Tuesday, November 16, 2010

सिविल इंजीनियर्स और आर्किटेक्ट्स का आतंक --डाक्टर्स लगे हुए हैं जी जान से.

देश की राजधानी दिल्ली की एक रिहायशी पांच मंजिला इमारत गिर गयी , ४० परिवार के तकरीबन ६५ लोग स्वर्ग का टिकट कटा चुके हैं , बाकि के १०० से ज्यादा जिंदगी के लिए भगवान् से दुआएं मांग रहे हैं।

इमारत की डिजाईन मानकों के आधार पर सही नहीं थी । सिविल इंजीनियर्स को भी , सीमेंट -मोरंग- गारा का सही अनुपात नहीं पता था । बिल्डिंग गिर गयी । जो मरा सो मरा , उनकी जेब से क्या गया ।

इमारत के मालिक को सब पता था, खतरा जानते हुए भी उसने सब कुछ ऐसे ही चलने दिया। लालच की कोई इन्तहा नहीं है ।

कभी दिल्ली में इमारतें ढेहती हैं, कभी ब्रिज तो कभी स्टेडियम की छत । आखिर दिल्ली में ये सब इतना ज्यादा क्यूँ ? क्या वहाँ के लोग भारी ज्यादा हैं , जिनके वजन से इमारतें ढह जाती हैं , या फिर वहाँ भ्रष्टाचार इतना ज्यादा है की सीमेंट की जगह , रेत के टीले बनते हैं।

वैसे सुरक्षा की दृष्टि से 'शीला बहन' को 'माया बहन ' के निवास पर रहना चाहिए । राम जाने कब मुख्यमंत्री का भवन ढह जाए । वैसे भी अपनी माया बहन " पत्थरों " की जबरदस्त पारखी हैं।

इनके आतंक से इंस्टेंट मौत पाइये और एक के साथ अनेंक अपने साथ ले जाइए ।

कुर्सी पे बैठे परवरदिगारों , कब तक रोते -बिलखते देखते रहोगे अपनी आम , निसहाय जनता को ?

62 comments:

Deepak Saini said...

आज आपने व्यंग के बाणो से सही निशाना लगाया है।
सच हमारे देश मे भष्टाचार इतना बढ गया है कि हर आदमी(नेता, अभिनेता, इंजिनियर, ठेकेदार) को अपनी जेब भरने से मतलब, जाये कोई मरे या जिये।

अब जो मै कहने जा रहा हूँ शायद आपको बहुत बुरा लगे पर सच्चाई ये कि इस दौड मे डाक्टर्स भी शामिल होने लगे है। डाक्टर्स मे भी सेवा भाव खत्म होने लगा है वे भी अपनी जेब भरने के चक्कर मे लगे रहते है।

मायावती का पत्थर प्रेम तो खैर जग जाहिर है, हमारे गाँव मे भी एक अम्बेडकर पार्क बनवाया है जिस पर इतना रूपया खर्च किया कि उसके आधे मे पूरा गाँव स्वर्ग बन जाता।

ZEAL said...

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दीपक जी, बहुत मोटी खाल है मेरी। बुरा नहीं मानती किसी की बात का , सबको हक है अपनी बात अपनी तरह से कहने का। मैंने दूसरों को बदलने से बेहतर खुद को बदल लेना ज्यादा बेहतर समझती हूँ।

जो डाक्टर लालची हैं , उनको असर ही नहीं होगा, और जो मेरी तरह इमानदार हैं , उनके पास वक़्त ही नहीं बुरा मानने जैसी फालतू प्रक्रिया के लिए। इसलिए बिंदास लिखिए।

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Anonymous said...

दिव्या जी...
अच्छा लगता है कि आप देश से दूर होकर भी यहाँ की समस्याओं पर नज़र रखती हैं.... सब भ्रष्ट हैं ही इसमें तो कोई दो राय नहीं है.... आपने टी राजा का प्रकरण भी सुना ही होगा.... ७३००० करोड़ का घोटा करने के बाद भी वो आखिरी समय तक अड़े रहे कि वो इस्तीफ़ा नहीं देंगे ...और हमारे Mr. innocent प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी उन्हें हटा भी नहीं पा रहे थे क्यूंकि इससे उनकी सरकार गिरने का खतरा उत्पन्न हो जाता... अब आप ही बताईये इतना लाचार प्रधानमंत्री आपने कहीं देखा है....

