Wednesday, November 10, 2010

वन्ध्यत्व -एक अंतिम उपाय -- Surrogacy

Surrogacy एक वैकल्पिक उपाय हैं उन दम्पतियों के लिए , जो किन्हीं कारणोंवश माता-पिता नहीं बन सकते एक स्त्री जो surrogate मदर बनती है , वो गर्भाधान से लेकर पूरे गर्भकाल तथा प्रसव होने तक की स्वीकृति देती है प्रसव के बाद शिशु अपने biological parents अथवा intended parents [ जिनके लिए गर्भ धारण किया हो है ] , को मिल जाता है

उपयोगिता -
  • वन्ध्यत्व के केस में या [female infertility]
  • यदि कुछ चिकित्सकीय कारनों से स्त्री को गर्भधारण में खतरा हो तब
  • single parent [ स्त्री अथवा पुरुष ] , जो अपना स्वयं का बच्चा चाहते हों।
  • Homosexual couple


Surrogacy के प्रकार - इसके दो प्रकार हैं

-Traditional Surrogacy -
-Gestational Surrogacy -

Traditional Surrogacy- इसमें स्त्री अपने स्वयं के गर्भ को धारण करती हैइसमें तीन प्राकर से गर्भ धारण हो सकता है -

- Sexual intercourse [Natural insemination ]-
-Artificial insemination - ये प्रक्रिया डाक्टर द्वारा हेल्थ क्लिनिक में ही हो सकती है

[]- Intrauterine insemination- [IUI]
[]-Intracervical insemination - [ICI]

इसमें intended पिता उस स्त्री का पति ही होता है, अतः पति के ही स्पर्म इस्तेमाल होते हैंलेकिन यदि कोई समलैंगिक दम्पति है , अथवा सिंगिल परेंट है , तो डोनर स्पर्म का भी इस्तेमाल होता है

Gestational Surrogacy -

इसमें surrogate mother के गर्भाशय में एम्ब्रियो [भ्रूण]को धारण कराया जाता हैजिसमें egg तथा sperm , intended parents के होते हैं अथवा donated भ्रूण भी हो सकता हैइसमें surrogate mother , गर्भ धारण से लेकर प्रसव तक के खर्चे को ले लेती है , अतः इसे commercial Surrogacy भी कहते हैं

यदि Gestational carrier , कोई खर्चा ले, केवल निस्वार्थ तथा सेवा भाव से गर्भ धारण करे तो इसे 'Altruistic Surrogacy ' कहते हैंये अक्सर दोस्त/सहेली द्वारा intended parents के लिए किया जाता है

इस प्रक्रिया में शामिल लोग -

-Biological or intended parents- वो दम्पति जो बच्चा चाहता है
-surrogate mother- जो दूसरी स्त्री के हित के लिए गर्भ धारण करती है
-चिकित्सक
-वकील .
- Surrogacy agency .

कानूनी प्रक्रिया -

Surrogacy प्रक्रिया में कानून व्यवस्था काफी complex तथा अनिश्चित हैइसमें surrogate माँ भी legal होने का दावा कर सकती हैकालान्तर में कोई परेशानी ना आये इसके लिए intended parents , प्रारम्भ से ही , कोर्ट द्वारा , माता-पिता का नाम certificate पर लिखवा लेते हैं

बहुत से देशों में [आस्ट्रलिया, जापान, सौदी अरेबिया , कनाडा, फ़्रांस इटली, हंगरी , होन्ग-कोंग ] आदि में commercial Surrogacy प्रतिबंधित हैजबकि बेल्जियम , नीदरलैंड, युक्रेन तथा UK आदि में यह लीगल है
भारत में यह legal हैविदेशों से हजारों की संख्या में Surrogacy के लिए लोग भारत आते हैं


Ethical issues -

मनोवैज्ञानिकों के अनुसार , इस प्रक्रिया में surrogate माँ तथा बच्चे में भावनात्मक जुड़ाव कम ही होता हैअतः कोई परेशानी नहीं होती है कालांतर में।

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45 comments:

केवल राम said...

लाभप्रद और ज्ञानवर्धक जानकारी ...शुक्रिया

DR. ANWER JAMAL said...

माँ के अज़ीम रुतबे के बाज़ारीकरण और वेश्याकरण का नाम है सरोगेसी ।

DR. ANWER JAMAL said...

