Sunday, June 29, 2014

भारतीय प्रतिभाएं और सरकारों की विदेशी गुलामी


भारतवर्ष में प्रतिभाओं का अनमोल खजाना भरा पड़ा है ! इंद्रप्रस्थ इंजीनियरिंग कॉलेज के तीन छात्र अभेन्द्र, सौरभ और अभिषेक ने अपने कॉलेज के सामने के नाले से निकलने वाली मीथेन गैस पर गैस-प्लांट लगा दिया !

इस कॉलेज के सामने चाय बेचने वाले चार-पांच गरीब दुकानदारों को प्रतिमाह एलपीजी की जगह मीथेन इस्तेमाल करने के कारण उनका एक हज़ार रुपया बच रहा है ! अब ४००० की जगह ५००० की मासिक आमदनी हो गयी है उनकी ! मिटटी में खेलते अपने बच्चों को भी स्कूल में दाखिला दिला दिया !

काश हमारी सरकारें भी इन छोटी छोटी बचत पर ध्यान दें तो एलपीजी इतनी महँगी न करने पड़े ! गरीबों की आमदनी भी बढे और हमारी भारतीय प्रतिभाएं भी विदेशों को पलायन न करें !

स्वदेशी अपनाओ ! विदेशी कंपनियों की गुलामी को नकारो !

Zeal (Divya)

Thursday, June 26, 2014

मलाई तो मौकापरस्त ही खाएंगे






हिन्दू जाग भी गया और एकजुट भी हो गया लेकिन मलाई तो मुल्ले ही खाएंगे !

Monday, June 23, 2014

लिख डालो इतिहास , ये तारीख तुम्हारी है ...

जिनके घर कांच की दीवारों के बने होते हैं वे दूसरों की खिड़कियों पर पत्थर नहीं फेंका करते ! और कांच के घर सिर्फ नेताओं के होते हैं ! इसलिए चुनाव जीते हुए नेता ही सबसे ज्यादा डर में जीते हैं ! उन्हें ये डर लगातार सताता रहता है की पता नहीं कौन कब उनकी पोल खोल देगा ! कौन पुराना वीडियो लेकर प्रकट हो जाएगा ! सत्ता में बैठा नेता यदि कुछ अच्छा भी करना भी चाहता है तो अन्य दुसरे नेता उसे धमका कर उसकी बोलती बंद कर देते हैं! डरा हुआ सत्ताधारी अपने बढे हुए क़दमों को पीछे खींच लेता है ! ये सिलसिला चलता रहता है और बदलाव कभी आ नहीं पाता ! सब एक ही थैली के चट्टे बट्टे निकलते हैं !

हवाओं के रुख को मोड़ दे वो सिर्फ और सिर्फ एक सत्यवादी ही हो सकता है ! सत्य की राह पर चलने वाला कभी किसी से डरता नहीं है और कुछ भी खो देने का भय नहीं होता है उसे ! अतः सत्ता में बैठे नेताओं से मेरा निवेदन है की जो भी देशहित में उचित लगे , उसे लागू कर दो ! विरोधियों से डरो मत ! आज की तारीख तुम्हारी है, यदि आज नहीं लिखा इतिहास तो दोबारा ये मौक़ा मिले ना मिले !

Thursday, June 19, 2014

निर्मम समाज

डार्विन की थ्योरी है "सर्वोत्तम की उत्तरजीविता" अर्थात 'सर्वाइवल ऑफ़ द फिट्टेस्ट' ! जो थपेड़ों से लड़कर आगे निकल जाता है वही बचता है, कमज़ोर टहनियां लचक जाती है!

बलात्कार , छेड़छाड़ , मानसिक प्रताड़ना, घरेलू हिंसा आदि को देखते हुए यही लगता है की स्त्री को यदि इस समाज में सर्वाइव करना है तो उसे बेहद कठोर , साहसी , निडर , निर्भीक , शारीरिक और मानसिक रूप से बेहद दृढ बनना होगा !

उपरोक्त गुण पुरुषों से ही ग्रहण करने होंगे ! पुरुषों की निर्दयता से निपटने के लिए पुरुषोचित गुणों को ही धारण करना होगा ! उन्हीं के हथियार से उनपर विजय हासिल होगी ! आँसुओं से कुछ हासिल नहीं होता !

घर हो अथवा दफ्तर , या हो फेसबुक ! सभी जगहों पर स्त्री के साथ हो रही निर्ममता का जवाब , पुरुषोचित निर्ममता से ही देना होगा तभी आपकी उत्तरजीविता बनी रहेगी अन्यथा आप समय के साथ इसी तरह कुचले जाते रहेंगे! 


हर व्यक्ति ममता का अधिकारी नहीं होता !

