Thursday, June 9, 2011

मैं नुकसान बताती हूँ, आप लाभ गिना दीजिये.

लोग अपने ब्लौग पर feedjit लगाते हैं , recent visitors आदि को जानने के लिए प्राविधान करते हैं आखिर इसकी आवश्यकता क्या है? मुझे तो इसमें निम्नलिखित नुकसान दिखाई दे रहे हैं ---

  • ऐसे ब्लॉग्स पर जाते ही लगता है मानो कैमरा लगा है ---पकड़ो पकड़ो चोर आया , तस्वीर खिंच गयी ...क्लिक!
  • ब्लौग मालिक सारे दिन यही देखता है , कौन आया , कौन गया ( और भी गम हैं ज़माने में निगरानी के सिवा)
  • अब कोई आया और टिप्पणी करे बगैर निकल गया तो लेखक उदास, -अरे ये मेरे घर आया, समान चुराया , पर टिप्पणी नहीं दे गया। (अनचाहे ही द्वेष पनप गया)
  • अरे दिन भर में बस इतने ही आये। ...(लीजिये low BP हो गया)
  • अच्छा बच्चू , तू तो मेरा दुश्मन है , फिर तेरी जुर्रत कैसे हुई मेरे ब्लौग पर झाँकने की ....(अब मिलिए , Hypertensive हो गए जनाब )
  • अगर किसी के feedjit ने सूचना दे दी "थाईलैंड" तो लीजिये जबरदस्ती ठीकरा मेरे माथे पर की ये 'दंभी-दिव्या' ही आई होगी भले कोई अन्य शरीफ बंदा ही क्यूँ तशरीफ़ लाया हो इनके ब्लौग पर उसी लोकेशन से।

मुझे तो लगता है। इन feedjits का उपयोग अनावश्यक है ऐसी निगरानी की आवश्यकता नहीं है बुद्धिजीवियों के आवागमन पर समय भी बर्बाद होता है और मन में आवा-जाहि देखकर ब्लौग मालिकों को ख़ुशी कम , संताप ज्यादा होता होगा।

मैंने कुछ हानियाँ बतायीं , आप कुछ लाभ गिनावें कृपया

76 comments:

Unknown said...

ye bhi sanyog kamaal ka hai ki maine kal raat hi ise hataaya hai aur aaj subah aapki post isi vishya par aa gayi..........

vaise maine to isliye hataya ki dukh ho raha tha dekh kar ki achhi post par to kam log aate hain aur jinme anargal matter hai un par bheed barasti hai


aapki post achhi lagi

shubh prabhat .......dhnyavaad !

देवेन्द्र पाण्डेय said...

हा..हा..हा...मजेदार। मैं तो नहीं लगाता।

दिनेशराय द्विवेदी said...

बिलकुल सही है।

मनोज कुमार said...

हा-हा-हा ...
इतना तो कभी सोचा ही नहीं। शुरु में देखा-देखी लगा लिया था। पर लगा कि इससे पृष्ठ खुलने में गति धीमी हो जाती है तो हटा लिया। दूसरों के ब्लोग पर कुछ विजेट लगा देख कर उपयोगिता-अनुपयोगिता के आधार पर उसे लगाते-हटाते रहते हैं। इस आलेख ने अब इस मुद्दे को नए सिरे से सोचने पर मज़बूर किया है।

Irfanuddin said...

Never thought about it, though using some of them.....

रविकर said...

@-पकड़ो-पकड़ो चोर आया |
पर उसने कुछ नहीं चुराया ||

बड़े जतन से, मैंने अपना--
था प्यारा घर-द्वार सजाया ||

पर, उसको कुछ भी न भाया ?
घोर निराशा, मुंह लटकाया ||

प्रवीण पाण्डेय said...

बड़ी तार्किक बात कही है, पहले ही खटका लग जाता है।

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

ये पहले मैंने भी लगाये थे बाद में हटा दिये, लगभग बिना काम के लगे.

Sunil Kumar said...

