कल राधिका ने पूछा दिव्या तुम्हारी उम्र कितनी है और तस्वीर क्या बचपन कि लगा रखी है ?
इसी बात पर एक दो वर्ष पुराना वाकया याद आ गया । एक बार पति की कंपनी की मैगजीन में मेरा एक लेख "Health and environment" छपा। लेख छपने के साथ ही परिचितों के फोन आने शुरू हो गए । मैंने , सोचा कोई तो तारीफ करेगा लेख की , लेकिन नहीं फोन पर सभी तस्वीर की प्रशंसा कर रहे थे , लेकिन मेहनत से लिखे हुए लेख की प्रशंसा में दो शब्द भी नहीं कहे किसी ने । मन उदास था ।
शाम को ऑफिस के एक परिचित आये । बातों के दौरान उन्होंने लेख के लिए बधाई दी , और विषय सम्बन्धी एक दो प्रश्न भी पूछे । मुझे बहुत अच्छा लगा की किसी ने तो लेख को पढ़ा है । मन की शिकायत उनसे ही कह दी मैंने..." आपके आफिस में एक भी बंदा नहीं जिसे तस्वीर से ज्यादा लेख में रूचि हो ? उन्होंने कहा "सच कहूँ मुझे आपका लेख बहुत पसंद आया , मैंने सहेज कर भी रख लिया है , एक दो जगह कोट भी कर चूका हूँ"
तो राधिका की बात सुनकर यह प्रकरण ध्यान आ गया -- सोचा आज अन्य राधिकाओं की भी जिज्ञासाओं का समाधान कर दूँ।
- मेरी उम्र मेरी प्रोफाइल में भी लिखी है --11 जुलाई 1979 ( ३२ वर्ष )
- मेडिकल graduation के 4th year में विवाह हुआ। शेष पढाई विवाह के बाद पूरी की है।
- विवाहित जीवन के दस वर्ष पूरे कर चुकी हूँ।
- आठ और नौ वर्ष के दो प्यारे बच्चे हैं।
- जो तस्वीर यहाँ लगी है , वो तो ब्लौग पर लगे हुए ही एक वर्ष पुरानी हो गयी , और जाहिर सी बात है की पुरानी ही है । तसवीरें तो हर छः माह में पुरानी हो जाती हैं । बार-बार अपडेट करना अजीब सा लगता है और संभव भी नहीं है । तस्वीर तो महज एक औपचारिकता है ब्लॉग पर।
- Myopia भी है मुझे , इसलिए १२ वर्ष की उम्र से ही चश्मा भी लग गया था मुझे। इस तस्वीर में भी , नेत्रों में Contact lenses लगे हुए हैं ।
- यदि आप लोग हर वर्ष , मेरी बढती उम्र की एक काल्पनिक तस्वीर स्वयं ही बना लें तो बहुत मदद होगी।
- तस्वीर बनाने के लिए आवश्यक बिंदु नीचे लिख रही हूँ.....
आभार
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49 comments:
Tasweer bahut pyari hai.........
Tasweer bahut pyari hai.........
bahut manoranjak vyora diya aapne apne bare meni......ekdam saaf-saaf.