माँ के अज़ीम रुतबे के बाज़ारीकरण और वेश्याकरण का नाम है सरोगेसी ।

Anonymous said...

hmm....useful knowledge...
is this cost effective too ??? how much money is needed ???

कुमार राधारमण said...

जब सरोगेट मां और बच्चे के बीच ही कोई भावनात्मक संबंध नहीं रह जाता,फिर पिता और बच्चे के बीच ही कितना रह पाता होगा?

भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

बहुत गम्भीर मुद्दा है. लेकिन अगर हो सके तो कोई मां-बाप रहित बच्चा जल्द ही गोद ले लिया जाये तो बेहतर हो...

मनोज कुमार said...

बहुत अच्छा जानकारी प्रदान करता आलेख। विषय के विभिन्न पहलुओं से अवगत हुआ।

Bharat Bhushan said...

प्रक्रियाएँ जटिल हैं परंतु इच्छुकों के लिए लाभकारी. धन्यवाद.

Satish Saxena said...

एक अच्छी जानकारी देती हुई श्रंखला के लिए शुभकामनायें !

ZEAL said...

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डॉ अनवर जमाल,

इसमें एक स्त्री [जो स्वस्थ्य है ] , दूसरी स्त्री की मदद के लिए गर्भ का धारण करती है। इसमें वेश्याकरण कैसा ? शायद आपको गलत जानकारी होगी की इसमें शारीरिक सम्बन्ध होते होंगे। इसमें चिकित्सक द्वारा दूसरी स्त्री के गर्भाशय में एम्ब्रियो इम्प्लांट करते हैं।

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डॉ राधारमण -

intended माता पिता , अर्थात जिनके लिए गर्भ धारण किया गया है, उनका ही होने वाले शिशु के साथ भावनात्मक सम्बन्ध होता है।

सरोगेट मदर का यदि भावनात्मत सम्बन्ध होगा तो , मुश्किल होगी।

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ethereal_infinia said...

Dearest ZEAL:

Nice post.


Semper Fidelis
Arth Desai

Kunwar Kusumesh said...

जानकारीपरक, पढनेयोग्य पोस्ट.

ZEAL said...

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Dearest Ethereal,

I wrote all the posts with the best of my knowledge and efforts. It's my misfortune that you liked just few. Thanks Anyways.


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प्रवीण पाण्डेय said...

आभार।

डॉ. मोनिका शर्मा said...

जानकारीपरक आलेख....धन्यवाद.

सञ्जय झा said...

informative.....useful.....for forthcomingtime....

pranam.

ethereal_infinia said...

Dearest ZEAL:

I have always admired your writing and it is a beautiful gift you are endowed with. About most of your writings, I will simply say -

Tere khayaal ke muqaabil gulaab kyaa hogaa!
Tu laajawaab hain, teraa jawaab kyaa hogaa!

I had only opined my views about the futility [in my personal opinion] of certain posts - like letters to real big-shots [as such, real or fake, all biggies are cheats, eventually], for example - and I can only say sorry for not finding those posts of much interest or appeal. May be it is my narrow vision but I will live with that.

Please do Keep writing as prolifically and I will keep reading just as ardently.

Kaarwaan guzraa kiye, hum reh-guzar dekhaa kiye
Har qadam pe naqsh-e-paa-e-raahbar dekhaa kiye

[Kaarwaan = Entourage / Caravan, Reh-Guzar = Trail, Naqsh-E-Paa-E-Raahbar = Footfprints Of The Guide / Leader (that being you)]


Semper Fidelis
Arth Desai

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

यह तो हमारे लिए नई जानकारी है!
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इसकी चर्चा चर्चा मंच पर भी की गई है!
http://charchamanch.blogspot.com/2010/11/335.html

ashish said...

आपकी ब्लॉग्गिंग सचमुच समाज के हित में है . सरोगेसी आजकल प्रचलन में है. हर नई तकनीक के कुछ फायदे और कुछ नुकसान होते ही है .

Yashwant R. B. Mathur said...

Very nice information on the topic.

Regds.

निर्मला कपिला said...

मेरी एक कहानी है "संजीवनी" सरोगेट माँ और बच्चे पर भावनात्मक असर। वो केवल उन माऔं पर है जो केवल अपने करियर और फिगर के लिये इस विधा को अपनाती हैं। कभी समय हो तो ब्लाग पर जरूर पढना। अच्छी जानकारी। धन्यवाद।

amar jeet said...