दिव्या जी आपसे सहमत हूँ जैसे मैंने एक दिन देखा बहुत सी ब्लागर पोस्ट पर तो आये मगर बिना टिपियाये चले गए दिन भर सोंचता रहा आख़िर ऐसा क्यों हुआ , मगर दोस्तों की पहचान तो हो जाती है|

आशुतोष की कलम said...

soch raha hun hata dun maen bhi..
baat to sahi hai..lagaya hai magar kabhi dekhta nahi

Sushil Bakliwal said...

यदि बात "रिसेन्ट विजिटर्स" विजेड की की जावे तो मैंने इसे सिर्फ एक जगह उपयोगी पाया था और वह स्थान था उन पाठकों द्वारा आपके ब्लाग को फालो करना जिनकी तस्वीर नहीं दिखने के कारण आप जान नहीं पाते कि ये अन्तिम फालोअर कौन है । ऐसे में ये विजेड कभी-कभी उस फालोअर का नाम आपकी जानकारी में ला सकता था । किन्तु मैंने इसे वहाँ भी पूरी तरह कार्यक्षम नहीं पाया । शेष मामलों में तो ये अपनी अनउपयोगिता दिखा ही चुका था इसलिये नजरिया से इसे हटा ही दिया । शेष दो ब्लाग्स पर ये हैं या नहीं मुझे देखना होगा और यदि हैं भी तो कम से कम इसकी तो कोई भी उपयोगिता मुझे भी नहीं दिखी ।

Bharat Bhushan said...

ब्लॉगिंग टाइम पास के साथ-साथ टेंशन देने लगे तो उससे दूर रहने में भलाई है. फीजिट की कोई आवश्यकता नहीं. जो आए उसका स्वागत. जो न आए उसके लिए शुभकामनाएँ.

BK Chowla, said...

It is a personalchoice. If one doesnt want to have, one need not

रश्मि प्रभा... said...

दृष्टिकोण पर निर्भर है सबकुछ .... मुझे टिप्पणी से अधिक यह अच्छा लगता है कि इतने लोगों ने मुझे पढ़ा .... वैसे हर बार देखना याद भी नहीं रहता

Unknown said...

आपकी बात एकदम सही , इसकी बिलकुल भी आवश्यकता नहीं , उपयोगिता समझ से परे

Bharat Bhushan said...

बहुत से ब्लॉगर भाई-बहन कमेंट/हिंदी कमेंट नहीं लिखते/लिख सकते या उऩके पास समय नहीं होता. वहाँ लाईक-डिसलाइक की ऑप्शन लगा देनी चाहिए. इससे समय बच सकता है और विशेषकर हिंदी में न लिख पाने का मलाल कम हो जाएगा.

निर्मला कपिला said...

लाभ हानि तो सोची नही भारतीय परंपरा की तरह लोगों के पीछे चल पडे\कई बार लुभावना सा देख कर मन उतावला हो ही जाता है। हा हा हा । सच तो बाद मे ही पता चलता है। हर पहलू के दो चेहरे तो होते ही हैं इस से अधिक भी हो सकते हैं।

Sunil Deepak said...

चिट्ठा लिखना वैसे भी अकेलेपन का काम है, कोई आये, पढ़े, इससे आगे लिखने की प्रेरणा मिलती है, विषेशकर एक दो साल के बाद जब नये चिट्ठे का उत्साह स्माप्त होने लगे. लोग टिप्पणियाँ कम ही छोड़ते हैं, तो कम से कम यह देख कर कि कुछ लोग आ रहे हैं, पढ़ रहे हैं, मन को सहारा मिलता है. सिपाही की तरह बैठ कर देखना कौन आया, कौन नहीं आया, आजकल किसके पास इतना समय है?

Arunesh c dave said...

हा हा हा वैसे तो स्टैट और कमेंट का भी यही है मित्र कमेंट कर ही जाते हैं कभी यह मालूम नही पड़ता कमी क्या है लेखन मे कमेंट मे लोग कमिया भी बतायें तो निश्चित लेखक को लाभ होगा ।

डा० अमर कुमार said...