ये जो ईमारत गिरी, कहा जा रहा है कि वो ६० साल पुरानी थी तो निश्चित रूप से इसकी मरम्मत जरूरी थी...दोष किसका है ये तो कहना मुश्किल है दोष उनका भी है जो वहां रह रहे थे ये जानते हुए भी कि ये ईमारत कभी भी गिर सकती है |

ABHISHEK MISHRA said...

बेहद दुखद घटना ,
जो चिकित्सक सेवा में लगे है वे सम्मान और प्रशंसा के पात्र है .नमन है उन्हें .
उन चिकित्सको को इन से प्रेरणा लेनी चाहिए जो अपनी दुकाने चला रहे है और गरीब जनता का पैसा और खून चूस रहे है

abhi said...

अभी आपके पोस्ट को एक अलग टैब में खोल के रखा हुआ था तभी ये न्यूज़ सुना...
भष्टाचार अब इतने जान ले ले रही है :(

ashish said...

अब बिल्डिंग गिरेगी नहीं तो ठेकेदारों के परिवार का क्या होगा? इंजीनियर साहब की जेब हलकी हुई तो मंत्री जी को कहा से चंदा मिलेगा ? शायद आपको याद हो विगत वर्ष औरैया में एक सिविल इंजीनियर को एक माननीय विधायक जी ने चंदा ना देने के लिए अपने कोप का भजन बनाकर मृत्यु के घाट उतरवा दिया था . आप भी हद करती हो , अरे बाबा आम जनता की चिंता किसको है और क्यू होनी चहिये , खास लोगों के लिए पञ्च सितारा सुविधाए जुटाने के बात कीजिये . इंडिया शाइनिंग .

आशीष मिश्रा said...

बहोत ही करारा चोट करता ये व्यंग्य काबिले तारिफ है................

ZEAL said...

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टीवी पर दिखाए जा रहे हृदयविदारक दृश्यों ने रुला दिया। घृणा हो रही है समाज के ठेकेदारों से। जो कुछ कर सकते हैं, वो करना नहीं चाहते। बस जांच कमिटी बैठा दी। जब तक जांच पूरी होगी , दस और इमारतें ढह चुकी होंगी

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ZEAL said...

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शेखर जी,

मनमोहन जी लाचार नहीं हैं। बस 'जूजू ' बने रहना चाहते हैं, चाहे देश का अचार ही क्यूँ न बन जाए। सोनिया जी के इशारों पर कोई एक दो हैं जो तांडव कर रहे हैं ? सभी मदहोश हैं।

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amar jeet said...

दिव्या जी अच्छी पोस्ट चंद रूपये की खातिर लोग इन्सान की कीमत को कोडियो के मौल तोलते है इन भ्रस्टाचरियो पर तो देश द्रोह का मामला चलना चाहिए !इसमें जाँच कमेटी बैठाने की कोई भी आवयश्कता नहीं है सीधे गिरफ्तार कर जेल भेजना चाहिए! बाबा रामदेव,किरण बेदी,अन्ना हजारे जैसे राष्ट्रभक्तो ने मिलकर जिस मुहीम का आगाज किया है भ्रस्टाचरियो के खिलाफ जो मुहीम उन्होंने प्रारम्भ की है जो प्रशंसनीय है !

ZEAL said...

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आशीष जी,

सही कहा-- इनको चंदा कौन देगा, और ज्यादा अकड़ दिखाई तो मौत के घाट सफाई से उतरवा दिए जायेंगे।

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अमरजीत जी,

धरा ३०४ का केस हो गया है मकान मालिक पर । देखें आगे क्या होता है ?

इतने लोगों की जान गयी , इसकी भरपाई कभी हो सकेगी ?

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सम्वेदना के स्वर said...

नयी दिल्ली का इंफ्रास्ट्रक्चर फर्स्ट क्लास क्या ऐसे ही हो गया?