दिव्या की उम्र चाहे जो कुछ भी हो पर दिव्या के लेख में यौवन उर्जा का प्रवाह रहता है तथा एक परिपक्वता की गूंज रहती है। केवल फोटो पल भर के लिए आकर्षित तो कर सकता है परन्तु बांध नहीं सकता। बांधने का उल्लेख मैं इसलिए कर रहा हूं कि मैं दिव्या जी के फॉलोवर की सूची में नहीं हूं फिर भी दिव्या जी के ब्लॉग पर आता रहता हूँ। एक उत्सुकता रहती है कि किस नएपन की खनक आज ब्लॉग पर है। यही नहीं मैं जब कभी भी लंका पहुंचता हूं तो बीएचयू के संग दिव्या जी भी याद आ जाती हैं. एक कलकल बहती नदिया की तरह निर्मल और पारदर्शी ब्लॉग है इनका जहॉ तलहटी को भी आसानी से देखा जा सकता है। यह सौंदर्य ही तो है जो खींचता है मुझे, रही दिव्या जी की बात तो कभी बनारस में टकरा गईं तो पूछ लूंगा उनका हाल और तब तुलना करूंगा कि ब्लॉगवाली दिव्या युवा और सुंदर हैं या कि मेरे समक्ष की दिव्या जी। राधिका तो है ही जिज्ञासू ना जाने कब क्या सवाल कर दे और भोली दिव्या चट से ब्लॉग पर एक नए विचार को सजा दें।
कुछ भी सही । बचपन की सही । एक हँसती तस्वीर तो देखी ।
अब रूखी अक्खङ .. तब स्मायली स्वीट बेबी दिव्या की । ये भी
पता चला । कभी तो हँसी भी आती थी ।
हा हा हा ! राज़ को राज़ ही रहने देती तो अच्छा था ।
खैर एक ब्लोगर के रूप में आप हर हाल में स्वीकार्य और सम्मानीय हैं ।
शुभकामनायें ।
"तसवीरें तो हर छः माह में पुरानी हो जाती हैं । बार-बार अपडेट करना अजीब सा लगता है और संभव भी नहीं है । तस्वीर तो महज एक औपचारिकता है ब्लॉग पर।"
राधिकाओं को इस बात के मायने समझने की जरूरत है।
दिव्या जी हमे तश्वीर से क्या लेना हमे तो आपके लेख अच्छे लगते है
The secret of staying young is to live honestly, eat slowly, and lie about your age.....:)
जिंदगी तू ही बता कैसे तुझे प्यार करूं
तेरी हर सुबह मेरी उम्र घटा देती है !!
तस्वीर बनाने के लिए आवश्यक बिंदु नीचे लिख रही हूँ.....
मैं मोटी हूँ , भद्दी हूँ , काली हूँ, और हर बीतते वर्ष के साथ के बुढ़ापा ही घेरेगा मुझे। कृपया प्रोफाइल तस्वीर पर न जायें ।
-नोट कर लिया. :)
sorat men kya rkha hai seerat achchhi honi chaahie
होली का आनंद लीजिए। हम खूबसूरत हों न हों यह दुनियाँ बहुत खूबसूरत है।
बदसुरत होने के कारण आइने के सामने खर्च होने वाले समय के बजाय पढ़ने को समय मिल जाता था, ऐसा कुछ शायद सार्त्र ने अपनी आत्मकथा में कहा है.
राधिका को कहियेगा की सूरत पर नहीं सीरत पर गौर फरमाएं ....
नमस्कार दिव्या जी! आपके साहस की तो दाद देनी पड़ेगी.
आपने अपना जन्म दिन खुले आम बता कर एक इतिहास
रचा है. क्यों की महिलाएं अपना सही उम्र जल्दी नहीं बतातीं.
चलिए आपने एक परम्परा तोड़ने की पहल की. जहाँ तक
बात है सुन्दरता की, व्यक्ति की सुन्दरता उसके विचारों से,
उसके कर्मों से ही होती है. उसके रूप रंग या पहनावे से नहीं.
बाहरी रूप थोड़ी देर के लिए जरुर आकर्षित करता है. लेकिन
इसकी अवधि सीमित ही होती है . यदि आप में रूप है किन्तु
गुण नहीं तो ऐसे रूप से क्या फायदा .
आप ब्लॉग पर लिखती हैं या कहीं और, लेखन आपका परिचय है ..किसी की फोटो तो थोड़ी देर के लिए आकर्षित कर सकती है ..लेकिन लेखन का आकर्षण सदा बना रहता है ....आप इन बातों की बिलकुल भी परवाह न करें ..!
चलिए इस बहाने कुछ नई जानकारियाँ मिल गईं आपके बारे में. वैसे आप को बता दूं कि मैं आपसे महज़ एक ही दिन छोटा हूँ. मेरी जन्म तिथि 12 जुलाई 1979 है. :)
divya ji,
mai bhi dhirendr ji se sahamat hun .....