अब तो आपका लेख जानकारियों का खजाना हो गया है लेकिन हमारी जो संस्कृति है उसमे क्या इस तरह की बातो के लिए कोई माँ अपनी कोख देने को तैयार होंगी दूसरा क्या उससे अच्छा उपाय बच्चा गोद लेने वाली ज्यादा उचित नहीं है जिसमे की एक अनाथ बच्चे को भी सहारा मिल जाता है ........

G Vishwanath said...

Good and informative post.

To my mind at least there are no ethical issues.
If a heart can be transplanted, a kidney can be transplanted, why can't an embryo be implanted?

Parents sometimes temporarily leave their child to the care of another person after the child is born. Here the parents do so before the child is born.

What is important is that the child should get loving care from the biological parents.

The only difficulty perhaps is the emotional trauma that the surrogate mother may experience on parting with the child after it is born. But if she has previous experience and has done this before there is less likelihood of trouble on this front.

Of course, adoption is perhaps (arguably) a more noble gesture. But one can't force a couple to adopt. If they prefer their own flesh and blood, instead of adoption, we cannot find fault with them. We have to respect their wishes.

Regards
G Vishwanath

ZEAL said...

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@--Ethereal,

If you think others are cheat, then we are also cheat. You , me and everyone.

But Mr Ethereal, It is not true. All are not cheat. It is our vision which is flawed , by which we see people as wrong . We all have a certain degree of ignorance. People act and react on the degree of ignorance they have.

Isn't it our duty to understand why a person is behaving in a particular fashion ? Can't we give benefit of doubt to them , those who are acting smart with us. Can anyone harm us without our consent ?

So , in my humble opinion all are just normal. Jealousy, rivalry, frustration, misunderstandings are parts and parcel of life.

It's very rare that we come across some genuinely enlightened person. Enlightenment comes with realization. And realization happens with divine blessings. So ultimately nothing is in our hands. We are mere puppets in the hands of almighty.

You found few of my posts futile , but it is advisable not to read such stuff that doesn't charm you. One cannot write anything that will match your taste everytime. We all are different entities with different genetic combination. Everyone on earth cannot be alike.

Isn't it wise to choose something of your choice , on net and go through it ?. Don't expect much from a person like me who loves writing on different topics selflessly.

And yes, I am a person of very ordinary stature , so kindly do not expect something extraordinary from me. I love being, small, unknown, ignorant and a part of the crowd.

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ZEAL said...

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@ Amarjeet-

Vishwanath ji has beautifully answered your query.

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Deepak Saini said...

बहुत अच्छी और मेरे लिए बिल्कुल नई जानकारी के लिए
आभार

शोभना चौरे said...

दिव्याजी
कुछ पारिवारिक व्यस्तताओ के चलते ब्लाग जगत से मिलना नहीं हो पाया |आपने मुझे याद किया |धन्यवाद |
देरसे ही सही| "शुभ दीपावली" |
बहुत जानकर परक आलेख |आभार |
आपकी पिछली पोस्ट अभी पढना बाकि है नियमित होते ही पढूंगी |
शुभकामनाये |

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

हर बात की जानकारी तो होनी ही चाहिए ....अच्छा लेख ...हर चीज़ के लाभ और नुक्सान होते हैं ...इन सब प्रक्रियाओं से वही लोंग गुज़रते हैं जिनको वाकई ज़रूरत होती है ...

vandana gupta said...

बहुत बढिया जानकारी……………आभार्।

महेन्‍द्र वर्मा said...

कुछ वर्षों पूर्व तक सरोगेसी को लेकर पत्र-पत्रिकाओं में इसकी नैतिकता के संबंधमें खूब चर्चा होती थी। इसी नैतिक उलझन के कारण अभी भी यह अनेक देशों में प्रतिबंधित है।
बहरहाल, यह निःसंतान दंपतियों के लिए एक अच्छा विकल्प है।
विस्तारपूर्वक तकनीकी जानकारी देने के लिए धन्यवाद।

डा० अमर कुमार said...
This comment has been removed by the author.
सुज्ञ said...

बहुत अच्छा जानकारी प्रदान करता आलेख। विषय के विभिन्न पहलुओं से अवगत हुआ। यह निःसंतान दंपतियों के लिए एक अच्छा विकल्प है।
और गोद लेना सर्व श्रेष्ठ विकल्प है।

SATYA said...

बढिया जानकारी,
आभार.

arvind said...

