४ जून २०११ की रात १२.३० पर निर्दोष और मासूम सत्याग्रहियों पर लाठीचार्ज किया। देशभक्त युवाओं , स्त्री , पुरुषों एवं बुजुर्गों को बेरहमी से मारा-पीटा। आखिर क्या दोष था सत्याग्रहियों का ? शांतिपूर्ण तरीके से आन्दोलन कर रहे देशभक्तों का गुनाह क्या था।
सरकार के इस असंवेदनशील रवैय्ये को क्या कहा जाए ? बर्बरता या दोगलापन ?
भूखे प्यासे , नींद में डूबे हुए सत्याग्रहियों पर अचानक हज़ारों की संख्या में पुलिस द्वारा हुआ आक्रमण अत्यंत खेदजनक है। बच्चों , महिलाओं , युवाओं को जान बचने के लिए बहुत ऊँची-ऊँची दीवारों से कूदना पड़ा। बदसलूकी और बेरहमी से मार के कारण अनेकों कार्यकर्त्ता और सत्याग्रही आज ICU में भर्ती हैं । मौत और जिंदगी के मध्य झूल रहे हैं। बाबा रामदेव के गले में पड़े अंगोछे को खींचकर फंदा बना दिया। क्या एनकाउन्टर का विचार था। जलियावाला बाग़ काण्ड तो अंग्रेजों ने किया था , लेकिन रामलीला मैदान पर जो हुआ वो तो हमारी ही सरकार ने अपनी प्रजा के साथ किया।
सरकारी तंत्र का हिस्सा बने लोग बाबा को 'ठग' की संज्ञा दे रहे हैं । क्या देश के विकास के लिए सोचने वाला और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाने वाला 'ठग' कहलाता है ? जिन्होंने करोड़ों के घोटाले किये और देश को लूटा , उनके खिलाफ कोई कार्यवाई नहीं , लेकिन शांतिपूर्ण तरीके के आन्दोलन कर रहे सत्याग्रही देशभक्तों के ऊपर इतना अत्याचार ह्रदय को छलनी वाला कृत्य है।
ये लोकतंत्र की हत्या है।
सरकार के इस असंवेदनशील रवैय्ये को क्या कहा जाए ? बर्बरता या दोगलापन ?
भूखे प्यासे , नींद में डूबे हुए सत्याग्रहियों पर अचानक हज़ारों की संख्या में पुलिस द्वारा हुआ आक्रमण अत्यंत खेदजनक है। बच्चों , महिलाओं , युवाओं को जान बचने के लिए बहुत ऊँची-ऊँची दीवारों से कूदना पड़ा। बदसलूकी और बेरहमी से मार के कारण अनेकों कार्यकर्त्ता और सत्याग्रही आज ICU में भर्ती हैं । मौत और जिंदगी के मध्य झूल रहे हैं। बाबा रामदेव के गले में पड़े अंगोछे को खींचकर फंदा बना दिया। क्या एनकाउन्टर का विचार था। जलियावाला बाग़ काण्ड तो अंग्रेजों ने किया था , लेकिन रामलीला मैदान पर जो हुआ वो तो हमारी ही सरकार ने अपनी प्रजा के साथ किया।
सरकारी तंत्र का हिस्सा बने लोग बाबा को 'ठग' की संज्ञा दे रहे हैं । क्या देश के विकास के लिए सोचने वाला और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाने वाला 'ठग' कहलाता है ? जिन्होंने करोड़ों के घोटाले किये और देश को लूटा , उनके खिलाफ कोई कार्यवाई नहीं , लेकिन शांतिपूर्ण तरीके के आन्दोलन कर रहे सत्याग्रही देशभक्तों के ऊपर इतना अत्याचार ह्रदय को छलनी वाला कृत्य है।
ये लोकतंत्र की हत्या है।
129 comments:
ये लोकतंत्र की हत्या है। haan aap bilkul theek kah rahin hain.
कुछ देर पहले मैं भी यही सोच रहा था, लेकिन अब विचार बदल चुके हैं. हमारे सामने अब जीवित लाला लाजपत राय हैं, जीवित भगत सिंह हैं और जीवित बिस्मिल हैं.
नयी हवा की खुशबू आ रही है..
बाबा रामदेव जिन्दाबाद...
बड़ा कठिन है लोकतंत्र पर गौरव बनाए रखना...
शर्मनाक.
अफसोस जनक और निंदनीय। इनकी करतूत कहीं देश में विद्रोह न खड़ा कर दे।
ये लोकतंत्र की हत्या है।bahut hi saarthak lekh .angreaj bhi hamaare deshwasion ke saath aisa hi sulook karate the.aaj aajad desh main bhi satyagrhiyon ke saath wahi barbrataa poorn byawahar kiya hai.ye behad sharmnaak.hai,
क्या आपातकाल दहलीज़ पर है ????
मैंने अब से ठीक १५ घंटे पहले अपने ब्लॉग(अनुभूतियों का आकाश) पर एक पोस्ट लिखी थी 'फस गए बाबा' शायद मेरा मन कपिल सिब्बल जी की प्रेस कन्फ्रेंश के बाद ही शशंकित था, कुछ अनहोनी का आभाष हो रहा था, इस कृत्य के बाद और उसकी सरकार द्वारा स्वीकारोक्ति के बाद मुह पर चारो तरफ काला कपडा बाँध लेना चाहिए हमें शायद.. दाल में कुछ काला है या सारी दाल ही काली है न कहकर मुह सिल लेना चाहिए .. अब तो हमें डरना भी चाहिए लिखने से पहले.
ये तो सरकार की कायरता पूर्ण कार्यवाही है | निहत्थे तथा सोते हुवे लोगों पर लाठीचार्ज ये तो सरकारी आतंकवाद की परकाष्ठा ही है | सरकार की ये कार्यवाही अभी और लाला लाजपत राय तथा बिस्मिल पैदा करेंगे !
सभ्यता डायन बनी है, राज्य है रावण बना
क्रूर कौतुक है कि कृष्णा-कान्त दुशासन बना
क्लीव क्यों अर्जुन! खड़ा है? घोर रणचंडी जगा
शत्रु दल के दिल हिलें, टंकार कर गांडीव का
क्रूरता पर कंस की फिर कृष्ण बन कर वार कर
शीश रावण का उड़ा, बेड़ा सिया का पार कर
आज क्यों लंका अधिक प्यारी सिया से है तुझे?
देखता क्या है? पवन सुत! पाप का गढ़ फूँक दे
मन क्षुब्ध है .. लोकतंत्र पर कुठाराघात है .. अब भी जनता की आँख खुल जाये तो बहुत मानो ..स्विस बैंक में पैसा तो इन लोगों का ही है तो कैसे आसानी से मान जायेंगे ...
अपने ब्लाग की ही पंक्ति दुहरा देती हूँ .....ये प्रजातन्त्र के अवसान की शुरुआत है ...
यह भ्रष्ट सरकार की अलोकतांत्रिक और अमानवीय करतूत है। शर्मनाक और निंदनीय.....।
पुरातन ज़माने से ही सरकारें गाहे बगाहे ऐसी ही असंवेदनशीलता दिखाती आ रही हैं।
बाबा रामदेव जी का आन्दोलन देश के हित में है !
अपनी पोल खुलती हुई देखकर हिंसा पर उतर आये है !
बड़ी शर्म की बात है !
दिव्या जी,
सच में जीवन में ऎसी दरंदगी कभी नहीं देखी थी.
इसे ही नीचता की पराकाष्ठा कहते हैं,
मेरा आक्रोश आपके इस पोस्ट रूपी यज्ञ में एक-एक कर आहुति देगा.
मनमोहन मुस्कान भर रहे, मोहनदास उदास.
आज नीचता ने घोंटी है, उपवासों की श्वास.
गांधी के हथियार
यदि उपयुक्त नहीं लगते हैं
गांधी के पदचिह्न
यदि राहगीरों को ठगते हैं.
तो क्यों माथे उसे बिठाकर राज किया करते हो.
तो क्यों मुद्रा हमें दिखाकर नाज किया करते हो.
गांधी का ले नाम
देश की सत्ता हासिल कर ली.
गांधी का कर जाप
अभी तक उसे भुनाते हो तुम.
गांधी की पहचान बनी - यात्रा, अनशन, धरने से.
गांधी बनता राष्ट्र-पिता - क्या केवल मरने से.
गांधी का अवशेष
जिसे तुम राजघाट कहते हो.
गांधी नामी यूज़र [उपभोक्ता]
सारे अगल-बगल लेटे हों.
कब तक जी-हजूरी करके पैर दबाओगे तुम.
कब तक कठपुतली बन करके नाच दिखाओगे तुम.
क्या कहा जाये....
गांधी* से इस हमले का
जवाब माँगना होगा.
गांधी* से विश्वासघात का
मूल्य माँगना होगा.
गांधी के बन्दर भी तीनों
मुझे नहीं दिखते हैं.
शायद सारे काले धन का
छिप लेखा लिखते हैं.
______________
[*गांधी = ज़िंदा गांधी मतलब गांधी नाम का सबसे बड़ा यूज़र]
बाबा का है योग
नहीं केवल आसन तक सीमित.
बाबा का है योग
नहीं केवल श्वासों का धरना.
बाबा का है योग
समेटे जगती भर का हित.
वह केवल है नहीं
पार्टी या एक जाति तक सीमित.
Divya ji, jab sarkar ke sath ek din pehle hi Sehmati ho gayi thi to Anshan ke Drame ko agle Din raat tak kyon chalaya gaya? Kya ise Anshan kahenge?
मनुष्य में मानवता और संवेदनशीलता--दिव्या जी अब बची ही कहाँ है
वस्तुस्थिति को जाने बिना कुछ भी कहना सही नहीं है और जिस तरह से यह सत्याग्रह का शब्द प्रयोग किया गया .......किसी भी हालत में यह सत्याग्रह नहीं है ....सत्याग्रह ..सत्य के लिए आग्रह .....आखिर सत्य क्या है सब जानते हैं ? ????
आज मुझे है समझ आ गया,
काला धन क्या होता.
जब मेहनत करके भी
कोई खाली हाथों होता.
जब किसान अच्छी फसलों पर
भी रहता है रोता.
जब आँखों में नींद तो दिखती
दिखता ना पर सोता.
जब व्यापारी धन-दरिया में
लेता अम्बानी गोता.
जब जनसेवक सेवा करके
छिप कलमाडी होता.
जब बिग बोंस बनकर कोई
सरदार को करता खोता*.
तब-तब काले धन पौधे का
बीज कोई है बोता.
_____
खोता मतलब गधा.. जो दूसरे के दायित्वों को ढोता है.
हमारी नज़र में तो जैसा भूतनाथ वैसा प्रेतनाथ ।
शासन तो BJP का भी आया था ।
1. क्या उसने लोकपाल बिल मंज़ूर कराया ?
2. क्या वह विदेशों से काला धन वापस लाई ?
आज अपने वोट बैंक खो देने के डर से ये बाबा का साथ दे रहे हैं । जो इनके ख़िलाफ़ नहीं बोलता और यहाँ बिलबिला रहा है , उसे क्या उपाधि दी जाएगी ?
अगर BJP इस समस्या को अपने शासन काल में हल कर देती तो आज न यह सत्याग्रह होता और न यह अत्याचार !
अनवर जमाल बोलता है सच और सच सुनता वही है जो कि सच्चा होता है।
वंदे ईश्वरम्
हमारी नज़र में तो जैसा भूतनाथ वैसा प्रेतनाथ ।
शासन तो BJP का भी आया था ।
1. क्या उसने लोकपाल बिल मंज़ूर कराया ?
2. क्या वह विदेशों से काला धन वापस लाई ?
