Monday, November 22, 2010

भ्रष्टाचार कि सजा मृत्युदंड या फिर मात्र इस्तीफ़ा ?

आज हमारे देश ने बहुत तरक्की कर ली है जनसँख्या कि बात हो या फिर भ्रष्टाचार कि , सभी को पीछे छोड़ दिया है। देश के घोटालों ने भारत को एक अलग पहचान दिलाई है।

आज 2G spectrum घोटाला जिसकी कीमत लगभग % है GDP कि , ने बेनकाब कर दिया है देश के गद्दारों को। यदि ये गद्दार नहीं तो फिर जरूरत से ज्यादा लालची हैं। देश कि गद्दी हथियाय रहने के लिए ये देश को बेचने से नहीं हिचक रहे।

गरीब जनता कि cost पर ये सुख और ऐश्वर्य भोग रहे हैं। हज़ारों करोड़ का घोटाला करके शरबत कि तरह पी जाते हैं। फिर डकार लेकर वापस तन कर बैठ जाते हैं गद्दी पर।

चीन में भ्रष्टाचार के लिए मृत्युदंड कि सजा निर्धारित है। क्या हमारे कानून में भी ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए क्या भ्रष्टाचारियों को जो हमारे देश के मुद्रा कोष को लूटकर हमें कंगाल बना रहे हैं, उन्हें खुले सांड कि तरह छोड़ देना चाहिए ?

कांग्रेस के पास जो ब्रम्हास्त्र है -" इस्तीफ़ा " इसका नाजायज प्रयोग कर रही है UPA गुंडागर्दी और लूट करो फिर ऐश करो इस्तीफ़ा देकर। इनके खिलाफ FIR दर्ज होनी चाहिए। इन्हें आजीवन कारावास या फिर मृतुदंड जैसी कठोरतम सजा मिलनी ही चाहिए।

शीर्ष पर बैठे सत्ता के लालची नेता देश कि नीव हिला रहे हैं और गर्व के साथ अपने त्याग कि दुहाई दे रहे हैं ? इस बड़ी बड़ी हस्तियों को सजा कौन दिलाएगा और कैसे ? जब देश के न्यायाधीश ही ईमान खो रहे हों तथा माननीय प्रधान मंत्री ही घोटालों के सूत्रधार हो रहे हों तो क्या न्याय कि अपेक्षा कि जा सकती है ? PM ने देश के हित को बलि चढ़ाकर , बिना किसी शर्त कैसे blank cheque दे दिया A Raja को ? उनके इस निर्णय को क्या कहा जाए ? PM के इस betrayal से देश कि व्यवस्था चरमरा रही है। इस धोखाधड़ी तथा विश्वाघात ने उनके चेहरे से इमानदारी तथा सच्चाई कि चमक छीन ली है। गद्दी-मोह उनसे गलत निर्णय करवा रहा है।

नेहरु परिवार कि बहुरानी , जो ये समझती हैं कि वो इस देश के गरीबों को पाल रही हैं , को अपने इस दिखावटी त्याग से बाज जाना चाहिए। वो और उनके सुपुत्र ये सोचते हैं कि सबको बदलना चाहिए , सिवाय उन दोनों के।

डॉ मनमोहन सिंह जी , अब भी संभल जाइए। इस विदेशी बहुरानी के हाथ कि कठपुतली मत बनिए। भारत कि एक अरब जनता के धन को अपना व्यक्तिगत [ कांग्रेसी] कोष मत समझिये। इन विश्वासघातों के चलते देश कि सुरक्षा तथा अस्मिता खतरे में है।

आज तक इन्होने कोई एक्शन नहीं लिया निम्नलिखित मुद्दों पर --
  • अलगाववादियों के खिलाफ [ गिलानी]
  • आतंकवादियों के खिलाफ [अफज़ल गुरु, कसाब]
  • J&K rallyist...
  • जो अपने राष्ट्रीय ध्वज को जला रहे हैं
  • जो भारत के खिलाफ नारे लगा रहे हैं।
  • कोई आपत्ति नहीं की जब चीन ने ब्रम्हपुत्र नदी पर बाँध बनाना शुरू किया
  • कारगिल में शहीद हुए सेनानियों की विधवाओं के लिए जो आवास आबंटित होना था उसमें भी अशोक चाहवान का घोटाला
  • तटस्थ रहे जब CWG में ७० हज़ार करोड़ का घोटाला हुआ
  • और अब 2G Spectrum घोटाले पर प्रधान मंत्री कि चुप्पी।
UPA सरकार बुरी तरह फेल हो चुकी है , हर मोर्चे पर देश का प्रधानमन्त्री इतना कमज़ोर नहीं होना चाहिए सोनिया जी एवं DMK को खुश रखने के लिए , देश के हितों से समझौता हमें गंवारा नहीं अब वक़्त गया है कि , भारत की एक अरब जनता , अपने स्वयं के हित एवं सुरक्षा के लिए एक जुट होकर अपनी आवाज़ बुलंद करे ।

मुग़ल आये चले गए , अँगरेज़ भी चले गए लेकिन अब इटली से आई भारत की शुभ चिन्तक, श्रीमती सोनिया गांधी , पूरे हिंदुस्तान को अपने इशारों पर नचा रही है। क्या अभिशप्त है भारत विदेशियों द्वारा लूटे जाने के लिए ? कमाल है नेहरु चचा - आप भी और आपके वंशज भी , सभी एक से बढ़कर एक हैं। जब तक देश पूरा नहीं बेचेंगे , तब तक गद्दी नहीं छोड़ेंगे।

60 comments:

ज्ञानचंद मर्मज्ञ said...

