Monday, May 16, 2011

'ZEAL' ब्लॉग का उद्देश्य - [शब्दों में ढले जिंदगी के अनुभव]

ZEAL , एक अंग्रेजी का शब्द है , जिसका अर्थ है - उमंग , उत्साह , जोश , enthusiasm

कहते हैं , नाम का बहुत असर होता है व्यक्तित्व पर इसलिए परेशानी के दौर से गुज़रते हुए सन २००५ में जब मन को 'उत्साह' की बहुत ज़रुरत हुयी तो अपना नाम 'ZEAL' रख लिया। ताकि जीवन में उत्साह बना रहे। आज बहुत से लोग मुझे 'ZEAL' ही पुकारते हैं मुझे ये नाम उतना ही प्रिय है जितना 'दिव्या'

सन २०१० में अपना ब्लॉग बनाते समय प्रश्न उपस्थित हुआ की ब्लॉग का नाम क्या रखूं फिर लगा की मेरे ब्लॉग का नाम भी 'ZEAL' ही होना चाहिए। तो ऐसे हुआ ZEAL ब्लॉग का जन्म।

मेरा परिचय -

मेरा परिचय सिर्फ एक शब्द में ही है , क्यूंकि मैं स्वयं को बहुत मज़बूत देखना चाहती हूँ। जब तक मैं स्वयं को इतना मज़बूत नहीं बना सकूँगी तब तक समाज में मेरी महिला बहनों को , मेरे द्वारा लिखे गए नारी सशक्तिकरण के लेखों द्वारा सदेश पूरी तरह नहीं संप्रेषित हो सकेगा। इसलिए इस संक्षिप्त परिचय [IRON] की बहुत आवश्यकता समझी। ये परिचय मुझे सदा ये याद दिलाता रहता है की मुझे हर परिस्थिति में 'लोहे' की तरह मज़बूत ही रहना है। कुछ लोगों को मेरा परिचय शायद offend भी करता हो , लेकिन मेरी बहुत सी महिला मित्रों को ये पसंद भी बहुत है

ब्लॉग का उद्देश्य -

चाणक्य ने कहा है , किसी भी कार्य को करने के पूर्व बहुत बार सोचना चाहिए की क्यूँ कर रहे हैं हम ये कार्य तो मैंने भी सोचा -क्यूँ ?

  • इधर-उधर निरर्थक गोष्ठी और प्रपंच करने से अच्छा है अपनी ऊर्जा और समय का सकारात्मक उपयोग किया जाए।
  • दूसरों के अनुभवों और लेखन से बहुत कुछ सीखा है तो क्यूँ न समाज को कुछ दूँ जिससे उनका भी लाभ हो और मेरा ऋण भी उतरे।
  • जो आस पास के परिवेश में , देश में , समाज में जो घटता है , उसपर मंथन के फलस्वरूप एक विकल्प के साथ ज्यादातर लेख लिखती हूँ।
  • मनोवैज्ञानिक विषयों पर लिखना बहुत अच्छा लगता है। व्यक्ति के स्वभाव का , उसके शब्दों का , उसकी प्रतिक्रियाओं का , उसके मंतव्यों का , उसकी इच्छाओं का , उसकी उलझनों का , उसके दुखों का ,उसकी परिस्थितियों का , उसकी मानसिक अवस्था का एवं उसके संघर्षों का बहुत गहराई से अध्ययन करती हूँ फिर यथासंभव एक विकल्प के साथ लेख लिखने का प्रयास करती हूँ।
  • मेरे ज्यादातर लेखों में मेरे निजी अनुभव शामिल होते हैं।
  • कोशिश करती हूँ कुछ अनसुलझे प्रश्नों के उत्तर देने का, इन्हीं मनोवैज्ञानिक लेखों द्वारा।

ब्लॉग के विषय जिन पर लेख लिखे अभी तक-
  • चिकित्सा
  • प्रेम
  • ईश्वर
  • धर्म
  • विज्ञानं
  • राजनीति
  • स्त्री सशक्तिकरण
  • पुरुषों का सम्मान
  • अनुकरणीय व्यक्तित्व
  • बच्चों के लिए
  • वृद्धों के लिए
  • अध्यात्म
  • आत्मा, पुनर्जन्म
  • न्याय व्यवस्था
  • संस्कृति एवं संस्कार
  • समाज की विसंगतियां
  • कुछ चर्चाएँ एवं विमर्श
  • निर्मल हास्य
  • रिश्ते
  • कवितायें

ब्लॉग के सहयोगकर्ता--
माँ सरस्वती की कृपा , बड़ों का आशीर्वाद और कुछ अपनों का प्यार

आभार ,
दिव्या


.