आज अपने वोट बैंक खो देने के डर से ये बाबा का साथ दे रहे हैं । जो इनके ख़िलाफ़ नहीं बोलता और यहाँ बिलबिला रहा है , उसे क्या उपाधि दी जाएगी ?
अगर BJP इस समस्या को अपने शासन काल में हल कर देती तो आज न यह सत्याग्रह होता और न यह अत्याचार !
अनवर जमाल बोलता है सच और सच सुनता वही है जो कि सच्चा होता है।
वंदे ईश्वरम्
बहुत दिन नेट से दूर था.
लेकिन कल की कांग्रेस की रावणलीला ने नेट पे आने को मजबूर कर दिया.
कहते है न जब विनाशकाल आता है तो बुद्धि विपरीत हो जाती है.
इस कांग्रेस का भी विनाशकाल शुरु हो गया है.
कांग्रेस को खुद नही अंदाजा है कि उसने अब अपनी कब्र खोद ली है.
कांग्रेस और कांग्रेसी मन ही मन बहुत खुश हो रहे है सोच रहे है कि बाबा के आन्दोलन की आग को बुझा दिया गया.
लेकिन उन मूर्खो को ये नही पता की उन्होने आंदोलन की आग को बुझाया नही बल्कि उसमे घी डाल दिया है.
और अब ये आग कांग्रेस को संपूर्ण भस्म करके ही बुझेगी.
अब भारत की राजनीति मे वो होगा जो आज तक नही हुआ.
विशेष लोग कुछ विशेष ही कह रहे हैं. सब एक ही दिशा में.
अनवर जमाल जी
सबसे पहले तो मै आपको ये बता दू.
कि इस देश मे पचपन साल कांग्रेस का शासन था.
और पाच साल बीजेपी का रहा है.
बीजेपी मे स्वयं प्रधानमंत्री अटल जी ने लोकपाल बिल पास करने का प्रस्ताव रखा था.
लेकिन तब भी इस कांग्रेस ने जो विपक्ष मे थी. बिल पास के लिये सहमति नही जतायी.
लिहाजा बिल अटका रहा.
लेकिन इस कांग्रेस ने अपने पचपन सालो के शासन मे बिल पास कराने की स्थिति मे होते हुये भी बिल लटकाये रही.
और कालाधन का मुद्दा तो इसने कभी जाहिर होने ही नही दिया.
ये मुद्धा तो बाबा के आने के बाद जनता को पता चला है.
इसलिये सब पार्टियो को एक सा मत कहिये.
बीजेपी लादेन को लादेन जी और रामदेव को ठग कहने की छिछोरी राजनीति नही करती.
इसका मतलब ये नही है कि वो बुरी पार्टी हो गयी.
अंग्रेजों से भी बदतर सलूक...इंडियनस द्वारा भारतीयों पर...काले धन को बचाए रखने के लिए बेकसूर निहत्थों पर अमानवीय व्यवहार...हम इसकी कड़े शब्दों में निंदा करते हैं।
हे प्रभू!!!इन्हें सद्बुद्धि देना क्योकि ये नहीं जानते ये क्या कर रहें हैँ।
दिव्या जी,
सरकारी तंत्र का भौंपू तो आभास दे ही रहा था कुर्सी पर बैठे देश के "हितचिंतकों" की मंशा के बारे में। पर इतनी हिम्मत नहीं थी कि दिन के उजाले में कोई कार्यवाही कर सकें। इनका जैसा मन है वैसा ही धन है और वैसा ही कर्म है। पर वह दिन दूर नहीं जब इन जैसे एक-एक को सड़क पर घसीट कर "ठग" की परिभाषा पूछी जाएगी।
@विशेष लोग कुछ विशेष ही कह रहे हैं. सब एक ही दिशा में.
भारतीय नागरिक जी,
समस्या भगवा रंग हैं। कालेधन और भ्रष्टाचार से लड़नेवाला रंग भगवा क्यों है।
कालेधन के खो जाने से है सफ़ेद खद्दरधारी डरा डरा।
अपनी जमीन खिसकनें से लाल हुआ बस मरा मरा।
सबके अपने अपने भय है, इसीलिए है अपना राग,
त्याग भी भगवा शौर्य भी भगवा डर उठे हर हरा हरा॥
तो चलो भय्ये एक बार फिर आज़मा इन BJP वालों को भी जिनके बड़ों में काँग्रेस के निकले हुए हैं और रह गई बात लादेन जी कहने की तो बीजेपी कर्म में विश्वास रखती है । लादेन के ताऊ चाचा को अफ़ग़ानिस्तान छोड़ने कौन गया था ?
क्या अब भी आप कहेंगे कि BJP अच्छी और काँग्रेस बुरी है ?
अभी तो बाबा रामदेव जी काजल की कोठरी में घुसे भर हैं ।
आगे आगे देखिए ,
ख़ुद उनका होता है क्या ?
बर्बरता का नंगा नाच दिखा आधी रात रामलीला मैदान में .
सच बहुत तीखा होता है और कडुवा भी. सच कहने और सुनने का दावा करना आसान है लेकिन अमल बहुत मुश्किल..
.
राजनैतिक व्यक्तव्य देना और अन्यों से दिलवाना ..
सरफ़रोशी के गीत गाना इत्यादि को नज़र अँदाज़ कर भी दें,
तो योगशिविर के लिये अनुमति और मँच के पीछे उसी का बैनर लगा कर,
आमरण अनशन (?) करना क्या देश के मूल सुरक्षा कानून का उललघँन नहीं था !
जो व्यक्ति मौज़ूदा सँविधान का आदर नहीं कर सकता, वह व्यवस्था में कौन सी स्वच्छता लाने जा रहा है ?
तार्किक दृष्टि से पायज़ामें के अँदर रह कर पतलून की लड़ाई लड़ने से कौन मना करता है ?
समर्थकों की भीड़ में यह टिप्पणी डिलीट कर दी जायेगी, यह जानते हुये भी सार्वज़निक मँच पर अपने विचार दर्ज़ करवाने मेरी नैतिकता है,
न कि गुपचुप अघोषित मॉडरेशन लागू करके शुचिता की दुहाई देने के दोहरेपन में मनोविपरीत टिप्पणी डिलीट किये जाना ! स्वागत है !
( कृपया ब्लॉग पर मॉडरेशन की सूचना चस्पाँ करें )
अनवर जमाल साहब को मालूम नहीं कि बाबा रामदेव और भाजपा का कुछ लेना देना नहीं है। उन्हें मात्र भगवा दिखाई दे रहा है।
हालांकि अब भाजपा बाबा के समर्थन में आ गई है। और वह कल सत्याग्रह करेगी।
टिप्पणी में इतना ही कहूँगा कि-
करें विश्वास अब कैसे, सियासत के फकीरों पर
उड़ाते मौज़ जी भरकर, हमारे ही जखीरों पर
रँगे गीदड़ अमानत में ख़यानत कर रहे हैं अब
लगे हों खून के धब्बे, जहाँ के कुछ वज़ीरों पर
बाबा को क्या करना चाहिए:-
१.चुपचाप बैठें और मौज करें - कोई सवाल नहीं पूछा जायेगा ट्रस्ट के बारे में और किसी भी बारे में.
२.कालेधन और भ्रष्टाचार के बारे में न बोलें-बहुत सारे लोग मौजूद हैं बोलने के लिये और सिर्फ बोलने के लिये.
३.काला धन जमा करने से बड़ा अपराध है - उस के बारे में बात करना.
लादेन के चाचा को अफगानिस्तान इसलिये छोड़ा गया क्यो कि सैकड़ो भारतीय नागरिको की जान खतरे मे थी.
और नागरिको की जान बचाना सरकार की पहली प्राथमिकता
होती है.
ये नही की आतंकवादियो को फासी की सजा मिलने के बाद भी उसको सरकारी मेहमान बनाकर करोड़ो खर्च किये जाये.
देश के हर एक कानून को चौराहों पर रोज देखा जा सकता है... उन्हीं कानूनों की आड़ में हसन अली अब तक बचा रहा..
वही कानून हैं जिनके चलते दूसरे भगवान फीस को अपने धर्मार्थ ट्रस्ट में डाल देते हैं
अब देखो, ये मूर्ख जनता भी आने वाले चुनाव में कुछ करती है, या चुपचाप इन्हे ही वोट दे बैठ जायेगी,
I have a different outlook here...
firstly I would like to say that obviously the brutality used by police is intolerant...
But look at other side of t he coin... Lakhs of people gathering, what if any terrorist or any other group bombed that place.. than the same people like u and me will again be questioning govt and police why they have not taken actions earlier....
whatever is going on is simply filthy politics, nobody is ready to take responsibility ... Everybody is just
behti ganga mein hath dho rahe hai.
तीन महिने पहले से पूरे भारत को पता था कि चार जून को रामलीला मैदान मे बाबा का अनशन है.
बस केवल इस भोली सरकार को ही नही सुनायी दे रहा था जो अनुमति दे दी
@Jyoti-:Lakhs of people gather on Holi, Eid, Dusshera, New Year Eve, Political Rallies, Exams, so all should be banned. Threat of terrorist attack is everywhere..... Pls do not get out of your house, the threat in on the road, too..
@indian citizen: don't take it personal
facts are facts...
whatever was going on was mere political stunt... nothing more
what media is doing is more pathetic
24 hr coverage..
वाकई दुखद है......
@Jyoti-क्या आप अपने आप को पालिटिक्स से अलग मानती हैं या फिर ऊपर. आपके विचार में कौन व्यक्ति तथा दल एक आदर्श राजनीतिज्ञ तथा राजनीतिक दल है. राजनीति से दूर रहो, राजनीति में दखल मत दो, कहने वाले लोग ही इस स्थिति के जनक हैं.
@ अमर कुमार -- आप एक अति विद्वान् ठहरे , कृपया मेरे ब्लौग पर टिप्पणी मत किया कीजिये । यहाँ आपका कतई स्वागत नहीं है । आपको इस ब्लौग पर प्रतिबंधित [ban] किया जाता है। बार-बार यहाँ आकर न मुझे जलील कीजिये , न ही खुद अपमानित होइए।
आपने बहुत पहले ही दुश्मनों का खेमा ज्वाइन कर लिया है , कृपया वहीँ तशरीफ़ ले जाइए। ZEAL ब्लौग आम लोगों का है । यहाँ आप जैसे विद्वानों के लिए कोई स्थान नहीं है। कृपया मुझे शान्ति से जीने दीजिये। मेरे पीछे हाथ धोकर मत पड़िए।
आप पिछले १९९ लेखों पर मेरा बहुत अपमान कर चुके हैं । अब मेरा पीछा छोड़ दीजिये। आपसे त्रस्त होकर ही ये आलेख लिखा था ---
स्त्री पुरुष मानसिकता एक विशेष पहलू पर --एक विमर्श
http://zealzen.blogspot.com/2011/06/blog-post.html
.
आपको महिमा मंडित करने वाले बहुत से ब्लॉगर्स हैं , कृपया उन्हीं के ब्लौग पर जाइए। मुझसे दूर ही रहिये।
आप मेरी निगाह से गिर चुके हैं और मैं अपने दुश्मनों पर भरोसा नहीं करती।
यदि आपमें ज़रा भी गैरत बाकी है तो अब कभी यहाँ मत आइयेगा। मेरे खिलाफ भड़ास निकालनी है तो अन्य दो-चार ब्लॉगर्स की तरह आप भी अपने ब्लौग पर दिव्या के खिलाफ एक लेख लिखकर मुझे गालियाँ दिलवा दीजिये। आपका भी मन शांत हो जाएगा।
आप मुझसे चमचागिरी की उम्मीद मत रखिये। यहाँ आपका कतई स्वागत नहीं है । मेरे ब्लॉग पर मेरे जैसे आम इंसानों का ही स्वागत है , अति-विद्वानों का नहीं।
.