डॉ. दिव्या जी ,
आपने बड़ी ही सुन्दर,सामयिक और सार्थक पोस्ट लगाई है ! ये नेता जैसे नेता लोग जो अपने स्वार्थ के लिए संसद तक को गरिमा विहीन करने से बाज नहीं आते ! वोट के लिए भारत माँ को नोच नोच कर खा रहे हैं ,यही वास्तव में गद्दार हैं !
अच्छी पोस्ट के लिए धन्यवाद !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ

सदा said...

बिल्‍कुल सही कहा आपने ....आपकी बात से पूर्णत: सहमत, भ्रष्‍टाचार की जड़े बहुत गहराई से दूर-दूर तक फैल चुकी हैं,
इन्‍हें जड़ से उखाड़ना ही होगा ।

Tausif Hindustani said...
This comment has been removed by the author.
Tausif Hindustani said...

भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों तथा उसमे साथ देने वालों के लिए अलग से फास्ट ट्रैक अदालत और एक भ्रष्टाचार विरोधी संस्था जो सीधे सीधे राष्ट्रपति को जवाबदेय हो की स्थापना की जाए तथा उसमें सुप्रीम कोर्ट के लेवल के जज हों जो निष्पक्ष फैसला करें , और दोषी पायेजाने पर उस व्यक्ति के सभी सम्पति को ज़ब्त कर लिया जाये और उसे पूरा जीवन जेल में व्यतीत करना पड़े जब तक ये सब लागू नहीं होगा ये भरष्टाचार कम नहीं हो सकता ,

Tausif Hindustani said...

कोई भी जुर्म समाप्त नहीं हो सकता केवल हमें उसे कम करना है यही सभी जुर्म का हल है की उसके लेवल को हमेशा हम कम करने में लगे रहे
dabirnews.blogspot.com

Anonymous said...

भ्रष्टाचार शब्द देखकर ही यहाँ खिचा चला आया | इन भ्रष्टाचारियों और देशद्रोहियों का जिक्र सुन के ही खून जलने लगता है |

आप आदर्श सोसायटी घोटाले को तो भूल ही गयीं | म्रत्युदंड की आप कहाँ बात कर रही हैं मैंने तो आज तक किसी बड़े राजनेता को रिमांड पर लिए जाने के बारे में भी नहीं सुना \ बस औपचारिकता निभाई जाती है गिरफ्तारी की, फिर १ घंटे के अन्दर जमानत |

भारतीय राजनीति गर्त में जा रही है | और हम चाहकर भी कुछ नहीं कर सकते हम भी गेहूं के साथ घुन की तरह पिसे जा रहे हैं | हर जगह ही राजनीति का बोलबाला है चाहे वो जम्मू-कश्मीर का मसला हो, चाहे दिन ब दिन बंगलादेशी घुसपैठियों की बढती संख्या का | राहुल गाँधी के राजनीति में आने के बाद कांग्रेस से कुछ उम्मीद बंधी थी लेकिन वो भी अब धूमिल होती जा रही है | क्या इस देश का कुछ नहीं हो सकता ?????

पी.एस .भाकुनी said...

कल की दो खबरें आज हंसिये पर चले गए हैं , गरीबी से तंग आकर दो परिवारों ने सामूहिक आत्महत्या कर ली , हम स्वयं को विकासशील देश मान रहे थे और अमरीकी राष्ट्रपति कह गए हैं आप विकासशील नहीं वल्कि विकसित हो चुके हैं, हम और हमारी संसद गदगद हो गई, हमारा प्रधानमंत्री कीचड़ में कमल के सामान सुशोभित है , कांग्रेस इस देश की आत्मा है , धन्य है सोनिया गाँधी ,जिन्होने प्रधानमंत्री की कुर्सी ठुकरा कर अपना जीवन देश की सेवा में समर्पित कर दिया , और राजकुमार राहुल में देश अपना भविष्य तलाश रहा है ,
बहरहाल भ्रस्टाचार की सजा म्रत्यु दंड या इस्तीफा ......आपकी पोस्ट पढ़ी ,अच्छा लगा ,घोटाले करो और इस्तीफा दो ,एक नई परम्परा का आरम्भ हो चुका है ,जिसका श्रेय सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस ,कांग्रेस अध्यक्ष और उसके प्रधान मंत्री को दिया जाना चाहिए , मैं अपनी तरफ से आपकी उपरोक्त पोस्ट को जनहित में जारी एक बेहतरीन पोस्ट समझता हूँ .......
आभार !

Tausif Hindustani said...

zeal जी आप केवल कांग्रेस को दोष दे रही हैं जबकि भाजपा भी उतनी ही ज़िम्मेदार है
dabirnews.blogspot.com

PAWAN VIJAY said...

ये मनमोहन नहीं मौनमोहन है. राहुल गांधी भी लोगो को दूर से चारा डालते है और जब लोग पास आते है तो वाह चारा समेत गायब हो जाते है.

ashish said...

भ्रष्टाचार की गाथाये रोज -२ सुनकर अब तो ऐसा लगने लगा है की हमारा समाज रसातल में जा रहा है . सच में भ्रष्टाचार के लिए कड़ी से कड़ी सजा का प्राविधान होना चहिये .

ZEAL said...

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तौसीफ जी,

जिसके हाथ में सत्ता है , जिसके हाथ में पावर है , दोष उसे दिया जाएगा या दूसरों को ? जो इन सभी कार-गुजारियों के जिम्मेदार है , उसे ही तो दोष दिया जाएगा न ? यदि प्रधान मंत्री इतने बड़े ओहदे पर बैठकर भी लाचार रहे तथा उनकी उपस्थिति में देश की संपत्ति यूँ ही लुटती रहे , और वो भ्रष्ट नेताओं से इस्तीफा लेकर अपना पल्ला झाड ले , तो फिर ऐसे प्रधान मंत्री को दोष न दिया जाए तो किसे दें फिर ?