बाढ़ के पानी को नहीं पता था कि नई दिल्ली में हुक्मरान रहते हैं वहाँ नहीं जाना, उसे मोड़ दिया गया पूर्वी दिल्ली की ओर फिर उनके मकानों की नीवें हिला गया यह पानी।

जहाँ संसाधनों का टोटा हो वहाँ विकास किस कीमत पर हो, यह बात भी होनी चाहिये। कामनवैल्थ खेलो में 70,000 करोड़ खर्च करके कौन सा किला फतह कर लिया? इसी पैसे से पूर्वी दिल्ली क्या शेष दिल्ली के भी हालत बदले जा सकते थे पर फिर वही बात need can be fulfilled but not the greed

मुकेश कुमार सिन्हा said...

Divya jee.......achchha vyangya darshaya aapne!!

lekin har baat ke liye sarkar ki khinchai karna mujhe nahi lagta sahi hai.......

aur comments thora digbhramit kar rahe hain..!!

waise sachchai ye hai ki Man Mohan Singh ke roop me desh ne ek achchha pradhan mantri paya hai:)

ye mera manana hai..!!

पी.एस .भाकुनी said...

न्यूज चनलों की माने तो भारतीय समयानुसार प्रात: : नौ बजे तक मृतकों की संख्या ५० से उपर जा चुकी थी और घायलों की संख्या ८० के करीब थी , वैसे घायलों के रिश्तेदारों के अनुसार अस्पतालों का रवेया भी निराशजनक ही रहा है ,वाकई एक दुखद घटना ...................

ZEAL said...

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मुकेश कुमार सिन्हा जी,

मनमोहन जी निसंदेह एक अनोखे व्यक्तित्व के धनी हैं। उनके कार्यकाल में--

१- काश्मीर में लोग देश का झंडा जला रहे हैं।
२-७० हज़ार करोड़ का च्वग घोटाला होता है ।
३- कसाब को शाही अंदाज में पला जाता है।
४- कलमाड़ी, अशोक चौहान और राजा भाई जैसे लोग घोटाले कर रहे हैं।
५- IPL में मोदी और थुरुर जैसे लोग कुछ भी करें, कोई फरक नहीं।
६- अरुंधती जैसे लोग देश को भूका-नंगा कह के आराम से निकल जा रहे हैं।
७- ओबामा आये , नाश्ता पानी किया और लोलीपोप देकर चले गए।

कांग्रेस की तो स्ट्रेटेजी ही यही है, की दिल खोल कर गुंडागर्दी करो, मुश्किल आने पर हम तुमसे इस्तीफा मांग लेंगे और तुम्हें पाक साफ बचा लेंगे। लेकिन अपने दामन पर दाग नहीं आने देंगे।

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निर्मला कपिला said...

हर तरफ यही हाल है किस किस को कोसें?
बस वही अच्छा है जिसे कुर्सी नही मिली। अच्छाई ईमानदारी लगता है बीते जमाने की बातें बन कर रह गया है। शुभकामनायें।

ZEAL said...

CWG - घोटाला ...[correction ]

ZEAL said...

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चैतन्य जी,

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से आपने बहुत अच्छी जानकारी दी है, पानी को divert करने से पूर्वी दिल्ली की नीवें हिल गयीं। लेकिन इस प्रकार के निर्णय कौन लेता है , और क्या इसके परिणामों पर विचार नहीं किया जाता है ??

आखिर कौन जिम्मेदार होगा इन दुषपरिणामों का ?

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ZEAL said...

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पानू जी,

अभी तो सौ लोग दबे हैं मलबे के नीचे । अनुमान लगाया जा सकता है की वे किस दशा में होंगे । जिस पर बीती है , क्या उनके घोर दुःख को महसूस कर पायेंगे ये गैरजिम्मेदार , ताकतवर नेता ?

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निर्मला जी,

आपने उचित ही कहा, जिनके पास कुर्सी नहीं है, वो ही बेहतर स्थिति हैं। कुर्सी खरीद लेती है सबका ईमान !

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प्रतुल वशिष्ठ said...