Dr. Amar , You are blacklisted !
Thanks.
.
-------------------------
एक सार्वजनिक सूचना --
डॉ अमर कुमार मुझे काफी लम्बे समय से harass कर रहे हैं । इनसे परेशान होकर ब्लॉग पर अति-मजबूरी में और अनिच्छा के साथ moderation लगा रही हूँ। इस असुविधा के लिए मुझे खेद है।
ब्लौग पर हर पाठक की टिप्पणी शीघ से शीघ प्रकाशित करने की चेष्टा करुँगी , लेकिन यदि ऑनलाइन नहीं हूँ तो थोडा विलम्ब हो सकता है । आशा है आप लोग मेरी मजबूरी समझेंगे।
खेद सहित ,
दिव्या
.
@indian citizen: Every single person is politically motivated, I agree....
even parents tell their kids that beta u score good marks I'll give u video game or something like that... it cant be separated... politics is in existence since the humans have dominated the earth...
you are very right here that we lack good politicians and leaders.
but truth is blame game always goes on...
अनुमति के कानून की याद आधी-रात कों क्यो आयी? जब अनुमति लेनेवाले सोए हुए थे।
देश के एक कानून पर पूरे संविधान की चिंता है, और लोकतंत्र?
डॉ अमरकुमार जी, एक छोटे से अनुमति कानून के लिये पूरा लोकतंत्र ही दांव पर लागा दिया?
.
असंवेदनशील जनता को ये क्यूँ नहीं दीखता की नींद में सोये निर्दोष और अनशन पर बैठे लोगों के पर लाठियां बरसायीं । क्या इसकी सराहना की जाए ?
लोकतंत्र में आम जनता को अधिकार है की वो भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाये । बाबा ने क्या गलत किया ?
बाबा के पार पैसे है तो सरकार में बैठे बैमानों को बाबा भी बइमान लग रहे हैं ? जिसके भी पास पैसा हैं , सब बइमान हैं क्या ? चोर हैं क्या ?
हर साल बाबा के पैसों का भी audit होता है । white money है । लोगों के पेट में इतना दर्द क्यूँ है ? जो लोग बाबा के खिलाफ हैं , वे भ्रष्टाचार के समर्थक हैं और लोकतंत्र का सम्मान करना भी नहीं जानते।
इश्वर करे बाबा के पास और भी धन आये जिससे वे देश की सेवा निर्बाध रूप में कर सकें।
आधी रात में दरिंदगी दिखाने वाली निर्लज्ज सरकार की जितनी भी भर्त्सना की जाए , कम होगी।
अब तो आन्दोलन और भी विकराल होगा । क्रान्ति की लहर को रोका नहीं जा सकेगा। सरकार ने इतना काला धन कमाया है और भंडा-फोड़ होने के भय से ऐसी बर्बरता कर रही है जो अति निंदनीय है।
.
ज्योति जी, कोई अधिक अच्छा विकल्प आपके पास है, सुझायेंगी.. और अच्छी पालिटिक्स क्या है, बतायेंगी...
डॉ. (?) अमर कुमार जी,
श्रीमान दिग्विजय भी आज बेकौफ सब कुछ कह रहे हैं. किसी ने कोई मोडरेशन नहीं लगाया हुआ. वे आजादी का अच्छा इस्तेमाल जानते हैं. कुछ वैसा ही आप भी.... हम सब जानते हैं.
I think the Congress has just lost a few million votes and consequently a few hundred seats in the next parliamentary election.
Let us see.
Regards
GV
जी,निर्दोष लोगों पर लाठी चलाना तो ग़लत है ही.मगर कोई पार्टी अब सत्ता में रहे हैं, सब एक ही जैसे हैं.. दरअसल सभी नेता भ्रष्ट है और एक दूसरे को नीचा दिखा ख़ुद कुर्सी हथियाने में लगे रहते हैं.अब इस देश का तो अल्लाह मालिक है.
उन्हें मात्र भगवा दिखाई दे रहा है।
@ सुज्ञ जी,
सावन के अंधे को हरा ही हरा...
और भगवा रंग से डरा-डरा.
@ आदरणीय मयंक जी,
आपकी सामयिक काव्यात्मक टिप्पणी पसंद आयी पर कुछ अधूरी सी लग रही है आपने बड़े संक्षेप में बात समेटने की कोशिश की है. पूरे का लिंक दीजिएगा. बेहद मौके की चीज़ है.
ज़माल साहब को अक्षय ठाकुर जी के प्रतिउत्तर ने हिलाकर रख दिया होगा. मौके पर दिये ऐसे उत्तर ही देशभक्ति का परिचायक होते हैं.
जाट देवता इस मूर्ख जनता में आप भी तो शामिल हैं या फिर आपकी अलग से गणना की जाती है.
अनुमति के कानून की याद आधी-रात कों क्यो आयी?
@ सुज्ञ जी, साफ़ हो गया है कि निशाचरों के कार्य रात में ही हुआ करते हैं.
शब्दकोश में निशाचर : चंद्र, चोर, उल्लू और चमकादड के लिये आये हैं. अब से निशाचर का एक अन्य अर्थ पैदा हो गया है 'कांग्रेसी'.
मेरी एक इच्छा है इन दिनों सुरेश चिपलूनकर जी किसी कारणवश व्यस्त हैं. ब्लोगरों के आवेश को भी मंच मिलना चाहिए. यहाँ से उपयुक्त कोई दूसरा स्थान नहीं हो सकता.
अफसोस जनक और निंदनीय।
एक तरफ मांगे मानने के लिए राजी होना दूसरा रात को सोते हुए लोगों पर जुल्म ढाना इससे बड़ी धूर्तता क्या हो सकती है
Shah Nawaz said...
jab sarkar ke sath ek din pehle hi Sehmati ho gayi thi to Anshan ke Drame ko agle Din raat tak kyon chalaya gaya? Kya ise Anshan kahenge?
@ बाबा के जिस पत्र का लोग हवाला दे रहे है उसमे गलत क्या है ? उसमे यही लिखा है कि- मांगे मान ली जाएगी तो अनशन ख़त्म कर दिया जायेगा | जहाँ तक मांगो पर सहमती बन कर समझोता होने वाली बात है तो सरकार ने भी बाबा को आश्वासन दिया था और उस पत्र में बाबा ने भी अनशन खत्म करने का आश्वासन दिया था उसमे गलत क्या है ?
जब तक सरकार सब कुछ लिखित में नहीं दे देती तब तक बाबा अनशन ख़त्म कैसे कर सकते थे ?
वैसे भी अब इस धूर्त सरकार पर कौन भरोसा करेगा ? पहले अन्ना टीम को इसने ठगा अब बाबा को शिकार बना दिया |
शुभकामनाएँ!
स्वामी बाबा राम देव को अपने देशवासियों के हित के लिये |
दमनपूर्ण कार्यवाही गलत है तो गलत है ही। ऐसे मौके पर दुष्टता का खुलकर विरोध करने के बजाय, अनशन को सरकारी आज्ञा थी या नहीं, जनता को सुशासन की आशा रखनी चाहिये या बाबा के कपडे भगवा क्यों जैसे बेतुके सवाल उठाने वालों की मंशा क्या है, यह किसी से छिपा नहीं रह सकता है। (बाबा और दिव्या दोनों से अनेकों मुद्दों पर सहमत होते हुए भी) मैं यही कहूंगा कि सरकार ने कायरतापूर्ण क्रूरकर्म किया है, यह घटना शर्मनाक है और इसका मुखर और प्रखर विरोध ज़रूरी है।
रतन सिंह जी,
सही कहा आपनें पर ये धूर्त लोग उस पत्र को इसतरह प्रोजेक्ट कर रहे हैं जैसे उसमें आधी रात को निर्दोषो पर हमला करने की परवानगी दी गई हो।
प्रतुल जी,
अद्भुत है यह सच्चाई!!
बाबा का है योग
नहीं केवल आसन तक सीमित.
बाबा का है योग
नहीं केवल श्वासों का धरना.
बाबा का है योग
समेटे जगती भर का हित.
वह केवल है नहीं
पार्टी या एक जाति तक सीमित.
baba ji aesi umeed nahi rahi .
हम को तो आदरणीय श्रीदिग्विजयसिंहजी का भाषण सुनकर परम आनंद प्राप्त हो रहा है..!! ये तो राजु श्रीवास्तव के भी महागुरु लग रहे हैं..!! भट्टा परसौल पर राहुल बाबा के आंदोलन का दिग्गीराजा द्वारा समर्थन और भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई भी कुछ कहे तो उस पर बेतुके तर्क?
ऐसे ही दूसरे महान कॉमेडियन श्रीलालूजी कहते हैं, बाबा को योग करना चाहिए न कि, राजनीति..!!
मैं पुराने अख़बार पलट रहा हूँ,शायद कहीं से मुझे लालू जी अपनी धर्म पत्नी राबरीजी को यह कहते दिख जाए कि, बिहार की मुख्यमंत्री बनना तेरा काम नहीं है,अपना चूल्हा सँभाल वही तेरी असली जगह और काम है?
सचमुच अभी ऐसा माहौल है कि, रामलीला के मैदान में किसी नौटंकी के दौरान, बाबा नाम का कोई चोर उचक्का, उसके एक लाख संगी साथी, उनकी पत्नी और उनके चोर बच्चों के साथ पकड़ा गया हो और आते जाते, जिस किसी को मौका मिले, वह इन सब को पीट कर, अपना हाथ साफ़ कर रहा हो..!!
जो नेता भीड़ को इकट्ठा करके अपनी बातें मनवा ने के विरूद्ध अपनी बयानबाज़ी कर रहे हैं, उन्हों ने, राजकीय जीवन के दौरान,
ना तो कभी अपने समर्थकों की भीड़ जुटाई होगी,
ना कभी रैलियाँ निकाली होगी,
ना कभी धर-ना-प्रदर्शन किए होंगे..!!
सच्चे हठ योगी तो, सो-ये हुए भूखे महिलाएं और बच्चों पर आँसू गैस के गोले दाग़ने वाले नेतागण हैं..!!
अब सारी सयानी जनता को इनकी ही हठ योगशिबिर ऍटेन्ड करना चाहिए, कम से कम मार खाने से तो बच ही जाएंगे..!!
मेरा भारत सदैव महान..!! यदा-कदा, जय जय हिन्दुस्तान..!!
मार्कण्ड दवे।
बाबा के आंदोलन का परिणाम क्या होगा
भ्रष्टाचार पर कितना अंकुश लगेगा
ये सारे सवाल अपनी जगह हैं पर बाबा के आंदोलन को कुचलने के लिए जो तरीका अपनाया गया उसे लेकर यही कहा जा सकता है
शर्मनाक
शर्मनाक
शर्मनाक
भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई सबसे पहल खुद से शुरू होगी...भ्रष्ट लोग ही भ्रश सरकार चुनते हैं...दिव्या जी टिप्पणियों के मोडरेशन की आवश्यकता नहीं है...सभी विचारों का स्वागत कीजिये...निंदक भी ज़रूरी हैं...भाई लोगों को भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ने वालों और राजनितिक पार्टी में फर्क समझना चाहिए...ये एक विचार है...जिसे देर-सवेर सभी पार्टियों को अपने एजंडे में शामिल करना ही होगा...
भाई लोगो ! चिश्ती दरवेश भगवे रंग के कपड़े पहनते हैं। इसलिए हम भगवा का आदर करते हैं और उन्होंने भी इस रंग को इसीलिए पहना ताकि लोगों के मन से यह ग़लतफ़हमी दूर हो जाए कि यह रंग अपना है और वह पराया । हमने कभी भगवा को पराया समझा ही नहीं तो उससे डरेंगे क्या ?