42 comments:

G.N.SHAW said...

दुर्लभ कदम ...सार्थक ...आज की आवाज है , इसी तरह बढ़ते रहें !

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " said...

बहुत अच्छा लगा , आपकी व्यक्तिगत बातों को जानकर..
आपका नाम , उपनाम असीम ऊर्जा देता रहे आपको ....
लेखनी अबाध चलती रहे ,,,,बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनायें

पूनम श्रीवास्तव said...

divya ji
idhar bahut dino baad aap mere blog par dikhin ,par bahut hi achha laga .main bhi aswstha ke karan niymit rup se roz net pat nahi aa paati hun .kyon ki jyaada der nahi baith sakti .bas jitne comments aate hain sochti hun ki dheere dheerre unka jawab de sakun par vo bhi mushkil ho jaata hai .bas kisi din thodi der ke liye net par aakar do char blogon tak hi pahunch paati hun .
aaj aapne jo kuchhlekh apne baare me likha vah mujhe bahut hi pasand aai .
aapne bilkul sahi likha hai ki hame bajay idhar -udhar baith kar samay barbaad karne hi jagah aise hi kary karne chahiye jo sabke hit me ho .samay ke sadupyod ka is samay sabse bada sadhan hammare liye internet hai jiske dwara ham ek dusare ke anubhavo v vicharo se anugrheet hote hain .tatha aapne anubhav bhi jo ham apne aas -paas dekhte v mahsus karte hain unhe bhi aapas me bantte hain .jisse apne samay ka upyog bhi hota hai aur apni trutiyo ka gyan bhi .jisme aage chalkar ham sudharne ka prayaas bhi kar sakte hain .
bahut badhai v
dhanyvaad
poonam

सञ्जय झा said...

jiske vichar apke liye sakaratmak hai alochanaon
ke vavajood ........... unko apke udeshya nishit
roop se pata hai.....so, unke liye in baton ko
kyon likhna........but, kintu and parantu......
jiske vichar nakaratmak hain vina sakaratmak...
vimarsha ke........aise logon ke liye aisi baten
kyon likhna..........

bakiya.....rukna nahi hai.......

pranam.

सुज्ञ said...

सार्थक है, दिव्य 'ZEAL' An IRON lady!! :)

शुभेच्छा!!, आपकी इष्ट मनोकामनाएँ पूर्ण हों।

नीलांश said...

with my good wishes too

your pen keep writing and enlightening ......

ek dost ne mujhe bola main aapko bol raha hoon

Zore kalam buland ho ji....

good wishes...

shikha varshney said...

अच्छा लगा आपका और आपके ब्लॉग का परिचय.लिखती रहें.

Aruna Kapoor said...

मेरी शुभ-कामनाएं सदैव तुम्हारे साथ ही रहेगी दिव्या!....झील'' बहुत सुंदर उपनाम है, जो तुम्हारे सुंदर विचारों को उजागर करता है!....तुम्हारे चुने हुए सभी विषय तुम्हारी उच्च विचार सरणी की ओर इंगित कर रहे है!

Darshan Lal Baweja said...

अच्छा लगा

DR. ANWER JAMAL said...

आपके कुछ अच्छे नाम और भी होते तो आपमें कुछ और भी गुणों का प्रस्फुटन हो जाता , बहरहाल .
बात नाम की चली तो हमारे दादा दादी ने हमारा नाम राजा मियाँ रख दिया । शायद हरेक दादा दादी की तरह वे भी हमें ऐश्वर्यशाली देखना चाहते थे ।
कभी वक़्त मिला तो बताएंगे आपको 'कहानी मेरे नाम की'

I LIKE ZEAL.

DR. ANWER JAMAL said...

आपके कुछ अच्छे नाम और भी होते तो आपमें कुछ और भी गुणों का प्रस्फुटन हो जाता , बहरहाल .
बात नाम की चली तो हमारे दादा दादी ने हमारा नाम राजा मियाँ रख दिया । शायद हरेक दादा दादी की तरह वे भी हमें ऐश्वर्यशाली देखना चाहते थे ।
कभी वक़्त मिला तो बताएंगे आपको 'कहानी मेरे नाम की'

I LIKE ZEAL.

नीरज मुसाफ़िर said...

हम तो खुद को विद्वान मानते हैं, अति विद्वान नहीं।

दिवस said...