दिव्या जी मोहब्बत का कोई रंग रूप नहीं होता |मोहब्बत मात्र जिस्म रूप से नहीं होती विचारों से सादगी से ईमानदारी से दुर्घटना से घटना से किसी भी तरह से हो सकती है न इसकी कोई भाषा है न इसका कोई रंग बहरहाल सौंदर्य भी एक खूबसूरत कविता की तरह होता है लेकिन सुंदरता के साथ अगर बुद्धि सरलता विनम्रता भी हो तो सोने पे सुहागा होता है अन्यथा निष्प्राण सौंदर्य जमीन पर गिरे गंदे फूल की तरह होता है |धन्यवाद |जब लोग आपके व्यक्तिगत जीवन में झाँकने लगें तब समझ लीजिए आप की लोकप्रियता बढ़ रही है लेकिन सभी प्रश्नों का उत्तर मुमकिन नहीं है ......होली मुबारक
डॉक्टर साहिबा!
होली की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
मगर
कम उम्र की तस्वीर को ताजा (अपडेट) तो करते ही रहना चाहिए!
जिससे युवावस्था का भ्रम न रहे!
उन दिनों जब में बी.एससी। अंतिम वर्ष में था, रोज शाम एक मित्र की स्टेशनरी की दुकान पर बैठक होती थी। उस समय हमारे सब से अधिक उम्र के मित्र हमारे डिग्री कॉलेज के वरिष्ठ व्याख्याता और ख्यात व्यंग्य लेखक अशोक शुक्ल भी शाम को वहीं बैठते थे।
एक दिन सामने सड़क पर एक दवा प्रतिनिधि लकदक सूट पहने टाई लगाए निकल कर जा रहा था। उस के वस्त्रों, चाल और शरीर ने मुझे प्रभावित किया और मैं ने शुक्ल जी से कहा -कपड़े तो चुन कर ही पहनने चाहिए, व्यक्तित्व निखर आता है।
शुक्ल जी स्वयं साधारण पेंट शर्ट पहनते थे उन की शर्ट कभी गुलाबी और कभी पीली होती थी।
उन्हों ने उत्तर दिया - तुम मुझे कपड़ों के कारण मुझे प्यार और आदर-सम्मान हो क्या? यदि कपड़ों के कारण तुम मुझे चाहते तो यह केवल क्षणों का होता। लेकिन तुम मेरे संपूर्ण व्यक्तित्व को चाहते हो। इसलिए शक्ल-सूरत,कपड़े-सज्जा सभी गौण हैं। व्यक्ति की पहचान उस के संपूर्ण व्यक्तित्व से होती है। उस के कारण बने संबंध स्थाई होते हैं। उस के कारण किया जाने वाला नेह भी स्थाई होता है।
:) :) इतनी सफाई देने की ज़रूरत नहीं है ....वैसे लेख की लोगों को तारीफ़ करनी चाहिए थी ..
यह पोस्ट पढकर एक मन में आया, कि अगर कोई मुझसे यह प्रश्न कर डालता तो मैं कहता,
हालात ने चेहरे की दमक छीन ली वरना
दो-चार बरस में तो बुढ़ापा नहीं आता ।
विचार कभी पुराने नहीं पड़ते हैं।
बहुत खूब.
अपने बारे में जानकारी वो भी कटाक्ष के साथ.
आपके बारे में कुछ नहीं कह सकता.
पर आपकी रचनाएँ न मोटी हैं ,न भद्दी हैं ,न काली हैं और बूढ़ी तो कभी नहीं होंगी.
शुभ कामनाएं.
कहते हैं कि लड़कियों से उनकी उम्र नहीं पूछनी चाहिए पर यहाँ तो आपने सब बता दिया.
अब जिसे जो शंका हो वो दूर हो गई होगी.
चित्र तो चित्र है....हाँ एक बात अच्छी लगी कि अपने हिसाब से चित्र बनाते जाएँ...जैसे बेहतर आलेख वैसे ही यहाँ ...वाह!!
जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड
मैं मोटी हूँ , भद्दी हूँ , काली हूँ, और हर बीतते वर्ष के साथ के बुढ़ापा ही घेरेगा मुझे। कृपया प्रोफाइल तस्वीर पर न जायें ।
लगता हे किसी ने आप का दिल फ़िर से दुखाया हे, आप जेसी भी हे अच्छी हे, फ़िर क्यो यह सब? मस्त रहो जी... छोडो पागल लोगो की बाते
हम तो लेख भी तारीफ करेंगे.... कहां है health and environment ? :)
वाह...