भगवा अग्नि का प्रतीक है और ईश्वर का एक नाम अग्नि भी है अर्थात अग्रणी ।
जो आदमी भगवा रंग पहनता है उसे ईश्वर को साक्षी मानकर जीवन गुज़ारना चाहिए। जो भी ऐसा करता है , उसे देखकर तो हमें ख़ुशी ही होगी । डर की कल्पना केवल डरे हुए लोग कर रहे हैं और हरे रंग पर भी बिला वजह व्यंग्य कर रहे हैं ।
...और एक साहब को तो जाने क्या हो गया है ?
ईशान परब्रह्म परमेश्वर उनकी व्याकुलता दूर करे !
इसमे जरा सा भी संदेह नही है कि सोनिया गांधी ही इस सारे षडयंत्र की सूत्रधार है. वरना इस देश की मिट्टी के आदमी की इतनी हिम्मत नही होती
कि वो भारत जैसे देश मे जो (साधु संतो का देश है) एक इतने बड़े प्रसिद्व संत पर हाथ डाल सके. और ऐसी असभ्य और नीच भाषाओ का प्रयोग नेशनल चैनलो पर करे .
कोई भी जरा गौर से इस बात को सोच कर देखे.
कि हम भारतीय लोग जो आचार विचार संस्कार मे पूरे विश्व के लोगो मे सबसे उत्तम है . वो भी जब विदेश मे जा के बसते है तो भी भारत के प्रति प्रेम नही छोड़ पाते बल्कि प्रेम और बढ़ जाता है.विदेश मे रहने के वावजूद भी वहा के नागरिको के प्रति उतनी संवेदनशीलता नही रहती जो अपने देश के प्रति रहती है.
(मै विदेश मे पैदा होने वालो की बात नही कर रहा .जो पच्चीस तीस साल भारत मे रहने के बाद विदेश मे बसते है उनकी बात कर रहा हूँ.)
तो जब संस्कारो मे सर्वोतम होने के वावजूद विदेशो मे बसे भारतीय वहाँ के सगे नही हो पाते.
तो फिर संस्कारो मे निम्न (संस्कारहीन) अंग्रेज मूल की महिला सोनिया गांधी आखिर इस देश की और इस देश के लोगो की सगी कैसे हो सकती हैँ?
इस देश की सनातन संस्क्रति के प्रति उनका लगाव कैसे हो सकता है?
ये बात इस देश के लोगो को अब अच्छी तरह समझ लेनी चाहिये.
आप ने जो लिखा है एक दम सही है !क्या होता है !केंद्र में बैठी सरकार को जब लगा की अब तो उनकी सत्ता खत्म होने वाली है !क्यों की अब भ्रस्ताचार का अंत होने वाला है !इसी कारण सरकार दर गई !और उसने अपनी सत्ता बचने के लिए यह कदम उठाया है !मेरे खयाल से इसका घोर विरोध होना चाहिए !मेरे ब्लॉग पर् आये मेरे ब्लॉग पर् आने के लिए यहाँ क्लिक करे -"www.samratbundelkhand.blogspot.com"
यह निंदनीय तो हैं ही पर इसकी निंदा करने के लिए हमें घरों से निकलना होगा। प्रतिकार करना होगा। तरीका जो भी हो।
इस क्रूरता पूर्ण बर्बर कार्रवाई के न=बाद तो बस ...
महाकाव्य लिख डालो इतना पतन दिखाई देता है
घोर गरीबी में जकड़ा ये वतन दिखाई देता है ।
जनता की आशाओं पर इक कफन दिखाई देता है।
उजड़ा उजड़ा सच कहता हूँ चमन दिखाई देता है ।
आदरणीय डॉ. अमर जी,
मेरा क्रोध हर उस आलोचना पर प्रकट होगा जो अदूरदर्शिता पूर्ण होगी. परिणाम भी तो जाना कीजिए. जब आप एक प्रतीकात्मक आमरण अनशन को प्रश्न के दायरे में रख सकते हैं तब क्या आपके सभी नाम उपनाम प्रश्न के दायरे में नहीं रखे जा सकते.
डॉ. (?) अमर (?) कुमार (?)
क्या आप अमरता को प्राप्त हैं?
क्या आप अभी भी कुमार हैं?
क्या आजीवन कारावास जीवन समाप्ति पर खत्म हुआ करता है?
आलोचना नेक नियत कार्यों पर नहीं होनी चाहिए.
.
मायावती जी ने कांग्रेस की तो निंदा कर दी लेकिन सच्चाई का साथ नहीं दे सकीं। बाबा ने नॉएडा में अनशन की अनुमति मांगी तो इनकार कर दिया। किस बात का डर हैं इन्हें ? बाबा और उनके समर्थक तो शान्ति से अनशन कर रहे हैं । जन चेतना आने से सरकार इतनी डर क्यूँ रही है? क्या इस चेतना को आने से अब रोका जा सकता है?
अन्ना जी एवं अन्य प्रबुद्ध गण भी बाबा के साथ हैं। आन्दोलन जारी रहेगा । सरकार को अपनी क्रूरता के लिए माफ़ी मांगनी चाहिए।
यदि अपने देश में रहकर ही जनता सुरक्षित नहीं है तो सरकार किसलिए है ? क्या निर्दोष जनता को मारने के लिए ? जाने कितने लोगों की हड्डियाँ तोड़ दी गयीं हैं और अस्पताल में लाचार पड़े हैं। कितने ही लोग लापता हैं जिनके घर वालों को कोई सूचना नहीं मिल रही है . तानाशाहों के मध्य इस चीख पुकार की कोई सुनवाई क्यूँ नहीं है ?
सारी जनता , पूरा देश , बाबा , अन्ना, केजरीवाल और किरण बेदी जैसे देशभक्तों के साथ है । इश्वर ऐसी हस्तियों की रक्षा करे । क्यूंकि यदि ये सुरक्षित हैं तो ही आम जनता सुरक्षित है । अन्यथा नहीं।
देशभक्तों की जय हो ।
देश की जय हो
सत्य की विजय हो।
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डॉ अनवर जमाल --
क्या वजह है की कोई भी मुसलमान इस बर्बरता की निंदा नहीं कर रहा ?
क्या आप भारतीय नहीं हैं ? यदि हैं तो आपको निर्दोष लोगों का इस तरह पिटना कष्ट नहीं दे रहा ?
क्या आप 'अल्पसंख्यक' कहलाने में फख्र महसूस करते हैं ।
क्या आपको कांग्रेस की यह बर्बरता की निति सही लगती है।
क्या आपको नहीं लगता की देश से भ्रष्टाचार दूर होना चाहिए ?
क्या आपको नहीं लगता की कला धन विदेशों से वापस लाया जाना चाहिए?
क्या आपको नहीं लगता की राजा और कलमाड़ी जैसे देश के लूटने वालों के खिलाफ कारवाई होनी चाहिए बजाये बाबा के।
क्या क्रूरता और बर्बरता की निंदा करना सिर्फ हिन्दुओं का काम है।
जो लोग घायल हुए हैं , पीटे गए हैं , क्या उनसे सहानुभूति नहीं है आपको ?
जो महिलाएं बेरहमी से घसीट घसीट कर मारी गयीं और भगायीं गयीं , वो किसी की माँ , बहन नहीं ? ....( आपका तो ब्लॉग ही है प्यारी माँ ) ।
क्यूँ नहीं मुसलामानों का रक्त खौलता जब भारत देश की मासूम जनता इस तरह क्रूरता का शिकार होती है तो? सलमान , शाहरुख़ से लेकर सभी ब्लॉगर मुसलमान भाई भी बाबा के खिलाफ क्यूँ है ? आखिर क्या वजह है इसकी?
डॉ अनवर जमाल ,
क्या आपको नहीं लगता की आप लोगों को - "अशफाक उल्ला खान" और श्री एपीजे अब्दुल कलाम जैसे देशभक्तों से कुछ सीखना चाहिए ?
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एक ज़माने में (साठ के दशक में) दिल्ली में लोकल बस से अपने कार्यालय आया जाया करता था... एक दिन एक सज्जन जो सबसे पीछे की सीट पर बैठे थे और कंडक्टर प्रवेश द्वार के निकट वाली सीट पर बैठे बैठे टिकट बाँट रहा था, तो उन सज्जन ने 'सत्य' बखान करते ऊंची आवाज़ में कहा, "ये कंडक्टर बेईमान हो गए हैं,,, लोगों से बीस पैसे ले लेते हैं और स्वयं दस पैसे जेब में डाल उन्हें उतरते समय दस पैसे का टिकट पकड़ा देते हैं"!
पहले तो उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, किन्तु जब उसने यह वाक्य २-३ बारी दोहराया तो कंडक्टर ने कहा, "इस बस में ऐसे लोगों को केवल कंडक्टर बेईमान दीखते हैं, और जो दिन में २०-३० व्यक्ति ऐसा करते हैं वो शरीफ"! "मान लीजिये यदि दिन में ऐसे ३० बेईमान व्यक्ति बस में सफ़र करते हों, जो अच्छे खाते पीते घर के हों और शायद मुझे अच्छी नौकरी देने में सक्षम हों, मैं 'ऊपर से' एक दिन में ३ रुपये कमाता हूँ,,, और यूं एक माह में ९० रुपये अतिरिक्त कमाता हूँ,,, कोई नहीं कहता तू 'बीए' पास होते हुए भी ११२/- मासिक तनख्वाह पर क्यूँ काम कर रहा है जबकि सब आम आदमी समान तेरे भी तीन बच्चे हैं"! "और ये सज्जन भी उस मंत्री को जो एक लाइसेंस देने के लाखों डकार जाते हैं, उनके जूते चाटते हैं और उनको ही वोट देने भी पहुँच जाते हैं"!
एक कहानी पढ़ी थी जिसमें लोग किसी नारी पर पत्थर मार रहे थे, क्यूंकि वो 'पापी' थी... एक महात्मा वहां संयोगवश पहुँच गए तो उन्होंने सुझाव दिया कि उसे पत्त्थर मारना सही है, किन्तु पत्थर मारने का अधिकार केवल उसी को है जो स्वयं 'पापी' न हो, यानि जिसने कभी भी 'पाप' नहीं किया हो... धीरे धीरे सभी ने हाथ में पकडे हुए पत्थर गिरा दिए और भीड़ छंट गयी !
एक बार फिर से पांचाली इस परिसर में गई घसीटी |
एक बार फिर से शकुनी * ने धर्मराज* की गोटी पीटी ||
फिर चौसर की इस बिसात पर मामा अपने कपट खेल से-
सम्मान छीन वनवास भेजता दु:शासन के हेल-मेल से ||
एक बार फिर से धोखे से वरनावत का महल जलाया
एक बार फिर से कौरव ने अत्याचारी बिगुल बजाया ||
एक बार फिर से दु:शासन*, दुर्योधन* उन्मत्त हुआ है |
एक बार फिर से विराट की गौवों का अपहरण हुआ है ||
धृतराष्ट्र* के पूतों से सावधान हो जाओ तुम |
इन अंधी दीवारों से मत सर अपने टकराव तुम ||
अपने - अपने हिस्से का अब युद्ध यहाँ लड़ना होगा
सह चुके बहुत कह चुके बहुत अब करना या मरना होगा
तुम दूर खड़े मत देखो अब, यह चक्रव्यूह हम तोड़ेंगे |
कंधे से कन्धा जोड़-जोड़ मनका-मनका अब जोड़ेंगे ||
(१)
बाबा का अनशन
तोडना था
लिट्टी-चोखे से
लेकिन,
देश की करोड़ों जनता का मन
और अनशन
सरकार ने तोडा
धोखे से
(२)
सरकार को रहा था खल ||
कानूनी दांव-पेंच और
कपिल-सिब्बल ||
आंसू-गैस, डंडे और
पुलिस-बल ||
दोनों ने मिलकर
रामलीला मैदान पर
भक्तों को बुला दिया हल ||
बड़े-बुजुर्ग महिलायें और
बच्चे
गए कुचल ||
लगा दी आग,
शिविर गए जल ||
पर,
जलेगी पापियों की लंका |
देश गया जाग,
बजेगा, सदाचार का डंका ||
फिलहाल,
जीत गई सरकार |
जय हो भ्रष्टाचार ||
यह टाला जा सकता था।
'आमरण अनशन' क्या है?