अभी ज्यादा समय तो नहीं हुआ है मुझे आपका ब्लॉग पढ़ते हुए, किन्तु इस अवधि में आपको पढ़ कर मुझे लगता है कि आपको कुछ तो जान ही चूका हूँ| आप सच में IRON LADY हैं और एक स्त्री को ऐसा होना ही चाहिए...स्त्री यदि सशक्त है तो उसका कुल सशक्त होगा, उसका समाज सशक्त होगा, उसका राष्ट्र सशक्त होगा...क्यों कि परिवार तो एक स्त्री ही बनाती है| उसके बिना घर परिवार की कल्पना भी कठिन ही लगती है...
स्त्री सशक्त होगी तो उससे जुड़े सभी सशक्त होंगे...
दिव्या दीदी परिवर्तन का माध्यम तो स्त्री ही है, हम तो मात्र साधन हैं...स्त्री माँ है, जननी है...हमने जीवन का पहला पाठ माँ से ही सीखा है...हमारी प्रेरणा तो वही है...स्त्री ही देश का भविष्य निश्चित कर सकती है, यदि उसमे सामर्थ्य नहीं होगा तो उसकी संतानों में कहाँ से होगा? यह स्त्री के लिए एक चुनौती है कि उसे सशक्त होना ही होगा...
सिकंदर के विरुद्ध आचार्य विष्णु गुप्त (चाणक्य) के अभियान में जब वे अपने शिष्यों को जन जन से जुड़ना सिखा रहे थे तो उन्होंने अपने शिष्यों से कहा कि "यदि तुम माँ को समझा सके तो उसके अधिकार की प्रत्येक वस्तु तुमारी होगी, उसके परिवार का सामर्थ्य व उसकी शक्ति तुम्हारी होगी| अत: तुम स्त्री को अपनी माँ समझो| क्यों कि एक माँ अपने पुत्र को सरलता से समझ सकती है|"
इसलिए आपका सशक्त होना न केवल आपके लिए, न केवल स्त्रियों के लिए अपितु आपके परिवार, आपके कुल, आपके समाज व आपके राष्ट्र के लिए भी परम आवश्यक है, परम लाभदायक है...अत: आपको जीवन भर IRON LADY बने रहना ही होगा और न केवल आपको अपितु सभी स्त्रियों को ऐसा होना होगा...
अभी आपसे बहुत कुछ सीखना है हमें...आपकी ओर मार्गदर्शन की दृष्टि से देखता हूँ...मुझे पता है कि वह मुझे आपसे अवश्य मिलेगा...
धन्यवाद...
सादर...

prerna argal said...

achcha lagaa aapka lekh padhker .naam se aadmi ke byktitva se pharak to padhtaa hi hai.mujhe aapka zeal naam bahut achcha lagataa hai.aap jo bhi lekh likhtin hain bahut achcha likhtin hain.hanesha likhti rahiye.aapne wo gaana to sunaa hi hoga,KUCH TO LOG KAHENGE LOGON KA KAAM HAI KAHANAA CHODO BRKAAR KI BATON MAIN KAHIN MUSKIL NAA HO JAAYE JEENAA.

अजित गुप्ता का कोना said...

मेरा मानना है कि विचारों के आदान-प्रदान से ही विचार पुष्‍ट होते हैं। ब्‍लाग इस हेतु उत्तम साधन है। आप सामाजिक‍ सरोकारों वाले विचारों को प्राथमिकता देते हुए अपने लेखन से सभी को लाभान्वित कर रही हैं। मुझे तो आपको पढ़ना अच्‍छा लगता है। मैं अपना पक्ष भी रखती हूँ, कई बार हो सकता है कि मेरे विचार भिन्‍न हो, लेकिन इस विचार भिन्‍नता के लिए ही तो हम लिख रहे हैं। ब्‍लागिंग पर आने से मैंने तो कई विचारों से स्‍वयं को लाभान्वित किया है। बस हम अपना पक्ष सत्‍य सिद्ध करने के लिए अड़े नहीं और दूसरों पर अनावश्‍यक दोषारोपण भी ना करें। यदि इसे सीखने का मंच मानेंगे तो निश्‍चय ही हमें बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।

दर्शन कौर धनोय said...

आपके विचार मुझे पसंद है ,कई बार लगा आप ठीक नही है पर दुसरे पल ही आपका सशक्त पहलु सामने आया ..मैने भी कई बार आलोचना की है, मै मानती हु---पर आपकी शालीनता भरी स्वीकृति से मै दुबारा आपसे जुड़ गई--आपका साहसिक कदम मुझे पसंद है --कई बार आपके कदमो से मैने सिख ली है ...आपका नाम एक दम आपके उपर सटीक है ... जो कहती है वो कर देती हे --आगे बड़े हम आपके साथ है ..