.हाँ लाभ है.... लाभ क्यों नहीं है... ब्लॉगस्पॉट पर इसके लाभ हैं । यदि आप बेनामियों में लोकप्रिय हैं, तो उनका पता ठिकाना आसानी से जाना जा सकता है । हालाँकि इससे आप कानूनी रूप से अधिक दृढ़ नहीं हो सकते, पर बेनामी भईयों पर एक दवाब एक खटका बना रहता है... चोर का दिल आखिर होता ही कितना है ?
दूसरा लाभ आपके अहंम की भरपूर तुष्टि होती है.. आप अपने नाती पोतो, मित्रों रिश्तेदारों, पत्नी पर रोब गालिब कर सकते हैं कि आपके पाठक विदेशों तक में फैले हुये हैं ।

नुकसान यह कि आपकी सृजन क्षमता कम हो जाती है.. आप लोगों का आना जाना ही गिनते रह जाते हैं ।
तीसरे यह कि फ़ीड्ज़िट का मुफ़्त सँस्करण स्पैमवेयर है । इसका मूल्य-आधारित वर्ज़न आपको कुछ स्वतँत्रता देता है ।
यह आपके पेजलोड समय को बेहद उबाऊ और लम्बा बना सकता है ।

कुल मिला कर इसके लगाने से नुकसान ही अधिक है ।

vandana gupta said...

हमने तो लगाया ही नही…………वैसे कह सही रही है आप्।

अशोक सलूजा said...

दिव्या जी,
अच्छा है,मैं तो इस से वैसे भी अन्जान हूँ ...
शुभकामनाएँ |

ashish said...

हमने लगा तो रखा है लेकिन आप द्वारा इंगित समस्या का कभी सामना नहीं किया . क्योंकि वो कभी महत्वपूर्ण नहीं रहा .

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

:):)

यह लेख पढ़ कर तो नुक्सान ही नुक्सान लगता है ... मैंने भी ब्लॉग जगत की परिपाटी देख लगा लिया है पर ब्लॉग पर सबसे नीचे ..पहले कभी देख भी लेती थी पर . अब तो दिखाई भी नहीं देता :):)..

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

हाहहाहाहा, क्या बात है। जो लगाने की सोच रहे थे, वो अब नहीं लगाएंगे।

rashmi ravija said...

मैने भी किसी की सलाह पर लगा लिया था....पर लिखने और टिप्पणियाँ करने के लिए ही समय कम पड़ता है...उनपर नज़र रखने का समय कैसे निकाला जाए...

लेकिन...लेकिन...मुझे इस से बहुत ही बड़ा फायदा हुआ...एक साहब जो कभी मित्र होने का दावा करते थे...मेरे ब्लॉग्गिंग में ज्यादा व्यस्त होने की वजह से नाराज़ होकर बेनामी बन टिप्पणियाँ करने लगे...और मेरे लेखन को कूड़ा-करकट बताने लगे. शक तो मुझे था ही..उनके विजिट का समय और टिप्पणी के समय ने सारा राज़ खोल दिया...और बाद में एक अनामी मित्र ने ही उनका आई.पी. एड्रेस भी पता करके नाम बता दिया..:)
तो है ना कुछ फायदा भी..:)

rashmi ravija said...

अभी डा. अमर कुमार की टिप्पणी देखी...उन्होंने भी इसकी पुष्टि कर दी...:)

JC said...

