Sunday, November 4, 2012

ब्लोगिंग और फेसबुक को बदनाम करते लोग


कुछ लोग अंतरजाल पर हुयी तरक्की को नकारात्मक मानते हैं !  विज्ञान की इतनी बड़ी देन को वरदान न मानकर उसका अपमान करते हैं !  लोगों का कहना है की अंतरजाल और फेसबुक का उपयोग करने वाले संवादहीनता रखने लगते हैं ! इसे बड़ी भ्रान्ति और क्या हो सकती है भला?

  • टेक्नोलोजी और इंटरनेट के उपयोग से पिछले एक दशक में समाज में हर क्षेत्र में क्रान्ति की लहर दौड़ गयी है
  • कविता कहानी लिखने वालों को एक मंच मिल गया है
  • लोगों का संपर्क संसाधन बढ़ा है , अपने स्वभाव और रूचि के अनुरूप मित्र एवं संपर्क बनते हैं
  • एक नयी और इमानदार मीडिया का इजाद हुआ है !
  • आम आदमी की आवाज़ बुलंद हुयी है !
  • फेसबुक ने तो लडखडाते लोकतंत्र को ही थाम रखा है !
  • कहीं भी कोई अनियमितता हुयी नहीं कि जंगल में आग की तरह फेसबुक पर जनता की आवाज़ बुलंद हो जाती है !
  • सत्ताधारी तानाशाह भी डर-डर कर थोडा अनुशासन में रहने को बाध्य हुए हैं !
  • गृहणियों की भी आवाज़ मुखर हुयी है , व्यर्थ प्रपंच से बेहतर उन्होंने लिखना समझा
  • लेखकों में ज्ञान और विश्वास बढ़ा !
  • जानकारियों से ओत-प्रोत इस  अंतरजाल ने लोगों का बौद्धिक स्तर ऊपर किया है !
  • लोगों के व्यक्तित्व का विकास हुआ है !
  • हमारा सामान्य ज्ञान समृद्ध हुआ है !

अतः निवेदन है व्यर्थ ही अंतरजाल के उपयोग , ब्लौगिंग और फेसबुक अपडेट्स को बदनाम मत कीजिये !
मैं तो टेक्नोलोजी के इस अद्भुत वरदान के लिए स्वयं को बहुत भाग्यशाली समझती हूँ ! शुक्रगुजार हूँ कि मैं इस  सुविधा का उपयोग कर रही हूँ!

Zeal

20 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

दिशा निश्चय ही सकारात्मक है, कुछ न कुछ नकारात्मकता तो साथ साथ चलती है।

Unknown said...

sundar vichar- takniki vikas ne nihsandeh kranti la diya hai.logo ke dekhne ka nazariya aur soch alg alg hota hai,

रविकर said...

बढ़िया प्रस्तुती |
बधाई ||

Vaanbhatt said...

जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखि तिन तैसी...

Shilpa Agrawal said...

So true!

बाल भवन जबलपुर said...

सही क़दम

indian citizen said...

हर प्लेटफार्म का सदुपयोग ही होना चाहिये.

indian citizen said...

हर प्लेटफार्म का सदुपयोग ही होना चाहिये.

लोकेन्द्र सिंह said...

सच में लोगों को बेहतरीन मंच मिला है...

Bharat Bhushan said...

इनका उपयोग विवेक के साथ करना चाहिए तभी यह सार्थक हो सकता है. इंटरनेट ने कई सरकारें बदल दी हैं. संभव है भारत में भी यह सकारात्मक कार्य करे. बढ़िया पोस्ट.

ANULATA RAJ NAIR said...

बिलकुल.....
इससे बेहतर कुछ नहीं...
अभिव्यक्ति का आसान और मुफ्त रास्ता..
वरना वो एकता कपूर के सीरियल देखते और रात को बनारसी साड़ी और सोलह श्रृंगार करके सोते :-)

अनु

अजय कुमार झा said...

सब कुछ सिर्फ़ इस बात पे निर्भर करता है , देखने वाले का नज़रिया क्या और कैसा है अन्यथा विज्ञान की हर छोटी बडी खोज ,वरदान और अभिशाप दोनों ही साबित होती रही हैं , लेकिन विज्ञान और तकनीक के बिना विकास असंभव है ।
कुछ बिखरा ,बेसाख्ता , बेलौस , बेखौफ़ ,बिंदास सा

पूरण खण्डेलवाल said...

हर बात के दो पहलु होते हैं अगर सकारात्मक उपयोग करें तो लाभ ही लाभ है और अगर नकारात्मक उपयोग करेंगे तो नुकशान भी है !

सदा said...

बिल्‍कुल सही कहा आपने ...

ZEAL said...

Sensible people will never misuse it but yes morons can go up to any extent.

महेन्‍द्र वर्मा said...

विध्वांसात्मक प्रवृत्ति के पोषक सदैव सृजनात्मकता का विरोध करते हैं क्योंकि वे सृजन कर नहीं सकते।

दिवस said...

इंटरनेट और उसकी अभूतपूर्व उपयोगिता को नकारा नहीं जा सकता। मुझे ध्यान है जब मैं फेसबुक पर आया था तब अधिकतर लोग हाय-हैलो किया करते थे। किन्तु धीरे-धीरे इसने एक ईमानदार मीडिया का रूप धारण कर लिया। शक्तियां भिखरी पडीं थीं किन्तु फेसबुक व ब्लॉगिंग ने उसे एक कर दिया। आज वे सभी राष्ट्रवादी शक्तियां मिलकर भारत व भारतीयता को बचाने के प्रयास में हैं। इसे एक शुभ संकेत के रूप में देखना चाहिए।
इस माध्यमों से जुड़ा वर्ग आज फ़िज़ूल की बातों में अपना समय नष्ट न कर कुछ सकारात्मक करने का प्रयास कर रहा है जिससे देश, समाज व व्यक्ति का कल्याण हो सके।
ऐसे में इसे नकारामत्मक मानने वालों को अपनी नकारात्मक सोच को सकारात्मक बनाना होगा।
अपवाद हर जगह मिलते हैं किन्तु इन्हें दरकिनार करने वाला ही तो सकारात्मक है।

नुक्‍कड़ said...

एक सकारात्‍मक पोस्‍ट।

मदन शर्मा said...

बिलकुल सही कहा आपने ...अपवाद तो हर जगह होते है ,हमें इनसे बचने कि जरुरत है ..यदि हमार कदम सकारात्मक है तो उसका परिणाम भी अवश्य सकारात्मक होगा इसमें कोई संदेह नही ...

प्रतिभा सक्सेना said...

अरे,आप क्यों परेशान ?
इस दुनिया में कोई चीज़ है जिसका कोई बुरा पक्ष न निकल आये, और बंदर तो उस्तरा पकड़ेगा तो अपना हाथ ही काटेगा न !