Bharat Bhushan said...

नाम में भरा हुआ संस्कार सुमिरन बन जाए तो उसे फलित होना ही चाहिए.
शुभकामनाएँ.

शूरवीर रावत said...

बेबाकी से अपनी बात रख देना ही आपकी विशेषता है...... आभार !

daanish said...

माँ सरस्वती जी की कृपा
आप पर यूं ही बनी रहे ..
आशीर्वाद स्वरुप
आपको साहस , धैर्य , शक्ति
और सम्मान मिलता रहे
यही कामना है .

SAJAN.AAWARA said...

mam aapka jo jajba or najariyaa hai usi wjha se aapke blog par aana achha lagta hai. aapka har lekh kuch sochne par majbur karta hai.. subhkaamnayen aapke sath hain........ jai hind jai bharat

महेन्‍द्र वर्मा said...

आपका नाम, उपनाम और परिचय सभी सार्थक हैं।
मां सरस्वती का स्नेह आपको निरंतर मिलता रहे, शुभकामनाएं

दिलबागसिंह विर्क said...

veer tum bdhe chalo, dheer tum bdhe chalo

ye kvita shaayd aapne bhi padhi ho

to badte rahna prgati path par

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आप साहस की प्रतिकृति हैं!
जानकारी मन को भा गई!

प्रतुल वशिष्ठ said...

जब आपसे परिचय हुआ तो मुझे लगा कि अब पूरी अंग्रेजी आ गयी.
ब्लॉग जगत में मेरा पहला प्रभावपूर्ण परिचय A से अमित शर्मा से हुआ.फिर अकस्मात ईश्वरीय प्रसाद के रूप में Z से Zeal परिचय हुआ.
A to Z तक पूरा ब्लॉग-भ्रमण इनमें ही करता रहा. धीरे-धीरे सुज्ञ जी जैसे मित्रों ने मेरी मुग्धावस्था तोड़ने का कार्य किया और उनके विचारों से यथार्थ में जीना सीखा.
अरे! अपने मन की छिपी बात कह गया. जब मन की बातें होती हों तब खुद के मन की परतें भी उखड़ने लगती हैं.

Unknown said...

दिव्या जी, आपके सारगर्भित एवं उर्जावान लेख एक नयी विचारधारा को जन्म देते है जिन्हें आप वैज्ञानिक रूप से भी पुख्ता कर देती हैं, ये आपकी बहुमूल्य शिक्षा ( चिकित्सा) में ली गयी शपथ का भी जनोपयोग है . अतिविद्वानो को वैसा ही बने रहने दे, अपने लेखो में ये गैर जरूरी चर्चा भी न करे . आप पर माँ सरस्वती हमेशा मेहरबान रहे यही कामना है .

वीना श्रीवास्तव said...

लेखन में तो यही होना चाहिए कि कुछ सार्थक निकलकर आए....विषय कोई भी हो....
अच्छा लगा आपके विचार जानकर...

Sawai Singh Rajpurohit said...

आदरणीय डॉ.दिव्याजी,
आप पर माँ सरस्वती की कृपा यूँ ही बनी रहे ये ही कामना करता हूँ.

!!माँ सरस्वती जी की कृपा!!

बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरना said...

दिव्या की एक बात बहुत अच्छी लगती है ....डाक्यूमेंटेशन. अभी तक कितना और क्या लिखा है ......दिव्या के पास पूरा रिकार्ड है. मैं इस विषय में पूरा फिसड्डी हूँ. डॉक्टर कपूर जी को बहुत-बहुत धन्यवाद ...दिव्या का एक और प्यारा सा नाम " झील " रखने के लिए. सच में ......झील सी गहराई है दिव्या में. झील के जल में न जाने कितनों को जीवन मिलता है......आसरा मिलता है कई जलचरों को ......एक्वेटिक प्लांट्स को .....इस झील में सदा जील बना रहे यही ईश्वर से प्रार्थना है.
तो "झील" जी ! इसी झील पर हो जाए एक कविता अगली पोस्ट में आपकी कलम से.

रमेश कुमार जैन उर्फ़ निर्भीक said...

डॉ. दिव्या श्रीवास्तव जी, आपने नाचीज़ का निवेदन(zeal का अर्थ बताने का) स्वीकार किया उसके लिए आपका धन्यवाद! अब अगर आपको कभी थोडा-सा समय मिले तो हमारी मनोवैज्ञानिक, प्रतिक्रियाओं, इच्छाओं,उलझनों, परिस्थितियों,मानसिक अवस्था का और हमारे स्वभाव, मंतव्यों,शब्दों, दुखों,संघर्षों का बहुत गहराई से अध्ययन करें.फिर यथासंभव एक विकल्प के साथ लेख लिखे. आपके कथनानुसार इन चीजों को देखने व समझने निपूर्ण हैं. हो सकता उसके बाद अपने जीवन की शैली में शायद बदलाव ला सकूँ.