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मैं .. ह्रदय विदारक दृश्य ... देख नहीं पाता. .... घर से कुछ दूरी पर ही है वो मंज़र. ... फिर भी ... मैं देखन ना जाता.
देर रात ऑफिस से घर लौटा ...... तो पिता बताने जाग रहे थे यह सब .......... सिहर गया मैं पलभर को ही ....... टीवी पर आता लाइव प्रसारण देख .........
नोर्मल होने .... नहाया, खाना खाया और बैठ गया तब इन्टरनेट पर दिमाग को थकाने. लेकिन मैं अवचेतन से भी इस दुखद घटना को मिटा देना चाहता था.
क्या मैं संवेदनशून्य तो नहीं हो गया हूँ? मैं खुद नहीं जानता.

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Anonymous said...

@ धारा ३०४ का केस...
ये तो अपने आप में व्यंग्य है .....भारत में ऐसे ऐसे न जाने कितने केस चल रहे हैं...यहाँ की न्यायिक व्यवस्था भी तो उतनी ही शानदार है...
आपको क्या लगता है इस केस का फैसला कब आएगा ????
@ मुकेश जी...
दरअसल टिपण्णी इसलिए भ्रमित कर रही है क्यूंकि अगर कोई एक कृत ऐसा होता है तो बीते हुए सारे ज़ख्म हरे हो जाते हैं...और वो सब बातें फिर से सामने आ जाती हैं...
और मीडिया भी कहाँ पीछे रहता है, कल शाम जब ये खबर मुझे मिली मैंने न्यूज़ चैनल खोला तो तो कई चैनल तो बिग-बॉस की बकवास दिखाने में व्यस्त थे, उन्हें बिग बोस में आने वाली पामेला anderson में ज्यादा दिलचस्पी थी..

सब जगह लोग अपनी जेबें भरने में लगे हैं |

ZEAL said...

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मनीष यादव जी की मेल से प्राप्त टिपण्णी --

Manish Yadav
to me

show details 11:58 AM (1 hour ago)


पता नही क्यों आप के ब्लॉग पर कमेंट नही हो पा रहा है. शायद यूनिवर्सिटी की प्रॉक्सी कुछ झमेला पैदा कर रही है.
यह खबर आज सुबह ही अखबार में पढ़ा. और फिर आपके द्वार पर..
अखबार से अच्छा यहाँ पढ़ने को मिला

--
Manish Yadav
M.Sc. (Applied Geology)
Department of Earth and Planetary Science
University of Allahabad
Allahabad-211002

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शोभना चौरे said...

हमारी सवेदनाये भी अब अब तो कम पड़ने लगी है |

मुकेश कुमार सिन्हा said...

Divya jee.......ab kya kahun!! sarkar chalegi to ghotale bhi honge!! kyunki aisa nahi ho sakta ki puri govt. imangdaaro ki toli ban jaye, ye sirf mrig-trishna hi ho sakti hai........!!

baat ye hai ki ham kahan pahuche hain, aur mujhe ye dikh raha hai ki hamara bharat din dunri raat chougini tarakki kar raha hai, aur iske sutradhar shri man mohan singh hain.......:)

मुकेश कुमार सिन्हा said...

ek aur baat, hamari soch alag ho saktee hai, iska ye matlab kabhi nahi lenge, ki mere mann me aapke liye kam regards hai.......

aapki parkhi najro ki baat hi kuchh aur hai!!
main yahan barabar aata hoon, lekin chah kar bhi nahi kuchh kahta, kyonki generally aapke viprit soch rakhta hoon........:D

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

यह इमारत संकरी गली में निर्मित की हुई थी। इसका अर्थ यह है कि भ्रष्टाचार से ही सम्भव हुआ। इस में मिलीभगत मकान मालिक की भी है और भ्रष्टाचार कानून कहता है कि घूस लेना और देना कानून जुर्म है.... :(

shikha varshney said...

हर शाख पे उल्लू बैठा है अंजामे गुलिस्तां तो यही होगा.

सम्वेदना के स्वर said...

भारत (जो लक्ष्मी नगर, पूर्वी दिल्ली में बसता है) वो तरक्की कर रहा है ?
या
इंडिया (जो लुटियन क्षेत्र और साउथ दिल्ली में बसता है) वो तरक्की कर रहा है ?

दिल्ली का एक चक्कर लगा कर आये और पता चल जायेगा।
हाँ, BMW में नहीं ब्लू लाइन में जायें तभी इंडिया और भारत साफ साफ देख सकेंगे!