पढ़ के पता चला कि अपना ब्लॉग न होने पर मैं कितनी अनावश्यक परेशानियों से बच गया हूँ :)
मैं छ: वर्षों से भी अधिक समय से केवल टिप्पणीयां, पहले अंग्रेजी और कुछ समय से हिंदी में भी, पोस्ट कर रहा हूँ...
जब में छोटा था तो सुना करता था कि हमारे पूर्वज बहुत बुद्धिमान थे किन्तु वो अपना ज्ञान अपने साथ चिता में ले गए !
जब मैंने समझा कि मैंने पश्चिम से तो सीखा ही, अपने पूर्वजों से भी कुछ ज्ञान कृष्ण लीला, राम लीला, शिव पुराण, विष्णु पुराण, भागवत गीता आदि के माध्यम से अर्जित किया है तो क्यूँ ना मैं उसे पोस्ट करूं जिससे कोई हमारे बारे में भी वैसा ही न कहे !
मुझसे इस बीच बहुतों ने कहा मैं अपना ब्लॉग आरंभ करूं... क्यूंकि उन्होंने मेरे माध्यम से हिन्दू धर्म के बारे में ज्ञानोपार्जन किया जो हिन्दू समाज में आस्था पर प्रश्न उठाये जाने की पाबंदी के कारण संभव नहीं हो पाया था, और इस प्रकार वो मेरे विभिन्न विचार एक स्थान पर ही देख पाएंगे...
किन्तु इस बीच मैंने पाया कि लोगों के पास कुछ कहने को ही नहीं रह गया था,,, कितने ही ब्लॉग इस कारण बंद भी हो गए...या कई समय से उन्होंने कोई नयी पोस्ट नहीं लिखी, आदि... और क्यूंकि मैं उनकी पोस्ट पर टिप्पणियाँ लिख चुका था, मैं फिर फिर उनके ब्लॉग में जा देख लेता हूँ यदि कुछ नया इस बीच उन्होंने लिखा हो... इस कारण, यदि लगा हो, फीडजिट को देख मुझे पता चल जाता है कि और कितने लोग भी उनका इंतज़ार कर रहे हैं...

सदा said...

वाह ... यह भी बहुत अच्‍छी बात कही आपने ... हानियां क्‍या लाभ क्‍या यह तो अपना-अपना न‍जरिया है ...हर वक्‍त देखना तो संभव नहीं हो पाता ... हां कभी-कभी नजर पड़ ही जाती है ...आपके आने का पता तो चलना चाहिये न ।

गिरधारी खंकरियाल said...

इस बारे में अधिक सोचने की आवश्यकता ही नहीं पड़ी हाँ दिखने में अवश्य अजीब सा लगता है

समय चक्र said...

हा हा हा आपने तो सही आईना दिखा दिया है ..

VIJAY PAL KURDIYA said...

किसी ने ठीक ही का हे की एक सिक्के के दो पहेलु होते हे,अतं हानि हे तो कुछ लाभ भी होंगे |
http://vijaypalkurdiya.blogspot.com

Ruchika Sharma said...

बिलकुल ठीक कहा आपने...मैंने भी लगाये थे पर अब हटा दिये हैं

हंसी के फव्‍वारे

G Vishwanath said...

I did not know about this.
Thanks for this info.
Now, if I seek this widget, I will be aware that my visits here are being tracked.
That is not a comfortable feeling.
I value my privacy.

In spite of subscribing to your blog I am not getting your posts in my mailbox.
Unless I visit this site I do not become aware of new posts.

Here is some news for you and all other blog friends.
I just bought an Ipad2 and you are the first blog friend to receive a comment typed on this wonderful device.
After coming to know about hindiwriter from praveen pandey I have just downloaded it and installed it on my new IPad.
Next time I hope to send my comment in Hindi.
I have still not learned how ton use it
Regards
GV

G Vishwanath said...

Corrections in my comment

1) read see instead of seek
2)read to instead of ton

Typing on an iPad is not easy now
I am making too many mistakes
Regards
GV

बाबुषा said...

Baap re Divya ! :-) :-) hansa hansa ke paagal kar diya ! Pata hai aaj main kitni beemaar hun ! naheen blogging ki wajah se naheen ..aise hi thoda...medicine li hai koi asar naheen dikh raha tha..abhi isko parh ke bahut maza aa raha hai I m feeling better ! :-)

shikha varshney said...

हा हा हा क्या बात कही है.फायदा नुक्सान का तो पता नहीं पर कुछ लोग इसलिए भी लगा लेते हैं कि इनसे साइड बार थोड़ी सज जाती है :)वरना खाली खाली अच्छी नहीं लगती :)

upendra shukla said...

