Monday, December 10, 2012

जस्टिस काटजू का वर्गीकरण - देखिये तो आप किस श्रेणी में हैं

जस्टिस काटजू का कहना है की भारत की जनता में 90% ईडियट हैं , लेकिन उन्होंने यह नहीं स्पष्ट किया की वे कौन से लोग हैं ! अतः पाठकों की सुविधा के लिए कुछ श्रेणियों का उल्लेख कर रही हूँ , देखिये तो आप किस श्रेणी में उपयुक्त बैठते हैं! 90 में अथवा 10 प्रतिशत वाली श्रेणी में !

  • वे, जो मात्र 200 रूपए में धर्म के नाम पर दंगा करते हैं।
  • वे, जो कभी वोट देने ही नहीं जाते बस नेताओं को भला-बुरा कहते रहते हैं!
  • वे, जो महंगे-महंगे कुत्ते पालते हैं , लेकिन ठण्ड से कांपते और भूख से मरते इंसानों को देख आगे बढ़ जाते हैं।
  • वे, जो 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' पर अंकुश लगाते हैं।
  • वे, जो खुद को सबसे चतुर समझते हैं लेकिन अन्य राजनैतिक दलों का भंडाफोड़ करना ही अपना सबसे बड़ा नैतिक दायित्व समझते हैं।
  • वे, जो लड़के की चाहत में कन्या भ्रूण हत्या करते हैं।
  • वे, जो धर्म के नाम ऊँट और गाय हलाल करके जन्नत पाते हैं।
  • वे, जो स्वाभिमान की बलि चढ़ाकर राजनैतिक पार्टियों का वोट-बैंक बनते हैं। 
  • वे, जो रहते तो भारत में हैं, लेकिन वन्दे मातरम् कहने से बहुत परहेज़ करते हैं।
  • वे, जो किटी-पार्टीज़ में व्यस्त रहती हैं और लोकतंत्र का आ-बा-सा भी नहीं जानती, बस शाबासी चाहती हैं!
  • वे, जो केवल कल्पनाओं की दुनिया में रहते हैं , वास्तविकता से कोई सरोकार नहीं रहता। 
  • बहुसंख्यक अपना अधिकार मारे जाने पर भी सेक्युलर बने रहते हैं!

कोई कैटेगरी छूट गयी हो तो कृपया बतावें ! और जाते जाते अपनी श्रेणी भी बताते जावें तो महती किरपा होवेगी


जय हिन्द !
वन्दे मातरम् !

20 comments:

Unknown said...

nice

रजनीश के झा (Rajneesh K Jha) said...

बेहतर लेखन !!!

Akash Mishra said...

काटजू जी को मेरा धन्यवाद बोलिएगा की उन्होंने मुझे बहुमत में रखा |
बल्कि अपन तो बहुत में भी बहुत ऊपर में आते हैं :)

सादर

पूरण खण्डेलवाल said...

काटजू खुद नब्बे प्रतिशत में ही आते हैं और हम भी उसी श्रेणी में रहने को अपना सौभाग्य समझते हैं हमको नहीं रहना दस प्रतिशत वाली श्रेणी में !!

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

वे जो इलाज के बहाने विदेश जाकर कई हफ़्तों तक फ्री में वाल-मार्ट की मेजवानी का लुफ्त उठाते है ( वैसे ऐसे लोग 90 वाली श्रेणी में तो नहीं आ सकते, 10 वाली में ही आएंगे ----काश मैं भी इसी कैटेगिरी में आता :) :)

virendra sharma said...

(1)वे जो महंगे दिखाऊ पूडल पालते हैं (प्रधान मंत्री से क्षमा याचना सहित ),लेकिन एक Pooper scooper नहीं खरीद सकते dog excreta (स्वान बिष्टा )सड़क पर छोड़ जाते हैं .

(2)तीर्थ स्थानों को गंदा कर आते हैं कचरा वहीँ छोड़ आतें हैं .

(3)दारु पीके गाड़ी चलाते हैं .

(4)जहां तक हमारी श्रेणी का सवाल है जहां आप वहां हम ,आपसे अलग नहीं हैं हम .

Ramakant Singh said...

कोई संदेह नहीं की आप कडुआ लिखती हैं लेकिन कौन कहता है की गलत लिखती हैं?

शूरवीर रावत said...

जस्टिस का कहा ही कानून बनता है। यदि वे 90 प्रतिशत को ईडियट की श्रेणी में रख रहे हैं तो निश्चित है कि यह कानून होगा।
तो कानून से ऊपर तो हम भी नहीं हैं।

प्रवीण पाण्डेय said...

हम तो आम हैं, गुठली होने पर फेंक दिये जाते हैं।

ZEAL said...

वैसे सोचती हूँ मैं की यदि हम में से ज्यादातर मूर्ख ना होते तो क्या सोनिया राज कर पातीं हिन्दुस्तान पर ? क्या FDI के माध्यम से दुबारा गुलाम बनने के लिए तैयार हो जाता भारत? आरक्षण और वोट-बैंक की सस्ती TACTICS के द्वारा बहुसंख्यकों को मूर्ख बना सकता था भला कोई ?

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

लाजवाब....

प्रतिभा सक्सेना said...

हम तो आपके साथ हैं !

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

जस्टिस काटजू उम्र के जिस पड़ाव में है, वहां पहुंच कर ऐसा ही कुछ कहा जाता है। विवादों में रहना उनकी आदत है। कई बार उनके फैसले भी इसी तरह के रहे हैं.

बहरहाल मैं इतना तो दावे के साथ कह सकता हूं कि काटजू साहब 10 फीसदी में तो कत्तई शामिल नहीं हो सकते।

Maheshwari kaneri said...

बहुत सुन्दर ..उत्‍कृष्‍ट लेखन..

विनोद कुमार पांडेय said...

बढ़िया विस्तृत रिपोर्ट...जस्टिस काटजू जी को भी यह डीटेल समझ जाना चाहिए...बढ़िया पोस्ट धन्यवाद

ZEAL said...

.

90% भारतीय संस्कारी है
बचे हुए 10% अहंकारी हैं !

हम लाये हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के
देखो कहीं बर्बाद न होवे ये बगीचा
इसको ह्रदय के खून से शहीदों ने है सीचा
रखा है ये चिराग शहीदों ने बाल के
हम लाये हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के

भारतीयों को ईडियट कहा जाए ये स्वाभिमानियों को गंवारा नहीं है!

.

Arvind Jangid said...

आते तो हम भी इन्ही मानकों में है...वरना किसी की क्या मजाल की कह दे..
"I Think that Ram is a bad husband" or
"Cattle class"

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Luke's eyes during the training session and the pre-Imperial fighter squadron markings on the sides.
Like most Jedi or Sith laser swords issued with Star Wars figures since the mid-Nineties, Luke's lightsaber's "energy blade" is made of translucent blue plastic that allows light to pass through to simulate a glowing lightsaber effect.

There have been two expansions to date, with many more on the horizon.

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