कुमार राधारमण said...

लक्ष्मीनगर सहित,दिल्ली के कई इलाक़ों में आम आदमी ईंट तक नहीं रख सकता। न जाने ये बिल्डर कैसे रातोंरात बिल्डिंगें खड़ी किए जा रहे हैं!

Kunwar Kusumesh said...

बेहद दुखद घटना. दोषी व्यक्तियों पर कड़ी और तुरंत कार्यवाही होनी चाहिए.

ZEAL said...

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गरीबों की जिंदगी बहुत सस्ती लगती है न सब को , इसलिए एक ईंट की दीवार पर ५६ फुट ऊँची पांच मंजिले बना दीं। श्रीमान जी का विचार था उसके ऊपर , दो मंजिलें और बनवाने का। इस इमारत की एक और जुड़वाँ इमारत है , जो किसी भी वक़्त गिरने की कगार पर है। अधिकारियों को चाहिए की कोई भी हादसा हो इसके पहले इस जुडवा इमारत को खाली करवा दे तथा गरीबों के रहने की व्यवस्था करे।

मरने वालों का अस्तित्व तो सरकार दो दो लाख का मुआवजा देकर मिटा देती है। थोड़ी सी घूस देकर बड़ा से बड़ा हादसा दबा देती है। फिर कुछ पैसा खर्च करके इन गरीबों को सुरक्षित आवास क्यूँ नहीं दे देती ?

शरीफ हैं दिल्ली मनिस्पल कारपोरशन [MCD ] वाले, जिन्होंने ये मान लिया है कि इमारत मानक नियमों के विरुद्ध बनी हुई थी।

सो रहे थे क्या अभी तक ? जब हादसा हो जाता है तभी जांच शुरू होती है। खुद को मुर्ख बना रहे हैं या फिर पढ़ी लिखी जनता को ? और बेचारी निर्धन जनता जो इस हादसे में मारी गयी है , उसके लिए सत्ता में आसीन लोगों के ह्रदय में कोई संवेदना नहीं होगी ।

या फिर बढती हुई आबादी को घटाने कि कोई सोची समझी साजिश है ये ?


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ZEAL said...

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राधारमण जी,

गुंडों के लिए कुछ भी मुश्किल नहीं। जब इमारत में रहने वालों से कोई संवेदना ही नहीं तो फिर भला ज्यादा समय क्यूँ लगेगा इमारत खड़ी करने में। एक ईंट की दीवार, जिस पर प्लास्टर भी नहीं, एक कमरे में १०-१० लोग । इमारत रहे या गिरे, उन्होंने तो काफी पैसा कम लिया ना।

अरे इनका क्या गया । एक परिवार जिसमें २० लोग लोग थे, उसमें से १७ मर गए मलबे के नीचे, तीन अनाथ बच्चे छोड़ गए बिलखने के लिए। ऐसे ही बच्चे तो शिक्षा के अभाव में दर-दर भटकते हैं या फिर चोर उचक्के या आतंकवादी बन जाते हैं।

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बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरना said...

दिव्या जी !
हम धर्मप्राण देश के लोग हैं , ऐसे ही काम करते हैं ...बिलडिंग गिरे या पुल टूटे क्या फर्क पड़ता है ? सुबह -सुबह अगर बत्ती तो सुलगा ही देते हैं ( भले ही फिर पूरे दिन देश को जलाते रहते हैं ), ये तो मीडिया वाले हैं जो खामख्वाह हल्ला करते हैं / थोड़ी सी चूक हो गयी होगी वरना उनका भी मुह बंद कर दिया जाता /
हाँ भाई दीपक जी ! बुरा ज़रूर लगता है ......पर आपका कहना सच है, ....हमारी बिरादरी के लोगों नें मेडिकल प्रोफेशन को सेवा से धंधा बना दिया है / शिक्षा भी अब विद्या दान कहाँ रह गयी ! अब तो मल्टीनेशनल कंपनी भी आ रही हैं इस पवित्र क्षेत्र में ....प्रदूषण फैलाने / दीपक भाई ! कुछ करिए न !

सदा said...

बिल्‍कुल सही कहा आपने ....।

वाणी गीत said...