कुर्सी पर बैठकर ऐश नहीं की जाती । देश में जो हो रहा है , उस पर नियंत्रण रखिये , और अव्यवस्थाओं के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्यवाई कीजिये। यदि कुछ नहीं कर सकते , तो कुर्सी छोड़ दीजियेऔर दोष-मुक्त रहिये। रोका किसने हैं। लेकिन सत्ता की लालच , बुढापे में भी छूटे नहीं छूटती।

जब कुछ अच्छा हो तो श्रेय इनका, और घोटाला हो तो दोष विपक्ष का ?

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चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

जिसने कभी कहा था कि भ्रष्टाचारी को लैम्प पोस्ट पर लटका दिया जाना चाहिए, उसी नेहरू की पीढी-दरपीढी यह दैत्य फैलता जा रहा है:(

उपेन्द्र नाथ said...

बेहतरीन प्रस्तुति ... भ्रष्टाचारी की सजा सिर्फ मौत होनी चाहिए

ADITI CHAUHAN said...

aapse ek baat share karna chaahti hun.
2-3 saal pahle mere ghar ke paas rahne waale ek uncle apne office men ghoos lete arrest ho gaye the. meri mamma ne tab papa se kaha tha ki kabhi bhi ham logon ki khatir apna character na giraana. kabhi bura samay aa bhi gaya to jhopdi men rahkar koyi chhota mota kaam kar lenge. lekin aapka sir kabhi jhuka nahi dekhna chaahte.

kya kahun ? ye kaisi havas hai insaan ki ?
aaj shekhar suman ji ki post par gayi thi tab dil men yahi soch rahi thi ki aakhir kaise desh ke liye ye bahadur sajeela naujawan shaheed ho gaya.

ZEAL said...

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अदिति जी ,

आपकी मम्मी ने बहुत ही प्रेरणादायी बात कहीं। काश इतने ऊँचे नैतिक मूल्य हर भारतवासी के हों। उन्हें मेरा नमन।

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कडुवासच said...

... sab ek thaali ke chatte-batte hain !!!

रामदास सोनी said...

बाबा रामदेव ने मांग की है कि:-
1’ भ्रष्टाचारियों को मौत की सजा दी जाये।
2’ भारत में प्रचलित बढ़े नोट बड़े किए जाये ताकि बड़ी रकम रिश्वत के रूप में लेने वालों के बारें में सबकों पता लग जाये और
3’ विदेशों में जमा काले धन को वापिस लाया जाये।
आपका उपरोक्त लेख इसी आंदोलन को सम्बल देता है। भारत की केन्द्र सरकार और उसकी सुपर मैम सोनिया के बारें में कांग्रेस चाहे लाख छुपाने की कोशिश करें किंतु आज भी कांग्रेसी इस बात का जबाब नहीं दे सकते कि --
सोनिया गांधी का जन्मस्थान कहा है
सोनिया गांधी के बारें में सरकार या पार्टी के स्तर पर कोई भी जानकारी क्यों नहीं दी जा रही।
घोटाला दर घोटाला होने के बाद इन्दिरा गांधी की पुण्यतिथि पर सरकार को भ्रष्टाचार मिटाने की नसीहत देने वाली सोनिया क्या कभी भारतीय कलाकृतियों की तस्करी में संलिप्त नहीं रही।
कांग्रेस के राज में भ्रष्टाचार आज शिष्टाचार बन कर रह गया है। इससे सभी परेशान है और इससे निजात पाने के लिए एक दिन जनता को सड़कों पर आना ही पड़ेगा।
कांग्रेस को मात्र भारत में अपनी सत्ता बनाए रखनी है देश के भले ही टुकड़े हो जाये। ऐसे में कांग्रेस पार्टी से किसी भी प्रकार की आशा करना व्यर्थ है।

ZEAL said...

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राम दास जी,

सोनिया जी के जन्म स्थान और भारत में इनकी नागरिकता कब से है , यदि इस पर प्रश्न उठेगा तो बेचारे गरीबों के मसीहा ' राहुल गांधी ' पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ेगा । क्यूंकि सोनिया जी को जब भारत की नागरिकता मिली उसके पहले ही राहुल गांधी का जन्म इटली में हुआ था। इसलिए ज्यादा छान बीन से राहुल जी की नागरिकता भी खतरे में पड़ जायेगी । सच पर से जब पर्दा उठना होता है, तब लोग यूँ ही बहदवास होकर तथ्यों को छुपाने में लगे रहते हैं।

लेकिन अब सब बेनकाब हो चुके हैं। अनिष्ट लक्षण , मृत्यु यानि अराजक सरकार के अस्त होने का संकेत दे रहे हैं।

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ZEAL said...

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पाप का घड़ा तकरीबन भर चूका है ।

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vandana gupta said...

आज तो बहुत ही सटीक लेख लिखा है मगर यहाँ तो जब भ्रष्टाचारियों को ही कमान हाथ मे दी जा रही है और उसे ही न्याय की बागडोर सौंपी जा रही है तो किससे न्याय की उम्मीद की जाये और कैसे?
जब तक देश की जनता खुद अपना भला नही सोचेगी आप और हम ऐसे ही दुखी होते रहेंगे मगर देश का होना कुछ नही है।

Unknown said...

excellent one... The mother of Corruption i.e. congress need to be eradicated from this country...

M VERMA said...

सामयिक मुद्दा.
पाप का घड़ा यूँ तो भरा भरा सा लगता है पर हर बार की तरह यह फूटता नहीं और नए पाप को जन्म देकर पुराने पाप से ध्यान हटा देता है.

Tausif Hindustani said...