प्रचलित अर्थ तो सभी को पता होगा.
किन्तु दूसरा छिपा अर्थ क्या हो सकता है? जब सोचा तो अमर जी को देने के लिये उत्तर सूझ गया. शायद इस उत्तर के बाद वे बाबा जी के मरने का इंतज़ार नहीं करेंगे.
आम + रण = सामान्य + युद्ध
अ + नशन = नष्ट न होने वाला/ करने वाला.
अर्थात, वह सामान्य युद्ध जिसमें कुछ नष्ट नहीं होता. स्वयं की किसी विशेष इच्छा को मनवाने के लिये समर्थ को प्रेरित किया जाता है.
विस्तार जिज्ञासुओं की इच्छा पर किया जायेगा.
इस बर्बरतापूर्ण कार्यवाही की जितनी निंदा की जाये कम होगी ... यह कृत्य लोकतंत्र के लिए धब्बा है ...
संक्षेप में इतना ही कह पाउँगा की इस घटना की जितनी निंदा की जाय उतनी कम है...............
आभार उपरोक्त पोस्ट हेतु .
अनवर कमाल.
यार आप तो सचमुच के कमाल के हो, ना तो पुरे हिन्दू और ना पुरे मुसलमान. अमाँ यार बाबा के साथ न सही किसी मौलाना के साथ खड़े हो करके तो भ्रस्टाचार का विरोध करो.
अब मै कांग्रेस की बाबा रामदेव के खिलाफ घिनौनी रणनीति के बारे मे बताता हूँ.
बाबा रामदेव ने जबसे चार जून को आंदोलन का ऐलान किया था.
तब से ही सरकार ने अपनी घिनौनी रणनीति बनानी शुरु कर दी थी.रही बात माँगो की तो मांगे तो कांग्रेस कभी भी किसी भी हालत मे नही मान सकती थी.
क्यो कि क्या कोई चोर और उसके साथी कभी भी ये मान सकते है कि वो अपनी चोरी का खुलासा करे.
जब सुप्रीम कोर्ट कह कह के थक गया कि कालेधन जमा करने वालो की सूची जारी करे. जब इस भ्रष्ट सरकार ने आज तक सूची तक नही जारी की.
तो काले धन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करना और उसको वापस लाना तो बहुत दूर की बात है.
क्यो कि ये बात 100 % सही है की खुद इस गांधी फैमिली का अकूत धन स्विस बैँक मे जमा है.
इस बारे मे सनसनी खेज खुलासे बाबा रामदेव की 27 फरवरी की रामलीला मैदान की विशाल रैली मे भी हुये थे.
जिसमे विशाल जनसमूह उमड़ा था और इस बिके मीडिया ने उस रैली को प्रसारित नही किया था.
और जब आस्था चैनल ने उस रैली को दिखाया तो तुरंत इस सरकार ने आस्था चैनल पर इस रैली को दिखाने पर प्रतिबंध लगा दिया.
उसके बाद से
कांग्रेस का केवल एक ही उददेश्य था कि कुछ ऐसा किया जाये जिससे बाबा रामदेव पे लोगो का विश्वास उठ जाये.
जारी....
क्यो कि कांग्रेस जानती थी की उसको किसी भी विपक्षी पार्टी से इतना खतरा नही है जितना बाबा रामदेव से है. क्यो कि उनके साथ विशाल जन समर्थन है.
इसलिये कांग्रेस ने एक ऐसी घिनौनी साजिश रची . कि जिससे लोगो का विश्वास रामदेव से उठ जाये.
एक जून को जब चार मंत्री एयरपोर्ट पर बाबा को लेने गये
तो आम जनता या मीडिया को तो छोड़ो .
स्वयं बाबा रामदेव भी नही समझ पाये.
कि ये उल्टी गंगा कैसे बही?
जब कि कांग्रेस के इस पैतरे का केवल एक ही उद्देश्य था.
कि किसी तरह बाबा को प्रभावित करके एक चिटठी लिखवा ली जाये. ताकि बाद मे ये साबित किया जा सके.
कि अनशन फिक्स था और लोगो का विश्वास बाबा से उठ जाये.
लेकिन बाबा ने कोई पत्र नही लिखा.
कांग्रेस ने हार नही मानी
दुबारा मीटिँग की फिर भी असफल रही.
और फिर उसने तीसरी मीटीँग होटल मे की .
वहाँ उन नेताओ के पास बाबा की गिरफ्तारी का आदेश भी था.
और होटल के बाहर काफी फोर्स भी पहुच गयी थी.
नेताओ ने बाबा पर बहुत दबाब बनाया.
और ये कहा कि आप की सारी मांगे मान ली जायेँगी लेकिन आप एक पत्र लिखे कि आप अपना अनशन खत्म कर देँगे.
आपको ये पत्र लिखना बहुत जरुरी है. क्यो कि ये पत्र प्रधानमंत्री को दिखाना है.और ये एक आवश्यक प्रक्रिया है.
बिना पत्र लिखे वो बाबा को छोड़ ही नही रहे थे.
इसीलिये उस मीटीँग मे 6 घंटे का समय लग गया. उस समय
बाबा रामदेव ये समझ गये थे कि कुछ षडयंत्र बुना जा रहा है.
तब उन्होने संयम से काम लेते हुये पत्र लिखवाने पर तो मान गये लेकिन खुद साइन नही किया बल्कि आचार्य बालक्रष्ण से करवाया.
हालाकि कांग्रेस बाबा से खुद साइन करने का दबाब डालते रहे लेकिन बाबा ने समझदारी से काम लेते हुये खुद साइन नही किया.
तब जाकर बाबा उस होटल से बाहर निकल पाये.
उन्होने रामलीला मैदान पहुचते ही ये बता दिया कि उनके खिलाफ षडयंत्र रचा जा रहा है और वक्त आने पर खुलासा करेँगे.
उसके बाद चार तारीख को नेताओ ने बाबा को फोन करके झूठ बोल दिया. कि आपकी अध्यादेश लाने की मांगे मान ली गयी है और आप अनशन खत्म करने की घोषणा कर दे.
कांग्रेस इस बात का इंतजार कर रही थी कि एक बार बाबा अनशन खत्म की घोषणा कर दे तो उसके बाद वो पत्र मीडिया मे जारी कर दिया जाये जिससे ये साबित हो जाये की अनशन फिक्स था और लोगो की नजर मे बाबा नीचे गिर जाये.
बाबा ने फिर घोषणा भी कर दी की सरकार ने हमारी माँगे मान ली है और वो जैसे ही हमे लिखित मे दे देगी .हम अनशन खत्म कर देँगे.
सरकार फिर फस गयी क्यो कि उसने बाबा से झूठ बोला था कि वो अध्यादेश लाने की बात लिख कर देगी .जब कि वास्तव मे उसने कमेटी बनाने की बात लिखी थी. और बाबा जब तक अध्यादेश लाने की बात लिखित रुप से नही देखेँगे. तब तक वो आंदोलन नही खत्म करेँगे.
तब कांग्रेस के चालाक वकील मंत्री सिब्बल ने तुरंत मीडिया को पत्र दिखाया और ये जताया कि ये अनशन पहले से फिक्स था. क्यो कि सिब्बल जानता था कि मीडिया बिना कुछ सोचे समझे बाबा की धज्जियाँ उड़ाने मे लग जायेगा.
और यही हुआ भी .मीडिया ने बिना कुछ समझे भौकना शुरु कर दिया की बाबा ने धोखा किया.
लोगो की भावनाओ से खेला आदि.
जब बाबा को पता चला कि सिब्बल ने एक कुटिल चाल खेली है.
तब उन्होने बड़ी वीरता से उस धज्जियाँ उड़ाने को आतुर मीडिया को सारे सवालो के जबाब दिये और स्थिति को संभाल लिया.
कांग्रेस अपनी इतनी बड़ी चाल को फेल होते हुये देख बौखला गयी.
और उस मूर्ख कांग्रेस ने मैदान मे रावणलीला मचा कर अपनी कब्र खोदने की शुरुआत कर दी.
और जब सिब्बल ये पत्र मीडिया को दिखा रहा था तो उसकी कुटिल मुस्कान देखने लायक थी.
अक्षय ठाकुर जी आपने जिन तथ्यों का खुलासा किया है उससे किसी भी भारतीय नागरिक की घृणा में उबाल आ जायेगा. आप इन समस्त जानकारियों को फेसबुक और कोपी-पेस्ट की छूट देकर इसका प्रचार करवायें.... आपका ये योगदान भविष्य में हमेशा याद रखा जायेगा. साधुवाद.
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अक्षय ठाकुर जी ,
बहुत विस्तार से आपने सम्पूर्ण जानकारी दी है। जो बेहद उपयोगी है। आम जनता के लिए ये जरूरी है की उसके सामने पूरी सच्चाई आये।
बहुत बहुत आभार आपका।
.
.
सुप्रीम कोर्ट के माननीय न्यायाधीश ने ये आदेश दिया है की केंद्र सरकार इसका बात का जवाब दे की वो कौन सी परिस्थिति थी , जिसके लिए दस हज़ार की संख्या में पुलिस बल के इस्तेमाल की आवश्यकता हुयी ?
सोयी हुयी निर्दोष जनता ने कौन सा आतंक मचाया था ?
क्या सरकार इसका जवाब दे पाएगी ?
सरकार ने एक आम नागरिक के fundamental rights का हनन किया है । एक शांतिपूर्ण अनशन का बर्बरता के साथ दमन किया है। क्यूँ किया गया दमन ?
क्यूँ नहीं गुर्जरों के ४० दिवसीय उत्पात को रोका गया , जहाँ देश की करोड़ों की संपत्ति को क्षति पहुंचाई गयी।
क्यूंकि वो देश का नुकसान था , लेकिन बाबा के अनशन से उनका निजी नुक्सान हो रहा था इसलिए ?
पूरे रामलीला मैदान को लाक्षाग्रह बनाकर बाबा समेत अनेकों लोगों को जलाकर मारने की असफल कोशिश। आग बुझाने की अवस्था में बार बार आग क्यूँ लगायी गयी ? बुझाने वाले कार्यकर्ताओं को लाठियों से बुरी तरह पीटा।
महिलाओं के साथ वहशीपने का सलूक हुआ , जिसकी सच्चाई जानकार भी सरकार का दिल नहीं पसीज रहा।
कानून मंत्री अपने कानूनी दांव पेंचों से सीधी-साधी जनता और बाबा को फंसाना चाहता है ?
कानून और बल द्वारा आम जनता को त्रस्त किया जाएगा तो रक्षा के लिए कौन से हथियार प्रयुक्त होंगे ?
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शांतिपूर्ण तरीके के आन्दोलन कर रहे सत्याग्रही देशभक्तों के ऊपर इतना अत्याचार ह्रदय को छलनी वाला कृत्य है।
.......sahamat....war against corruptin begins now.truth wil win.