ह्रदय विदारक घटना ...
प्रतुल जी से सहमत हूँ कि बहुतायत में होती इस प्रकारक की घटनाएँ हमें संवेदना शून्य बनाती जा रही हैं !

vandana gupta said...

कुछ कह लो या कर लो कोई असर नही है जब तक भ्रष्टाचार --------- जड यानि राजनीति और नेताओं की शरण मे रहेगा ऐसा होता ही रहेगा।

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

दिव्या जी !! बहुत जरूरी बात है.. आये दिन वह एक बहुमंजिल ईमारत गिरी.......फलां जगह छत गिरी..बस लोगो की मौत ..यही सुनने को मिलता है..

और इन सबके पीछे जिनका हाथ होता है... अगर उनेह आजन्म कारवास या फांसी भी दी जाए तो जो निरीह लो मर गए..किसी का बेटा ..बेटी..माँ पिता ..भाई बहन...वो वापस आ नहीं सकते...
कानून इतने कड़े क्यों नहीं जो निर्माण के समय ही ऐसी मिलावट वालो को सजायेयाफ्ता दे दें. ... लोगो के मन से क्यों नहीं पाप और लोलुप्ताओं का नाश हो रहा .. क्यों इंसान जानवर से भी बद्तार होता जा रहा है........और स्वार्थी परम स्वार्थी.होता जा रहा है ....क्यों...

बाल भवन जबलपुर said...

आज़ तो बस प्रेम दिवस पर शुभ कामनाएं
1. ब्लाग4वार्ता :83 लिंक्स
2. मिसफ़िट पर बेडरूम
3. प्रेम दिवस पर सबसे ज़रूरी बात प्रेम ही संसार की नींव है
लिंक न खुलें तो सूचना पर अंकित ब्लाग के नाम पर क्लिक कीजिये

बाल भवन जबलपुर said...

पोस्ट सार्थक प्रभावी आवश्यक है

सुज्ञ said...

दिव्याजी,

ओह दुखद!! भयावह, आभार इस पोस्ट के माध्यम से सम्वेदनाएं प्रकट करने के लिये।
प्रतुल जी ने ह्रदय झिझोड कर रख दिया।

महेन्‍द्र वर्मा said...

मन को बेहद दुखी कर देने वाली दुर्घटना है यह। यह कोई प्राकृतिक आपदा नहीं, मानवकृत आपदा है। इसके लिए जिम्मेदार लोग मानव नहीं बल्कि जानवर से भी बदतर हैं। जानवरों में कुछ तो संवेदनशीलता होती है, पर भ्रष्ट बिल्डर्स, नेताओं और अधिकारियों में जरा भी संवेदना नहीं होती। इस तरह की दुर्घटनाएं भविष्य में न हो, इसके लिए आम नागरिक ओर स्वयंसेवी संगठनों को कुछ ठोस पहल करनी चाहिए।

Bharat Bhushan said...

सभी व्यवसायों में जल्द पैसा बनाने की होड़ लगी है. भ्रष्टाचार इसी की देन है. इस बारे में सभी चिंचित हैं. सिस्टम के साथ कोई सिस्टम ही लड़ सकता है और वह बनाना पड़ता है.

वीरेंद्र सिंह said...

आपने सही मुद्दे पर व्यंग किया है. मैं आपसे सहमत हूँ.
मेरी संवेदनाएँ भी पीड़ित परिवारवालों के साथ है.

P.N. Subramanian said...

ऐसे हादसों के लिए जिम्मेवार लोगों पर त्वरित कार्रवाई होनी चाहिए. "सम्मेरी ट्रायल" और फांसी.

देवेन्द्र पाण्डेय said...

दुःखद घटना..
कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं जिन्हे देखकर सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि इनकी वजह हमारी लापरवाही है।

घटना घटी
सभी डटे
अब तक मलबे से
कितने शव हटे!

कल से होगी
संभावित घरों की तलाश
संभावना के द्वार खुले
अवसरवादी
गले मिले।

घटना घटी
सभी डटे।

उपेन्द्र नाथ said...