चलो जी..मै भी कहुंगा---तस्वीर बहुत अच्छी है
मोटी,भद्दी,काली ?
ऐसी भूमिका बना कर अचानक मन-भावन रूप सामने ला चौंकाने का इरादा है क्या -वही जिसे कहते हैं सरप्राइज़?
आपकी शैली बड़ी प्यारी है। वैसे Health & Enviroment हमलोगों को भी पढ़वाने की कृपा करें।
मैंने एक बार आप के आलेख में ही पढ़ा था की आप ने अपना फोटो प्रोफिल में बड़े ही हिम्मत करके लगायी थी ! आज उस हिम्मत से भी आगे निकल गयी ! बहुत कम ही महिलाये होंगी , जो अपने बारे में पूरी तरह से जानकारी दे !चलिए होली है...यह भी सही ,,बुरा न माने होली है !
प्यारी दिव्या जी,
तस्वीर वगैरह की बात तो मैं नहीं कह सकता मगर आप सच में बहुत बियूटिफ़ुल लगती हो। लेकिन चूँकि आप शादीशुदा हो इसलिये आपको भाभी ही कहेंगे। और आप मुझसे एज में भी बड़ी हो इसलिए आपसे लाड़ भी करेंगे। क्योंकि भाभी माँ जैसी ही होती है। आपको और आपके प्यारे से परिवार को होली की बहुत बहुत शुभकामनाएँ।
11 जुलाई 1979 ( ३२ वर्ष )
पहली बार विरोध प्रकट कर रहा हूँ .....७९ में जब हम एनाटोमी पढ़ रहे थे तब आप धरती पर तशरीफ लाई थीं .......मैं अभी तक अपने को बूढा नहीं मानता ..आपने कैसे कह दिया कि अब "और हर बीतते वर्ष के साथ बुढ़ापा ही घेरेगा मुझे" ? ....यूं मेडिकली आप गलत नहीं हैं, पर चिरयुवास्था का रहस्य हमारी युवा सोच में छिपा है....आज के बाद मत कहना कभी ऐसी बूढ़ी-बूढ़ी बात ......और वह भी होली के मौके पर ....लाहौलविलाकुव्वत .... आखिर हम लोगों का भी तो ख्याल रखो.......हमें तो तब अपने को तुम्हारा दादा परदादा सोच लेना चाहिए...जोकि हम कभी नहीं सोचेंगे .वैदिक ग्रंथों में १०० वर्ष तक जीने की कामना की गयी है ...पर विशेषता यह है इस जीने में कि महर्षियों ने सभी इन्द्रियों के नोर्मल फिजियोलोजिकल फंक्शन के होते हुए १०० वर्ष की कामना की है....ऐसा नहीं कि "मुंह में दांत नहीं पेट में आंत नहीं" की हालत में भी जिए जा रहे हैं ...
वैसे मज़ा आ गया यह जानकार कि दिव्या तो बहुत छोटी है हमसे (बिलकुल चुन्नू-मुन्नू टाइप ) ...अब जब मन होगा डांट लगाऊंगा...जोकि हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है.
दिव्या जी आप कि उमर घटती क्यों जा रही है. पिछले पोस्ट पे १५ और अब केवल 1 वर्ष . हे भगवान् कहीं मुझपे भंग का नशा तो नहीं हुआ. लगता है ३५ साल वाली तस्वीर होली बाद ही आएगी. और मुझे क्या करना है भाई मैंने तो वैसे भी मानता हूँ कि क्या कह रहा है यह देखो कौन कह रहा है देखना आवश्यक नहीं.
राधिका जैसे लोग इस समाज मे बहुत है और उनका काम है सवाल करना और सिर्फ सवाल करना.
लेकिन जरुरी नही है कि उनके हर सवाल का उत्तर दिया जाये
मेरा मानना है कि इस आभासी जगत मे मात्र किसी के पूछने से आपको अपने बारे मे सम्पूर्ण जानकारी नही बतानी चाहिये.केवल उतनी ही जानकारी पर्याप्त होती है जिससे आपका व्यक्तित्व प्रदर्शित हो. पर्सनल जानकारिया न इस आभासी जगत मे किसी को पूछनी चाहिये और न किसी को बतानी चाहिये.