पति द्वारा क्रूरता की धारा 498A में संशोधन हेतु सुझावअपने अनुभवों से तैयार पति के नातेदारों द्वारा क्रूरता के विषय में दंड संबंधी भा.दं.संहिता की धारा 498A में संशोधन हेतु सुझाव विधि आयोग में भेज रहा हूँ.जिसने भारतीय दंड संहिता की धारा 498-ए के दुरुपयोग और उसे रोके जाने और प्रभावी बनाए जाने के लिए सुझाव आमंत्रित किए गए हैं. अगर आपने भी अपने आस-पास देखा हो या आप या आपने अपने किसी रिश्तेदार को महिलाओं के हितों में बनाये कानूनों के दुरूपयोग पर परेशान देखकर कोई मन में इन कानून लेकर बदलाव हेतु कोई सुझाव आया हो तब आप भी बताये.

Rajesh Kumari said...

maa sarasvati ki krapa aap par bani rahe aur aap yese hi aage badhti rahen.god bless you.

प्रवीण पाण्डेय said...

आप अपने उद्देश्यों में पूर्ण सफल हों, शुभकामनायें।

मनोज कुमार said...

उद्देश्य में सफलता, लक्ष्य की प्राप्ति और संकल्प की दृढता के प्रति शुभकामनाएं।

Vaanbhatt said...

दुर्लभ है आजकल... किसी का इतनी बेबाकी से अपने बारे में बताना...ये कोई बहुत ही मजबूत इंसान कर सकता है...

Udan Tashtari said...

सही है...सफल होवें अपने उद्देश्यों में...शुभकामनाएँ.

डॉ टी एस दराल said...

अरे हमारी टिप्पणी कहाँ गई ?

mridula pradhan said...

bahut sachcha aur sunder post.

मीनाक्षी said...

आपकी पिछली पोस्ट पढ़ कर आ रही हूँ ....आपको पढ़ना हमेशा प्रिय लगा...ऐसे ही लिखतीं रहें...मेरी शुभकामनाएँ साथ हैं..

Rakesh Kumar said...

उमंग और उत्साह में आप लगतीं हैं प्यारी सी 'जील'
निंदा और आलोचनाओं को आप न करना ज्यादा 'फील'
गहराई की बातों में बन जाती हैं जब आप 'झील'
थोडा मुश्किल हों जाता है तब आपसे करना 'डील'
पर हर अच्छाई की बातपर आप लगातीं है अपनी 'सील'(Seal)
दुःख और दर्द को आप सदा ही करती रहें 'हील' (Heal)

बस यही दुआ और कामना है कि आप सदा अच्छा सोचें,अच्छा लिखें
और प्रसन्न व आनंद मगन रह सभी को निर्मल आनंद प्रदान करती रहें.
इस पोस्ट पर देरी से आने के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ.

aarkay said...

अंग्रेजी में 'ज़ील' कब और क्यों कुछ लोगों के लिए ' झील' बन गयी कुछ समझ नहीं आया. अपने कमज़ोर दिमाग पर थोडा जोर डाला तो लगा ' झील ' भी तो कुछ ग़लत नहीं . सच में झील सी गहराई भी तो आप में है और यदि अधिक छेड़ा न जाये तो झील की तरह शांत भी तो हैं आप. यों आपकी लेखनी का फलक और विस्तार व्यापक तो है ही अतः आशा ही नहीं विश्वास है कि बहुत से विषयों पर , विभिन्न विधाओं में आपकी लेखनी अनवरत चलती रहेगी , और यथा आवश्यकता सभी को कुछ न कुछ प्रदान करती रहेगी.
हार्दिक शुभकामनायें, दिव्या जी !

Unknown said...

haardik mangal kaamnaayen.......

सदा said...

यह परिचय .... अच्‍छा लगा आपके नाम और ब्‍लॉग के बारे में विस्‍तार से जानकर ...आपके सहयोगकर्ता हमेशा आपके साथ रहें ...शुभकामनाओं के साथ बधाई भी ।

Pratik Maheshwari said...

आशा है कि यह Zeal इसी तरह जारी रहेगा और हमें अपने आप को अच्छाई की ओर ले जाने वाले कई और पोस्ट्स पढने को मिलेंगे..

आभार और शुभकामनाएं