बहुत ही दुखद घटना है. मगर सरकार को जरा भी सुध नहीं. कमिटी बैठेगी, जाँच होगी और मुआवजा मिलेगा फिर काम खत्म. पिछली गलतियों से कोई सबक नहीं लेता . पूरा तंत्र ही भ्रष्ट हो गया है.

S.M.Masoom said...

कुर्सी पे बैठे परवरदिगारों , कब तक रोते -बिलखते देखते रहोगे अपनी आम , निसहाय जनता को ? jawab hai jab tak ham post likh ke aur tippani bhej ke bhool jaya kereinge, apni adat anusaar.

Sunil Kumar said...

दुःखद घटना..
भ्रष्टाचार का वोझ ज्यादा है दिव्या जी

ethereal_infinia said...

Dearest ZEAL:

I read.


Semper Fidelis
Arth Desai.

ZEAL said...

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मासूम जी,

क्या आप पोस्ट लिखने बाद सब भूल जाते हैं ?

इंसान जैसा महसूस करता है , वैसा उसके लेखों और व्यक्ति की टिप्पणियों में उभर कर आता है। बहुत से लोग हैं जिनको ऐसे हादसे बहुत गहरे तक व्यथित करते हैं। आसान नहीं है भूलना। और फिर रोज ही भ्रष्ट समाज का एक नमूना सामने आता है। कोई भूले भी तो कैसे ?

मुझसे तो कुछ भी नहीं भुलाया जाता। इस तरह के प्रकरण ह्रदय पर कुठाराघात करके घाव को गहरा करते जाते हैं।

समझ नहीं आया इतने दर्दनाक हादसे का टिप्पणियों और लेखों से क्या रिश्ता देखा आपने भला।

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सुधीर राघव said...

समाज का एक चेहरा काफी क्रूर है।थोड़े लाभ के लिए किसी की भी जान ले लेता है।

अनामिका की सदायें ...... said...

सब को अपना आज देखना है चाहे वो राजनीतिग्य हो या इंजिनीयर ..अपनी जेबें भरनी चाहिए...प्रगति के कांटे के साथ भ्रष्टाचार का काँटा भी तीव्रता से बढ़ता जा रहा है.

अच्छी सटीक प्रस्तुति.

डा० अमर कुमार said...
This comment has been removed by the author.
Rohit Singh said...

दिव्या जी
लोगो की राय मिलाजुला कर बात के सभी पक्षों को रख दिया है। ये बिल्लडिंग पूरी तरह से भ्ष्ट्राचार का सबूत पेश करती है।

राम त्यागी said...

इन प्रतिनिधियों को वोट कौन देता है ?

डॉ. मोनिका शर्मा said...

दुखद घटनाओं के घटित होने पर ऐसे व्यवहार
मन को और व्यथित कर जाते है..... पता नहीं हमारी संवेदनाएं बर्फ क्यों हो गयीं है....

ZEAL said...

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MCD वालों ने कागजी कार्यवाई कर ली, खतरा मडराती इमारत को आनन्-फानन में खाली करवा दिया , गरीब बेचारे इतनी सर्दी में पार्क में भूखे प्यासे पड़े हैं। लेकिन उन्हें क्या । उन्होंने तो खाना-पूर्ति कर दी। जगह-जगह नोटिस चस्पा कर दी। काम ख़तम ! ७० मरे, बाकि को मलबे में , अस्पताल और पार्कों में सड़ने दो।

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G Vishwanath said...

Diyva,

No use blaming architects and engineers for a tragedy like this.

Collective human greed is responsible.

I don't have technical details but if this was an old 5 storeyed structure supported on load bearing brick walls, then it's collapse was imminent if the building was being further extended upwards without reinforcing the foundation and lower walls.

Only a proper RCC or structural steel framework can sustain loads of this magnitude but that is costlier and owners won't be willing to spend more.

The owner, who I hold guilty, must have overruled any advice from an architect or engineer that the foundation and lower sections of the brick walls will not be able to sustain the additional loads from additional storeys being added. I even wonder if any qualified engineer or architect was involved at all in the the design or construction of this building. Nowadays, many contractors and owners find engineers and architects an unnecessary luxury or sometimes even a nuisance to have around.

Even bye laws must have been flouted.
Obviously bribes must have been paid to officials to look the other way.
Obviously a share of the bribes go to the political masters.