में आपकी बात से पूरी तरह सहमत हू! और में एक बात भी कहना चाहता हू ! जिन लोगो को बुरा लगे तो बुरा मत मानना क्यों की सत्य कड़वा होता है ! की जिन लोगो ने ऊपर कमेंट्स दिए है !उनके लिए में कह रहा हू !की यदि आप लोग पहले से इसके नुक्सान जानते थे !तोह लगाया ही क्यों !और जब आज आपने यह पोस्ट लिखी तो हर लोग अपने आपको बचाते नज़र आ रहे है !की मेतो देखता ही नहीं आदि !ये लोग कभी भी सच्चाई का सामना नहीं कर सकते !
दूसरी बात यह की इसके नुक्सान के साथ साथ लाभ भी है !जैसे
मुजहे अपना नया ब्लॉग "samrat bundelkhand" बनाये जायदा टाइम नहीं हुआ पर् मैने इस छोटे से टाइम में यह देखा की यदि हम अपने ब्लॉग पर् feedjit नहीं लगते तो सायद हम ब्लॉगर भाई अगली पोस्ट ही ना लिख पाते !क्यों की कुछ ब्लॉगर भाई यह सोचते है की जब तक कोई ब्लॉगर मेरे ब्लॉग पर् कमेंट्स नहीं देगा में उसके ब्लॉग पर् कमेंट्स क्यों दू !इस कारण पाठक आते भी है पर् कमेंट्स नहीं देते जिससे ब्लॉग भाइयो को यह पता नहीं चलता की हमारा ब्लॉग कही पे पड़ा जा रहा है य नहीं !जिससे ब्लॉग भाई यह सोचता है की उसका ब्लॉग कही पे नहीं पड़ा जा रहा है !इस प्रकार उसका उत्साह गिर जाता है और इस प्रकार एक ब्लॉग का अंत हो जाता है ! क्यों की हर ब्लॉगर कुछ लिखता है !तो वह यह सोचता है की उसकी पोस्ट पाठक पड़ते है !
में आपकी बात से भी पुरता सहमत हू !पर् क्या करू मुजहे ऐसा कुछ लगा तो मैने कहा !और यदि आप लोगो को कुछ गलत लगा हो तो जरुर बताना ! और हा मेरे ब्लॉग पर् जरुर आना !

रचना said...

there are many a reasons to use it
and what may be good and useful for one person may be useless for other

i have interest in tech and that is why i use all that new comes in

there are several ways to learn and one happens to be use all the various gadjets

i like that is why i use , i want to abreast with latest technology so i use

upendra shukla said...

और हा आप अपने ब्लॉग पर् follow by email wala विकल्प जरुर लगाना !क्यों की इ मेल से ब्लॉग की नई पोस्ट का पता followors ko तुरंत चलता है

Jyoti Mishra said...

they are just fancy items... u can say them as accessories......... Some are excited about it and other don't care.

Darshan Lal Baweja said...

खुशी मिले या गम कोई गल्ल नहीं कोई गल्ल नही ,जाण दयो जाण दयो...

Anonymous said...

बहुत सही बात है सहमत हूँ आपसे .....शुरुआत में मैंने भी लगाया था फिर अनुपयोगी सोच कर कुछ दिन बाद हटा दिया था......@उपेन्द्र की बातें भी गौर करने लायक है |

एक बात है मैं आपका ब्लॉग पहले भी दो बार फॉलो कर चुका हूँ पर पता नहीं क्यों आपके ब्लॉग की अपडेट नहीं मिलती आज फिर से फॉलो कर रहा हूँ|

prerna argal said...

lagaa to hamane bhi liya hai .shuru main dekh ker bade khush hote the ki wah bahut visitors aa rahe hain desh videsh se.lekin baad main lagaa ye bekar hai.aapki baat bilkul sach hai.thanks

ashish said...