हो सकता है आपको मेरी बात का बुरा लगे कि मै क्या बके जा रहा हूँ? लेकिन मै आपको केवल अपनी राय बता रहा हूँ .
हाँ एक बात जो मुझे अभी पता चली कि आपकी बर्थ डेट भी वही है जो मेरी है.
मेरी जन्मतिथि भी 11 जुलाई है
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एस.एम.मासूम said...
नाम बनारस का लिया और फिर बुरा ना मनो होली भी तो भाई पुरुष खेलने वाली और सहेजने वाली स्त्री का अंतर जानता है...भाई होली है. वैसे तस्वीर तो बहुत सुंदर है क्या बचपन की है....होली है....
March 15, 2011 2:33 PM
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मासूम जी ,
अच्छा किया जो आपने अपने मन कि जिज्ञासा जाहिर कर दी । इसी बहाने अन्य बहुतों के मन कि शंकाओं का समाधान हो गया होगा ।
मुझे भी आराम है। भविष्य कि राधाओं को भ्रम होने पर इसी लेख का लिंक थमा दूँगी , आगे वो लोग गुणा-भाग करते रहेंगे।
अब प्रलय इतनी नज़दीक है कि , जो भी संशय मन में हो उसे यथा शीघ्र ही पूछ कर दूर कर लें।
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सभी पाठकों के विचार बहुत अच्छे लगे । मेरा आत्मविश्वास भी बढा है । आप सभी के स्नेह के लिए कोटिशः धन्यवाद ।
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ITNA PARICHAY KAFI RAHA...AB MAI AAPKO KABHI BHI MILUNGA TO PAHCHAN LUNGA.
MAZEDAR POST
दिव्या जी खूबसूरती तो देखने वाले की आंख मे होती है……………ज़िन्दगी को एंजाय कीजिये। तस्वीर सच मे बहुत क्यूट है।
हम तो यही कह सकते हैं "दिल को देखो ,चेहरा ना देखो,चेहरों ने बहुतों को लूटा,दिल सच्चा और चेहरा झूंठा" या "एक दिन बिक जायेगा माटी के मोल ,प्यारे रह जायेंगे जग में तेरे बोल "
वैसे कहा तो यह भी गया है 'दिल की बात बता देता है असली नकली चेहरा'. फिर ये क्या डर बैठा दिव्याजी कि आपको भी यह कहना पड़ रहा है
"मैं मोटी हूँ , भद्दी हूँ , काली हूँ, और हर बीतते वर्ष के साथ के बुढ़ापा ही घेरेगा मुझे। कृपया प्रोफाइल तस्वीर पर न जायें"
सत्यम शिवम् सुन्दरम !
अच्छा लिखा है .. सबके सवालों के जवाब भी दे दिये ...
यूं ही लिखते रहिये ...और खुश रहिये ...।।
दिव्या जी, निसंदेह आप एक खुबसूरत महिला हैं!
भाई लोग ये न कहियेगा की एक मुसलमान ने एक ग़ैर महिला की तारीफ़ की !!!
होली है !!!!!!!!!!!!!!!!!!
दिव्या जी, इस मामले में अन्य महिला ब्लॉगर से बिलकुल अलग हैं और मदन शर्मा जी की बात पर ग़ौर किया जाये !
Iss lekh per koi comment nahiN....Ek attendence ....and a regular reader
दिव्या जी हम तो आपकी लेखनी और आपके विचारों के कायल हैं. तस्वीर भी काबिले तारीफ़ है , हमने तो अपनी ' खूबसूरती ' के मद्देनज़र पर्दानशीं रहना ही वाजिब समझा है.
कल राधिका ने पूछा दिव्या तुम्हारी उम्र कितनी है और तस्वीर क्या बचपन कि लगा रखी है ?
अरे ऐसी राधिकाओं और ऐसे वक्तात्वो से तो हम भी बहुत परेशां हैं भाई ..एक बार तो मन किया कि बचपन से अबतक के सारे फोटो उन्हें भेज दूं कि इस हिसाब से आगे के १० सालों कि तस्वीर खुद ही बना लें. हद हो गई यार हर ६ महीने में कैसे कोई बदले तस्वीर ? और क्यों बदले?
आज तो दिल की बात कह दी आपने.धन्यवाद.
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