Sunday, June 15, 2014

विलुप्त होता आयुर्वेद


अथर्ववेद के उपवेद "आयुर्वेद" का निरंतर हश्र हो रहा है ! सृष्टि की उत्पत्ति के समय ब्रम्हा जी के मुख से निकली और वेदों में वर्णित इस चिकित्सा पद्धति को निरंतर तिरस्कृत किया जा रहा है ! सरकार चाहे कितनी भी क्यों न बदल जाएँ , आयुर्वेद को नहीं उठाया जाता ! सभी को मात्र २०० वर्ष पुरानी एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति का ही विकास करना होता है ! बड़े बड़े अस्पताल AIIMS जैसे अस्पताल खुलेंगे हर राज्य में , इसकी घोषणा होती है , लेकिन आयुर्वेद के उत्थान के लिए कोई सरकार नहीं सोचती ! ऐलोपैथिक के नाम पर बड़ी बड़ी मल्टीनेशनल कम्पनियाँ जनता को लूटती हैं और ऐलोपैथिक डॉक्टर, इन महंगे मल्टी-फैसिलिटी अस्पतालों के नाम पर रोगियों को बुरी कदर लूटते हैं और जनता त्राहि त्राहि कर उठती है !

विलुप्त होते बाघों को तो बचाया जाएगा लेकिन विलुप्ति की कगार पर खड़ी इस सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा पद्धति को संरक्षित करने , शोध करने , विकास करने और इनके अस्पताल खुलवाने के बारे में कोई नहीं सोचता !

यदि आयुर्वेद के साथ इतना ही सौतेला व्यवहार करना है तो इसे पूर्णतयः बंद कर देना चाहिए ! हज़ारों प्रतिभावान क्षात्र क्षात्राएं आयुर्वेद पढ़कर प्रतिवर्ष बेरोजगार हो रहे हैं ! उन्हें नौकरी के लिए चंद शहरों में स्थित आयुर्दिक मेडिकल कॉलेज में यदि लेक्चरर की नौकरी मिल गयी तो ठीक वरना आयुर्वेदिक अस्पातालों के ना होने के कारण एक आयुर्वेदिक डॉक्टर को अपनी एक दुरूह प्राइवेट प्रैक्टिस के लिए मजबूर होना पड़ता है जिसमें संघर्षों और अवरोधों के साथ अपनी परिवार का पालन भी ठीक तरह से नहीं कर पाता !

Saturday, June 7, 2014

शिक्षा एवं लोकतंत्र

लोकतंत्र बहाल रहे इसके लिए ज़रूरी है समाज में हर तरह की विचारधारा को स्थान मिले! और विभिन्न विचार सुरक्षित रहे समाज में इसके लिए हर तरह के स्वर उठने चाहिए , उनका दमन नहीं किया जाना चाहिए ! आवाज़ दो तरह से उठती है , एक सड़कों पर उत्तर कर क्रान्ति आती है , दूसरा लेखन के माध्यम से आवाज़ उठाई जाती है ! लेखन चिरकालीन है ! सदियों पुरानी घटनाएं भी लेखन के माध्यम से ही सुरक्षित रहती हैं ! सड़कों पर हुयी क्रांन्ति भी लेखन के माध्यम से ही संजोयी जाती हैं !यदि कोई लिखने वाला ही नहीं होगा और समसामयिक विषयों और मुद्दों पर वैचारिक मतभेदों को उजागर करने वाला ही नहीं होगा तो समाज में मोनोपोली हो जायेगी ! आने वाली संतति को सही और गलत को समझने की विभेदक बुद्धि नहीं मिलेगी ! समाज का सर्वांगीण विकास न होकर एकांगी विकास होगा और लोकतंत्र का एक बहुत बड़ा हिस्सा अपना दम तोड़ देगा ! समाज भी शरीर में होने वाले पक्षाघात (पैरालिसिस) की तरह ही अपाहिज हो जाएगा !
लोकतंत्र में शिक्षा का सबसे बड़ा योगदान है ! जैसी जिसकी शिक्षा वैसी ही उसकी समझ और वैसा ही उसका लेखन ! बुद्धिजीवियों से एक विशेष आग्रह है की अपनी सोच को परिष्कृत कर समाज में सकारात्मक योगदान करें ! समाज में उठने वाली किसी भी विचार अथवा आइडियोलॉजी को दबाने की कुचेष्टा न करें ! आपकी प्रतिक्रियाएं दुराग्रहों से भरी हुयी ना होकर एक स्वस्थ प्रतिक्रिया होनी चाहिए ! पूर्वाग्रहों से रहित स्वस्थ विचार लिखें ! आपकी प्रतिक्रिया आपकी शिक्षा, संस्कार, पारिवारिक और सामाजिक परिवेश को उजागर करती है !

जय शारदे ! जय लोकतंत्र !

ज़रुरत है एक विदेशी प्रधानमन्त्री की

ज़रुरत है एक विदेशी प्रधानमन्त्री की 
(कृपया टेंडर भरिये)
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हम गरीब हैं 
हम लाचार हैं 
हमारे पास पैसा नहीं है 
हमारे पास संसाधन नहीं है 
हमारे देश से प्रतिभाएं विदेश पलायन कर जाती हैं 
हम क्या करें , हम मजबूर हैं विदेशियों से मदद लेने के लिए 
विदेशियों आओ , हमें बचाओ, हमारी भुखमरी मिटाओ 
अपनी कम्पनियाँ लाओ , धान उगाओ , हथियार बनाओ
कुछ भी करो , लेकिन हमें बचाओ
हो सके तो विदेशी कंपनियों के साथ एक विदेशी प्रधानमन्त्री भी निवेश कर दो !