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बाबा ने जो mass consciousness (जन चेतना) जगाई है , वो कोई दूसरा नहीं कर सकता । हाँ इस जगी हुयी चेतना की आग पर , मौकापरस्त राजनीतिज्ञ अपनी रोटियां अवश्य सेंक लेंगे।
बाबा की मेहनत विफल नहीं जायेगी। भ्रष्टाचार दूर हो इसके लिए बाबा जैसे साफ़ दिल इंसानों की बहुत ज़रुरत है। यदि इस धरा पर कहीं अच्छाई और नेकी है तो वो सभी पवित्र ताकतें बाबा के आन्दोलन को सफल बनाएं और आम जनता का मनोबल भी ऊँचा रखें ।
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प्रतुल जी
मै जरुर अपनी बात को कई साइटस पे कहूगां.
साथ ही मै और भी लोगो से कहूंगा कि वो भी इस सत्य का प्रचार करके कुटिल कांग्रेसियो के इस कुकर्म को बेनकाब करे.
दिव्या जी
इतिहास गवाह है कि अच्छे लोगो को बहुत तकलीफ सहनी पड़ती है.
अच्छे लोगो के खिलाफ बहुत षडयंत्र होते है.
लेकिन अंत मे जीत अच्छे लोगो की होती है.
बाबा रामदेव का इस देश के मानचित्र मे इस तरह उभरना एक साफ संकेत है कि भारत का अच्छा समय अब शुरु होने वाला है.
अभी और भी बहुत षडयंत्र होँगे लेकिन वो षडयंत्र स्वामी रामदेव को दबा नही पायेँगे बल्कि और मजबूत करेँगे.
बिल्कुल सही कहा है आपने ... इसकी जितनी भी निंदा की जाये कम है ...।
भ्रष्टाचारियो के हाथो शिकार ..बाबा रामदेव जी! मेरे ब्लॉग पर अवश्य जाएँ और सच्चाई देंखे !
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2G घोटाले के बाद से सरकार ने जो चुप्पी साधी है , उसकी वजह क्या है ? सरकार हर बात की जवाबदार है । निर्भीकता के साथ उसे हर घटना पर अपना वक्तव्य देना चाहिए। यदि सरकार के सामने कुछ technical problems आ रही हैं तो उसे भी उन्हें जनता के सामने लाना चाहिए। सरकार द्वारा किये गए सार्थक प्रयासों को भी आम जनता तक पहुंचाए और अपनी स्थिति स्पष्ट करे। ताकि जनता भ्रमित न हो।
चुप्पी का अर्थ क्या निकाला जाए ? चुप रहने से और तटस्थ रहने से तो बात बिगडती ही है। अपनी छवि स्वच्छ रखनी है तो स्थिति को स्पष्ट करना ही होगा।
अन्यथा public opinion तो बड़ी-बड़ी सरकारें बदल देने का दम रखता है।
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जब दिग्विजय सिंह जो लादेन के साथ सम्बन्ध रखने वाला हो कपिल सिब्बल के पास भी विदेशी बैंको का अकाउंट हो कसाब और अफजल गुरु जिनके चचेरे मौन्सेरे हों तो दिव्या जी ये स्वतन्त्र भारत, ऐसी सरकार से क्या उमीद कर सकता है जब बडबोले कपिल सिब्बल ने चिठ्ठी से बाबा को धमकाया तो तभी आशंकाए घर करने लगी थी अभी कांगेरेसी ब्लॉगर भी इसे सांप्रदायिक कहलाने पर तुले है . हिन्दू पूजा करता है भगवा पहनता है , तो साम्प्रदयिक है मुस्लमान सवेरे बांक देता है मस्जिद से , तो धर्म निरपेक्ष है सोनिया गिरजाघर जाती है तो धर्म निरपेक्ष है परन्तु अडवानी , ऋतंभरा मदिर की बात भी करते है तो सांप्रदायिक है . जब है भ्रस्ताचार के बाद साम्प्रदायिकता की भी परिभाषा स्पष्ट की जाय इस देश में.
भ्रष्टाचार के खिलाफ जो आन्दोलन शुरू हुआ है ... वो यदि बरकरार रहे तो निस्संदेह समाज और देश में बेहतरी होगी ... आम जनता को इस मुहीम में अन्ना और रामदेव जी का साथ देना चाहिए ... इस आन्दोलन के खिलाफ केवल वही लोग आवाज़ उठाएंगे जो खुद भ्रष्ट खेमे से हैं या फिर बेवक़ूफ़ है ...
डा. दिव्या श्रीवास्तव जी ! आपने दो तरह के मुसलमानों का ज़िक्र एक साथ कर दिया है :
1. फ़िल्मी मुसलमान
2. इल्मी मुसलमान
शाहरूख़ और सलमान दोनों फ़िल्मी मुसलमान हैं । सिल्वर स्क्रीन इनका फ़ील्ड है । अपने फ़ील्ड में ये लोग आये दिन भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ते ही रहते हैं और देश के युवाओं को भी ऐसी ही प्रेरणा देते रहते हैं । इनकी फिल्मों से प्रेरणा पाने वाले बहुत सारे युवा आज बाबा के साथ हैं ।
दूसरे हैं इल्मी मुसलमान । वे जानते हैं कि बाह्य रूप से भारत में भ्रष्टाचार की केवल ब्राँच है जबकि इसका मूल अमेरिका , ब्रिटेन और इस्राईल में है ।
इल्मी मुसलमान भ्रष्टाचार के मूल पर प्रहार कर रहे हैं और अपने भारत में कोई उपद्रव करना या होते देखना नहीं चाहते । जो मुसलमान नहीं हैं , मूल पर प्रहार करने का माददा और हिम्मत उनमें है नहीं सो वे ब्राँच पर ही ज़ोर आज़माई कर रहे हैं । इस तरह जो कुछ वे कर रहे हैं , उससे एक सन्यासी की मर्यादा पर आँच आ रही है ।
...तो भी काँग्रेसी हिन्दुओं द्वारा अत्याचार निंदनीय है। क्रिश्चियन सोनिया और सिक्ख मनमोहन जी को इनके हाथों की कठपुतली नहीं बनना चाहिए या अगर परिस्थिति इसके विपरीत है तो वह भी नहीं होना चाहिए ।
मुझे बाबा की जान ख़तरे में नज़र आ रही है । लोग काँग्रेस से नाराज़ हैं । ऐसे में अगर बाबा को किसी साथ वाले ने महाप्रयाण करा दिया तो अगली सरकार निश्चित रूप से राष्ट्रवादियों की होगी ।
लेकिन हमें विश्वास रखना चाहिए कि सत्ता पाने के लिए राष्ट्रवादी ऐसा नहीं करेंगे ।
अब आपसे विनती है कि आप सिक्खों से भी पूछें कि वे मनमोहन सिंह जी की भ्रष्टाचारी सरकार को उखाड़ फेंकना क्यों नहीं चाहते ?
उनकी रगों के ख़ून की वफ़ादारी भी चेक कीजिए न ?
हरेक शक और सवाल के दायरे में केवल मुसलमान ही क्यों ?
डा. दिव्या श्रीवास्तव जी ! आपने दो तरह के मुसलमानों का ज़िक्र एक साथ कर दिया है :
1. फ़िल्मी मुसलमान
2. इल्मी मुसलमान
शाहरूख़ और सलमान दोनों फ़िल्मी मुसलमान हैं । सिल्वर स्क्रीन इनका फ़ील्ड है । अपने फ़ील्ड में ये लोग आये दिन भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ते ही रहते हैं और देश के युवाओं को भी ऐसी ही प्रेरणा देते रहते हैं । इनकी फिल्मों से प्रेरणा पाने वाले बहुत सारे युवा आज बाबा के साथ हैं ।
दूसरे हैं इल्मी मुसलमान । वे जानते हैं कि बाह्य रूप से भारत में भ्रष्टाचार की केवल ब्राँच है जबकि इसका मूल अमेरिका , ब्रिटेन और इस्राईल में है ।
इल्मी मुसलमान भ्रष्टाचार के मूल पर प्रहार कर रहे हैं और अपने भारत में कोई उपद्रव करना या होते देखना नहीं चाहते । जो मुसलमान नहीं हैं , मूल पर प्रहार करने का माददा और हिम्मत उनमें है नहीं सो वे ब्राँच पर ही ज़ोर आज़माई कर रहे हैं । इस तरह जो कुछ वे कर रहे हैं , उससे एक सन्यासी की मर्यादा पर आँच आ रही है ।
...तो भी काँग्रेसी हिन्दुओं द्वारा अत्याचार निंदनीय है। क्रिश्चियन सोनिया और सिक्ख मनमोहन जी को इनके हाथों की कठपुतली नहीं बनना चाहिए या अगर परिस्थिति इसके विपरीत है तो वह भी नहीं होना चाहिए ।
मुझे बाबा की जान ख़तरे में नज़र आ रही है । लोग काँग्रेस से नाराज़ हैं । ऐसे में अगर बाबा को किसी साथ वाले ने महाप्रयाण करा दिया तो अगली सरकार निश्चित रूप से राष्ट्रवादियों की होगी ।
लेकिन हमें विश्वास रखना चाहिए कि सत्ता पाने के लिए राष्ट्रवादी ऐसा नहीं करेंगे ।
अब आपसे विनती है कि आप सिक्खों से भी पूछें कि वे मनमोहन सिंह जी की भ्रष्टाचारी सरकार को उखाड़ फेंकना क्यों नहीं चाहते ?
उनकी रगों के ख़ून की वफ़ादारी भी चेक कीजिए न ?
हरेक शक और सवाल के दायरे में केवल मुसलमान ही क्यों ?
सरकार द्वारा शांति पूर्वक सत्याग्रह कर रहे, स्त्री,बुजुर्गों और बच्चों पर रात के समय पुलिस द्वारा कायरतापूर्ण हमला कराना स्वतंत्र भारत के इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में याद किया जायेगा. बहुत ही निंदनीय घटना, जिस को किसी तरह उचित नहीं ठहराया जा सकता.
अब कांग्रेस को चाहिए कि वह स्वामी रामदेव से बातचीत के लिए प्रणव मुखर्जी जैसे महारथी को झोंक दे इससे शायद बीजेपी का रवैया कुछ नरम पड़ जाए. देश अशांति से बच जाए :))
यह घटना बहुत शर्मनाक और भरसना योग्य है |यह प्रजातंत्र की ह्त्या है |यही कारण है कि देश दिनोंदिन खोखला होता जा रहा है |
जो आवाज उठाता है उसे जद मूल से नष्ट करने की कोशिश की जाती है |आशा
सारे विश्व को भारत सरकार के इस अत्याचार के समाचार मिल चुके हैं ! मैंने भी यहाँ बोस्टन U S A में भारतीय T V पर प्रसारित समाचारों में पिछले ४८ घंटों से दिल्ली के रामलीला मैदान में हुई बर्बरता के सजीव चित्र देखे ! इन चित्रों ने मुझे १९४२ में हमारे बलिया नगर में ब्रिटिश सरकार के द्वारा किये अत्याचारों की याद दिला दी ! मन इतना दुखी हुआ की , (मानसिक पीड़ा से मुझे बचाने के लिए) ,बच्चों ने T V. ऑफ करवा दिया , यह कह कर की "पापा It is all so depressing" ! U P A सरकार की पूरी चंडाल चौकड़ी ने शांति से सोये हुए स्त्री पुरुषों और बच्चों को इस बर्बरता से डंडे मार कर teargas के गोले दाग कर वहा से निकाला , यह भी न सोचा के बाहर गाँव से आये ये लोग इतनी रात में कहाँ जायेंगे ,कैसे जायेंगे ? इसका विचार आते ही मन बहुत दुखी हो रहा है !
