादर आमंत्रित हैं, मेरी अगली पोस्ट पर ।
आप डाक्टर हैं या कसाई ?---ZEAL
आभार।
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आभार।
Liked the aspect of the post.....Frankly speaking I did not know that it was originated in India.
more basic about binary numbers can be found here:
http://thewaynatureis.blogspot.com/2010/08/binary-numbers.html
Dr DivyaJi,
That post is written by my fried Utpal Sinha. We were classmates at IITD during our M.Sc.
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