भाजपा शासित गुजरात में अभी नरेगा का करोड़ों का घोटाला हुआ जिसकी जांच चल रही है ,कर्णाटक का नाटक आप देख ही रहे हो इस पहले वह का रेड्डी बंधुओं द्वारा अवैध खनन ज़ोरों पर है
मेरा केवल ये कहना है की ये दोनों पार्टियाँ पूरी तरह भ्रष्ट हो चुकी है ,
कोई भी दूध का धुला नहीं है
आप जो कह रही है वो सही है किन्तु इनको भी न भूलें
dabirnews.blogspot.com

महेन्‍द्र वर्मा said...

निस्संदेह भ्रष्टाचारियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए,तभी इस पर अंकुश लगाया जा सकता है।
कड़ी सजा न होने के कारण भ्रष्टाचारियों को कोई भय नहीं होता।

रचना said...

we should all try to be "honest" . we are all dishonest at one time or other . we take a route which suits us rather than which is specified .

for example if we know a officer in a office we will not adhere to the rule of the office but will break the Que and meet the officer who is our acquaintance

same is the case in a government hospital if we know the doctor we don't wait in the line we just go inside

at the airport we always look for contacts so that we are assured no hassle take off and landing

if our maid steals something we raise a hue and cry but when we steal stationery from office its ok with us

we are all corrupt in our own self and that is why corruption is at all levels

but corruption is everywhere not just in India
you are in Bangkok and its renowned for corrupt tuktuk drivers

Italy is famous for its corrupt and chat taxi drivers

in usa the comapnies i know all have cracked softwares and in india almost every computer is on illegal windows and amount of money microsoft has earned is thru illegal means
we all need education in moral science zeal dear
in countries other than India the rules are a little tight yet banks fail in USA and recession sets in world wide with no punishment to the bankers !!!!!

वीरेंद्र सिंह said...

हमेशा समसामायिक रहने वाले इस मुद्दे पर आपका लेख पसंद आया.
आप इन्हें चाहे जो सज़ा दिलवाओ ...लेकिन भ्रष्टाचार ख़त्म होना चाहिए.

ZEAL said...

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तौसिफ जी,

चोर-चोर मौसेरे भाई होते ही हैं। लेकिन फिलहाल तो जो नेता है, जो सत्ता में है, जिसे हमने वोट देकर सरकार बनाने का मौक़ा दिया है, हम अपेक्षा तो उन्हीं से करेंगे ना ?

या फिर आप ये कहना चाहते हैं की BJP को भी लगे हाथ गाली दे ही डालें।

कांग्रेस तो पूरी तरह बिकी हुई है अल्पसंख्यकों के आगे। मुस्लिम वोट से ही जीतती है , इसीलिए भ्रष्ट है । अलगाववादियों और आतंकवादियों को भी दामाद की तरह रखे है. ना जाने कब देश बेचने के लिए उनकी जरूरत आन पड़े , इसलिए। इमानदारी से उसका वास्ता नहीं है। अब मुसलामानों को भी आरक्षण की बात कर रही है। बेच देगी ये सरकार पूरा हिंदुस्तान, चंद वोटों की लालच में।

और ज्यादातर मुसलामानों को [ कुछ अपवाद को छोड़कर] , कोई परवाह नहीं है , देश से और देश के विकास से। उन्हें तो बस उस सरकार से मतलब है , जो उनकी चमचागिरी करे , उनके लिए रेसेर्वेशन दे। और ये काम कांग्रेस बखूबी कर रही है।

आपको लोगों को BJP से तो कोई लाभ होने वाला नहीं है , इसलिए आप लोग कांग्रेस द्वारा 2G घोटाले तक को नज़रअंदाज कर देना चाहते हो।

लेकिन हम लोग तो इस गद्दार सरकार को बर्दाश्त नहीं कर सकते। हम मजबूर हैं , लेकिन अंधे तो नहीं हैं न। आँख से सामने जो तांडव ये सरकार कर रही है। कीमत तो आप लोगों को भी चुकानी पड़ेगी हम लोगों के साथ।

विदेशी ताकतें जब लूटेंगी , और घोटालों का असर प्रत्येक भारतीय , चाहे वो हिन्दू हो या मुसलमान दोनों पर सामान रूप से पडेगा।

इसलिए कांग्रेस की वकालत करने से बेहतर है , दोषियों के दोष उजागर करें। छिपायें नहीं।

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ZEAL said...

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रचना जी,

भ्रष्टाचार सब जगह है, हमें मालूम है । लेकिन हमें सरोकार सिर्फ भारत से है। थाईलैंड या अमेरिका से नहीं। मेरे ऊपर मात्र ऋण अपनी धरती का है , विदेशी धरती पर क्या हो रहा है, क्या नहीं इससे न तो मुझे ख़ुशी होती है, न ही दुःख।


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Tausif Hindustani said...

जी मेरा अभिप्राय किसी एक पार्टी को दोष देने का नहीं था किन्तु आपने अपने विचारोंने सिद्ध कर दिया है की आप भाजपा की समर्थन में है ,
आपने कहा
कांग्रेस तो पूरी तरह बिकी हुई है अल्पसंख्यकों के आगे। मुस्लिम वोट से ही जीतती है , इसीलिए भ्रष्ट है
इसका मतलब इस देश में मुस्लिम अधिक हैं जो कांग्रेस को अपने वोटों से जीता रहे हैं , आपकी बातों से यही सिद्ध होता है ,
आपकी सभी बातें आपने जो आपने मेरे टिप्पणी के उत्तर में दिए हैं
बता रहे हैं आप किते निष्पक्ष हैं ,
जब मनुष्य आवेश में लिखता है तो कुछ भी लिखता है
मैं इसका उत्तर देकर कांग्रेस समर्थक नहीं बनना चाहता