जमाल साहब
लोग कांग्रेस से नाराज है
लेकिन आप तो खुश है न.
तो फिर चिकन मटन खाकर खुशी मनाईये.
और हाँ बाबा का महाप्रयाण करवाने की कामना मत करिये.
क्यो कि बाबा कई लोगो के महाप्रयाण करवाने के लिये ही आये है.
एक बार फिर शिव त्रिनेत्र को,प्रलय रूप खुल जाने दो
एक बार फिर महाकाल बन इन कुत्तों को तो मिटाने दो..
एक बार रघुपति राघव छोड़ , सावरकर को गाने दो...
एक बार फिर रामदेव को, दुर्वासा बन जाने दो...
"आशुतोष नाथ तिवारी"
आपकी बात से सहमत ... सरकार के इस काम की भत्सरना होनी चाहिए ...
जो कुछ हो रहा है...बहुत ही गलत हो रहा है!..दो दिन से टी. वी. पर हम लोग आंखे गडाएं बैठे है!.. क्या पुलिस और क्या हमारे राजकीय नेता!...सभी को अपनी पडी हुई है!..देश की चिंता करने वालों के साथ यह लोग किस तरह से पेश आते है...यह सब हमारे सामने है!..कब,क्या नई खबर आ जाए कहा नही जा सकता!...हमारे पडोसी श्री. भाटियाजी, रामलीला मैदान में बाबा रामदेव के पंडाल में रात के समय थे!..उनसे भी आंखों देखा हाल सुना!..और रौंगटे खडे हो गए!...
...मै 15 जून को जर्मनी के लिए रवाना हो रही हूं!...मेरी बिटिया और दामाद वहां रहते है!..और भी बहुतसी जगहों पर घुमने का प्रोग्राम है!..आप की याद सदैव मेरे साथ ही है झील!...अनेक शुभेच्छाएं!
जमाल साहब कह रहे है सलमान शाहरुख से लोग प्रेरणा ले रहे है.
हाँ भाई प्रेरणा तो ले रहे है कि कैसे अपने चोर दोस्त का समर्थन किया जाये.
जैसे दोनो अपने चोर दोस्त मोरानी का समर्थन कर रहे है.
आप लोगो को पता है कि इन दोनो सलमान और शाहरुख नाम के नचनियो ने इस आन्दोलन का विरोध क्यो किया.
अरे भाई इनका काफी माल स्विस बैँको मे जमा है .
जो दुबई से इनके पास आता है.
I agree with you. It is not democracy anymore
सत्ता का मद जो न करा ले,
पर अब जन-जन जाग रहा है .एक नई क्रान्ति का सूत्रपात लगता है मुझे तो !
zeal ji ,aapne bahut acchi post likhi
desh ke liye sochne ke liye party se upar uthana hoga ......jo galat hai wo galat hai...aur ye to bahut galat aur nindaniya hai ki 5000 police aakar is tarah ki kaarywaahi karte hain....
mera personalmat hai hame khud sudharna hoga ....hame bhrastachaar aur bhrastachaariyon ka saath nahi dena hoga aur vyaktigat roop se ham khud ko tyaar karen is saatvik dharm ke liye jo desh ki izzat ke liye hoga.....bismil,subhash,ashfaaq,bhagat,raani laxmi bai,sarojini naidu ,kalaam ,aur kurbaan hue seema par shaheed jo larte hain bas tirange ke liye....
अक्षय ठाकुर जी आपने बहुत अच्छी जानकारी दी है !जिससे आम जनता कांग्रेस की निति को समाज सके !अब रही बात की मायावती ने नोएडा में बाबा को अनुमति क्यों नहीं दी !तो इसके मात्र दो कारण हो सकते है पहला की मायावती का केंद्र की सर्कार से बड़ा स्वार्थ छुपा है और दूसरा यह की सायद मायावती पर् केंद्र का दवाब हो!
फिर भी कुछ कहो अब समय आ गया जनता के लिए की वह जनता की हितेसी सर्कार को पहचान सके! चाहे वो कोई भी पार्टी हो!आप लोग मेरे ब्लॉग पर् भी आये लिंक -www.samratbundelkhand.blogspot.com
आवश्यकता है आज मानव के, अथवा आत्माओं के, अपने स्वयं के इतिहास पर नज़र डालने की और अपने स्रोत भूतनाथ पर पहुँचने की...
वर्तमान में भी हम जानते हैं कि संस्कृत में इंदू का अर्थ चन्द्रमा होता है, और 'सत्य' की खोज में लगे वैज्ञानिक कहते हैं यह मनमोहक पिंड हमारी सुंदर पृथ्वी से ही उत्पन्न हुआ है और तुलना में पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण की अधिकता के कारण पृथ्वी की परिक्रमा भी कर रहा है, जबकि दोनों मिल कर अन्य ग्रहों समान प्रकाश और अनंत प्राणीयों के जीवनदायी शक्ति के स्रोत, सूर्य की भी अपनी अपनी अंडाकार कक्षा में परिक्रमा कर रहे हैं,,, जबकि प्राचीन 'हिन्दू' मान्यतानुसार, (जो काल की गणना , सूर्य की पृथ्वी के घूमने के कारण प्रतीत होती चाल को भी ध्यान में रख चन्द्रमा को उच्चतम स्थान दे उसकी चाल से करते थे), सम्पूर्ण साकार ब्रह्माण्ड ही मिथ्या है, इन्द्रियों द्वारा जनित भ्रम है! जो वर्तमान में बॉलीवुड, यानि 'माया जगत', में बनी फिल्मों द्वारा भी समझा जा सकता है जो अमीर - गरीब सभी को निरंतर चुम्बक समान खींचते है; वैसे ही जैसे पृथ्वी अपने गुरुत्वाकर्षण से स्वयं को चार अरब वर्षों से भी अधिक समय से बनाये रखने के अतिरिक्त गंगा नदी के स्रोत चन्द्रमा को एवं तीनों लोक में व्याप्त (आकाश, धरा, भूमिगत) अनंत प्राणी जगत को भी त्रिपुरारी शिव समान धारण किये हुए है (सांकेतिक भाषा में शिव के मस्तक पर चन्द्रमा को दर्शाया जाता आ रहा है)...
सभी जानते हैं साकार रूप अस्थायी हैं, और जो नदी के विशाल तंत्र द्वारा उपलब्ध कराये गये जीवनदायी पेयजल और सागर जल, अथवा 'जल' के अतिरिक्त 'अग्नि' अथवा शक्ति, और उसके वातावरण यानि 'आकाश' और उस में कैद 'वायु' को मिला, 'पृथ्वी' किसी भी साकार रूप के अस्तित्व के लिए आवश्यक 'पंचतत्व' अथवा 'पंचभूत' जाने गए जो अनादि काल से ब्रह्माण्ड में विद्यमान प्रतीत होते हैं...
और प्राचीन ज्ञानी पृथ्वी को ब्रह्माण्ड का केंद्र दर्शाते आये हैं...
यद्यपि यह दोहराने की आवश्यकता नहीं है क्यूंकि सभी जानते होंगे कि एक फिल्म बनाने के पीछे कई 'बहुरूपिया' कलाकारों के अतिरिक्त अनेकों अन्य क्षेत्र से सम्बंधित व्यक्ति लगते हैं, जिनके मिले जुले प्रयास से रीलों में लिपटी तस्वीरों कि लड़ी बन जाती है, (और जो अब छोटी सी 'डीवीडी' में भी समांने लगी हैं और हिन्दुओं ने साकार रूपों का स्रोत नादबिन्दू को जाना !), जिनके प्रकाश स्रोत के सामने पूर्व- निर्धारित गति से चलने पर रूपहले पर्दे पर हर दृष्टा को वैसा ही आभास होने लगता है जैसा वो अपने रोजमर्रा के जीवन में करता आता है, यानि यद्यपि हर कोई किसी अंधकारमय कक्ष में लगभग निर्जीव सा कुर्सी में पड़ा माया के प्रभाव से विभिन्न इन्द्रियों, विशेषकर आँख और कान के माध्यम से, मन में विभिन्न दुःख-सुख आदि की अनुभूति करता है जब तक सारी रीलें उसे दिखा नहीं दी जातीं... भ्रम तब टूटता है जब कक्ष प्रकाशमान हो जाता है (जैसे नाटक में अंत में स्टेज पर पर्दा गिरने पर भी होता था अथवा वर्तमान में भी होता है), और बाहर आ हर व्यक्ति अपने रोल को निभाने लग जाता है...
मानव शरीर को प्राचीन ज्ञानियों ने सौर-मंडल के नौ सदस्यों, सूर्य से शनि तक, के सार से बना पाया... और इस कारण उनकी तुलना में अज्ञानी हिन्दू वर्तमान में ऊर्जा के मुख्य स्रोत सूर्य को दूर से पानी चढाने के अतिरिक्त 'नवग्रह' पर भी जीवन-दायी जल चढ़ाता आता है, गंगा का हो तो और भी अच्छा...अर्थात जब व्यक्ति कहीं भी स्नान करते समय अपने शरीर पर जल चढ़ाता है, अथवा गंगा में डुबकी लगाता है, तो वो भी शिव की प्रतिमूर्ति पर ही जल चढ़ा रहा होता है !
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अनवर जमाल ,
आपको शर्म आनी चाहिए , अपने मेरी टिप्पणी को अपने ब्लॉग पर लगा दिया और उसे हिन्दू-मुस्लिम का जामा पहना दिया। और कुछ पाठकों ने बिना सन्दर्भ जाने टिप्पणी भी कर दी।
अनवर जमाल ,
मेरा नाम लिखकर बहुत दूकान चलाते हैं आप । पहले मेरे खिलाफ लेख लिखकर भाड़े के टट्टुओं से गाली दिलवायीं , और फिर वापस मेरे ब्लौग पर आकर 'बंदगी' शुरू कर दी । आपने सोचा होगा मैं वापस आ जाउंगी आपके ब्लौग पर । लेकिन नहीं आपका सोचना गलत है। एक बार दुश्मन चिन्हित कर लेती हूँ तो सावधान रहती हूँ अपने दुश्मनों से।
मेरे ब्लौग पर कम लोग आयें वो बेहतर है , लेकिन दोस्त के मुखौटे में दुश्मन न आयें।
आप जैसे लोग कभी भी अपने स्वार्थ के लिए बहुत नीचे गिर सकते हैं , जिसका परिचय आपने उस घटिया पोस्ट को लिखकर दिया था , जिसमें कुछ मानसिक रूप से विकृत पुरुषों ने मेरे खिलाफ जहर उगला। और जिसने भी मेरे समर्थन में लिखा , उसकी टिप्पणियां ही आपने डिलीट कर दीं।
आप धर्म से ऊपर उठकर सोच ही नहीं पाते कभी । मेरी टिप्पणी को अपने आलेख में लगाकर आप चंद मुसलामानों और गुलाम मानसिकता वाले कांग्रेसी हिन्दुओं की सहानुभूति पाना चाहते हैं । शर्म आनी चाहिए आपको । एक जागरूक और देशभक्त नागरिक की तरह देश हित में लिखने की कोशिश कीजिये । मेरी टिप्पणियों को अपने आलेख में शामिल करके अपनी दूकान मत चलिए।
कुछ नया लिखिए। कुछ मौलिक लिखिए। इधर-उधर ब्लौग से सामग्री चुराकर , आलेख मत लिखिए। यदि एक स्त्री से इतनी ही दुश्मनी निकालनी है , तो 'प्यारी माँ' जैसे ब्लौग शीर्षक का कोई औचित्य नहीं है।
आपने अपने आलेख में मुझे दुबारा बदनाम करने की कोशिश की है , जो अति-निंदनीय है।
आपकी टिप्पणी , जिसमें अपने मेरे खिलाफ लिखे घटिया आलेख का विज्ञापन दिया था उसे हटा दिया है। भविष्य में मेरे ब्लौग को विज्ञापन का स्थल मत बनाइएगा। मुझे टिप्पणियों के साथ 'विज्ञापन' कतई पसंद नहीं है।
आपने आलेख का शीर्षक रखा --" घूँघट में सन्यासी , वो भी दाढ़ीवाला" .....आपको शर्म आनी चाहिए किसी पर आलेख लिखते समय उसकी वेश भूषा आदि पर वार करने से।
कुछ कुबुद्धि लोगों का वक्तव्य है की बाबा को स्त्री के कपडे पहनकर अपनी रक्षा नहीं चाहिए थी बल्कि स्वयं को गिरफ्तार करा देना चाहिए था।
वाह !...पर उपदेश कुशल बहुतेरे । जब जान पर बनी हो तो भागना भी नहीं चाहिए। दुश्मनों के आगे घुटने टेक दें ? इन प्रवचनकर्ताओं को खुद तो कुछ करना नहीं है , लेकिन जो लोग देश के लिए अपनी जान , और कीमती वक्त लगा रहे हैं , उनकी गलतियाँ निकाल रहे हैं, उसमें दोष ढूंढ रहे हैं।
अरे , जिन लोगों को देश के लिए कुछ करना है , उनका जिन्दा रहना भी बहुत जरूरी है। वरना सरकार के भेडिए तो बैठे ही हैं कुचलकर अस्तित्व को ख़तम करने के लिए।
बाबा को मारने की पूरी योजना थी , साथ में उनके समर्थकों को भी , लेकिन दुष्टों के दमन के लिए और सच्चाई की रक्षा के लिए ईश्वर स्वयं अपना 'सुदर्शन चक्र' उठा लेते हैं।
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Taqiyah = A dispensation allowing believers to conceal their faith when under threat, persecution or compulsion.