लाभप्रद और ज्ञानवर्धक जानकारी ...शुक्रिया

G Vishwanath said...

Some more thoughts.

Surrogacy is not being offered as an alternative to adoption.

Surrogacy must be in addition to adoption.

Of course, between the two adoption is more noble.
An orphan who has already entered the world is cared for in the process of adoption.

But, just because a couple is not mentally ready for adoption, can we deny them the facility of surrogacy if that is the only way they can become parents?

Lord Krishna was cared for by Yashoda during his childhood. She was also a surrogate mother, (sort of) except that she cared for Krishna after birth, rather than before birth.

Our scriptures cite many incidents of surrogate fatherhood. Dasharath too could not produce offspring from his three wives.

Kunti and Madri, as already pointed out by Dr Amar, took this route of surrogate fatherhood.

In the modern world we are familiar with sperm banks and sperm donors. Is that not surrogate fatherhood?

Why is surrogate motherhood being made into such a hot issue? I would have the highest regard for a surrogate mother(even if she has charged for her services) I think it is cruel and inconsiderate to say she is "renting out her womb". Of course if she does so without any financial consideration, she will be worthy of being put on a high pedestal.

Regards
G Vishwanath

R. Ramesh said...

hi friend..here's sending all the positive vibes of laughing buddha virtually...hope to receive some pleasant news from you soon..best wishes always buddy..keep the cheers:)

वीरेंद्र सिंह said...

बहुत अच्छी पोस्ट.

Unknown said...

ज्ञानवर्धक जानकारी .

ZEAL said...

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Surrogacy is a medical procedure. While adoption is a social issue. The two are entirely two different issues. Till a couple is desiring a child , they won't be ready to go for adoption. Adopting a child is the last resort where the couple gives up hope in medical science finally.

Surrogacy is no way related to adoption. And surrogacy is a far more noble deed compared to adoption. It's kind of help extended to a woman who is incapable of conceiving for some reason or the other.

It's not a derogatory act. This alternative should be respected for helping out a couple having their own baby.

There is a huge difference between one's own child and an adopted one. Parents cannot feel the same intensity of love for an adopted child.

One can be kind, generous and dutiful towards an adopted child but the flood of emotions that overwhelms us for our own child is not possible for the adopted one.

Adoption should be in addition to having our own child to help out the orphans.


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Sunil Kumar said...

बहुत अच्छी जानकारी प्राप्त हुई, धन्यवाद

वाणी गीत said...

जब देश या विश्व में लाखों अनाथ बच्चे माता -पिता के प्यार को तरस रहे हैं तो उन्हें गोद लेना इस विकल्प से बेहतर लगता है मुझे ...!

ZEAL said...

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वाणी जी, आपकी बात से सहमत हूँ, इसलिए ऊपर मैंने लिखा है, की संतान की अभिलाषा होना एक नेचुरल इच्छा है माँ बाप की, जिसके लिए वो एक चिकित्सक की तरफ बहुत उम्मीद से देखता है।

और हर व्यक्ति जिसको इश्वर ने संतान दे रखी है, उसे जरूर ही एक अनाथ बच्चे को गोद लेना चाहिए। यह एक पुनीत कार्य है।

जिसके पास संतान है , उसे भी बच्चा गोद लेना चाहिए। निसंतान दम्पतियों के लिए तो ये आखिरी विकल्प है ही, जहाँ चिकित्सा हार मान लेती है।

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ZEAL said...

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अनाथ बच्चों को प्यार देने की जिम्मेदारी केवल निसंतान दम्पतियों की ही नहीं है। ये हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी है।

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ZEAL said...

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यदि संतान न हो तो अपने स्वार्थवश , बच्चा गोद ले लेने में भी क्या बात है भला। यदि निस्वार्थ भावना से एक अनाथ बच्चे को गोद लिया जाए तब तो हमारी सोच निसंदेह औरों के लिए भी अनुकरणीय होगी।

जिनके पास औलाद है, उन्हें समझना चाहिए एक मासूम अनाथ बच्चे का दर्द। उन्हें पहल करनी चाहिए अनाथ बच्चों को गोद लेने की।

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ZEAL said...

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आज के समाचार में टीवी पर देखा एक माँ ने अपनी निराश बेटी और दामाद के लिए Surrogate mother बनने का निर्णय लिया। उनके इस फैसले ने उनके बच्चों का दामन खुशियों से भर दिया। आज उनकी गोद में एक प्यारा सा बेटा है।

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