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

रचना जी-सही है कि जिम्मेदारी नागरिकों की भी है. लेकिन अगर नागरिक ही पूरे जिम्मेदारी उठा लेंगे तो सरकारी ढांचे की क्या आवश्यकता रह जाती है. किस लिये इन्हें पाला पोसा जाता है. हाब्स और लाक के विचार पढ़ें हों या पढ़ने का मौका मिले तो पता चलता है कि एक कहता था कि स्टेट की आवश्यकता सामाजिक सहयोग के नियमन के लिये हुई और दूसरा कहता था कि लोग उत्पाती थे, जिनके नियमन के लिये हुई. और कम से कम भारत के सन्दर्भ में दूसरा ठीक है. क्यू जब टूटती है तो उसके वापस बनाने के लिये जिम्मेदार लोगों को सैलरी पे की जाती है. क्यू लम्बी इसलिये है क्योंकि आजतक अधिक बच्चे पैदा करने पर कोई दण्ड नहीं लगाया गया. लोग जाहिल इसलिये रह गये क्योंकि साठ सालों में भी शिक्षित नहीं किया गया... रचना जी जिम्मेदार वह हैं जिन्होंने ठेका लिया है देश चलाने का...

कुमार राधारमण said...

राजनीति में व्यक्ति तभी तक ईमानदार है,जब तक उसकी कलई खुल नहीं जाती। इनकी मृत्युदंड की चर्चा कौन करे,जबकि रेयरेस्ट ऑफ द रेयर मामलों में भी मृत्युदंड हो या नहीं,अभी इसी पर बहस चल रही है।

ZEAL said...

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तैसिफ जी ,

कृपया व्यक्तिगत टिपण्णी न करें। मैं आवेश में हूँ , या मेरा खून ठंडा है, इसके बारे में कृपया ना बताएं। जहाँ तक हो सके विषय पर ही टिपण्णी करें । आपको मुझसे सहमत या असहमत होने का अधिकार है , लेकिन मेरे ऊपर व्यक्तिगत कमेन्ट न करें तो बेहतर होगा।

मै कोई भी लेख किसी व्यक्ति विशेष या समुदाय विशेष को प्रसन्न करने के लिए नहीं लिखती हूँ। मेरी आत्मा जिस बात की गवाही देती है , वही लिखती हूँ। बिना दिल में आग हुए ऐसे विषयों पर लिखा भी नहीं जा सकता । मुझसे सहमत भी वही लोग होंगे , जिनके दिल में मेरे जैसी आग और जज्बा होगा। आप सभी की असहमति का स्वागत है , लेकिन पुनः कह दूं , मेरे ऊपर व्यक्तिगत टिपण्णी [ आवेश में हूँ, या निष्पक्ष नहीं हूँ] आदि करने से बचिए।

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Tausif Hindustani said...

जी विषय से हट कर आपने टिप्पणी थी उसके उपरांत मैंने आपके टिप्पणी के उत्तर में ये टिप्पणी की थी
फिर भी अगर आपके दिल को दुःख पहुंचा है तो अपने शब्दों के छमा चाहता हूँ

Rajesh Kumar 'Nachiketa' said...

अच्छी बात कही. अंग्रेजो कि पुराने कानून. जो कि उन्होंने "अपनों" को बचाने के लिए बनाए थे हमने उन्हें ही मान लिया और भ्रस्त लोगो के लिए कठोर कानून नहीं बनाया... समय आ गया है कि अब उन्हें बदला जाए.....बिहार की निवर्तमान सरकार ने अपने घोषणा पत्र में ऐसी बात कही है की भ्याराश्ताचारियो पर नकेल कसी जायेगी. ये पहल कितनी सार्थक है वो तो भविष्य ही बतायेगा.
आपने लोगो को जगाने का काम किया है. लेखको और कवियों के योगदान पर मेरी दो पंक्तिया है वो सुनाता हूँ...

जो सोए है उन्हें जगाते हैं हम अपने छंदों से.
हम पिघलाते लौह-बेड़ियाँ कुछ स्याही की बूंदों से.
- - राजेश

ZEAL said...

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तौसिफ जी,

माफ़ी मांगकर मुझे शर्मिंदा मत कीजिये। ये तो ओपन फोरम है। बेबाक चर्चा ही हमारे विचारों को आयाम देती है। और बहुत सी बातों और मुद्दों का हल भी मिल जाता है।

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Rajesh Kumar 'Nachiketa' said...

प्रधान-मंत्री की खामोशी उन्हें बचा नहीं सकती. उनका अपराध तो समय लिखेगा ही...अगर उससे पहले जनता लिख दे तो एक मिशाल बने.
जैसा की दिनकरजी ने कहा है...

"समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याध.
जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध."
राजेश

ZEAL said...

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जो सोए है उन्हें जगाते हैं हम अपने छंदों से.
हम पिघलाते लौह-बेड़ियाँ कुछ स्याही की बूंदों से....

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राजेश जी,

बेहद ही ओजमयी पंक्तियाँ ।

आभार आपका ।

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ZEAL said...

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राजेश जी,

निसंदेह तटस्थ रहने से बड़ा अपराध कोई नहीं है। --- कम से कम मेरी निगाह में तो।

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डा० अमर कुमार said...
This comment has been removed by the author.
ABHISHEK MISHRA said...

very nice post
ये वोटो का चक्कर बड़ा बुरा है और उस के बिन सत्ता भी नही मिलती .
कुल मिला कर ये सरकार जान चुकी है की चाहे जितने घोटाले कर लो वोट तो मिल ही जायेंगे . मुस्लिम समुदाय अल्पसंख्यक तो बिलकुल भी नही है जिन की संख्या करोडो में हो और उन का साथ देने दो करोड़ बंगलादेशी हो वो अल्पसंख्यक ????????
बहुत से बंगलादेशियो के तो राशन कार्ड भी बन गए है तो ये घुसपैठिये हमारा हक़ भी मार रहे है .पता नही पाकिस्तान और बंगलादेश बनाने से इन को क्या मिला ये भूके नंगे यही आ कर मर रहे है .
ये वोट देश के मुद्दों पर नही मजहब और शर्तो पर देते है तो क्या फर्क पड़ता है की घोटाले कितने किये .
सच है लोकतंत्र मूर्खो के लिए नही है .
भारत की सारी समस्याए उस की उस वोट बैंक प्रणाली के अन्दर ही है और एक देश का तब तक कुछ नही हो सकता जब तक की ये प्रणाली शिक्षा और राष्ट्रीयता की भावना के माध्यम के ध्वस्त न कर दी जाये .