वैसे एक फायदा और हो सकता है फीडजिट्स का . एक बार एक वाकया हुआ था , एक मोहतरमा थी जो हमारी मित्र होने का दम भरती थी , उन्होंने एक डॉक्टर साहेब की पोस्ट पर कुछ पढ़ा, मोहतरमा उस डॉक्टर साहब को दुश्मन मानती थी , ऐसा वो बताती थी तो उन्होंने मुझे (उन दिनों मै ब्लॉग नहीं लिखता था , लेकिन पढता था } डॉक्टर साहब की पोस्ट पर एक कमेन्ट करने के लिए बोला , खुद वहा कमेन्ट करने में डर रही होगी वो. (मै उनके डॉक्टर साहब से बदला लेने की मंशा से अनभिग्य था} . अब अगर डॉक्टर साहब ने लगा रखा होता ये विजेट तो वो भी अंदाज तो लगा ही लेते की इस कमेन्ट का प्रेरणा स्रोत कहा से और कौन है .

Bikram said...

is that why you dont visit my blog Ha ha ha ha ha
I have it and yes i myself dont find any use otherthen to know where the traffic is coming from thats all ..


Bikram's

अजित गुप्ता का कोना said...

वैसे यह सब क्‍या है, मैं तो जानती भी नहीं। फिर लाभ-हानि क्‍या बताएंगे। मैं पहले भी कई बार लिख चुकी हूँ कि मेरा मानना है कि ब्‍लाग लेखन विचारों का आदान-प्रदान है, इससे हमें भिन्‍न विचार मिल जाते हैं। संख्‍या का महत्‍व एकदम गौण है।

रचना said...

फीडजित जिन ब्लॉग पर लगा हैं उन ब्लॉग पर जाए
फीडजित के नीचे देखे एक जगह मेनू लिखा होगा
वहाँ जा कर आप अपनी एंट्री ब्लाक कर सकते हैं
वही पर आप अपनी लोकेशन भी बदल सकते हैं
ब्लॉग केवल लेखन का माध्यम नहीं हैं ये तकनीक से जुडा माध्यम हैं और तकनीक की जानकारी से आप आगे ही जायेगे इस के अलावा नयी तकनीक आ जाने से दूसरो के द्वारा बेवकूफ बनाए जाने का खतरा कम हो जाता हैं
वैसे कोई भी काउंटर या गजेट एक दम सही लोकशन नहीं बता सकता और मज़ा तब आता हैं जब हम उस गजेट और तकनीक को समझ सकते हैं

महेन्‍द्र वर्मा said...

हमारे लिए तो यह अनुपयोगी है।

संजय भास्‍कर said...

आपकी बात एकदम सही इसकी आवश्यकता नहीं ,

JC said...

@ रचना जी ने सही कहा "... वैसे कोई भी काउंटर या गजेट एक दम सही लोकशन नहीं बता सकता और मज़ा तब आता हैं जब हम उस गजेट और तकनीक को समझ सकते हैं..."

जब मैं मुंबई में रहते हुए लैप-टॉप से एम्टीएनएल के माध्यम से पोस्ट करता था तो मेरी लोकेशन 'मुंबई' या कभी 'थाणे' दिखाई जाती थी... और यदि रेलायांस के कार्ड से तो लोकेशन नयी दिल्ली/ दिल्ली दिखता था... ब्लॉग मालिक को पता नहीं उस से क्या पता चलता होगा या क्या लाभ होता होगा कह नहीं सकता...

कोई भी तकनीक, सोफ्ट वेयर, बनाने वाला ही सही प्रकार जानता है कि उस तकनीक का 'सही' उद्देश्य उसके मन में क्या था, किन्तु 'द्वैतवाद' के कारण, अपने मन के रुझान के अनुसार, उसका 'गलत' उपयोग भी संभव है और होते देखा भी जा सकता है... और शायद एक जीवन काफी नहीं है कोम्प्यूटर द्वारा किये जा सकने वाले समस्त कार्य को समझने के लिए...आम आदमी तो मेल/ लेख लिखने और भेजने का कार्य ही लेता है...

Rachana said...

kya tir chhoda hai mene to kabhi aesa socha nahi tha .
rachana

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

इससे मुझे इतना तो पता चला कि मेरे ब्लाग पर कुछ पुराने लेख/विषय के लिए भी लोग आये थे :)

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...
This comment has been removed by the author.
श्यामल सुमन said...

अरे वाह. क्या बात है? सटीक.