जय विदेश ! ! जय विदेश !

"मृगतृष्णा"

क्या वास्तव में भारत "कांग्रेस मुक्त " हो सकेगा या ये भी महज एक "मृगतृष्णा" है! केजरीवाल ने बिजली पानी और जन लोकपाल के मन लुभावन वादे किये और भाग खड़ा हुआ ! शीला दीक्षित के खिलाफ ३७० पन्ने के सबूत होने की बात कही , लेकिन जब कार्यवाई करने का वक़्त आया तो मुकर गया ! अब वही काम मोदी भी कर रहे हैं ! बड़ी बड़ी रैलियां कीं ! शहजादे , वाड्रा और सोनिया के भ्रष्टाचार का पुराण खोला ! पाकिस्तान के खिलाफ ज़हर उगलकर जनता का वोट बटोरा ! अब जब सत्ता हाथ आ गयी तो वाड्रा समेत नवाज़ शरीफ को भी माफ़ कर दिया ! प्यार एवं भाईचारा बरसने लगा ! पाकिस्तान से अमरीका तक , काठमांडू से कांग्रेस तक सभी अपने हो गए !

कांग्रेस कोई पार्टी नहीं , महज़ एक मानसिकता है ! जिसका अर्थ है जनता को उल्लू बनाकर चुनाव जीत लेना फिर मनमाने तरीके से शासन करना ! जनता की भावनाओं और अपेक्षाओं का ध्यान नहीं रखा जाता जिसने बड़ी उम्मीद से चुन कर भेजा होता है इन्हें !सत्ता के नशे में जिसका सबसे ज्यादा अपमान होता है वो है मासूम जनता ! वो ही ठगी जाती है हर बार !

बीजेपी हो या कोई भी अन्य पार्टी , सत्ता में आने के बाद ये भी अपने आचार विचार और व्यवहार से "कांग्रेस " बन जाती है !

चुनावी मुद्दों को दरकिनार कर मनमानी करना ही भारतीय राजनीतिक पार्टियों का एजेंडा है ! सब एक जैसी हैं ! सत्ता में आने के बाद इन लीडरों का आई क्यु (IQ) और विज़न एक जैसा हो जाता है!

वन्दे मातरम !

Monday, June 2, 2014

प्रजातंत्र

विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है भारत देश का ! लेकिन कि इस लोकतंत्र कि रक्षा का दायित्व उठाने वाले मात्र मुट्ठी भर हैं ! जनता जब मतदान करती है तो राष्ट्रहित में करती है, किसी व्यक्ति विशेष कि उपासक होकर नहीं ! नेतृत्व में आस्था उस नेता का सम्बल होता है , लेकिन अंधभक्तों द्वारा नेताओं का चरण-चुम्बन उस नेता का नुक्सान करता है और देश में गुंडाराज ला देता है !

उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव में बसपा से त्रस्त जनता ने अखिलेश यादव कि लहर को बना दिया ! जनता ने सोचा था कि अखिलेश इस राज्य को बेहतर बनाएगा ! शायद वो बेहतर बना भी पाता, लेकिन उसके अंधभक्त और अज्ञानी समर्थकों ने उसे पूरा बर्बाद कर दिया ! प्रदेश में गुंडाराज आ गया और अखिलेश यादव कि नेतृत्व-क्षमता और ऊर्जावान सोच ही समाप्त हो गयी !

इसी प्रकार इस बार लोकसभा चुनावों में जनता के बड़े हिस्से ने मोदी को जिताया है ! किन्तु एक बड़ा वर्ग आ भी आज भी उनके साथ नहीं है जो ये सिद्ध करता है कि देश में लोकतंत्र है ! सभी उपासक नहीं हैं किसी एक ही व्यक्ति विशेष के ! किन्तु भय एक बात का है कि कहीं मोदी-उपासक इस सरकार को भी बर्बाद न कर दें ! गुंडाराज न ला दें !मेरी पोस्टों पर आने वाले कुछ लोग मोदी के अंध-भक्त हैं जो देशहित में ना लिखकर पूर्वागहों से ग्रसित होकर टिप्पणी करते हैं , जिसमें वे अत्यंत खूंखार होकर दुराग्रह पर उत्तर आते हैं ! व्यक्तिवाद उचित नहीं है ! यदि वे इस तरह से काम करेंगे तो अखिलेश यादव के गुंडों और मोदी के गुंडों में कोई अंतर नहीं रह जाएगा !

निस्वार्थ होकर राष्ट्रहित में लिखिए , व्यक्तिवाद (किसी एक ही व्यक्ति कि उपासना) मत करिये तभी लोकतंत्र बहाल रहेगा !