मनोज कुमार said...

भ्रष्टाचारियों को कभी नहीं बख्शा जाना चाहिए।

ZEAL said...

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डॉ अमर ,

लेख के अन्दर ही सारे हल भी लिखे हैं फिर भी पाठकों की सुविधा के लिए दुबारा लिख देती हूँ --

* जो भी भ्रष्टाचार के मामले में पकड़ा जाए , उसे घर पर न बैठने दिया जाए । तुरंत वारेंट निकलवाइये, गिरफ्तार करके जेल में रखिये। ऐसे मामलों में बेल भी नहीं होने देना चाहिए।
* विशिष्ट पदों पर आसीन महानुभावों के लिए विशिष्ट सजा का प्रावधान होना चाहिए। जैसे सजा यदि पाँच वश की हो आम जनता के लिए , तो मंत्रियों के लिए दस वर्ष होनी चाही चाहिए। यदि आजीवन कारावास हो आम जनता के लिए , तो मंत्रियों को "Death sentence ' मिलना चाहिए।
* एक निश्चित qualification [ minimum post graduation ] होना चाहिए इन देश के ठेकेदारों के लिए।
* भ्रष्ट नेता और CBI investigation को लाइव दिखाया जाए टीवी पर । पारदर्शिता के लिए।
* भ्रष्ट नेताओं को भविष्य में चुनाव लड़ने के अधिकारों से वंचित कर देना चाहिए।
* जिसने पैसा खाया हो देश का , उसे तत्काल दिवालिया घोषित कर सड़क पर ला खड़ा करना चाहिए।
* इन भ्रष्ट नेताओं के साथ नरमी से नहीं पेश आना चाहिए।
* सभी तो चोर हैं, इसलिए रिश्वत से मामला रफा-दफा कर देते हैं और वकील तथा न्यायाधीश को भी खरीद लेते हैं। साक्ष्यों को भी पैसे के दम पर नष्ट कर देते हैं, इसलिए सबसे बड़ी सजा रिश्वतखोरों के खिलाफ होनी चाहिए। जिससे रिश्वत की आड़ में ऐसे भ्रष्ट नेताओं की दाल न गल सके।
* हर मामले का निपटारा ३० दिनों के भीतर त्वरित गति से होना चाहिए और दोषियों को सजा मिल जानी चाहिए।
* मेरी निगाह में देश के साथ धोखा या विश्वासघात करना , सबसे संगीन जुर्म है , इसकी सजा भी ऐसी होनी चाहिए की किसी को भी इस तरह की गलतियां दुहराने की हिम्मत ना पड़े।

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ethereal_infinia said...

Dearest ZEAL:

Yet another sharp and scathing article on the lamentable way of things in governance.

The malaise of corruption and abuse of power is extremely deep-rooted in our system and it is indeed going to be a mammoth task to undo the knots that bottlenecks things.

Laws of the land are akin to lions with their nails and teeth removed, being reduced like pets of the judiciary whom the suave lawyers and facilitating parties can take for a ride, whenever they wish, for howsoever they wish.

A rare judgment in favor of the populace [and that too not with a huge uproar being raised by the commoners] is more like a lollipop offered to the wailing child who again starts believing in the ‘deliverance of justice’ for some time.

Of course, with globalization, things are a-changing. Independent bodies like Transparency Internationale are doing their bit by indexing the prevalent corruption across nations which in its small way does contribute. On a lighter note, may be it just makes the corrupt design ways which are non-susceptible or discernible by the public eye. Bottom-line is – corruption is their way of life.

If we look at nations with very little public domain corruption, the most important factor is education. Therein lies the key. The sooner we have more and more people educated, we will be able to tame the animal of corruption.

If we look at things, the face of corruption is also undergoing transformation. Earlier, it was to usurp money meant for the poor. Modus operandi – siphon off the funds by fake receipts and underpayments against larger claims.

Now, the ticket size has gone bigger and we have over-valued contracts given to firms which not-so-surprisingly turn out to be owned or controlled by some close relative of the minister or official in charge, example being the CWG.

Or, on the other hand, it is the festive gifting of grossly undervalued licenses to corporate bodies and the differential between the stated amount and actual amount amicably diverted to the private overseas accounts of the tax havens. Telecom 2G licenses being a point in case.

In the earlier scenario, at least, the poor were getting something. Now, even that has been done away with because the ones in power find not much ‘malaai’ in the ‘bhalaai’ of poor – except, of course, when it is time to woo the gullible on election eve.

The world of the politicians is ruthless. Often we see some or the other activist meeting with an ‘accident’ which ends his/her life suddenly. Or, we find some going silent suddenly and beget disproportionate wealth.

Advice, temptation, coercion or threat - any which way, the ones in power will silence those who try to raise a voice and pose an imminent danger. Such are the times we live in.


Semper Fidelis
Arth Desai

Rajesh Kumar 'Nachiketa' said...

इसी के सन्दर्भ मेरा एक लेख है ...शायद सामायिक लगे...
http://swarnakshar.blogspot.com/2010/08/blog-post.html
राजेश

अजय कुमार said...