सादर
श्यामल सुमन
+919955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

SANDEEP PANWAR said...

मैं तो यही कह रहा हूँ, कि
हर चीज के जितने फ़ायदे है, उतने नुकसान भी है,
मैं तो यही कह रहा हूँ, कि
लगा है तो हटाओ मत, और हटा है तो लगाओ मत,

शोभना चौरे said...

मुझे तो ये तकनीक आती भी नहीं लगाना और जब अपने इतने नुकसान गिना दिए तो कौन जोखिम ले |वसे ही और है गम जमाने के |

प्रतुल वशिष्ठ said...

अभी तक मेरी जिज्ञासा ने मुझे आँकड़े देखने वाले द्वार में दो या तीन बार ही अन्दर जाने को उत्सुक किया है... वह भी तब जब मुझे यह देखने का मन हुआ कि मेरा ब्लॉग विश्व के किस-किस हिस्से में पढ़ा जाता है.
मुझे भारत के अलावा दो देश 'हरित देखकर' प्रसन्नता होती थी - उक्रेन और थाईलेंड.
काफी समय से इतना समय ही नहीं रहता कि फालतू गतिविधयों में लगूँ. इतने सारे मित्र हैं उनके सामयिक लेख हैं उनपर आनेवाली टिप्पणियाँ हैं. खुद पर पाठशाला चलाने का दायित्व ओढ़े हुए हूँ. इन सबसे फुरसत ही नहीं मिलती कि कुछ और किया जाये.
हाँ, जब लेखन में दम नहीं रह जाता तब ऎसी सजावट सूझती है .... पर ये भी हो सकता है कि फीडजिट किसी का मतलब साधता हो.
आपने चिकित्सक की दृष्टि से भी इसके मनुष्य जीवन पर पढ़ने वाले नुकसानों से अवगत करा दिया... ये बात सराहनीय है.

Amrit said...

There is no real benefit for bloggers. It is useful for commercial sites where they want to find out demography of readers. For us it is completely useless.

शूरवीर रावत said...

Maine to aapka lekh padhte hee hata diya.Ab fayde nuksan kee baad me sochoonga.

Atul Shrivastava said...

वैसे आपने लिखा बेहतरीन है...
पर सच कहूं तो मैंने इसे यूं ही लगा लिया था ब्‍लाग को आकर्षक बनाने के लिए
फायदे का तो पता नहीं
नुकसान का आपने बता दिया
कई लोगों ने हटा‍ लिया कुछ ने हटाने की बात की है
चलो अच्‍छा है अब यह सुविधा सिर्फ मेरे ब्‍लाग में ही रहेगी लगता है
हाहाहाहाहाहहाा

संतोष त्रिवेदी said...

सबसे बड़ा लाभ आप ही ले रही हो...एक नई पोस्ट बना दी इसके ऊपर !
अच्छा है,इससे पता तो चलता है कि हम अंतर्राष्ट्रीय भी हैं कि नहीं !

JC said...

दिव्या जी, फीद्जित का लाभ है या नहीं, आपके ब्लॉग में आ, प्रोफाइल देख, मेरा ज्ञान वर्धन हुआ कि रचना जी और मेरा जन्म दिन एक ही है - पांच सितम्बर ! दूसरा पता चला कि विश्वनाथ जी और मैं भी एक ही संस्थान में सिविल (?) इंजीनियरिंग पढ़े, यद्यपि तब वो 'बिट्स' नहीं कहलाता था !

दिवस said...

हा हा...बात तो आपकी सही है...इसे कहने का आपका तरीका भी बेहद भा गया...
वैसे जब मैंने अपना ब्लॉग शुरू किया था तो कुछ खाली खाली था, अत: Feedjit लगा लिया| आपने जो बताया वह तो सोचा ही नहीं था...लीजिये मैंने भी अपने ब्लॉग से इसे हटा दिया...

किलर झपाटा said...

ज़ील जी,
आपने जबरदस्त बात कही। एकदम करेक्ट।
अब से मैं feedjit हटाओ आंदोलन छेड़ रहा हूँ। आप भी इसमें हिस्सा लेने के लिये आमंत्रित हैं।

udaya veer singh said...