आदरणीय दिव्या दीदी नमस्कार, कल शाम ही जयपुर पहुंचा हूँ| अत: आते ही पहले इस विषय पर अपने ब्लॉग पर मेरी आपबीती लिखी...आज सुबह आपका ब्लॉग देखा तो आपकी यह पोस्ट देख कर बहुत अच्छा लगा|
सच में वहां तो बर्बरता की हद हो गयी थी|
मुझे समझ नहीं आता की यदि हम संवैधानिक तरीके से अपना विरोध करते हैं तो सरकार हमारा दमन क्यों करती है| सरकार क्या चाहती है की हम भी नक्सली बन जाएं...
बेहद शर्मनाक है यह सब...
मैंने भी अपने ब्लॉग पर आन्दोलन से जुडी अच्छी बुरी यादों को पिरो कर लिखा है...कृपया एक दृष्टि अवश्य डालें...
पुलिसिया बर्बरता से ज्यादा दुःख यहाँ टीपन्नियो को देख कर हुआ! हम हमेशा दो दलों में खड़े होते हैं और सरकारें मनमानी करती जाती हैं! बाबा रामदेव से विरोध या समर्थन एक अलग मुद्दा है! और सरकारी बर्बरता एक अलग मुद्दा! हर बहने वाला खून न तो हिन्दू का होता है न मुसलमान का और न भारतीय का न ही विदेशी का
खून सिर्फ खून होता है बदहवासी और परेशानी को खानों में मत बाटिये! बाबा रामदेव क्या हैं नहीं है अब इस पर बहस बेकार है
अब बहस सिर्फ सरकारी दादागिरी पर होनी चाहिए! रात के समय मची भगदड़ में कुचले गए लोग
हमारी संवेदनशीलता पर पर्श्न्चिंह हैं और कम से कम आत्मा पर ग्लानी का तो बोझ रहने दीजिये
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JC जी ,
आपने इतनी बेहतरीन टिप्पणी की है , की प्रशंसा के लिए शब्द कम हैं । आपका ज्ञान और विद्वता प्रेरित करता है और भी बहुत कुछ जानने और सीखने के लिए। आपकी टिप्पणियों से अपने धर्म , वेदों और पुराणों के बारे में बहुत सी नयी जानकारियाँ मिलती हैं। हम सभी टिप्पणीकारों की तरफ से आपका हार्दिक आभार प्रकट करते हैं।
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ब्लाग जगत मे बदनाम अनवर जमाल की गंदी सोच देखिये.
ये एक जगह कह रहे है कि
रामदेव पर एक औरत को नंगा करने का पाप भी चड़ा है. क्यो कि एक औरत ने अपने कपड़े उतार कर बाबा को दिये.
कितनी गंदी सोच है इस जाहिल आदमी की.
बाबा रामदेव को कपड़े देने वाली डा. सुमन आचार्य ने न्यूज चैनलो को बताया कि उन्होने अपने बैग से निकाल कर कपड़े दिये.
लेकिन इस जाहिल व्यक्ति अनवर को कौन समझाये.
इस लेख पर दो दिन बाद आना हुआ| कुछ डॉ. यहाँ ऐसे आए कि अपनी डॉक्टरी को ही शर्मसार कर गए...
सबसे बड़े दो महानुभाव
१.डॉ.अमर कुमार
२.डॉ.अनवर जमाल
दोनों के नाम सुनने में कुछ कुछ एक जैसे ही लगते हैं...दोनों की फितरत भी कुछ कुछ एक जैसी ही है...
मुझे तो शंका है कि ये दोनों डॉ. भी हैं...
अब डॉ. अमर के विषय में बात ना ही की जाए तो सही होगा...क्यों कि अब उनका यहाँ दिखना असंभव है...
तो डॉ. जमाल आप के ऊपर कुछ चर्चा करते हैं...
आपके कुछ कमेंट्स मैंने इस ब्लॉग पर पहले भी देखें हैं...अफ़सोस इस बात का होता है कि जब भी ऐसा कोई अवसर आता है जब आपको करार जवाब दे सकूं, मैं यहाँ उपस्थित नहीं हो पाता...
डॉ. जमाल एक बात बताएं, क्या आप कुछ मंद बुद्धि हैं...आपको लेख का विषय कभी समझ ही नहीं आता...ऐसा बहुत बार देखा है मैंने...
यहाँ मुद्दा यह है कि क्या इस प्रकार सोती हुई जनता पर लाठियां बरसा देना, साधू सन्यासियों को लाते मार मार कर मंच से नीचे फेंक देना, महिलाओं को स्नानघर व शोचालय से नग्न अवस्था में बाहर घसीटना, महिलाओं को बाल पकड़ कर घसीटना, छोटे छोटे बच्चों व बुजुर्गों पर लाठियां बरसाना आपको उचित लगता है? उन लोगों पर अत्याचार करना जो संवैधानिक तरीके से अपना विरोध प्रकट कर रहे हैं...दिल्ली में ही मंडी हाउस के समीप सरकार की नाक के नीचे गिलानी व अरुंधती देश विरोधी बयान देते हैं, कुछ कश्मीरी पंडित इसका विरोध करते हैं तो सरकार पंडितों को जेल में ठूंस देती है व गिलानी जैसे दो कौड़ी के कुत्तों को सुरक्षित शहर से बाहर निकाल देती है|
अब आप बताएं कि उस देश द्रोही, पाकिस्तान की नाजायज़ औलाद, अव्वल दर्जे के धूर्त, भारत को तोड़ने में सक्रीय गिलानी के दुष्कर्म को सरकार संवैधानिक मानती है तो हमें क्या यह विचार नहीं करना चाहिए कि सरकार भी शायद देश द्रोह में शामिल है?
आज देश का हर नागरिक (मुट्ठी भर दिग्गियों, लालुओं, सिब्बलों, गांधियों, कलमाड़ियों, राजाओं आदि को छोड़कर) चाहता है कि काला धन देश में वापस आए| इसके लिए स्वामी रामदेव ने आन्दोलन खड़ा किया| जिसमे देवबंद के मौलवी भी शामिल थे (शायद इससे आपको कुछ तकलीफ हो)| इस आन्दोलन में कुछ भी गैर संवैधानिक नहीं था| पुलिस ने हम सोते हुए लोगों पर लाठियां चलाई हैं...मैंने अपने शरीर पर तीन लाठियां खाई हैं| संख्या में हम एक लाख से भी ज्यादा थे, और पुलिस बल कोई पांच हज़ार के आस पास| यदि हम गैर संवैधानिक होते तो पुलिस को उसी बिल में घुसेड सकते थे जहाँ ये भ्रष्ट नेता उस रात छिपे हुए थे|
लेख का मुद्दा यही है कि क्या इस प्रकार पुलिस द्वारा निर्दोष लोगों पर अत्याचार उचित है?
आपको इस सम्बन्ध में राय देनी है किन्तु आप तो पता नहीं कहाँ कहाँ की बकवास पेलने में लगे हुए हैं...इसलिए शंका है कि आप भी भगवा के कारण ही बाबा रामदेव का विरोध कर रहे हैं...शायद आप पर व आप जैसे अनेकों भी विचार करना होगा कि आप खुद को भारतीय मानते हैं या अभी भी इच्छा है भारत की पश्चिमी सीमाओं को पार करने की| यदि ऐसा चाहते हैं तो जा सकते हैं क्यों कि पश्चिमी सीमा पर स्थित वह देश अब कुछ ही दिनों का मेहमान है...उसके बाद जो इस देश का होगा वही यहाँ रहेगा, जो इस देश का नहीं हो सकता वो ही यहाँ नहीं रहेगा...
बात पर ध्यान दें...यदि आपको भगवा आतंकी रंग लगता है तो बताना चाहूँगा कि भगवा का आतंक देश के सभी दुश्मनों को अब आतंकित करने लगा है|
विचार करलें कि आप क्या चाहते हैं...
आपसे इस प्रकार की भाषा के लिए कोई क्षमा नहीं मांगूंगा...जो हमने वहां दिल्ली में झेला है, जो हमने वहां दिल्ली में देखा है उसके तहत अब हम अपनी सहिष्णुता छोड़ चुके हैं...अब बारी आपकी है...
दिव्या दीदी आपसे इस प्रकार की भाषा के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ...यह ब्लॉग आपका है...आपको उचित लगे तो इस टिप्पणी को......
किन्तु अब क्रोध से मन अशांत है, अब कोई बातचीत नहीं, कोई लव लेटर नहीं...
इन देश द्रोहियों को अब जवाब इनकी ही भाषा में देना होगा...चाहे वह सरकार हो या सरकारी चापलूस चमचे...
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६० साल की गुलामी के बाद कोई तो खड़ा हुआ है देश को भ्रष्टाचार से मुक्त कराने के लिए।
यदि बाबा लोभी हैं तो क्या ज़रुरत हैं उन्हें देशवासियों की खातिर भूखा रहने की ?
निर्दोष स्त्रियों और बुजुर्गों को घसीटा मारा गया , लोग अस्पताल में मौत से जूझ रहे हैं , इस बर्बरता का समर्थन कैसे?
एक स्त्री का पूरा शरीर paralytic हो गया है , फिर भी उसने अनशन नहीं तोडा अभी तक।
समाचार सुनती हूँ इस दरिंगी का तो आँखों में आँसू आ जाते हैं।
कितनी लाचार है ये जनता , ये साबित हो गया है , इस अमानवीय काण्ड के बाद।
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डॉक्टर दिव्या, वैसे तो मैं आपके लेखन की हमेशा से दीवानी रही हूँ लेकिन टिपण्णी शायद पहली बार कर रही हूँ. आप हमेशा खरी खरी कहती हैं और आपका साहसिक लेखन शायद कुछ लोगों को विचलित कर देता है. बस आप ऐसे ही लिखती रहिये. आपको बहुत बहुत शुभकामनायें.
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