इतना हल्ला ना मचा होता तो ,ये बेशर्मी से बैठा रहता ।

S.M.Masoom said...

आराम बड़ी चीज़ है मुह ढक के सोइए , किस किस को टोकिये अजी किस किस को रोइए. बदलना है तो इन नेताओं के चुनाव के तरीके को बदलो, सभी दल एक जैसे हैं.. यदि आप को "अमन के पैग़ाम" से कोई शिकायत हो तो यहाँ अपनी शिकायत दर्ज करवा दें. इस से हमें अपने इस अमन के पैग़ाम को और प्रभावशाली बनाने मैं सहायता मिलेगी,जिसका फाएदा पूरे समाज को होगा. आप सब का सहयोग ही इस समाज मैं अमन , शांति और धार्मिक सौहाद्र काएम कर सकता है. अपने  कीमती मशविरे देने के लिए यहाँ जाएं

ZEAL said...

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मासूम जी,

अमन का पैगाम तो बढ़िया चल रहा है, लेकिन भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकायत कहाँ दर्ज करायें ?

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हरीश प्रकाश गुप्त said...

भ्रष्टाचार के बड़े मामलों में अभी तक तो कोई सजा नहीं हुई। हाँ मामले जरूर बहुत तेजी से उठते है लेकिन धीरे धीरे मर जाते है। सरकारें किसी की भी रही हों। अगर हम लगभग बीस वर्ष पहले जाएं तब बोफोर्स प्रकरण भ्रष्टाचार का पहला बड़ा मामला था जिस पर सरकार बदल गई थी। लेकिन अति ईमानदार प्रधानमंत्री वी पी सिंह ने क्या किया। वही जो दूसरी सरकारें करती आई हैं। उसके बाद की सरकारों ने तो भी वही किया। शायद कारण है कि भ्रट लोगों का मनोबल बढ़ चुका है।

विचारणीय विषय पर चर्चा के लिए आभार।

सञ्जय झा said...

ye kalam chalti rahe .... chalti rahe


pranam.

केवल राम said...

एक सार्थक मुद्दे पर प्रकाश डाला है ....आज के दौर में जब सता मिल जाती है तो यह लाइलाज बीमारी सबको लगती है कोई इलाज बताए .....शुक्रिया

G Vishwanath said...

Divyaji,

For hanging all the corrupt, as you suggest, do we have enough rope?

Change the electoral system.
The rest will follow.

As Dr Pawan K Mishra says, Man Mohan Singh was obliged to become "Maun" Mohan Singh.
Why? He is a person of unimpeachable integrity.
He had the power to stop Raja, Yet he didn't.
Why? My guess is he was too pre-occupied with the Nuclear Deal and had no time for controlling Raja and/or Soniajee asked him to look the other way.

My guess is Raja was merely used to do all the dirty work, take the risks and collect the money to be safely deposited into the accounts of the two parties that shared the loot, viz the DMK and the Congress.
I wonder how Soniaji would have allowed all the malai to be skimmed off by the DMK.
Obviously they had a share in it.
Raja is Karunandidhi's favourite. He is a tremendous fund raiser for his party.
So Karunanidhi will back him up all the way.
If you crucify him Raja will spill all the beans and plenty of skeletons will come tumbling out.
No one wants that.
So you can go only so far in punishing him. I can bet, he will be rehabilitated after all the dust settles down.
Our legal system is also weak. Even if it is well known that a politcian is corrupt, it may be impossible to "Prove" it in a court of law, when there are clever lawyers to defend the accused.

-- continued---

G Vishwanath said...

Defective electoral practices have lead to compulsions of coalition politics.
This made even a large party like the Congress ineffective in controlling its junior and minor partner.

Change the electoral system. Make education a precondition for getting elected.
The present system of declaring the winner is defective. A candidate with a negligible percentage of total votes can still be declared the winner if every other candidate gets less. This "first past the post" method of declaring the winner is illogical and lies at the root of our political problems. Change this. Let people vote for parties, not candidates. Let the parties choose the representatives from among meritorius members after the elections. Let tickets for contesting not be given to criminals merely because they are winnable canddates. Make voting compulsory so that criminals don't get elected by default when good voters keep away. These are merely some random thoughts. I am sure there will be better ideas from others on how to clean up politics and elections. Once that is done, and education spreads among our people, the canker of corruption can be controlled. Right now we have a long way to go before we achieve success.

Regards
G Vishwanath

amar jeet said...

दिव्या जी कांग्रेस ने प्रारम्भ से ही देश की आजादी के बाद से ही लूटना प्रारंभ कर दिया था!नेहरू की नीतियों ने कश्मीर समस्या को जन्म दिया नेहरू! के जन्म दिवस को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है! लेकिन क्या आपने कभी सोचा है की नेहरू ने अनाथ बच्चो,गरीब बच्चो,अपंग बच्चो,मानसिक रूप से कमजोर बच्चो के लिए कितने आश्रम बनाये या फिर कौन कौन सी योजनाये चलाई!उन्हें तो एक दिन अपने नाम करना था!आज देश में जितनी भी योजनाये चल रही है लगभग सभी नेहरु या गाँधी परिवार के नाम पर है !इंदिरा गाँधी ने पंजाब में आतंकवाद वाद पैदा किया! संजय गाँधी की हत्या पर उन पर संदेह था !राजीव गाँधी ने 1984 में देश में सुनियोजित दंगे करवाए! हजारो सिक्खों को मरवाया बेफोर्स घोटाले के प्रमुख आरोपी रहे !और अब सोनिया भगवान बचाए इन भ्रस्ट कांग्रेसियों से .................

सम्वेदना के स्वर said...