आपके विचारों से १००% सहमति , विचार बनते हैं ,उनका सम्मान ,समझ ,विश्लेषण ब्यक्ति अपने सुविधानुसार ही करते हैं , सुखानु भूति दीर्घजीवी नहीं होती ,मसलन ,आज की स्तरहीन ,दिशाहीन विचारों से मुक्त ,अनियंत्रित फिल्मों की तरह ./ विचार ,दर्शन किसी परिचय के मुहताज नहीं होते ,अमर होते हैं जी / सामयिक मंथन को सलाम ...

नीरज मुसाफ़िर said...

हां, इसका मुझे एक दिन फायदा मिला। मेरे फेसबुक में किसी लडकी ने चैटिंग करनी शुरू की। अगर सामने लडकी हो तो भला इधर कैसे सुधरते? लग गये हम भी चैटिंग में। उसने बताया कि वो देहरादून की रहने वाली है। दो तीन दिन चैटिंग चली। मुझे शक सा हुआ। मैंने अपनी एक पोस्ट की लिंक उसे भेज दी। उस लिंक को मैंने पहले कभी भी फेसबुक पर नहीं लगाया था। जैसे ही उसने उस लिंक पर क्लिक किया तो सीधी सी बात है कि feedjit पर मैसेज आया कि कोई फेसबुक के माध्यम से इस पोस्ट पर आया है- मेरठ से। जैसे ही मैंने सख्ती से उससे पूछताछ की तो वो गायब हो गई और आज तक नहीं दिखी। मैं फालतू में परेशान होने से बच गया। नहीं तो मैंने देहरादून तक जाने का मूड बना लिया था।

नीरज मुसाफ़िर said...

बाकी कोई फायदा नहीं। हां ये भी पता चल जाता है हमारे यहां गूगल आदि सर्च इंजनों से अनजाने लोगबाग क्या-क्या टाइप करके पहुंचते हैं। जैसे कि मेरे यहां आने वाले ज्यादातर लोग जाट, शिमला, मसूरी, हरिद्वार आदि शब्दों को गूगल में ढूंढते हुए पहुंच जाते हैं।

ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηι said...

आपने बजा फ़रमाया है, लेकिन जिसके पास वक़्त की प्रचुरता है
वो इसी माध्यम से अपने अंदर इन्वेस्टिगेटीव व्यक्तित्व का विकास भी कर सकते हैं।

संगीता पुरी said...

मैने लगा तो लिया है ....पर लिखने और टिप्पणियाँ करने के लिए ही समय कम पड़ता है .. ध्‍यान नहीं दे पाती !!

Er. सत्यम शिवम said...

bhut hi achi vivechna....sahi kaha hai aapne

डॉ. दिलबागसिंह विर्क said...

हमने लगा तो रखा है लेकिन आप द्वारा इंगित समस्या का कभी सामना नहीं किया . क्योंकि वो कभी महत्वपूर्ण नहीं रहा .

Mansoor ali Hashmi said...

'Feedjit' लगा के करते है वो इन्तेज़ारे यार,
'टिप्याए' गर न आके, तो होते है बेक़रार,
'तुम' को क्या फ़िक्र, तुम तो 'शतक-वीरनी' रही,
याँ मर-मराके होता है इक आंकड़ा ही पार!!!

http://aatm-manthan.com

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) said...

अच्छा बच्चू , तू तो मेरा दुश्मन है , फिर तेरी जुर्रत कैसे हुई मेरे ब्लौग पर झाँकने की ....(अब मिलिए , Hypertensive हो गए जनाब )
पहली बार डॉक्टर दिव्या की पोस्ट पढ़ कर अनायास ही हँसी आ गई.अच्छा लगा.अभी तक सिर्फ गंभीर विषयों पर लिखी गई पोस्ट ही पढ़ी थी .

डॉ. दिलबागसिंह विर्क said...

आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
कृपया पधारें
चर्चा मंच

वन्दना महतो ! (Bandana Mahto) said...

कोई लाभ तो नहीं दीखता!