Bribery and corruption have now become a way life, not Hinduism which was supposed to have this description.

Look at what the Raja of corruption has done.
176 thousand crores have been looted from our pockets. Yet that man is thumping his chest proudly and saying he has done no wrong.
Poor Manmohan Singh was helplessly watching and could do nothing.

There will be more such tragedies, I am afraid.

This is Kaliyug. Nothing is shocking any more
I don't know what the solution is. May be wait for Kaliyug to end? I wont be around when that day dawns. Will you?

Regards
G Vishwanath

ZEAL said...

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विश्वनाथ जी,

क्यूँ न जिम्मेदार ठहराया जाये ? " Let go " attitude से ही तो भ्रष्ट लोगों का हौसला दिन दूना रात चौगुना बढ़ रहा है ।

* MCD वाले क्यूँ सो रहे थे अभी तक ? इनती मौतों का जिम्मेदार कौन ?
* देश में घोटालों के लिए जिम्मेदार कौन ?
* जब इमारतें बिना भूकंप के गिर जाती हैं और सैकड़ों मरते हैं तो जिम्मेदार कौन ?
* कभी नव-निर्मित पुल ही गिर जाता है । जिम्मेदार कौन ?
* स्टेडियम की छत गिर गयी , जिम्मेदार कौन ?
* अनेकों स्कूलों में जर-जर बिल्डिंग्स में बच्चे बैठे पढ़ रहे हैं, उनपर मंडराते खतरे के लिए जिम्मेदार कौन?
* mid-day-meal में कभी चूहा तो कभी छिपकली पकती है , जिम्मेदार कोई तो होगा ?
* कलमाड़ी , राजा, राजू , सुदर्शन और अनेको राजनैतिक पदों पर बैठे ताकतवर ब्यूरोक्रेट्स ही जिम्मेदार हैं। मिल बाट कर खाते हैं ।
* पुलिस, बड़े बड़े बिल्डर्स और नेता, ये ही हैं ऐसी मौतों के जिम्मेदार । एक दुसरे को वोट और अनुदान देते हैं । White collar crime करते हैं और दामन पाक साफ़ रखते हैं।

लेकिन इनके खिलाफ आवाज़ तो बुलंद करनी ही होगी। मैं तो सिर्फ छोटे-छोटे प्रयास करती हूँ। भले ही मेरी आवाज़ धीमी हो , भले ही इसकी कोई एहमियत भी न लगती हो किसी को। लेकिन मुझे तो लगता है - " बिंदु-बिंदु' से सिन्धु बना है "। अनेकों लोगों के ऐसे प्रयास व्यर्थ नहीं जायेंगे। कम से लोगों की आत्मा तो जगाये रखेंगे।

यदि हम अपने बोये आम नहीं खा सकते तो क्या आम के पेड़ बोना छोड़ देंगे ?? हम न खा सकें न सही, लेकिन हमारी आने वाली पीढियां तो मीठे आम खायेंगी ।

हम आज भ्रष्टाचार के लिए लड़ेंगे, तो हमारा आने वाला कल सुकून भरा और मेहनतकश इमानदार लोगों से भरा होगा। इसी उम्मीद के साथ लड़े जा रही हूँ....

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ZEAL said...

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मुख्य मंत्री शीला दीक्षित का बयान -- " ये मौत की इमारत नहीं बल्कि गरीबों के लिए धर्मशाला थी । "

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G Vishwanath said...

Diyva,

I was not stating that we should not protest.
Of course we should raise our voices against these atrocities and I join and support you in your views condemning this.

I was merely being a little pessimistic towards the end of my previous comment.

I am glad the media is now pro-active these days.
Even if they occasionally over do it, I am glad they are making life difficult for the corrupt these days.

I hope the owner of this building (stated to be absconding) is traced and held accountable.
Also the officials responsible for permitting laws to be flouted must not go scot free.
If a firm example is set by taking summary action, may be in future other officials, owners, contractors, engineers, architects and suppliers of materials, will learn that it is not profitable to cheat or go against the laws of the land.
Till corruption is made non profitable, we will not be able to eliminate it.
Regards
GV

ZEAL said...

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@--Till corruption is made non profitable, we will not be able to eliminate it.

I agree !

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