देर से आने के लिये क्षमा।

पिछले कई दिनों से मन बहुत क्षुब्ध है यह देखकर की व्यव्स्था की जिस नाव पर हम सवार हैं वह किस भंवर में जा रही है?
सारा तंत्र इतना विवश पहले कभी नहीं दिखा था।

हाँ मीडिया को आपने छोड़ दिया, नीरा-राडिया के टेप उजागर होने की खबर किस तरह दबा दी गयी, वो देखकर रही सही आस भी जाती रही।

बस एक सुब्रमनयन स्वामी जी की अकेले की लडाई लग रहा है यह सब। 71 वर्ष के सुब्रमनयन स्वामी ही हैं जिन्होने एक पिलपिले खड़ाउ प्रधानमत्री की ईमानदारी की मार्केटिंग पर रोक लगा दी।

सम्वेदना के स्वर said...

हाँ,एक बात और एक ईमानदार मुख्यन्यायधीश ने जिस तरह निम्न लिखित बातों पर सरकार की खबर लेकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है वह कुछ उम्मीद बंधाता है।

1. गोदामों मे अनाज सडाने को लेकर सरकार हो धिक्कारना! (हालाकिं खडाउ प्रधानमंत्री ने उलटा न्यायलाय को अपनी हद में रहने को कहनें का दुस्साहस किया था)

2. स्वामी जी की जनहित याचिका पर प्रधानमंत्री से हलफनामा लेना, कि वह क्यों दो साल तक राजा की इस लूट पर मौन बैठे रहे?

3. सब नियम ताक पर रखकर, दागी अधिकारी को मुख्य सतर्कता आयुक्त नियुक्त करने पर सवाल करके।

ZEAL said...

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अमरजीत जी ,

आपने मेरे मन की बात की बात कह दी। सचमुच नेहरु जी ने क्या किया जिसके लिए बच्चे सदियों तक इन्हें चाचा कहते रहे और बाल दिवस इनके नाम पर मनता रहे। क्या नेहरु के बाद ऐसा कोई नहीं पैदा हुआ जिसे प्यार से 'चाचा' की पदवी मिले। इनसे बेहतर तो किरण बेदी जी बच्चों के लिए अपनी 'नव-ज्योति' संस्था द्वारा समर्पित है।

नेहरु जी इमारत के कंगूरे हैं इसलिए आज तक जगमगा रहे हैं, और जो नीव की ईंट बन गए उनकी पूछ कहाँ ?

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ZEAL said...

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विश्वनाथ जी ,

बहुत बढ़िया उपाय बताये आपने। लेकिन यदि राजा जैसे मक्कारों को जेल की हवा खिलाई जाए तो शायद भविष्य में नए राजाओं की अगली खेप नहीं आ सकेगी। इससे पहले की शोर ठंडा पड़े इन्हें आइना दिखा ही देना चाहिए।


हरीश जी,

VP Singh ने तो रेसेर्वेशन की शुरुआत करके देश को वैसे ही ५० साल पीछे धकेल दिया था। अब तो भांति-भाँती के रेसेर्वेशन देश को गर्त में ले ही जायेंगे। सरकार बदल जाए तो वर्तमान में होने वाले घोटालों पर विराम लगाया जा सकता है , शायद उचित सजा भी मिले गुनाहगारों को। फिर लगाम कस कर रखें आने वाली सरकार पर। जहाँ कोई विसंगति दिखे वहां सम्बंधित मंत्री से नहीं बल्कि , पार्टी के हाई- कमान से सीधे इस्तीफे की मांग होनी चाहिए। तब शायद तब शायद पार्टी के सदस्य कुछ अनुशासित एवं नियंत्रण में रहेंगे। और 'राजा' जैसे मनचले लोग भी कुछ कुर्सी की गरिमा को समझेंगे।

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ZEAL said...

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चैतन्य जी ,

सुब्रमण्यम स्वामी जी अकेले नहीं हैं । देश के सारे इमानदार नागरिक उनके साथ हैं । वैसे भी इमानदार और सच्चाई की आग में तपे हुए लोग अकेले ही काफी होते हैं पूरे भ्रष्ट समाज को सुधारने के लिए।

स्वामी जी के प्रयास वन्दनीय हैं। उन्होंने जिस तरह से इतिहास को खंगाल कर कांग्रेस को कंगाल कर दिया है , उससे निसंदेह उम्मीद की रौशनी फ़ैल रही है । चोरों के दिल में जब भय पैदा हो जाता है , तो उन्हें बेनकाब करना कुछ मुश्किल नहीं होता। भ्रष्ट सरकार के दिन लद गए अब । पाप का घड़ा भर चुका है। बर्दाश्त की सीमाएं टूट चुकी हैं ।

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Tausif Hindustani said...

@ Zeal जी
भ्रष्ट नेता और CBI investigation को लाइव दिखाया जाए टीवी पर । पारदर्शिता के लिए।
भ्रष्ट नेताओं को तो दिखाना ठीक है किन्तु CBI investigation को लाइव दिखाने का दुष्परिणाम यह निकलेगा
आरोपी ये उसके साथ देने वाले पहले से तोड़ निकलना आरंभ कर देंगे

ZEAL said...

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तौसिफ जी,

आपने सही कहा। लाइव दिखाने का ये दुशपरिणाम तो होगा ही । लेकिन कम से प्रत्येक पूछ-ताछ या छान-बीन के बाद प्राप्त तथ्यों को साव्जनिक करना चाहिए , जिससे की बाद में उन्हें रिश्वत के दम पर छुपाया या दबाया न जा सके।

मिडिया इसमें एक अहम् भूमिका निभा सकता है। लेकिन अब तो बरखा दत्ता और वीर सांघवी जैसे जरनालिस्ट बड़े बड़े तथ्यों को छुपा रहे हैं।

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